सहारा मीडिया के कर्मचारी पूरा वेतन न मिलने सहित कई मांगों को लेकर 6 अक्टूबर 2015 से हड़ताल करने जा रहे हैं। यह हड़ताल फिलहाल सहारा कामगार संगठना के नेतृत्व में होने जा रही है। इस हड़ताल का समर्थन करते हुए उत्तर प्रदेश की यनिट हेड गीता रावत ने सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश, प्रधानमंत्री, यूपी के सीएम सहित तमाम लोगों का ध्यान इस ओर आकृष्ट करते हुए पत्र भेजा है।
इस हड़ताल के समर्थन में राष्ट्रीय सहारा उप्र की विभिन्न यूनिटों सहित उत्तराखंड के ढेर सारे मीडियाकर्मी भी शामिल होने जा रहे हैं। गौरतलब है कि सात अक्टूबर 2015 को सहारा सुप्रीमो सुब्रत राय के बुलावे पर मुंबई के विशाल मोरे के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल मिलने जा रहा है। नियमित पूरा वेतन देने, बकाया देने, हड़ताल पर रहे कर्मचारियों को परेशान न करने और उनका तबादला न करने आदि की मांगें इसमें शामिल हैं।
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दादा
October 3, 2015 at 11:11 am
मीडिया हेड राजेश कुमार पूरी तरह फ्लॉप हो गए हैं. उन्हें मालूम होना चाहिए मारुती और हौंडा में आक्रोश फैलने पर क्या हुवा था. किसी भी कर्मचारी का भला नहीं हुआ. सचेत हो जाये. शरीफ अभी शांत है. संसथान के साथ है. उनके धैर्य की भी परीक्षा समाप्त होने वाली है.
Ajay kaushik
October 3, 2015 at 11:48 am
अपना हक न लेने वाले कायर होते हैं। इस बार आग को न बुझने देना मित्रों। हक और अधिकार की लड़ाई में ही पुरुषार्थ निहित है। मैनेजमेंट के लोग कई तरीकों से आंदोलन को बदनाम करने और तोड़ने की कोशिश करेंगे, ऐसे लोगों से बचना सबसे बड़ी चुनौती होगी। बिहार चुनाव को लेकर विग्यापन के नाम पर इससे जुड़े अधिकारी अपना पॉकेट भर रहें हैं। वे भरसक कोशिश करेंगे कि हड़ताल न हो, उनकी पोल भी जरुर खोलें क्योंकि पत्रकारिता के दुश्मन हैं।
kalpana rai
October 3, 2015 at 8:06 pm
दो महीने पहले भी सहारा कर्मियों ने सैलरी के लिए आंदोलन किया था लेकिन मैनेजमेंट ने जबरन हड़ताल तुड़वा दिया था। अगर बिना बकाया सैलरी लिए किसी ने भी हड़ताल तोड़ी या तोड़वाने की कोशिश की तो उसका अंजाम बहुत बुरा होगा। मारूति और होंडा जैसी घटना से भी भयंकर अंजाम भुगतने के लिए मैनेजमेंट तैयार कहे। जो आंदोलनकारी 6 अक्टूबर को तिहाड़ जेल में सुब्रत राय से मिलने जा रहें हैं वो इस बात को समझ लें कि वे भी किसी भी झांसे में न आएँ. सुब्रत राय से दो टूक बात करें । इस आश्वासन पर न मान जाएं कि जल्द बकाया मिल जाएगा बल्कि जब तक अकाउंट में बकाया न आ जाए तब तक हड़ताल जारी रहनी चाहिए। हड़ताल करनेवाले नेताओं के लिए ये चेतावनी भी है और सुझाव भी। अगर ये ताला बंद कर देते हैं तब भी डरने की जरूरत नहीं क्योंकि लेबर लॉ के मुताबिक ये ताला नहीं लगा सकते। इसलिए साथियों इसबार बिना पूरा बकाया लिए पीछे नहीं हटें, नहीं तो आपका जमीर आपको कभी माफ नहीं करेगा।
Insaf
October 3, 2015 at 8:10 pm
पटना यूनिट को एक खास जाति ने हाईजैक कर लिया है. जिस तरह ब्रिटिश धीरे धीरे कॉलोनी बनाकर भारत को गुलाम बना लिए थे उसी तरह पटना को एक जाति ने गुलाम बना लिया है. यूनिट हेड , रेसिडेंट एडिटर, प्रादेशिक , मार्केटिंग, ब्यूरो, विज्ञापन सभी पर उस जाती विशेष ने कब्ज़ा कर लिया है. ऐसे लोगों से छुटकारा के लिए अलग क्रांति की जरुरत है. तिहाड़ में बैठे सहाराश्री को जब मालुम होगा तो वह भी चुलू भर पानी खोजेंगे. बेशर्मी की हद है. अरे आँख खोलो सहारा के नमक खानेवालों. पता करो यह बात सत्य है की नहीं. आखिर पटना में जांच किससे करावोगे. यूनिट हेड और संपादक जब एक ही रंग में रंगा है तो जांच रिपोर्ट कैसी होगी. पटना यूनिट गुलाम हो चूका है. इक्के दुक्के गंदगी को उठा रहे है . वह भी एक दिन रँगे सियार का शिकार हो जायेंगे.
दुर्गा
October 4, 2015 at 11:29 pm
गुलामी व जलालत भरी जिन्दगी से अच्छा है सारे यूनिट को बंद कर करमचारियों को पाई पाई का हिसाब कर दिया जाये. अब सपने दिखाने के दिन गए. सभी यूनिट को समय पर वेतन तो मीडिया को क्यों नहीं. मीडिया के बल पर ही सहारा का साम्राज्य खड़ा है. भरभराकर गिरते ज्यादा देर नहीं लगेगी. होस में आओ.
द्रोणाचार्य
October 5, 2015 at 1:10 am
सहारा श्री को अब निर्णय कर लेना चाहिए कि लगातार कर्मचारियों को दिए जाने वाले अस्वासन ठीक थे या गलत. और अब उन्हें आश्वासन के बदले कर्मचारियों को सैलरी दे देनी चाहिए। कम से कम झूठा आश्वासन तो नहीं देना चाहिए। पहले ४ माह फिर २ माह फिर सितम्बर इस प्रकार पूरा साल से ज्यादा हो गया है. हाल ही में मालूम हुआ की सहारा श्री ने एक पत्र लिखा है की आपको जल्द से जल्द पूरा वेतन मिलने लगेगा। … सहारा श्री से विनती करूँगा की ये सपने बेचने वाली थीम अब काम नहीं करेगी। । जागरूक लोगों को सपने बेचे नहीं जाते उन्हें जागते हुए सपने देखने की आदत होती है
द्रोणाचार्य
October 7, 2015 at 1:11 am
सहारा श्री ने आज दिनाक ७ को तिहाड़ में कुछ कर्मचारियों को बुलाया है इन सभी से विनम्र अपील है कि सहारा श्री से यह बात जानने की कोशिस करें की आखिर वे बहार क्यों नहीं आना चाहते हैं और आपके इस प्रकार के व्यवहार से आपके हितेषी भी आप पर प्रश्न चिन्ह लगाने लगे हैं, की क्यों सहारा श्री अपने ही वादों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं कभी वे कहते हैं की मैं भारत भर्मण पर जाऊंगा, कभी कहते हैं मैं मीडिया को लीज़ पर दे रहा हूँ पर जब सैलरी की बात आती है तो कहते हैं लीज़ कैंसिल हो गई, इससे आप अपने ही सहारा इंडिया परिवार के बीच झूठे साबित हो रहे हैं, कृपया करके सहारा श्री जी आप भारत भर्मण करे या न करे आपको अपने कंपनी के लोगों को सैलरी तो टाइम पर देनी ही होगी