यूपी पीएससी कदाचार के आरोपों से घिरा, डेढ़ साल से कच्छप गति से चल रही सीबीआई जाँच
वर्ष 2012 से वर्ष 2017 के बीच उत्तरप्रदेश लोकसेवा आयोग द्वारा की गई भर्तियों की सीबीआई जांच जनवरी 2018 से शुरू है। लेकिन लगभग डेढ़ साल हो चुके हैं और अभी तक जाँच किसी तार्किक परिणति तक नहीं पहुंची है। उत्तरप्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) भर्ती घोटाले की प्रारंभिक जांच सीबीआई की एंटी करप्शन ब्यूरो कर रही है। लेकिन जाँच किस दिशा में जा रही है, इसे इस तथ्य से समझा जा सकता है कि सपा शासन के दौरान भर्तियों की सीबीआई जांच जारी रहने के बावजूद भाजपा के योगी राज में भी लोकसेवा आयोग की भर्तियों में घपले घोटाले का खेल रुका नहीं है, बल्कि बदस्तूर जारी है।
ताज़ा मामला उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से एलटी ग्रेड शिक्षकों के 10768 पदों पर भर्ती के लिए 29 जुलाई 2018 को कराई गई परीक्षा से एक दिन पहले पेपर आउट होने का है, जिसकी जद में आयोग की परीक्षा नियंत्रक अंजू कटियार आ गयी हैं। एसटीएफ ने आयोग की परीक्षा नियंत्रक अंजू कटियार समेत 9 के खिलाफ वाराणसी के चोलापुर थाने में ठगी व भ्रष्टाचार अधिनियम की एफआईआर दर्ज कराई है। एसटीएफ ने मंगलवार देर रात प्रयागराज में आयोग कार्यालय स्थित अंजू कटियार के ऑफिस और आवास पर छापेमारी की। अंजू कटियार के कमरे से उनका मोबाइल और लैपटाप जब्त किया गया है। आरोप है कि एलटी ग्रेड परीक्षा में पेपर लीक के एवज में परीक्षा नियंत्रक ने नकल माफियाओं से 2.80 करोड़ रुपये कमीशन मांगा था, जिसके बाद उन्हें 10 लाख रुपये दिया गया। एसटीएफ कभी भी अंजू कटियार की गिरफ्तारी कर सकती हैं।
एसटीएफ ने वाराणसी के चोलापुर इलाके से मंगलवार को प्रिटिंग प्रेस मालिक कोलकाता निवासी कौशिक कुमार को गिरफ्तार कर लिया। उसके पास से लैपटॉप, कुछ पेपर व कई लोगों के नाम-पते मिले हैं। साल 2018 में हुई एलटी ग्रेड की परीक्षा में आरोपी ने परीक्षा के एक दिन पहले सहयोगी आरोपियों के जरिए प्रति छात्र ढाई से 5 लाख लेकर 50 छात्रों को हल पेपर मुहैया कराया गया। 26 मई को आरोपी लोक सेवा आयोग की सचिव से मिलने गया। तब पीसीएस मेंस का सील पेपर छापने को दिया गया था। इसी दौरान पेपर लीक के बदले 10 लाख दिए जाने का आरोप है।हाई-प्रोफाइल मामला होने के कारण किसी को भनक तक नहीं लगने दी गई और एसटीएफ, चोलापुर पुलिस ने गोपनीय तरीके से कौशिक को विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) की अदालत में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में चौदह दिन के लिए जेल भेज दिया।
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग मुख्यालय में मंगलवार आधी रात पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की। एलटी ग्रेड परीक्षा पेपर लीक मामले में एसटीएफ ने वाराणसी पुलिस के साथ में छापा मारा। यहां लोकसेवा आयोग की तीसरी मंजिल पर एक अधिकारी के बेडरूम से लेकर अन्य कई कमरों की छानबीन की गई। यहां से कई दस्तावेज भी जब्त किए गए हैं।
उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग ने 10768 पदों पर एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती के लिए लिखित परीक्षा प्रदेश के 39 जिलों में 29 जुलाई 2018 को कराई थी। लेकिन, एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा में नकल माफिया ने सेंधमारी कर दी। लिखित परीक्षा शुरू होने से पहले ही एसटीएफ ने प्रयागराज में सॉल्वर गिरोह को दबोच लिया था। इस गिरोह से जो प्रश्नपत्र बरामद हुआ उसका असल प्रश्नपत्र से मिलान किया गया। आयोग ने उसी दिन दावा किया था कि प्रश्नपत्र तो फर्जी निकला लेकिन, उसकी बनावट और कोड को ऐसे डिजाइन किया था जो देखने में असली प्रतीत हो रहा था।परीक्षा तो सभी जिलों में संपन्न करा ली गई लेकिन, इसके बाद अभ्यर्थियों के एक समूह ने धांधली के आरोप में कई दिनों तक आंदोलन चलाया,जिसके बाद इसकी जाँच एसटीएफ को सौंप दी गयी।
लोक सेवा आयोग वर्षों से विवादों में रहा है। प्रदेश में अखिलेश सरकार के दौरान तमाम कारणों से विवाद बहुत ज्यादा बढ़े। प्रदेश में भाजपा की योगी नित सरकार में सीबीआई जाँच का आदेश जारी होने के बाद भी आयोग का रवैया नहीं बदला । आयोग की कोई भर्ती ऐसी नहीं है जिसे लेकर विवाद न हो। शिक्षक से लेकर पीसीएस तक की भर्ती विवादों में घिरी है।
सपा शासनकाल के दौरान (अप्रैल 2012 से मार्च 2017) के बीच हुई आयोग की भर्तियों की अब तक की सीबीआई जांच में यह बात लगभग साफ हो चुकी है कि भर्तियों में अनियमितता और भ्रष्टाचार के जो भी आरोप लगाए गए हैं, उसमें आयोग के अफसरों और कर्मचारियों की संलिप्तता रही है। सीबीआई अपनी पहली एफआईआर में यह स्वीकार कर चुकी है कि आयोग के कुछ अफसरों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए पीसीएस 2015 मेन्स के अनिवार्य विषय हिन्दी और निबंध की कॉपियों के मॉडरेशन में गड़बड़ी कर चहेते परीक्षार्थियों के नंबर बढ़ाए और कुछ के घटाए। पीसीएस 2015 की कॉपियों पर अभ्यर्थियों द्वारा पहचान के लिए बनाए गए यूनिक फीचर (चिह्न) को नजरअंदाज किया गया। .
इसी तरह आरओ-एआरओ 2016 प्री परीक्षा नवंबर 2016 में हुई थी। लखनऊ के एक सेंटर से इसका पेपर परीक्षा से पूर्व वाट्सएप पर वायरल होने के आरोप लगे, लेकिन आयोग ने इसे नहीं माना। आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर की पहल पर मामले में कोर्ट के आदेश पर एफआईआर हुई और फिर जांच सीबीसीआईडी को सौंपी गई। सीबीसीआईडी की जांच आज तक पूरी नहीं हो सकी है, इसलिए अब तक इस परीक्षा का परिणाम घोषित नहीं किया जा सका। तकरीबन 350 पदों पर चयन अटका हुआ है। .
इसीतरह 29 मार्च 2015 को लखनऊ के एक सेंटर से पीसीएस प्री 2015 का पेपर आउट हुआ था। आयोग ने पहले पेपर आउट होने से इनकार किया लेकिन बाद में शासनस्तर से दबाव बनने पर सिर्फ पहली पाली की परीक्षा निरस्त कर दुबारा परीक्षा कराई गई। इसकी जांच एसटीएफ ने की। एसटीएफ ने माना था कि जिस सेंटर से पेपर आउट हुआ था, वहां पेपर निर्धारित अवधि से काफी पहले ही पहुंचा दिए गए थे। आयोगकर्मियों की भूमिका पर सवाल उठे पर न तो कोई जांच हुई और न ही किसी के खिलाफ कार्रवाई।
इलाहाबाद से वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट.