आईपीएस की गिरफ्तारी पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने लगाई रोक, कोलकाता नहीं छोड़ सकेंगे , पासपोर्ट भी जमा कराने का निर्देश… पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित पुलिस अफ़सर राजीव कुमार और सीबीआई के बीच काफी दिनों से शह और मात का खेल चल रहा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबी अधिकारी और कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार की गिरफ्तारी के मामले में सीबीआई को अबकी बार कलकत्ता हाईकोर्ट से तगड़ा झटका मिला है। सारदा चिटफंड घोटाले में साक्ष्यों को मिटाने के आरोपित कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार की गिरफ्तारी पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक महीने के लिए रोक लगा दी है। इस दौरान उनके कोलकाता से बाहर जाने पर भी रोक लगाई गयी है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि सीबीआई पूछताछ में राजीव कुमार को पूरी तरह से सहयोग करना होगा। मामले की अगली सुनवाई 14 जून को होगी।
राजीव कुमार की याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए जस्टिस प्रतीक प्रकाश बनर्जी की एकल पीठ ने यह आदेश दिया है। जस्टिस बनर्जी ने साफ किया कि 12 जून तक हाईकोर्ट की छुट्टी है। कोर्ट खुलने के बाद राजीव की याचिका पर दैनिक तौर पर सुनवाई होगी। तब तक उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सकेगा। उनके कोलकाता छोड़ने पर रोक लगाए जाने के साथ-साथ उनका पासपोर्ट भी जमा कराने को कहा गया है।
राजीव कुमार से एक मोबाइल नंबर हमेशा चालू रखने के लिए कहा गया है, ताकि सीबीआई के अधिकारी उनसे कभी भी संपर्क कर सकें। जस्टिस बनर्जी ने कहा कि आवश्यकता पड़ने पर सीबीआई की टीम प्रतिदिन राजीव कुमार के घर जाकर पूछताछ कर सकती है। हालांकि उस समय कोई तीसरा शख्स मौजूद नहीं रहेगा। राजीव कुमार की तरफ से अधिवक्ता सुदीप्त मैत्र ने हाईकोर्ट में पैरवी की। मैत ने बताया कि सीबीआई राजीव कुमार से अब तक 39 घंटा 45 मिनट तक पूछताछ कर चुकी है। वर्ष 2013 के चिटफंड घोटाले में राजीव कुमार के खिलाफ किसी तरह की कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं है। कोई चार्जसीट भी नहीं है। इसी वजह से उच्चतम न्यायालय ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी।
सीबीआई राजीव कुमार को शारदा घोटाले के सिलसिले में हिरासत में लेकर पूछताछ करना चाहती है।लेकिन वे इससे बचने की हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं। इसी के तहत उन्होंने गुरुवार को कोलकाता हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की थी।राजीव कुमार ने अपनी याचिका में हाईकोर्ट से आग्रह किया है कि उनके लिए भेजा गया सीबीआई का नोटिस रद्द किया जाए।राजीव कुमार वर्तमान में पश्चिम बंगाल सीआईडी के अतिरिक्त महानिदेशक हैं।
ग़ौरतलब है कि राजीव कुमार के नेतृत्व में पश्चिम बंगाल पुलिस के विशेष जांच दल (एसआईटी) ने शारदा घोटाले की शुरूआती जांच की थी।बाद में उच्चतम न्यायालय के आदेश पर यह जांच सीबीआई को सौंप दी गई।अब सीबीआई लंबे समय से राजीव कुमार से उनके नेतृत्व में हुई जांच की कड़ियों, गवाहों, सबूतों के बाबत जानकारियां लेने की कोशिश कर रही है।लेकिन सीबीआई का आरोप है कि राजीव कुमार ने अब तक सीबीआई को इस दिशा में सहयोग नहीं किया है।
इस विवाद के बाद उच्चतम न्यायालय ने राजीव कुमार की ग़िरफ़्तारी पर रोक लगा दी थी।लेकिन बाद में राजीव कुमार को उच्चतम न्यायालय से बड़ा झटका लगा था । उच्चतम न्यायालय ने राजीव कुमार की गिरफ्तारी से रोक हटा लिया था और कहा था कि वे राहत पाने के लिए कलकता हाईकोर्ट या ट्रायल कोर्ट में एक हफ्ते के भीतर जा सकते हैं।यदि एक हफ्ते में उन्हें राहत नही मिली तो सीबीआई पूर्व पुलिस आयुक्त को हिरासत में लेकर पूछताछ कर सकती है। राजीव कुमार पश्चिम बंगाल में वकीलों की हड़ताल के आधार पर एक बार फिर उच्चतम न्यायालय की शरण में गये थे लेकिन उच्चतम न्यायालय की एक अवकाश पीठ ने इसमें हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुये कहा था कि राजीव कुमार इस मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट या ट्रायल कोर्ट की शरण ले सकते हैं।
एक हफ्ता बीत जाने के बाद सीबीआई ने हाल ही में राजीव कुमार के लिए समन जारी कर उनसे एजेंसी के दिल्ली स्थित मुख्यालय में पेश होने को कहा था। तब उनकी ग़िरफ़्तारी की अटकलों ने ज़ोर पकड़ा था। लेकिन उन्होंने छुट्टी का बहाना बनाकर उस समन को लिया ही नहीं।इसके बाद राजीव कुमार ने कलकत्ता हाईकोर्ट में गुहार लगाई थी। कलकत्ता हाईकोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दिया है। अब सीबीआई राजीव कुमार को गिरफ्तार नहीं कर सकती है।
पश्चिम बंगाल में हुए शारदा चिटफंड घोटाला मामले में सीबीआई राजीव कुमार को गिरफ्तार कर पूछताछ करना चाहती है।सीबीआई पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता स्थित राजीव कुमार के ठिकाने पर छापेमारी की कोशिश भी कर चुकी है, लेकिन कोलकाता पुलिस ने उलटे सीबीआई टीम के अधिकारियों को ही हिरासत में ले लिया था।हालांकि कुछ देर बाद कोलकाता पुलिस को सीबीआई के अधिकारियों को छोड़ना पड़ा था।सीबीआई की इस कार्रवाई को राजनीतिक रंग दिया गया और इसके खिलाफ ममता बनर्जी धरने पर बैठ गई थीं। राजीव कुमार को लेकर केंद्र की मोदी सरकार और पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार के बीच टकराव भी देखने को मिला। हालांकि बाद में राजीव कुमार को कोलकाता के कमिश्नर पद से हटा दिया गया था।इसके बाद उनको सीआईडी भेज दिया गया।
लोकसभा चुनाव के दौरान जब राजीव कुमार के खिलाफ चुनाव आयोग को शिकायत मिली, उनको सीआईडी के एडीजी पद से भी हटा दिया गया।राजीव कुमार को ममता बनर्जी सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले सीआईडी का अतिरिक्त महानिदेशक बना दिया था।हालांकि, चुनाव आयोग ने उन्हें उस पद से हटा दिया था और गृहमंत्रालय से अटैच कर दिया था।पर मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट खत्म होने के बाद राज्य सरकार ने उन्हें उनके पद पर फिर से बहाल कर दिया था।