संजय कुमार सिंह-
हिन्दी में गोलवलकर अंग्रेजी का गोलवालकर – लक्ष्य तक पहुंचाने वाला?
आज द टेलीग्राफ की लीड का शीर्षक है, गोलवलकर। इसके साथ एक सज्जन की तस्वीर है जिसका कैप्शन है, गोलवलकर कलकत्ता में 1972 में। उपशीर्षक है, लक्ष्य तय है : महिलाओं, मुसलमानों, ईसाइयों और दमितों को जानना चाहिए कि इस सरकार को कौन प्रेरित करता है। इसके साथ अनिता जोशुआ की खबर में बताया गया है कि भारत में सबसे खराब ढंग से रखा गया ‘राज’ (सीक्रेट) आधिकारिक तौर पर स्वीकार कर लिया गया है। अब प्रेरणास्रोत और मार्गदर्शक शक्तियां एमएस गोलवलकर के विचार हैं। आप आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दूसरे सरसंघचालक थे। आगे लिखा है, गलती मत कीजिए, अगर मौका दिया जाए तो यह आने वाली कई “पीढ़ियों” तक चलेगा।
खबर यह है कि केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने शुक्रवार को ट्वीट किया (अंग्रेजी से अनुवाद), महान विचारक, विद्वान और उल्लेखनीय अगुआ एमएस गोलवलकर को उनके जन्म की सालगिरह पर याद किया जा रहा है। उनके विचार प्रेरणा के स्रोत रहेंगे और पीढ़ियों का मार्गदर्शन करते रहेंगे। कहने की जरूरत नहीं है कि संघ के पूर्व सर्वे-सर्वा का कल जन्मदिन था। इसपर पूर्व संस्कृति सचिव जवाहर सिरकर की प्रतिक्रिया थी, (अंग्रेजी से अनुवाद), पूर्व संस्कृति सचिव के रूप में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय द्वारा आरएसएस के प्रमुख गोलवलकर की झूठी प्रशंसा को देखकर मेरा सिर शर्म से झुक गया है। गोलवलकर और आरएसएस ने गांधी के स्वसंत्रता संघर्ष का विरोध किया था और अपनी (पुस्तक) बंच ऑफ थॉट्स में गोलवलकर ने भारत के तिरंगे का भी विरोध किया है। सरदार पटेल ने उन्हें जेल भेजा था, आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया था। अखबार ने इसपर कल जो सब हुआ उसका विवरण दिया है और प्रमुखता से प्रकाशित किया जो दूसरे अखबारों में इस ढंग से तो नहीं ही होगा।
(अब जब गोलवलकर की बात चल ही निकली है तो मैं चाहूंगा कि हरतोष सिंह बल का लिखा, दो प्रधानमंत्रियों के गुरु – गोलवलकर जरूर पढ़ें। लंबा है पर पढ़ लेंगे तो आंखें खुल जाएंगी।)
Jps Rathore
February 23, 2021 at 10:51 am
कृपया हरतोष सिंह बल के लेख का लिंक शेयर करें.
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद