दैनिक भास्कर ने 19 जनवरी से हर सोमवार को ‘नो नेगटिव न्यूज़’ की शुरुआत करने की घोषणा की है। पहले पेज पर की गई घोषणा में दावा किया गया है कि ‘अब आप विश्व के पहले ऐसे पाठक होंगे जिनके सप्ताह की शुरुआत होगी नो निगेटिव न्यूज़ से’ ये तथ्यात्मक त्रुटि है। ये प्रयोग पहली जनवरी 2007 में नईदुनिया ‘सकारात्मक सोमवार’ के रूप में कर चुका है, जिसमें अखबार में नकारात्मक ख़बरों से परहेज किया जाता था और उन्ही ख़बरों को प्रकाशित किया जाता था, जो सकारात्मक संदेश देती थीं।
ये उस कालखंड की बात है जब ‘नईदुनिया’ की कमान विनय छजलानी के हाथ में थी और उमेश त्रिवेदी अखबार के समूह संपादक थे। ये आइडिया उमेश त्रिवेदी के दिमाग की उपज थी और इसे पाठकों और समाज के सभी वर्गों में जबरदस्त समर्थन मिला था! मीडिया के ख़ास बात ये कि इस प्रयोग के दौरान सिर्फ घटना प्रधान ख़बरों में से ही सकारात्मक ख़बरों का चयन नहीं किया जाता था, बल्कि ‘नईदुनिया’ के संवाददाता सप्ताहभर तक सकारात्मक ख़बरें खोजते थे। इस दौरान ‘नईदुनिया’ ने पहले पेज पर प्रेरणा देने वाली एक कविता को प्रकाशित करना शुरू किया था।
जानकारी के मुताबिक शुरुआत में उमेश त्रिवेदी के इस प्रयोग का ‘नईदुनिया’ (इंदौर) के संपादकीय और मार्केटिंग विभाग में कई लोगो ने दबे-छुपे विरोध भी किया था। उन्हें लगता था कि ऐसा करने से कई महत्वपूर्ण ख़बरें ‘नईदुनिया’ में छूट जाएँगी! सिर्फ हेमंत पाल, अनुराग तागड़े, मनोज दुबे और गजेन्द्र शर्मा ने उनका साथ दिया था। लेकिन, मार्केटिंग हेड मनीष शर्मा भी इसके पक्ष में थे। लेकिन, प्रयोग की सफलता को देखकर विरोध करने वाले किनारे हो गए थे। आँकड़ों के मुताबिक ‘नईदुनिया’ की गिरती साख और सर्कुलेशन को इस प्रयोग से बहुत सहारा मिला था और 2006-2007 में ‘नईदुनिया’ का सर्कुलेशन नई ऊँचाई पर पहुंचा था। लेकिन, 2008 मध्य में जब आलोक मेहता ने ‘नईदुनिया’ में बतौर चीफ एडीटर ज्वाइन किया, उन्होंने इस प्रयोग को बंद कर दिया! ये फैसला क्यों किया गया, इसका कोई खुलासा नहीं किया गया!
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.