अरुण श्रीवास्तव-
बड़ी पुरानी कहावत है कि ‘का भइ बरखा कृषि सुखाने, समय चूक पुनि का पछताने।’
कुछ ऐसा ही बिल्किश बानों के साथ हुआ। हुआ यह था कि, फैजाबाद में विवादित ढांचा ढहाए जाने के बाद गुजरात लौट रहे कथित कारसेवकों से भरी साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन की एक बोगी में कुछ शरारती तत्वों ने आग लगा दी। इस घटना में तकरीबन 55 लोगों की मौत हो गई थी।
इसके विरोध में पूरे गुजरात सहित देश के कई राज्यों में जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई और इसका शिकार बिल्किश बानों भी हुई। उसके गांव के ही रहने वालों ने उसे मार्च 2002 को अपनी हवस का शिकार बनाया। यह सब उसके साथ तब हुआ जब वह पांच माह की गर्भवती थी। बलात्कारियों ने उसके सामने ही सात लोगों की हत्या कर दी थी। चूंकि घटना एक धर्म विशेष की महिला के साथ हुई थी इसलिए उसे प्राथमिक रिपोर्ट दर्ज कराने के साथ साथ इंसाफ के लिए नाकों चने चबाना पड़े।
न्यायिक प्रक्रिया में ही बिल्किश भेदभाव का शिकार होती रही। उसे अपना गुजरात से बाहर लड़नी पड़ी। उसका मामला गुजरात से महाराष्ट्र शिफ्ट कर दिया गया।
लेकिन कहते हैं कि, ‘भगवान के घर देर है अंधेर नहीं। बिल्किश को एक नहीं दो-दो बार इसे साबित करना पड़ा। बिल्किश के बलात्कारियों को मुंबई में सीबीआई की एक अदालत ने 2008 में 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। यही नहीं बाम्बे हाई कोर्ट ने भी सभी की सज़ा को बरकरार रखा।
गौरतलब है कि यह प्रकरण एक बार फिर सुर्खियों में तब आया जब गुजरात की भाजपा सरकार ने कानून की बारीकियों का दुरुपयोग करते हुए सभी बलात्कारियों की सजा को कम करते हुए रिहा कर दिया। बेहयाई की इंतहा तब हुई जब रिहाई के बाद इन सभी का माला पहनाकर स्वागत किया गया महिलाओं ने आरती उतारी। इस घटना की सत्ताधारी दल भाजपा को छोड़कर सभी ने निंदा की और गोदी मीडिया ने इसका ढिंढोरा पीटा।
मामला फिर देश की सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। आज सुप्रीम कोर्ट ने सभी बलात्कारियों की रिहाई को गैर कानूनी करार देते हुए सजा को बरकरार रखा। आज 8 जनवरी 2024 दिन सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने बिलकिस बानो केस में 11 दोषियों को बरी करने के गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कर दिया। इतना ही नहीं SC ने कहा कि भौतिक तथ्यों को दबाकर और भ्रामक तथ्य बनाकर दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट से गुजरात राज्य को माफी पर विचार करने का निर्देश देने की मांग की थी।
अपनी फैसले/टिप्पणी में कोर्ट ने गुजरात की भाजपा सरकार को जबरदस्त फटकार लगाते हुए कहा कि, यह सुप्रीम कोर्ट के साथ धोखा है। सरकार ने हाईकोर्ट की टिप्पणी छिपाई। कोर्ट ने कहा कि घटना गुजरात की तो क्या हुआ वहां की सरकार को सजा कम करने का अधिकार नहीं है। महाराष्ट्र सरकार ही सज़ा को कम कर सकती थी।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद सभी बलात्कारियों को कोर्ट में सरेंडर करना होगा। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से बिल्किश बानों को ही न्याय नहीं मिला है यह भाजपा की गुजरात सरकार के मुंह पर तमाचा है। फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट ने सभी 11 दोषियों को 2 हफ्ते में सरेंडर करने के लिए कहा है।
ये हैं बिल्किश बानों के 11 गुनहगार
जसवंत नाई, गोविंद नाई, शैलेश भट्ट, राध्येशम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहनिया, प्रदीप मोर्दहिया, बकाभाई वोहनिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चंदना। जेल में 15 साल गुजारने के साथ-साथ कैद के दौरान उनकी उम्र और व्यवहार को ध्यान में रखते हुए उन्हें 15 अगस्त, 2022 को रिहा कर दिया गया था।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं.