कृष्ण कांत-
एक दिलचस्प ‘घोटाला’ सामने आया है। हुआ यूं कि जर्मनी के प्रो जॉन कैम नाम के एक ट्विटर हैंडल ने ट्वीट किया कि “योगी को फ्रांस भेज दो, दंगा रोक देंगे।”
बड़े-बड़े सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर उर्फ गोदी मीडिया के स्टार लगे लोटने… कहने लगे- बाबा की डिमांड पूरे ब्रम्हांड में है। हैरानी की बात तो ये कि योगी आदित्यनाथ के दफ्तर से चल रहे आधिकारिक ट्विटर हैंडल ने उस बहुरुपिये के ट्वीट को कोट करके महाराज की तारीफ भी कर दी।
गोदी मीडिया ट्वीट करने वाले की पहचान चेक किए बिना खबरें बनाने लगा। एक नये नवेले राष्ट्रवादी गोदी पत्रकार ने उस बहुरुपिये को कार्डियोलॉजी की दुनिया का खुदा घोषित कर दिया और कहा कि देखिए कैसे दुनिया हमारे योगी जी के लिए तरस रही है। अभी ये जश्न चल ही रहा था तब तक फैक्ट चेकर्स ने उंगली कर दी।
ये ससुरे फैक्ट चेकर झूठ का व्यापार ठीक से चलने नहीं देते। इन्होंने बताया कि ट्वीट करने वाला प्रो. जॉन कैम दरअसल नरेंद्र विक्रमादित्य यादव है। असल में वह बहुरुपिया है। उसे कुछ कर्मचारियों के साथ धोखाधड़ी के आरोप में हैदराबाद पुलिस ने 2019 में गिरफ्तार किया था। उस पर अपहरण का भी केस है। फैक्ट चेकर्स ने झूठ के कारोबार पर पानी फेर दिया! बुरा हुआ!
लेकिन रुकिए! अभी क्लाइमेक्स बाकी है। जब यह सामने आया कि वह कोई जर्मन डॉक्टर नहीं बल्कि एक भारतीय है और बहुरुपिया है, तब कुछ राष्ट्रवादी क्रांतिकारी मोड में आ गए। कहने लगे कि ये मुए वामपंथी फैक्ट चेकर्स चाहे जो कहें, योगी जी का ठोंक दो मॉडल ही पूरी दुनिया का आदर्श मॉडल है। प्रो जॉन कैम की खबर हर मीडिया हाउस में छपकर रहेगी। नरेंद्र यादव को प्रो जॉन कैम साबित करने की क्रांति होकर रहेगी।
यह बेशर्मी इस फर्जीवाड़े का निचोड़ है। योगी आदित्यनाथ के आफिस ने वह ट्वीट डिलीट नहीं किया। किसी पत्रकार ने भी अपना ट्वीट डिलीट नहीं किया है। वे यह मानने को तैयार नहीं हैं कि हम फर्जी अकाउंट के चक्कर में फंस गए। वे कह रहे हैं कि नरेंद्र यादव को प्रो जॉन कैम नहीं मानना वामपंथियों की साजिश है।
जल्द ही झूठ का नाम सच और नफरत का नाम मोहब्बत रखा जा सकता है। अब इस देश में कुछ भी संभव है।