गुजरात
अरुण श्रीवास्तव- बड़ी पुरानी कहावत है कि ‘का भइ बरखा कृषि सुखाने, समय चूक पुनि का पछताने।’ कुछ ऐसा ही बिल्किश बानों के साथ...
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अरुण श्रीवास्तव- बड़ी पुरानी कहावत है कि ‘का भइ बरखा कृषि सुखाने, समय चूक पुनि का पछताने।’ कुछ ऐसा ही बिल्किश बानों के साथ...
अरूण श्रीवास्तव- ‘आज 16 साल की बच्ची भी गहने लेकर रात 12 बजे स्कूटी से अकेले जा सकती है।’ यह बात मैं नहीं देश...
अरुण श्रीवास्तव- कहते हैं कि ‘इतिहास अपने आपको दोहराता है।’ यह भी कहते हैं कि इतिहास से सबक लेना चाहिए। चूंकि हमने इतिहास से...
अरुण श्रीवास्तव- चूंकि कि मैं कानून का ज्ञाता नहीं इसलिए कानून की बारीकियां भी नहीं पता। पर सब कुछ कानून के नजरिए से तय...
अरूण श्रीवास्तव- ऐसा क्यों कि, हर कोई मरने के बाद स्वर्गीय (नरकीय नहीं) हो जाता है और हर कामयाब व्यक्ति महान बन श्रद्धांजलि पाने...
अरूण श्रीवास्तव- धनतेरस को देहरादून से प्रकाशित अमर उजाला आठ मुखी था और सभी के सभी पेज विज्ञापन से ठुंसे हुए थे. वैसे ‘पहले...
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों... तो क्या ऐसा ही वतन आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वालों ने हमारे हवाले किया था,...
बड़े-बुजुर्ग अक्सर कहते हैं कि अंग्रेज तो चले गए लेकिन चाय छोड़ गये। इसी तरह सामंतवाद समाप्त हो गया लेकिन लठैत छोड़ गया है।...
"आने वाले वर्षों में अखबार बहुत सुंदर होंगे, लेटेस्ट कवरेज होगी, अच्छी छपाई होगी, पर किसी संपादक की हिम्मत नहीं होगी कि वह मालिक...
पूरब के गांवों में एक कहावत है "दुआरे आई बारात तो समधिन को लगी हगास"। कुछ यही हाल देवभूमि कहलाने वाले उत्तराखंड के श्रम...
डेंगू रोकने में स्वास्थ्य विभाग असमर्थ... नहीं बन रहे जाति प्रमाणपत्र... लोक अदालत में मामले निस्तारित... आजादी तो मिली स्कूलों पर छत नहीं डली...