लोकतंत्र में भी ‘समरथ को नहिं दोष गोसांई’ : महाकवि तुलसीदास ने पांच सौ साल पहले ही लिख दिया था था “समरथ को नहिं दोष गोसांई”। यह 21 वीं सदी में भी चरितार्थ हो रहा है। महाकवि तुलसीदास के दौर में राजतन्त्र था जबकि आज लोकतंत्र है और न्यायपालिका स्वतंत्र ही नहीं बल्कि संवैधानिक संस्था हैऔर न्याय की देवी अंधी हैं।फिर प्रभावशाली और रसूखदार लोगों को न्यायपालिका को थंगा दिखाने की अनुमति कौन दे रहा है और क्यों दे रहा है? कर्नाटक के पूर्व मंत्री और खनन कारोबारी जनार्दन रेड्डी के खिलाफ दर्ज 35,000 करोड़ रुपये के खनन घोटाले में त्वरित सुनवाई के न्यायालय के आदेश के बावजूद पिछले छह वर्षों में आरोपियों के खिलाफ आरोप तय नहीं किए गए हैं।जबतक आरोप तय नहीं होते तबतक न्यायालय में आपराधिक मुकदमें की सुनवाई शुरू नहीं होती।यह इसलिए और भी गम्भीर मामला हो जाता है क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने राजनितिक नेताओं यानी पूर्व व वर्तमान सांसदों-विधायकों के विरुद्ध लम्बित आपराधिक मामलों को प्रत्येक राज्य में विशेष अदालतों का गठन करके एक वर्ष के भीतर निपटाने के बाध्यकारी निर्देश दे रखे हैं। इससे पता चलता है कि खनन माफिया जनार्दन रेड्डी का रसूख और पहुंच कहाँ तक है।
अवैध खनन के आरोपित जनार्दन रेड्डी द्वारा शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर ससुर की बीमारी के नाम पर बेल्लारी जाने की इजाजत मांगने का मामला जब उच्चतम न्यायालय में जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ के सामने सुनवाई के लिए आया तो पीठ यह जानकर हतप्रभ रह गयी कि इस मामले में चार्जशीट दाखिल होने के 6 साल बाद भी ट्रायल कोर्ट में आरोप नहीं हुए।
पीठ ने जनार्दन रेड्डी के खिलाफ दर्ज 35,000 करोड़ रुपये के खनन घोटाले में 6 साल बाद आरोप तय करने में विफल रहने पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की खिंचाई भी की।पीठ ने सीबीआई के प्रति सख्त रुख अपनाते हुये इस मामले में अभी तक आरोप तय नहीं होने का ठोस जवाब सीबीआई से मांगा है । जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ने सीबीआई के वकील से कहा कि चार्जशीट दाखिल हुये 6 साल हो गए लेकिन आरोप अभी तय नहीं हुए, क्यों?हम जानना चाहेंगे।त्वरित सुनवाई के न्यायालय के आदेश के बावजूद पिछले छह वर्षों में आरोपियों के खिलाफ आरोप तय नहीं किए गए हैं।
उच्चतम न्यायालय ने जर्नादन रेड्डी को 8 जून से दो हफ्तों के लिए बेल्लारी जाने की इजाजत दे दी ताकि वो अपने बीमार ससुर की देखभाल कर सकें।लेकिन पीठ ने2015 के आदेश में फिलहाल बदलाव करने से इनकार कर दिया। उच्चतम न्यायालय ने रेड्डी को 2015 में अवैध खनन मामले में जमानत देते हुए उनके गृह नगर बेल्लारी और आंध्र प्रदेश के अनंतपुर व कडप्पा जाने पर रोक लगा दी थी।
सीबीआई की ओर से पेश वकील माधवी दीवान ने कहा कि रेड्डी ट्रायल में जानबूझकर देरी कर रहे हैं। सह अभियुक्तों ने एफआईआर को खारिज करने की याचिकाएं दायर की जिन पर सुनवाई करते हुए अदालत ने ट्रायल पर रोक लगा दी और इसीलिए देरी हुई। सीबीआई ने कहा कि वो इसे लेकर हलफनामा दाखिल करेंगे। बेल्लारी जाने के लिए उच्चतम न्यायालय में यह उनका सातवां आवेदन है।वहीं जर्नादन रेड्डी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील एस गणेश ने पलटवार करते हुए कहा कि रेड्डी के खिलाफ जमानत की किसी भी शर्त का उल्लंघन करने की कोई शिकायत नहीं आई है।उनके मुताबिक, ‘रेड्डी पहले तीन सप्ताह के लिए बेल्लारी गए थे लेकिन उनके खिलाफ कोई शिकायत नहीं है। उनके ससुर की बाईपास सर्जरी हुई है और इसका मेडिकल रिकॉर्ड हमने कोर्ट के समक्ष रखा है।सीबीआई के वकील ने कहा कि रेड्डी बेल्लारी जाने के लिए एक के बाद एक बहाना बनाकर अनुमति मांग रहे हैं। वह पहले अपनी बेटी की शादी के लिए बेल्लारी गए थे।इसके बाद वह अपने एक दोस्त की बेटी की शादी में शामिल होने के लिए बेल्लारी जाना चाहते थे।वो मामले को प्रभावित कर रहे हैं।
पीठ ने पाया कि मामले में आरोपों के तय होने में देरी को उचित नहीं ठहराया जा सकता है।सीबीआई के वकील ने अदालत को बताया कि मामले में लगभग 300 गवाहों को सूचीबद्ध किया गया है, और रेड्डी मुख्य आरोपी हैं।
गौरतलब है कि रेड्डी ओबलापुरम माइनिंग कंपनी के एमडी हैं। उनकी कंपनी पर कर्नाटक के बेल्लारी और आंध्रप्रदेश के अनंतपुर में बड़े पैमाने पर अवैध खनन का आरोप है। रेड्डी करीब तीन वर्ष तक जेल में रहे थे।इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने उन्हें सशर्त जमानत दी है।
जनार्दन रेड्डी की 37.86 करोड़ रुपये की संपत्तियां कुर्क
इसके पहले कर्नाटक में लौह अयस्क के कथित तौर पर अवैध खनन करने के मामले में एक विशेष धनशोधन रोधी अदालत ने राज्य के पूर्व मंत्री एवं खनन कारोबारी जनार्दन रेड्डी और उनकी पत्नी से जुड़ी 37.86 करोड़ रुपये से अधिक कीमत की संपत्तियों को कुर्क कर लिया है।रेड्डी दंपति की जिन संपत्तियों को कुर्क किया गया है,उनमें बेंगलुरु स्थित चार करोड़ रुपये का फ्लैट, बेल्लारी में 14 लाख रुपये का मकान, एफडी और बैंक खातों में जमा नकदी शामिल हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने इस साल के शुरू में धनशोधन विरोधी कानून के प्रावधानों के तहत इन संपत्तियों को कुर्क किया।