उपेंद्र राय की सहारा समूह के मीडिया वेंचर में वापसी हो गई है. उपेंद्र राय का पद सीनियर एडवाइजर का बताया गया है लेकिन उनकी प्रोफाइल सीईओ और एडिटर इन चीफ वाली ही है. उन्हें प्रिंट और इलेक्ट्रानिक दोनों मीडिया के संपादकीय, वित्तीय, एचआर आदि समस्त विभागों का अधिकार दिया गया है.
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चंद्रकांता के तिलिस्म से कम नहीं है सहारा का मायाजाल!
सहारा का तिलिस्म चंद्रकांता उपन्यास से कहीं कम नहीं है। ज्यों ज्यों इसकी परतें खुल रही हैं त्यों-त्यों रहस्य गहराता जा रहा है। देश में कानून को लेकर बड़ी बड़ी मिसाल दी जाती है पर बिहार में नटवरलाल के नाम से प्रसिद्ध सुब्रत राय ने देश के कानून को भी ठेंगा दिखा रखा है। न …
सहारा के एजेंट-निवेशक पैसा न लौटाए जाने से हुए आक्रामक, देखें वीडियो
सहारा समूह दिन ब दिन मुश्किल हालात की ओर बढ़ रहा है. एजेंटों और निवेशकों का दबाव बढ़ता जा रहा है. ये अपना पैसा मांग रहे हैं. सहारा वाले उन्हें उनके पैसे को री-इनवेस्ट किए जाने का लालीपाप देकर भगा दे रहे हैं.
मनोज तोमर को राष्ट्रीय सहारा अखबार का ग्रुप एडिटर बनाया गया
लखनऊ से सहारा मीडिया से खबर है कि राष्ट्रीय सहारा अखबार के लखनऊ के संपादक मनोज तोमर को प्रमोट करके अखबार का ग्रुप एडिटर बना दिया गया है. इस बाबत एक इनटरनल आदेश जारी कर दिया गया है.
सहारा मीडिया में सेलरी के लिए हाहाकार, मीडियाकर्मियों ने शुरू किया असहयोग आंदोलन
नोएडा : सहारा मीडिया में जुलाई माह की सेलरी अब तक न मिलने से नाराज कर्मचारियों ने आज तय किया है कि अगले सप्ताह चेयरमैन सुब्रत राय सहारा का घेराव किया जायेगा. सेलरी न मिलने से आक्रोशित कर्मचारी वैसे भी काम में रुचि नहीं ले रहे हैं, जिसका सीधा असर चैनल और अखबार दोनों पर …
सहारा से सीईओ अरुप घोष, विजय त्रिवेदी, ओंकारेश्वर पांडेय समेत दो दर्जन पत्रकार कार्यमुक्त
अरुप घोष एक बड़ी खबर सहारा मीडिया से आ रही है. सहारा समय न्यूज चैनल के सीईओ और एडिटर इन चीफ अरुप घोष समेत कई वरिष्ठ पत्रकार अब इस मीडिया हाउस के हिस्से नहीं रहे. अरुप घोष का कार्यकाल दो महीने पहले ही पूरा हो गया था और वो आगे कार्य करने को इच्छुक नहीं …
सहारा समय न्यूज चैनल में सेलरी संकट, बंदी के हालात
सहारा समय न्यूज चैनल की हालत बहुत खराब हो चुकी है… सैलरी दो महीने से नहीं आई… बताया जा रहा है कि इसरो का करीब 7 करोड़ से ज्यादा बकाया होने के चलते ब्यूरो और ओबी व्हीसेट बंद हो गए हैं… पहले ही टाटा स्काई सहित दूसरे केबिल ऑपरेटरों ने पैसा न मिलने पर डिस्टीब्यूशन …
सहारा मीडिया प्रबंधन ने 25 कर्मियों की नौकरी ले ली
चरण सिंह राजपूत की रिपोर्ट…
सहारा अपनी ऐबदारी से बाज नहीं आ रहा है। जहां कर्मचारियों को 12-17 महीने का बकाया वेतन देने को तैयार नहीं वहीं सुप्रीम कोर्ट आदेश के बावजूद प्रिंट मीडिया को मजीठिया वेजबोर्ड के हिसाब से सेलरी। साथ ही कर्मचारियों का दूर-दूराज स्थानांतरण कर नौकरी छोड़ने को मजबूर कर रहा है। वह भी बिना बकाया वेतन भुगतान किए। राष्ट्रीय सहारा में हक की आवाज उठाने वाले 22 कर्मचारियों को पहले की बर्खास्त कर दिया गया था कि बिना कारण बताए कॉमर्शियल प्रिंटिंग में काम कर रहे 25 कर्मचारियों की सेवा आज समाप्त कर दी गई। इन कर्मचारियों का दोष बस इतना था कि इन लोगों ने अपना 17 महीने का बकाया वेतन मांगा था।
उपेंद्र राय और सहारा मीडिया ने खूब चूतिया बनाया इन कर्मियों को!
एक कहावत है कि मछली मर जाती है लेकिन उसकी गंध मरने के बाद भी पीछा नहीं छोड़ती। कुछ ऐसा ही हाल उपेंद्र राय का है। उनके जाने के बाद भी उनकी दुर्गंध से सहारा मीडिया के लोग बेहाल हैं। उपेंद्र राय ने अपने समय में राष्ट्रीय सहारा से आंदोलनकारी लोगों को सेफ एग्जिट प्लान के तहत संस्थान से बाहर निकल जाने को कहा। इस प्लान के तहत संस्था को अलविदा कहने वाले कर्मचारियों को कोई न्याय नहीं मिल रहा है। इस कारण इन कर्मचारियों के अंदर भारी बेचैनी है।
उपेंद्र राय ने सीईओ और एडिटर इन चीफ पद से इस्तीफा दिया
जब मालिक पैसे नहीं देगा तो सीईओ और एडिटर इन चीफ क्या कर लेगा. लंबे समय के जद्दोजहद के बाद उपेंद्र राय ने इस्तीफा दे दिया. बात वही थी. सुब्रत राय फंड रिलीज नहीं कर रहे थे और कर्मचारियों की सेलरी की डिमांड बढ़ती जा रही थी. ऐसे में रोज रोज के किच किच से तंग आकर उपेंद्र राय ने ग्रुप एडिटर इन चीफ और ग्रुप सीईओ के दोनों पदों से इस्तीफा दे दिया है. सहारा के उच्च पदों पर आसीन लोगों ने इस खबर को कनफर्म किया है. यह भी बताया जा रहा है कि अभिजीत सरकार को अब सहारा मीडियाा की भी पूरी जिम्मेदारी दे दी गई है.
वेतन मांगने पर बाहर कर दिए गए सहाराकर्मी का एक खुला पत्र उपेंद्र राय के नाम
प्रतिष्ठार्थ
श्री उपेंद्र राय,
एडिटर इन चीफ
सहारा मीडिया
नोएडा
विषय- आपकी कथनी और करनी में अंतर के संर्दभ में
महोदय
मैं सहारा राष्ट्रीय सहारा देहरादून से विगत आठ साल से जुड़ा एक कर्मचारी हूं। इस दौर में मैंने देखा जो मौज सहारा के अफसर और उनके चमचे लेते रहे हैं, वह किसी की नहीं है। हम कुछ लोग खच्चर की तरह सहारा के लिए काम करते रहे और बाकी मौज लेते रहे। महोदय, यह सही है कि पहले सहारा में नौकरी को सरकारी माना जाता था और एक तारीख को वेतन एकाउंट में आ जाता था। विगत डेढ़ साल से सहारा में वेतन भुगतान संबंधी समस्या है। तर्क दिया जा रहा है कि कंपनी संकट में है तो कृपया आप हमें बता दें कि जब कंपनी संकट में नहीं थी तो प्रबंधन ने कितनी बार हमारी सेलरी बढ़ाई?
सहारा के कर्मचारी अपने मालिकों के सब कुछ समेटने, बांधने और भागने की योजनाओं के क़िस्से सुनते-सुनाते दिन काट रहे हैं!
(अनिल यादव, वरिष्ठ पत्रकार)
अपने चढ़ते दिनों में नई योजनाएं शुरू करते वक़्त सहारा इंडिया के संस्थापक चेयरमैन सुब्रत रॉय सहारा की टाइमिंग अचूक हुआ करती थी. लेकिन कामयाबी के नुस्ख़े बताने वाली अपनी ताज़ा किताब “लाइफ़ मंत्रा” के मामले में वक़्त का ख़्याल नहीं रखा गया है. हताशा में इस तथ्य की भी परवाह नहीं की गई है कि उस किताब से कौन प्रेरित होना चाहेगा, जिसका लेखक ग़रीब निवेशकों से धोखाधड़ी के आरोपों में दो साल से जेल में है?. ज़मानत की बड़ी रक़म का इंतज़ाम करने में हलकान कंपनी में कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़े हुए हैं. हमेशा विश्वस्त समझे जाने वाले व्यापारिक साझेदार और राजनेता पल्ला झाड़ चुके हैं. ऐसे में किताब की जानकारी रखने वाले साधारण पाठकों के मुंह से “ख़ुद मियां फ़ज़ीहत, औरों को नसीहत” कहावत सुनाई दे रही है.
बकाया वेतन मांगा तो नौकरी से बर्खास्त कर दिया
२४ साल की नौकरी का मिला सिला.. माँगा वेतन तो टर्मिनेट कर दिया… ये हाल है पारिवारिक भावना का दावा करने वाले सहारा इंडिया का… मैं सहारा इंडिया के नियंत्रण में निकलने वाले राष्ट्रीय सहारा में १८-०१-९१९२ से कार्यरत हूँ. १८५० रुपए वेतन से सब एडिटर ट्रेनी के रूप में शुरुआत की. इन २३-२४ सालों में मुझे मात्र एक प्रमोशन मिला है …आज वेतन २५००० के ऊपर है …इतना वेतन तो एक चपरासी का भी नहीं होगा… मेरा गुनाह यह है कि मैंने इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई..अपना वेतन और बकाया मांगा … नतीजा ये हुआ कि आज ३०-०१-२०१६ को घर आकर एच आर ने टर्मिनेशन थमा दिया …
सहारा मीडिया में ‘सेल्फ एक्जिट’ योजना के नाम पर बड़े पैमाने पर छंटनी शुरू!
एक बुरी खबर सहारा मीडिया से आ रही है. यहां प्रबंधन ने ‘सेल्फ एक्जिट’ नाम से एक स्कीम लागू की है. इसके तहत खुद कंपनी छोड़ने के लिए आप्शन दिया गया है. लेकिन बताया जा रहा है कि इस स्कीम के नाम पर बड़े पैमाने पर छंटनी की शुरुआत कर दी गई है. करीब तीन सौ लोगों को स्वत: या जबरन बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है या दिखाने की तैयारी है. सूत्रों से मिली खबरों के मुताबिक 80 लोगों ने दो दिन में किया सहारा की सेफ एग्जिट पालिसी से रिजाइन.
संकट के दौर में सहारा को फिर याद आए उपेंद्र राय, सहारा मीडिया की सौंपी कमान
उपेंद्र राय को सहारा समूह ने संकट में फिर याद किया है. उन्हें अबकी पूरे पावर के साथ सहारा मीडिया की जिम्मेदारी सौंपी गई है. उपेंद्र राय को सहारा मीडिया और सहारा नेटवर्क का एडिटर इन चीफ के साथ-साथ सीईओ भी बनाया गया है. अब तक सहारा मीडिया के हेड रहे राजेश सिंह के बारे में चर्चा है कि उन्हें बाहर निकाल दिया गया है. वहीं कुछ लोग कह रहे हैं कि राजेश सिंह अपने पुराने काम की ओर लौट गए हैं यानि जयब्रत राय के पीए हुआ करते थे और फिर से वही पीए वाला काम करने लगे हैं.
सेलरी की मांग को लेकर सहारा मीडिया के कर्मचारी 6 अक्टूबर से हड़ताल पर जाएंगे
सहारा मीडिया के कर्मचारी पूरा वेतन न मिलने सहित कई मांगों को लेकर 6 अक्टूबर 2015 से हड़ताल करने जा रहे हैं। यह हड़ताल फिलहाल सहारा कामगार संगठना के नेतृत्व में होने जा रही है। इस हड़ताल का समर्थन करते हुए उत्तर प्रदेश की यनिट हेड गीता रावत ने सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश, प्रधानमंत्री, यूपी के सीएम सहित तमाम लोगों का ध्यान इस ओर आकृष्ट करते हुए पत्र भेजा है।
सहारा इंडिया के आफिस में जिंदाबाद-मुर्दाबाद के नारे लगे, सेलरी के लिए 48 घंटे का अल्टीमेटम
: मांगें नहीं मानी तो मुंबई सहारा के सभी प्रतिष्ठानों के बाहर आंदोलन होगा : जो सहारा इण्डिया अपने आपको विश्व का विशालतम परिवार का दावा करता है और जिसके अनुशासन में सहारा प्रणाम जैसी प्रामाणिकता हैं उस संस्थान के गोरेगांव कार्यालय में ज़िदाबाद मुर्दाबाद के नारे बुधवार को दिन भर खूब गूंजे. सहारा कर्मचारी यूनियन के करीब तीन सौ कार्यकर्ताओं ने ऑल इण्डिया एचआरहेड अली अहमर ज़ैदी समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों का घेराव कर लिया था और करीब सात घंटों के प्रबंधन के जद्दोजहद के बाद आंदोलन इस बात पर खत्म हुआ कि अड़तालिस घंटों में पिछले महीने की तनख्वाह और ६ महीनों की बकाया तनख्वाह का भुगतान करें.
पत्रकारिता के दौरान यह दिन देखना पड़ेगा, सोचा न था
एक सहाराकर्मी ने लगातार सेलरी न मिलने के कारण पत्र लिखकर बिना वेतन अवकाश की मांग की है ताकि वह बाहर किसी दूसरी जगह कुछ कामधाम करके पैसे कमा सके और अपने परिजनों का पेट पाल सके. सहारा मीडिया में काम करने वाले रवि कुमार (इंप्लाई कोड 054004) लखनऊ में राष्ट्रीय सहारा अखबार में वरिष्ठ उप संपादक के बतौर कार्यरत हैं. पढ़िए उनकी चिट्ठी और जानिए मीडिया के भीतर का एक खौफनाक सच.
सहारा में एक पत्र पर टूट गई हडताल
अपने परम आदरणीय प्रातः स्मरणीय सुब्रतो राय के एक खत पर चट्टानी मजबूती के साथ मोर्चे पर डटे कर्तव्य योगियों ने एक झटके में हडताल तोड़ दी. आखिर क्यों? देश के सबसे बडे न्याय के मंदिर सुप्रीम कोर्ट में अपने प्यारे प्यारे (इनके सहारा श्री का यही संबोधन है) के कष्टों के कारण वेतन का न दे पाना बताते हुए सहारा के वकील कपिल सिब्बल का कहना कि ”मेरे बैंक खाते आपने सीज कर रखे हैं, मैं उन्हें पैसे कहां से दूं, मैं पैसे नहीं दे पा रहा हूं, आप खाते पर से रोक हटाइए, तो मैं पैसे दूं”, यह इशारा करता है कि कहीं हड़ताल शुरू होना और खत्म होना प्रबंधन की प्लानिंग तो नहीं थी? क्या कोर्ट की तारीख और हड़ताल की तारीख का मिल जाना महज संयोग था या प्री-प्लांड रणनीति?
सहारा नोएडा के हड़ताली मीडियाकर्मियों को रात में गिरफ्तार करने की तैयारी!
नोएडा से आ रही खबरों के मुताबिक सहारा मीडिया के आफिस के बाहर पुलिस ने बड़े पैमाने पर गिरफ्तारी के लिए तैयारी की है. ये कार्रवाई देर रात की जा सकती है. उधर, पूरे ग्रुप में राष्ट्रीय सहारा अखबार का मास्टर एडिशन यानि एक ही अखबार हर जगह प्रकाशित करने की तैयारी चल रही है. इस काम में कुछ एक लोग ही सपोर्ट कर रहे हैं. देहरादून से राष्ट्रीय सहारा के कुछ कर्मियों ने फोन पर बताया कि वेतन के लिए कई दिनों से संघर्ष कर रहे देहरादून राष्ट्रीय सहारा के कर्मचारियों को यूनिट हेड मृदुल बाली ने जबरन गेट से बाहर कर दिया.
राष्ट्रीय सहारा देहरादून के हड़ताली मीडियाकर्मी
सहारा मीडिया से मोटी सेलरी वालों को हटाने का काम शुरू, कई नाम चर्चा में
सुब्रत राय के लगातार तिहाड़ की रोटी खाने से सहारा समूह के मीडिया वेंचर के आगे दानापानी का संकट आ खड़ा हुआ है. इसे देखते हुए प्रबंधन ने पहले तो सेलरी रोके रखकर लोगों को खुद भाग जाने का मौका दिया. पर जो मोटी सेलरी वाले लंबे समय से कुंडली मारे बैठे हैं उनके न भागने पर प्रबंधन ने उन्हें भगाने का फैसला लिया है.
सहारा में अब उठने लगे विरोध के स्वर, कई यूनिटों में भगदड़ के हालात
सहारा में सैलरी न मिलने का असर दिखने लगा है। वाराणसी और देहरादून समेत कई यूनिटों में कर्मचारियों में भगदड़ मचने की सूचनाएं हैं। वाराणसी में थोक में लोग लंबे अवकाश पर जाने लगे हैं। तेज प्रताप सिंह, विवेक सिंह, त्रिपुरेश राय, दीपक राय, बाबू राम, राहुल सिंह, राकेश यादव, अशोक चौबे, सुद्दोधन आदि बिना बताये अवकाश पर चले गए हैं। देहरादून से निधि सिंह, सुधीर सिंह, ममता सिंह, सरिता नेगी, शक्ति सिंह लंबे समय से अवकाश पर हैं। वाराणसी में स्टाफ की कमी से संस्करण मर्ज किये जा रहे हैं।
सहाराकर्मियों का गुस्सा भड़क रहा, जेबी राय को घेरने पहुंच गए
प्रबंधन द्वारा लगातार किए जा रहे वादे से परेशान सहाराकर्मियों का धैर्य टूटता नजर आ रहा है। पहले तो नोएडा कैंपस के सभी पत्रकार गौतम सरकार के पास चले जाते थे। लेकिन बात बनते नहीं देख कर्मचारियों ने मालिक के पास ही जाने का मन बनाया। बीते दिनों सैकडों की संख्या में कर्मचारी जेबी राय के दफ्तर पहुंचे। जेबी राय के सुरक्षा गार्ड ने कहा कि साहब लंच कर रहे हैं। पत्रकारों के वहां पहुंचते ही प्रबंधन के कान खड़े हो गए। दो तीन चैनल हेड फटाफट मौके पर पहुंचे। पत्रकारों से कहा गया कि साहब लंच करने के बाद इनकम टैक्स डिपार्टमेंट जाएंगे। वहां से लौटने के बाद शाम साढे छह बजे के बाद आपसे मिल सकते हैं। इसके बाद सभी पत्रकार अपने काम पर लौट आए। उसके बाद शुरू हुआ प्रबंधन का कवर अप का खेल।
वेतन न मिलने से सहारा मीडिया के कर्मचारी भुखमरी के कगार पर
वेतन न मिलने से सहारा मीडिया के कर्मचारी भुखमरी के कगार पर आ गये हैं। लगभग एक सप्ताह पहले एजेडब्लू (इनका अपना कैडर है) से लेकर जूनियर एग्जकिवटिव तक के कर्मचारियों को पे स्लिप दे दी गई लेकिन वेतन आजतक नहीं मिला…. संपादक, मैनेजर, एकाउन्ट और एचआर हेड रोज कर्मचारियों को गोली पर गोली दिये जा रहे है… हर कर्मचारी अपने खर्च में कटौती कर रहा है… हर कर्मचारी कर्ज मे गले तक डूब गया है…
आलोक गुप्ता पर सहारा ने फिर जताया भरोसा, बने लखनऊ के ब्यूरो प्रभारी
लखनऊ के वरिष्ठ टीवी पत्रकार आलोक गुप्ता पर सहारा प्रबंधन एक बार फिर भरोसा जताते हुए उन्हें सहारा समय न्यूज चैनल के लखनऊ ब्यूरो प्रमुख का प्रभार सौंपा है। आलोक गुप्ता इससे पहले भी ब्यूरो चीफ की लंबी पारी खेल चुके हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार आने के बाद कानपुर के ब्यूरो प्रमुख अनिरुद्ध यादव को ब्यूरो चीफ का प्रभार दिया गया था। आलोक उसके बाद नंबर दो की पोजीशन पर थे।
सहारा के नोएडा दफ्तर से 137 करोड़ रुपये की नकदी और भारी मात्रा में सोना बरामद
खबर है कि इनकम टैक्स विभाग ने जो छापमारी सहारा के नोएडा और एनसीआर के आफिसों पर की है, उससे भारी मात्रा में रुपये और सोने बरामद हुए हैं. सूत्रों के अनुसार सहारा के नोएडा दफ्तर से 137 करोड़ रुपये नकद मिले हैं और भारी मात्रा में सोना भी मिला है. माना जा रहा है कि इस बरामदगी से निवेशकों को पैसा न लौटाने के चलते दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद सहारा समूह के मुखिया सुब्रत राय सहारा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
सहारा के दिल्ली-एनसीआर के दफ्तरों पर छापा, संपादकजी लोग आफिस जाने से हिचक रहे
सहारा समूह की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. ताजी सूचना है कि आज सुबह आयकर विभाग की टीमों ने सहारा के नोएडा, दिल्ली समेत पूरे एनसीआर के आफिसों पर छापा मारा. नोएडा स्थित सहारा मीडिया से खबर है कि यहां मौजूद लोगों को बाहर नहीं जाने दिया जा रहा. छापेमारी की सूचना के बाद संपादकजी लोगों को आफिस जाने में पसीने छूट रहे हैं. जब आयकर विभाग के अधिकारी सहारा के दिल्ली के ग्रेटर कैलाश और नोएडा स्थित दफ्तरों में पहुंचे तब यह सूचना पूरे मीडिया जगत में आग की तरह फैल गई. लेकिन ज्यादातर चैनलों ने इस खबर को नहीं दिखाया.