प्रकाश के रे-
न्यूज़वीक ने प्रधानमंत्री मोदी का ऐसा ‘साक्षात्कार’ किया है कि अक्षय कुमार वाला इंटरव्यू इसके सामने मामूली हो जाता है. बहरहाल, यह भी उल्लेखनीय है कि न्यूज़वीक बाक़ी पश्चिमी मेनस्ट्रीम मीडिया की तरह युद्धोन्मादी है और यह भी मज़े की बात है कि वह अक्सर लोकतंत्र लोकतंत्र भी करता है.
चंद्र कुमार-
जिस DChaurasia2312 ने खुद पूछा “जेब में बटुआ रखते हैं” उसे ये इन्टरव्यू बेहतरीन लगा. The लाल ने अपने स्तर की पहचान अच्छी है.
अभितेश त्रिपाठी-
मतलब ये इंटरव्यू भी स्क्रिप्टेड माना जाय. या कुछ तो बोला उन मुद्दों पे जिसपे वो आमतौर पे वो चुप रहते हैं और उनके मंत्री ही बोलते हैं. भारतीय मीडिया को देने वाले इंटरव्यू चाहे किसी के भी हो मात्र चुनावी प्रचार का माध्यम बस रह गये हैं.
डॉ विष्णु राजगड़िया-
इसे इंटरव्यू वही कहेगा, जो पत्रकारिता का ककहरा भी नहीं जानता। इंटरव्यू में तीखे, अप्रिय सवाल होते हैं. जवाब पर भी सवाल होता है. इसमें एक भी सवाल नहीं। इंटरव्यू वह होता है जिसमें नेता पानी मांग ले और ‘दोस्ती बनी रहे’ बोलकर उठ जाए. रवीश कुमार को इंटरव्यू देकर देख लें साहेब.
राजीव वर्मा-
इंटरव्यू मोदी जी का हमेशा से शानदार होता रहा है एक देश प्रधानमंत्री से जैसा सवाल होना चाहिए उससे कोसों दूर. इस सरकार ने सबसे ज्यादा निराश ईमानदार पत्रकारों को किया है उनके गर्व को मटियामेट किया 10साल निष्कंटक शासन करने के बाद भी एक भी प्रेस कांफ्रेंस नहीं.