Connect with us

Hi, what are you looking for?

सियासत

वहशीपन का यह ग्लैडिएटर वाला खेल एक दिन इस भगवा साम्राज्य का भी अंत कर देगा!

विश्व दीपक-

रोमन साम्राज्य में एक खेल खेला जाता था जिसका नाम था ग्लैडिएटर. इस खेल में स्टेडियम के अंदर इंसान की इंसान से या इंसान की जानवरों से खूनी लड़ाई करवाई जाती थी. जैसे-जैसे रक्तपात बढ़ाता जाता था दर्शक दीर्घा में बैठी जनता का आनंद भी बढ़ता जाता था.

Advertisement. Scroll to continue reading.

तकरीबन हज़ार साल तक चलने के बाद, रोमन साम्राज्य के पतन के साथ ही यह खूनी खेल समाप्त हो गया लेकिन आज 2022 के भारत में यही खेल चारों तरफ खेला जा रहा है.

आगे बढ़ूं उसके पहले एक छोटा सा सवाल – क्या अंग्रेज़ों ने गांधी का घर गिरवाया था? नहीं. गांधी तो अंग्रेजों के सबसे बड़े दुश्मन थे. नेहरू को अंग्रेजों ने जेल भेजा लेकिन “आनंद भवन” को ज़मीदोज नहीं किया.

सुभाष चंद्र बोस का घर, कोलकाता में आज भी है. भगत सिंह का घर भी पंजाब में सही सलामत है. टैगोर, गोखले, तिलक, सावरकर के पुश्तैनी घर आज भी सलामत हैं. अंग्रेज़ों के या ब्रिटिश साम्राज्यवाद के नज़रिए से देखा जाए तो इन नेताओं का अपराध उन प्रदर्शनकारियों से हज़ार गुना ज्यादा था जिनके घरों पर बुलडोजर चलवाए जा रहे हैं या जिन्हें पुलिस स्टेशन में बंद कर पीटा जा रहा है.

Advertisement. Scroll to continue reading.

कहना यह चाहता हूं कि अंग्रेज, जिनके हम गुलाम थे वो भी अपने दुश्मनों से डील करते वक्त कुछ कायदे कानूनों का ख्याल रखते थे.

भारत अंग्रज़ों का उपनिवेश था. अंग्रेज़ अगर ऐसी कार्रवाई करते तो भी समझा जा सकता था. मगर आज तो भारत स्वतंत्र है. अपनी ही चुनी हुई सरकार है फिर इस आक्रांताई, मध्यकालीन मानसिकता की जरूरत क्या है?

Advertisement. Scroll to continue reading.

योगी आदित्यनाथ की सरकार जिस रफ्तार से प्रदर्शनकारियों के घरों पर बुलडोजर चलवा रही है – वह अंग्रेज़ी राज से बुरा है.

शुक्रवार को प्रदर्शन होता है और रविवार को घरों पर बुलडोज़र चलवा दिए जाते हैं. यह किस तरह का न्याय है, किस तरह की व्यवस्था है? मान लेते हैं कि यही व्यवस्था सही है तो फिर यह सबके लिए लागू होनी चाहिए न?

Advertisement. Scroll to continue reading.

हर अपराधी के घर गिराए जाने चाहिए चाहे वो हिंदू या मुसलमान. पर मकसद व्यवस्था कायम करना या कानून का राज स्थापित करना नहीं है. यह हम सब जानते हैं. मकसद एक समुदाय में भय और खौफ पैदा करना है. उन्हें जलील करना है.

हैरानी की बात यह है कि इस पागलपन को भीड़ का समर्थन हासिल है. अच्छा खासा शहरों में रहने वाला, ठीक-ठाक कमाई करने वाला तबका जिसका सपना अपने बेटे-बेटियों को अमेरिका, ब्रिटेन में सेटल करना है — वह भी दूसरों का घर गिरता देख तालियां बजा रहा.

Advertisement. Scroll to continue reading.

मनुष्य जितना लहूलुहान हो रहा है, लोगों को उतना ही मजा आ रहा है. वहशीपन का यह ग्लैडिएटर वाला खेल एक दिन इस साम्राज्य का भी अंत कर देगा.

Advertisement. Scroll to continue reading.
1 Comment

1 Comment

  1. अतुल गोयल

    June 15, 2022 at 7:07 pm

    देश मे 1975 में लगी इमरजेंसी को जिस पार्टी-विशेष के लोग बुरा कहते आये हैं क्या उन्हें या उनके समर्थकों को इन नए हुक्मरानों द्वारा कथित काले-धन के नाम पर थोपी गई नोटबन्दी या पिछले 8 सालों से आज-तक देश मे फैलाई जाने वाली नफरत की राजनीति या अन्याय पूर्ण ढंग से न्याय-व्यवस्था का मखोल उड़ाती बोल्डोजरी-राजनीतियाँ समझ नही आती या मीडिया में प्रचलित ये बात ही सही है कि हमारे बुजुर्गों ने पिछले 70 सालों में ऐसे हुक्मरानों को बहुमत से इसी लिए दूर रखा क्योंकि वे इनकी मानसिकता को अच्छी तरह से जानते थे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement