तीसरे चरण की वोटिंग को लेकर संभल से सूचना है कि यहां मतदान की सुबह, 30-40 पुलिस अधिकारियों ने मुस्लिम गांवों के मतदान केंद्रों पर धावा बोल दिया. उनकी आईडी छीन ली गई. उन्होंने मतदाताओं पर हमला किया और शांतिपूर्ण मतदान में बाधा डाली. इलाके के दर्जनों प्रत्यक्षदर्शियों ने पत्रकारों को यह बताया.
पत्रकार आयुष तिवारी ने द स्क्रॉल के लिए ग्राउंड रिपोर्ट की है, जिसमें बताया गया है कि, यहां के संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं को शारीरिक हमले का सामना करना पड़ा. वहीं डीएम संभल और इलेक्शन कमीशन ने जनता को ऑनलाइन गुमराह किया.
आयुष लिखते हैं, “मैं बिल्कुल इसी गांव में गया और पाया कि स्वाति चतुर्वेदी ने यहां हुई हिंसा का जो ट्वीट किया, उनका दावा ठीक था. इस वीडियो पर ईसीआई ने कहा कि “किसी भी मतदाता को वोट डालने के अधिकार से वंचित नहीं किया गया.” स्वाति द्वारा वीडियो को 2024 के तीसरे चरण में उत्तर प्रदेश के एक थाने में मतदान के बारे में भ्रामक दावे के साथ एक्स पर साझा किया गया है.
इस संबंध में ईसीआई ने डीएम संभल के हवाले से बताया, हमने पहले ही पूछताछ के बाद स्पष्टीकरण जारी कर दिया था. किसी भी मतदाता को वोट डालने के अधिकार से वंचित नहीं किया गया. किया गया दावा झूठा है.
रिपोर्ट में लिखा गया है, जिन लोगों पर हमला किया गया और उन्हें वोट देने से वंचित कर दिया गया, उनमें एक दलित मां और बेटा, एक 18 वर्षीय पहली बार मतदाता, और ओवरी गांव का एक परिवार शामिल है, जिसकी घटना कैमरे में कैद हो गई. इस फोटो में दिख रहे बुजुर्ग व्यक्ति रईस कुरेशी हैं, जिन्हें उनके बेटे आलम और मुस्तगीर ने पकड़ रखा है.
जब ओवरी का यह वीडियो वायरल हुआ, तो पुलिस ने मुस्तगीर को उठाया, जिसने मुझे बताया कि उसे जंगल में ले जाया गया और दबाव में वीडियो बयान देने के लिए मजबूर किया गया. तब संभल पुलिस ने मुस्लिम मतदाताओं के दमन के आरोपों से बचने के लिए यह बयान ट्वीट किया.”
बता दें कि संभल के पिछले डेटा से पता चलता है कि इस बार के प्रभावित गांवों ने 2022 के राज्य चुनावों में समाजवादी पार्टी के लिए भारी मतदान किया था. आस-पास के हिंदू/मिश्रित गांवों के बूथ, जिन्होंने भाजपा को वोट दिया था, अछूते रहे.
सपा और बसपा उम्मीदवारों ने कहा कि पूरे निर्वाचन क्षेत्र के मुस्लिम गांवों में ‘योजनाबद्ध’ तरीके से पुलिस द्वारा हमले हुए.
इस क्षेत्र की विधायक पिंकी सिंह यादव ने एक वीडियो क्लिप शेयर कर आरोप लगाया कि, “इस वीडियो में पुलिस को ग्रामीणों पर हमला करते हुए दिखाया गया है.. जब वे मतदान कर रहे थे. उन्होंने 3 दिन पहले इस पर ईसीआई को टैग किया था.” देखें विधायिका का ट्वीट…