रोहतक में अखबार विक्रेताओं की हड़ताल से व्यापारियों को दोहरा झटका

रोहतक शहर के अखबार विक्रेता अपनी मागों को लेकर तीसरे दिन भी हड़ताल पर बैठे रहे। इस हड़ताल के चलते समाचारपत्र कम्पनियों के पसीने छूट गए हैं। आलम ये है कि शहर के मुख्य चौराहों तथा पार्कों में अखबार के प्रतिनिधि खुद जाकर लोगों को अखबार बाँट रहे हैं। कमीशन बढ़ाने की मांग को लेकर वेंडर्स आज भी टस से मस नहीं हुए। इससे आज भी शहर के दुकानों तथा घरों में अखबार नहीं पहुंच पाया।

फिल्म और टीवी कामगारों ने महाराष्ट्र सरकार के आश्वासन के बाद हड़ताल खत्म करने की घोषणा की

मुंबई में फिल्म और टीवी कामगारों की हड़ताल खत्म हो गई है। महाराष्ट्र के श्रममंत्री संभाजी निलंगेकर पाटिल के आश्वासन के बाद आज बुधवार को  फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉयज की ओर से आयोजित 22 यूनियनों की हड़ताल समाप्त कर दी गयी। यूनियन पिछले 14 अगस्त की रात 12 बजे से हड़ताल पर थी। इस हड़ताल में शामिल कामगारों को श्रममंत्री संभाजी निलंगेकर पाटिल तथा भाजपा के मुम्बई अध्यक्ष और विधायक आशीष शेलार और पूर्व विधायक तथा नगर सेवक अतुल शहा ने भरोसा दिया कि हड़ताली कामगारों की मांग को लेकर सरकार गंभीर है और कामगारों के पक्ष में सरकार ठोस कदम उठाने जा रही है।

भारी बारिश को देखते हुए फ़िल्म और टीवी के हड़ताली कामगारों को दिया गया 16 घंटे का ब्रेक

मुम्बई के गोरेगांव स्थित फिल्मसिटी स्टूडियो के बाहर डटे फ़िल्म-टीवी कामगारों की हड़ताल मंगलवार को 15वें दिन भी जहां जारी रही.  हड़ताली कामगार भारी बारिश में भी हड़ताल पर डटे थे. वहीं मंगलवार को मुम्बई में हो रही भारी बारिश और गणपति के पांचवे दिन के विसर्जन को देखते हुए फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्पलॉइज के प्रेसिडेंट बीएन तिवारी और जनरल सेक्रेटरी दिलीप पिठवा ने इस हड़ताल में शामिल सभी लोगों से दोपहर में निवेदन किया कि सभी लोग अपने घर चले जाएं। फेडरेशन के पदाधिकारियों ने कई कामगारों को निजी वाहन से उनके घर तक पहुंचाया ताकि किसी हड़ताली कामगार को किसी प्रकार की दिक्कत न हो लेकिन कुछ हड़ताली कामगार वहां से हटने को तैयार नहीं हुए तथा कैम्प में डटे रहे। बाद में किसी तरह समझा बुझाकर उन्हें वापस घर भेजा गया।

‘भाबीजी’ शिल्पा शिंदे बन गईं नेताजी, हड़ताली कर्मियों के पक्ष में दिया जोरदार भाषण (देखें वीडियो)

फ़िल्म-टीवी वर्कर्स की स्ट्राइक में एक्ट्रेस शिल्पा शिंदे भी हुईं शामिल… मुम्बई के फिल्मसिटी स्टूडियो के मुख्य प्रवेश द्वार के सामने पिछले 9 दिन से हड़ताल पर बैठे सिनेमा और टेलीविजन कामगारों, टेक्नीशियन और महिला कलाकारों का उत्साह बढ़ाने ‘भाभी जी घर पर हैं’ की अभिनेत्री शिल्पा शिंदे भी पहुंचीं। शिल्पा शिंदे ने कामगारों द्वारा उठाई गयी मांग को जायज ठहराया और कहा निर्माता जानबूझकर अपनी शूटिंग इतनी दूर रखते हैं ताकि उनका पैसा बचे। उनके इतने दूर शूटिंग रखने से टेक्नीशियनों को कोई फायदा नहीं रहता।

हड़ताल से उड़ान, बढ़ो बहु, चिड़ियाघर, नामकरण आदि की शूटिंग बंद

मुख्यमंत्री ने बुलाई फेडरेशन और प्रोड्यूसरों की बैठक… फ़िल्म और टीवी कामगार तथा महिला कलाकार और टेक्नीशियन पिछले 7 दिन से हड़ताल पर… अपनी विभिन्न मांगो को लेकर मुम्बई के गोरेगांव पूर्व स्थित फिल्मसिटी स्टूडियो के बाहर भारी बारिश में आमरण अनशन और हड़ताल पर बैठे फ़िल्म और टीवी कामगारों की यूनियनों को नेतृत्व करने वाली फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉयज और प्रोड्यूसरों की संस्था को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बैठक के लिए आमंत्रित किया है।

फिल्म और टीवी कामगारों की हड़ताल शुरू, 40 टीवी सीरियल्स और 10 फिल्मों की शूटिंग ठप

मुंबई : अपनी विभिन्न मांगों को लेकर सिनेमा और टेलीविजन इंडस्ट्रीज के कामगार और टेक्निशियन 14 अगस्त की रात से हड़ताल पर चले गये हैं। फेडरेशन आफ वेस्टर्न इंडिया सिने एंप्लॉयज संगठन के बैनर तले हो रही इस हड़ताल में २२ यूनियन शामिल हुयी हैं। फिल्म और टीवी इंडस्ट्री में काम करने वाले 2.50 लाख कर्मचारी हड़ताल पर गये हैं। हड़ताल की वजह से फिल्म की शूटिंग के लिए स्टूडियो बुकिंग भी बंद हो गई है। जहां हमेशा चहलपहल रहती थी उन स्टूडियो में अब सन्नाटा पसर गया है।

सेलरी न मिलने से दैनिक भास्कर कोटा के सर्वेयरों ने किया हड़ताल

कोटा से खबर है कि दैनिक भास्कर के सर्वेयरों ने हड़ताल कर दिया है. ये दो महीने से सेलरी न मिलने से नाराज है. सर्वेयरों ने प्रबंधन से सेलरी के लिए बात की लेकिन जब उन्हें सकारात्मक जवाब नहीं मिला तो इन्होंने हड़ताल करने का ऐलान कर दिया. सभी सर्वेयरों ने एकजुट होकर दैनिक भास्कर आफिस के सामने प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के दौरान सर्वेयर हाथ में तख्तियां लिए हुए थे और भास्कर प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे.

फैजाबाद में अमर उजाला के पत्रकार तीन दिन से कलम बंद हड़ताल पर, नहीं सुन रहा प्रबंधन

फैजाबाद। दूसरों की सहायता और समस्याओं को उठाने वाले अमर उजाला के फैजाबाद शहर के रिपोर्टरों की कोई नहीं सुन रहा है। पिछले तीन दिनों से सभी रिपोर्टर विभिन्न समस्याओं को लेकर कलम बंद हड़ताल पर हैं। इसकी सूचना लखनऊ और नोयडा तक बैठे बड़े अधिकारियों के पास पहुंची है। लेकिन फैजाबाद में कलम बंद हड़ताल करने वाले पत्रकारों से वार्ता या उनके दुख-सुख की जानकारी लेने कोई नही पहुंचा है।

लखनऊ में कई दिन से हड़ताल पर हैं न्यूज पेपर हॉकर… काश ऐसी हिम्मत पत्रकारों में होती…

लखनऊ में न्यूज पेपर हॉकरों की हड़ताल का पांचवां दिन है। नम्बर 1, सबसे आगे और देश के सबसे बड़ा अखबार होने का दंभ भरने वाले समाचार पत्रों के बंडल रद्दी हो रहे हें। राजधानी लखनऊ ही नहीं बल्कि देशभर में पत्रकार कई गुटों में बंटे हैं। लखनऊ में कई गुट व धाराएं हैं। मान्यता प्राप्त व गैर प्राप्त का भेद अलग से है। चार दिन से राजधानीवासियों को अखबार का दीदार नहीं हुआ है। लखनऊ समाचार वितरक विकास मंच ने सरकार और पाठकों से अपील की है कि आजादी से पहले मिल रहा कमीशन आज भी बरकरार है। बीते 67 वर्षो में मंहगाई कई गुना बढ़ गई है। लेकिन उनका कमीशन नहीं बढ़ा है, उलटे घटा दिया है।

सहारा मीडिया में पटना एडिशन को छोड़ बाकी कहीं नहीं छपा अखबार, चैनल पर भी नई खबरें नहीं चल रहीं

सेलरी के लिए सहारा कर्मियों की हड़ताल की वजह से सहारा मीडिया का कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुआ है. जानकारी के मुताबिक दिल्ली, देहरादून, लखनऊ, कानपुर, गोरखपुर और वाराणसी में अखबार नहीं छप सका. सिर्फ पटना में सिर्फ रेलवे स्टेशन एडिशन व एक डाक एडिशन मात्र छपा. बताया जाता है कि गोरखपुर के प्रबंधक पीयूष बंका के एडिशन निकालने की अपील पर अखबारकर्मियों ने कहा कि पटना वालों की तरह हम दोगलापन नहीं कर सकते.

सहारा प्रबंधन ने 28 तक सेलरी देने को कहा, कर्मी बोले- तब तक मास्टर एडिशन ही छपेगा

राष्ट्रीय सहारा अखबार में हड़ताल के कारण केवल मास्टर एडिशन का प्रकाशन हो रहा है. इस मास्टर एडिशन में स्थानीय खबरें नहीं होतीं. केवल सेंट्रलाइज पेज बनाकर उसे आल एडिशन छपवा दिया जा रहा है, मास्टर एडिशन के रूप में. हड़ताल के कारण लखनऊ में भी मास्टर एडिशन का प्रकाशन चल रहा है जिसमें लखनऊ की एक भी खबर नहीं है. हड़ताल को लेकर मैनेजमेंट सक्रिय हो गया है.

सेलरी न मिलने पर राष्ट्रीय सहारा अखबार की कई यूनिटों में हड़ताल

सहारा मीडिया से बड़ी खबर आ रही है कि साल भर से सेलरी न मिलने से नाराज राष्ट्रीय सहारा अखबार के कर्मियों ने हड़ताल कर दिया है. हड़ताल से नोएडा, लखनऊ, बनारस, कानपुर यूनिटें प्रभावित हैं. बताया जा रहा है कि गोरखपुर और पटना की यूनिटों में हड़ताल नहीं हुआ है. कार्य बहिष्कार के कारण सहारा मीडिया के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने भागदौड़ तेज कर दी है. किसी तरह हड़ताल खत्म कराने की कोशिशें हो रही हैं.

स्नैपडील ने 600 कर्मियों को निकाला, लड़कियों ने आफिस में कब्जा जमाया, मीडिया ने साधी चुप्पी

दिल्ली के सरित विहार से खबर है कि वहां स्नैपडील कंपनी के आफिस से छह सौ कर्मियों की छंटनी कर दी गई है. इन लोगों को अचानक कह दिया गया कि अब आपकी कोई जरूरत नहीं है. इससे खफा सैकड़ों कर्मियों ने आफिस के बाहर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है. वहीं सैकड़ों लड़कियों ने आफिस के अंदर की कब्जा जमा रखा है. निकाले गए कर्मियों में आधे से ज्यादा लड़कियां हैं जो आफिस से बाहर नहीं निकल रही हैं.

एकजुट होने लगे सहारा कर्मी, सेलरी के लिए किया प्रबंधन का घेराव

सहारा कर्मी अपनी सेलरी के लिए एकजुट होने लगे हैं. सहारा मीडिया में सेलरी संकट और कर्मचारियों की अंदरखाने एकजुटता की खबर भड़ास पर प्रकाशित होने के कुछ घंटे के बाद ही सहारा के नोएडा आफिस में कई महीने से सेलरी न मिलने से नाराज सहारा कर्मियों ने प्रबंधन का घेराव कर लिया. आंदोलनकारी कर्मियों ने भड़ास को एक मेल के जरिए जानकारी दी कि कर्मचारियों की एकजुटता और घेराव देखकर वहां मौजूद सभी एचओडी अपनी अपनी केबिन में भाग निकले.

दीवाली के बाद आंदोलन तेज करेंगे जागरण कर्मचारी

नई दिल्ली। मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशें लागू करने की मांग कर रहे दैनिक जागरण के कर्मचारियों ने पूरी एकजुटता के साथ लड़ाई लड़ने का संकल्प लिया है। नोएडा के सेक्टर 62 स्थित पार्क में हुई बैठक में कर्मचारियों ने कहा कि मजीठिया वेज बोर्ड के लिए चल रहे आंदोलन को और धार दी जायेगी। बैठक में लुधियाना, हिसार, जालंधर और धर्मशाला से आये कर्मचारियों ने भी कहा कि वे जागरण प्रबंधन के अत्याचार ले आगे कतई सिर नहीं झुकाएँगे।

दैनिक जागरण में अब तक की सबसे बड़ी हड़ताल के एक माह हुए पूरे, कर्मचारियों ने कहा- डटे रहेंगे

नई दिल्ली। मजीठिया वेज बोर्ड की सिफरिशों को लागू करने की मांग कर रहे दैनिक जागरण के कर्मचारियों की हड़ताल को एक महीना पूरा हो गया है। पिछले डेढ़ वर्ष से अपने हक़ और इंसाफ के लिए आंदोलित कर्मचारी बेहद अनुशासित ढंग से पूरे महीने दिल्ली और नोएडा में प्रदर्शन करते रहे लेकिन जागरण प्रबंधन उनके आंदोलन को कुचलने में अपनी सारी ताकत खर्च करता रहा।

जागरण प्रबंधन ने धर्मशाला यूनिट के 12 मीडियाकर्मियों को किया सस्पेंड

धर्मशाला। दैनिक जागरण ने अपने हक की लड़ाई लड़ रहे कर्मचारियों के दमन की नीति पर चलते हुए बनोई स्थित धर्मशाला यूनिट के 12 कर्मियों को सस्पेंड कर दिया है। इन कर्मियों ने उत्तर भारत की बाकी यूनिटों  साथियों के साथ शुक्रवार को काम का बहिष्कार किया था।

सेलरी की मांग को लेकर सहारा मीडिया के कर्मचारी 6 अक्टूबर से हड़ताल पर जाएंगे

सहारा मीडिया के कर्मचारी पूरा वेतन न मिलने सहित कई मांगों को लेकर 6 अक्टूबर 2015 से हड़ताल करने जा रहे हैं। यह हड़ताल फिलहाल सहारा कामगार संगठना के नेतृत्व में होने जा रही है। इस हड़ताल का समर्थन करते हुए उत्तर प्रदेश की यनिट हेड गीता रावत ने सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश, प्रधानमंत्री, यूपी के सीएम सहित तमाम लोगों का ध्यान इस ओर आकृष्ट करते हुए पत्र भेजा है।

दैनिक जागरण नोएडा में दूसरे दिन भी हड़ताल जारी

Pandey Parmanand : Today (03.10.2015) was the second day of the strike of Dainik Jagran employees of NOIDA and they came out in large number at Jantar Mantar to sit on dharna. I marvel at the enthusiasm of the employees who in spite of all threat and intimidation of the Management defied the dictate and struck the work.

अभी भी कुछ कुत्‍ते चाट रहे हैं जागरण मैनेजमेंट के तलवे, सुनिए विष्णु त्रिपाठी के श्रीमुख से

Fourth Pillar : मजीठिया वेतनमान के समर्थन और दैनिक जागरण प्रबंधन के अत्‍याचारों के विरोध में नई दिल्‍ली स्थित जंतर-मंतर से दैनिक जागरण कर्मचारियों ने धरना-प्रदर्शन, कैंडल मार्च और हड़ताल का बिुगल तो बजा दिया, लेकिन अभी भी कुछ कुत्‍ते जागरण मैनेजमेंट के तलवे चाट रहे हैं। शायद यही वजह है कि कुछ यूनिटों में दैनिक जागरण छप पाना संभव हो पाया। धर्मशाला, लुधियाना और हिसार यूनिटें पूरी तरह से ठप रहीं। एक ओर तमाम कर्मचारी अपनी नौकरी दांव पर लगाकर आंदोलन में कूद पड़े हैं और मजीठिया वेज बोर्ड इम्लिमिंटेशन संघर्ष समिति, केयूडब्‍ल्‍यूजे, आईएफडब्‍ल्‍यूजे, डीयूजे सहित कई मजदूर संगठन आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं तो दूसरी ओर कुछ कुत्‍ते टाइप के पत्रकार दैनिक जागरण प्रबंधन के तलवे चाटने में लगे हैं।

IFWJ condemns the atrocities of DJ Management and supports the workers’ strike (देखें दैनिक जागरण कर्मियों के आंदोलन की तस्वीरें)

Thousands of journalists and non-journalists of various newspapers today staged adharna at Jantar Mantar in support of the struggling employees of Dainik Jagran against the atrocities of its Management. The Jagran Management, known for its anti labour trade practices, has unleashed the reign of terror and victimisation of the employees. This newspaper’s Management has firstly obtained signatures of employees by force and fraud on different dates to deny them Majithia Award is now suspending, transferring and terminating the employees so that they do not unionize and raise their voice for their genuine demands.  The shameless Jagran Management has summarily terminated the services of 16 employees of NOIDA without following the due process of law but strangely, the UP government’s Labour department is sitting silent. So much so, the Management is using the state police to oppress the agitation of the employees.

दैनिक जागरण के सैकड़ों मीडियाकर्मी जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे, कई यूनिटों में हड़ताल (देखें वीडियोज)

Yashwant Singh : जंतर मंतर से लौट कर आ रहा हूं. दैनिक जागरण के साथी वहां धरने पर हैं. मजीठिया वेज बोर्ड लागू कराने की मांग को लेकर ये साथी लंबे समय से आंदोलनरत हैं. आज बड़ी संख्या में दैनिक जागरण कर्मियों को जंतर मंतर पर धरने पर बैठे देखकर दिल को बहुत ठंढक पहुंची. काश ऐसे ही हर मीडिया हाउस के लोग एकजुट होते. वहां पहुंचते ही तत्काल फोटो खींचना वीडियो बनाना शुरू किया. वीडियो बनाने के दौरान ही मंच संचालक साथी ने मुझे भाषण देने के लिए बुला लिया. खैर, वहां गया और तीन मिनट तक बोला. उनका उत्साहवर्द्धन किया. यह सब वीडियो अपन के पास है. बाद में जब लौटने लगा तो देखा कि बीएड टीईटी वाले इतनी बड़ी संख्या में जंतर मंतर पर बैठे हैं लेकिन कहीं कोई मीडिया कवरेज नहीं. मुझसे रहा नहीं गया. मोबाइल को वीडियो मोड में किया और इन्हें रिकार्ड करने लगा.

मध्य प्रदेश के सागर में हॉकरों की हड़ताल, नहीं बंटे अखबार

सोमवार 21 सितंबर को मध्य प्रदेश के सागर जिले में अखबार नहीं बंटे। हॉकरों ने हड़ताल कर रखी है। वे अपना कमीशन बढ़ाए जाने की मांग कर रहे हैं। जानकारों की मानें तो मध्य भारत के इस मशहूर शहर में पहली बार पाठकों को अखबार पढऩे से वंचित रहना पड़ा है। सबसे ज्यादा आघात दैनिक भास्कर को लगा है। पहली बार उसका प्रबंधन अपनी खबरी पोटली को पाठकों के समक्ष पेश कर पाने में नाकाम रहा है।

सहारा के जिस डिवीजन के लोग हड़ताल करेंगे, सहाराश्री उस डिवीजन को ही बंद कर देंगे… देखें नोटिस

सहारा अपने कर्मचारियों को लगभग डेढ़ साल से नियमित वेतन नहीं दे रहा है। एक साल से ज्यादा का समय हो गया है, सिर्फ आधा वेतन दिया जा रहा है। वेतन न मिलने से लाखों कर्मचारी प्रभावित हैं। वेतन न मिलने की वजह से कई तो खुदा को प्यारे हो गए। पंद्रह सितंबर 2015 को सहारा के सभी कार्यालयों में सहारा सुप्रीमो का यह पत्र नोटिस बोर्ड पर चस्पा कर दिया गया है। पत्र में वेतन न देने की बात करते हुए हड़ताल न करने की हिदायत दी गई है साथ ही चेतावनी या धमकी जो कह लीजिए, दी गई है कि उस विभाग को ही बंद कर दिया जाएगा जहां के कर्मचारी वेतन की मांग करेंगे। मसलन पैराबैंकिंग में हड़ताल होती है तो वह ही बंद कर दिया जाएगा।

कर्मचारियों की लिस्ट में अपना नाम न पाकर राष्ट्रीय सहारा देहरादून के संवादसूत्र भड़के

इस बीच, ताजी सूचना ये है कि राष्ट्रीय सहारा देहरादून के कर्मचारियों की लिस्ट जो श्रम आयुक्त को प्रबंधन द्वारा सौंपी गई है, उस सूची में अपना नाम न पाकर संवादसूत्र भड़क उठे हैं। आठ-आठ साल से नियमित कर्मचारी की तरह काम कर रहे संवादसूत्रों का कहीं नाम ही नहीं है।

दैनिक जागरण नोएडा के 18 मीडियाकर्मी टर्मिनेट, प्रबंधन ने बाउंसर बुलाया, पुलिस फोर्स तैनात

दैनिक जागरण नोएडा की हालत बेहद खराब है. यहां मीडियाकर्मियों का जमकर उत्पीड़न किया जा रहा है और कानून, पुलिस, प्रशासन, श्रम विभाग, श्रम कानून जैसी चीजें धन्नासेठों के कदमों में नतमस्तक हैं. बिना किसी वजह 18 लोगों को टर्मिनेट कर उनका टर्मिनेशन लेटर गेट पर रख दिया गया. साथ ही प्रबंधन ने बाउंसर बुलाकर गेट पर तैनात करा दिया है. भारी पुलिस फोर्स भी गेट पर तैनात है ताकि मीडियाकर्मियों के अंदर घुसने के प्रयास को विफल किया जा सके. टर्मिनेट किए गए लोग कई विभागों के हैं. संपादकीय, पीटीएस से लेकर मशीन, प्रोडक्शन, मार्केटिंग आदि विभागों के लोग टर्मिनेट किए हुए लोगों में शामिल हैं.

हड़ताल बर्दाश्त नहीं, अब होंगे साइड इफेक्ट

हर चीज का असर होता है । बारिश का होता । आमतौर पर इसके बाद मौसम सुहाना हो जाता है तो आंधी का भी असर होता है। हर तरफ धूल ही धूल रहती है । कुछ हड़ताल का असर पहले होता है तो कुछ का बाद में लेकिन होता सबका है । मित्रो कहने का मतलब सहारा में हड़ताल समाप्त हो गई या टूट गई या तोड़वा दी, जो भी हो, यह आपकी एकजुटता के कारण हुआ। अब जरूरत है इसे स्थायी रूप से संगठित रूप देने की । स्थायी स्वरूप तभी हो सकता है, जब आप इसे यूनियन का रूप दें । आप दे सकते हैं। वह इसलिए कि जब आप अखबार का प्रकाशन ठप करा सकते हैं तो यूनियन भी बना सकते हैं । इसे बेहतर तरीके से चला सकते हैं । 

सहारा में एक पत्र पर टूट गई हडताल

अपने परम आदरणीय प्रातः स्मरणीय सुब्रतो राय के एक खत पर चट्टानी मजबूती के साथ मोर्चे पर डटे कर्तव्य योगियों ने एक झटके में हडताल तोड़ दी. आखिर क्यों? देश के सबसे बडे न्याय के मंदिर सुप्रीम कोर्ट में अपने प्यारे प्यारे (इनके सहारा श्री का यही संबोधन है) के कष्टों के कारण वेतन का न दे पाना बताते हुए सहारा के वकील कपिल सिब्बल का कहना कि ”मेरे बैंक खाते आपने सीज कर रखे हैं, मैं उन्हें पैसे कहां से दूं, मैं पैसे नहीं दे पा रहा हूं, आप खाते पर से रोक हटाइए, तो मैं पैसे दूं”, यह इशारा करता है कि कहीं हड़ताल शुरू होना और खत्म होना प्रबंधन की प्लानिंग तो नहीं थी? क्या कोर्ट की तारीख और हड़ताल की तारीख का मिल जाना महज संयोग था या प्री-प्लांड रणनीति?

पांच दिनो की हड़ताल का बहाना लेकर सहारा के वकील सिब्बल पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, नोएडा में मंगलवार शाम तक तनाव बरकरार

दिल्ली : एक तरफ कर्मचारियों को छह-छह महीने से तनख्वाह नहीं, दूसरी तरफ अथाह दौलत में खेलते मालिकान और ऊंची सैलरी से ऐशो आराम का जीवन जी रहे कंपनी के आला अधिकारियों का मीडिया तमाशा पांच दिनो की हड़ताल से अब लड़खड़ाने लगा है। कंपनी के सर्वेसर्वा दिल्ली के तिहाड़ जेल से अपना अंपायर चला रहे हैं। ऐसी विडंबनापूर्ण स्थिति शायद ही दुनिया भर में किसी भी मीडिया घराने की होगी। उधर, सहारा के वकील एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में सहारा में तालाबंदी का हवाला देते हुए हलफनामा दे दिया है। कोर्ट को बताया गया है कि मीडिया हाउस पर तालाबंदी पहले से है और इससे कर्मचारी गुस्से में हैं। संभवतः कोर्ट में कानूनी खेल खेलने के उद्देश्य से ऐसा कहा गया है। इससे ये भी अंदेशा लगाया जा रहा है कि प्रेसर बनाकर ये कही सेबी के देय से मुक्त होने और सुब्रत रॉय को मुक्त कराने का षड्यंत्र तो नहीं है। मंगलवार को दिल्ली में सहारा प्रबंधन और कर्मियों से वार्ता हुई है। सहमति पर मतैक्य नहीं हो सका है। 

सहारा नोएडा के हड़ताली मीडियाकर्मियों को रात में गिरफ्तार करने की तैयारी!

नोएडा से आ रही खबरों के मुताबिक सहारा मीडिया के आफिस के बाहर पुलिस ने बड़े पैमाने पर गिरफ्तारी के लिए तैयारी की है. ये कार्रवाई देर रात की जा सकती है. उधर, पूरे ग्रुप में राष्ट्रीय सहारा अखबार का मास्टर एडिशन यानि एक ही अखबार हर जगह प्रकाशित करने की तैयारी चल रही है. इस काम में कुछ एक लोग ही सपोर्ट कर रहे हैं. देहरादून से राष्ट्रीय सहारा के कुछ कर्मियों ने फोन पर बताया कि वेतन के लिए कई दिनों से संघर्ष कर रहे देहरादून राष्ट्रीय सहारा के कर्मचारियों को यूनिट हेड मृदुल बाली ने जबरन गेट से बाहर कर दिया.

राष्ट्रीय सहारा देहरादून के हड़ताली मीडियाकर्मी

IFWJ supports the ongoing struggle of Jagran and Strike call of Rashtriya Sahara employees

Indian Federation of Working Journalists (IFWJ) and its affiliate Delhi Union of Working Journalists (DUWJ) have extended unflinching support to the struggling employees of Dainik Jagran and striking employees of Rashtriya Sahara. In a joint statement, the IFWJ Secretary General Parmanand Pandey and the General Secretary of the DUWJ Chandan Rai have denounced the anti-labour, exploitative and dictatorial managements of Dainik Jagran and Rashtriya Sahara.

जब निशिकांत ठाकुर ने पहला शिकार रामजीवन गुप्ता को बनाने की चाल चली थी…

साथियों, मजीठिया वेजबोर्ड के संघर्ष में हम एकजुट होकर विरोधस्वरूप काली पट्टी बांधकर जागरण प्रबंध तंत्र की मजबूत नींव को हिलाने में कामयाब जरूर हुए लेकिन वर्तमान की एकता से घबराए प्रबंध तंत्र अंदर ही अंदर किसी भयानक षड्यंत्र को रचने से बाज नहीं आएंगे। 1991 की बात है। 8-10-1991 की मध्यरात्रि में हड़ताल का बिगुल बजने पर तात्कालिक सुपरवाइजर प्रदुमन उपाध्याय ने एफ-21, सेक्टर-8 (मशीन विभाग) में ले जाकर यूनियन से अलग होने और यूनियन का बहिष्कार करने के एवज में नकदी की पेशकश की थी।

सहारा मीडिया के एचआर ने हड़ताली कर्मियों के लिए जारी किया धमकी भरा पत्र, पढ़ें

सहारा मीडिया के एचआर डिपार्टमेंट की तरफ से अपने हड़ताली कर्मियों के लिए एक धमकी भरा पत्र जारी किया गया है. यह पत्र दिन में आज बारह बजे जारी किया गया और दिन में दो बजे तक हड़ताल वापस लेकर काम पर लौटने की चेतावनी दी गई है.

सहारा के हड़ताली मीडियाकर्मियों को पुलिस ने घेरा… किसी चैनल पर चलेगी ये खबर?

खबर है कि सात महीनों से बाकी सेलरी के लिए लड़ाई लड़ रहे सहारा के हड़ताली मीडियाकर्मियों से निपटने के लिए प्रबंधन ने पुलिस बुला ली है. सहारा मीडिया के नोएडा स्थित आफिस में बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती करा दी गई है. पुलिस वालों ने हड़ताली मीडियाकर्मियों को घेर लिया है. प्रबंधन की तरफ से कुछ संपादक लोगों ने मीडियाकर्मियों की धमकी दी है कि वे अगले कुछ घंटों में हड़ताल तोड़ कर काम पर वापस आएं वरना अंजाम बुरा होगा.

सहारा में हड़ताल जारी, वाराणसी के संपादक पिटते-पिटते बचे, लखनऊ में धमकियां

नोएडा राष्ट्रीय सहारा में तीसरे दिन रविवार को भी मीडिया कर्मियों एवं अन्य विभागों के कर्मचारियों की हड़ताल जारी रही। इसके साथ ही लखनऊ, देहरादून, वाराणसी, पटना आदि यूनिटों से भी रविवार रात को कार्यबहिष्कार जारी रहा। वाराणसी से सूचना है कि वहां के संपादक स्नेह रंजन को कर्मचारियों ने दौड़ा लिया। वह पिटते-पिटते बचे। लखनऊ में संपादक मनोज तोमर ने कुटिल चाल चलते हुए कुछ मीडिया कर्मियों को बारी बारी से अपने चेंबर में बुलाकर धमकाया और फुसलाया मगर संपादकीय विभाग के कर्मी काम करने पर सहमत नहीं हुए। तोमर ने धमकाने के अंदाज में उनकी कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर ओपी श्रीवास्तव से फोन पर बात कराई लेकिन बात बनी नहीं।  

सहारा मीडिया : हड़ताल से अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे, कर्मियों से अपील

पहले तो राष्ट्रीय सहारा नोएडा और वाराणसी सहित उन सभी यूनिटों के बहादुर साथियों को सलाम, जिन्होंने कार्य बहिष्कार कर ऐतिहासिक एकजुटता का परिचय दिया। देहरादून यूनिट के लोग कब जगेंगे, यह कहा नहीं जा सकता। लेकिन बाकी तीन यूनिटों के बहादुर साथियों ने सहारा प्रबंधन की हेकड़ी निकाल दी, जो सीना ठोंक कर कहते थे कि हम विश्व सबसे बड़े और एकमात्र संस्थान हैं जहां यूनियन नहीं है। हमारा संस्थान विश्व का सबसे बडा भावनात्मक परिवार है।

सीबी सिंह, विनोद रतूडी, रणविजय, राजेश सिंह मिलकर भी नहीं तोड़ पाए नोएडा के सहाराकर्मियों की एकता, अखबार बंद

आखिरकार सहाराकर्मियों का धैर्य टूट ही गया। नोएडा कैंपस के कर्मचारियों ने काम बंद कर दिया। कर्मचारियों ने कहा कि जब तक सैलरी नहीं तब तक कोई काम नहीं। कर्मचारियों को समझाने के लिए सीबी सिंह, विनोद रतूडी रणविजय सिंह जैसे दिग्गज लग गए। लेकिन कर्मचारियों ने साफ काम करने से मना कर दिया। फिर मीडिया हेड राजेश सिंह को बुलाया गया। शाम करीब साढ़े सात बजे राजेश सिंह कैंपस पहुंचे। उन्होंने दिलासा दिलाया कि सोमवार को सैलरी जरुर आएगी। आप हमारी बात समझिए, हम मजबूर हैं। कर्मचारियों ने कहा कि हम आपकी ताकत खूब जानते हैं। आप जो चाहे कर सकते हैं। अभी चाहे अभी सैलरी दे सकते हैं। इसके बाद कर्मचारियों ने उनकी बात को अनसुना करते हुए काम बंद दिया। दिलचस्प है कि पूरे आंदोलन में पूरा एडिटोरियल टीम, सर्कुलेशन और मशीन वाले सभी एकजुट है। पहले मैनेजमेंट उन्हें तोड़-फोड़ कर काम करवाता था।

सेलरी न मिलने के खिलाफ सहाराकर्मियों का गुस्सा फूटा, अखबार के कई यूनिटों में हड़ताल

राष्ट्रीय सहारा अखबार के कर्मियों ने कई महीने से सेलरी न मिलने से नाराज होकर हड़ताल शुरू कर दिया है. खबर है कि नोएडा, देहरादून, वाराणसी संस्करणों के मीडियाकर्मियों ने कामकाज ठप कर दिया है. नोएडा एडिशन के संपादकीय विभाग के लोगों ने बाहर निकल कर नारेबाजी की है. ज्ञात हो कि सुब्रत राय के जेल जाने के बाद से सहारा मीडिया में सेलरी का संकट बना हुआ है.

नोएडा में राष्ट्रीय सहारा कर्मियों ने हड़ातल कर नारेबाजी शुरू कर दी.

पेमेंट न मिलने के कारण नेशनल दुनिया जयपुर संस्करण में हड़ताल

खबर है कि बीते जून महीने की 23 तारीख को पेमेंट न मिलने से नाराज मीडियाकर्मियों ने हड़ताल कर दिया और नेशनल दुनिया अखबार का प्रकाशन रोक दिया. इस कारण अगले रोज अखबार मार्केट में नहीं आ सका. बाद में प्रबंधन से हुए समझौते के बाद कर्मियों ने हड़ताल खत्म कर दिया. तय हुआ कि …

दैनिक जागरण प्रबंधन के होश उड़े, कर्मचारियों का अल्टीमेटम, मांगें पूरी करो वरना सीधे टकराएंगे

इलाहाबाद हाईकोर्ट में गर्मियों की छुट्टियां शुरू होने से ठीक एक दिन पहले यूनियन पर स्टे लेने वाले दैनिक जागरण प्रबंधन की खुशियां बहुत दिन टिक नहीं पाईं इसके पहले कि वह कर्मचारियों के शोषण व उत्‍पीड़न के अपने इरादों को अंजाम देने की दिशा में कोई कार्रवाई कर पाता, जागरण के कर्मचारियों ने श्रम कानूनों में ही निश्चित प्रावधानों के तहत अपनी एक सभा कर अपने बीच से ही सात प्रतिनिधियों का चुनाव कर प्रबंधन को पटखनी दे दी। इन सात प्रतिनिधियों के मार्फत एक सूत्रीय मांग पत्र तैयार कर जागरण प्रबंधन को थमा दिया गया है। यदि उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं तो पिछली सात फरवरी की तरह वह हड़ताल पर चले जाएंगे।

दैनिक जागरण प्रबंधन को दिए गए मांगपत्र की छाया प्रति (पृष्ठ-1)

विवादित चिटफंड कंपनी समृद्ध जीवन के अखबार ‘प्रजातंत्र लाइव’ में बवाल, पुलिस पहुंची, मालिक से शिकायत

खबर है कि विवादित चिटफंड कंपनी समृद्ध जीवन के अखबार प्रजातंत्र लाइव में अचानक की गई छंटनी के खिलाफ बवाल हो गया है. छंटनी के शिकार मीडियाकर्मी आफिस पहुंचे. ये लोग संपादक बसंत झा से मिलना चाहते थे. बसंत झा ने मिलने से इनकार कर दिया. इसके बाद सभी छंटनी के शिकार कर्मचारी जबरन बसंत झा की केबिन में घुस गए. इससे नाराज संपादक बसंत झा ने सेक्यूरिटी गार्ड्स को बुलाकर सबको बाहर करने का आदेश दिया. इससे नाराज कर्मियों ने 100 नंबर पर पुलिस को काल कर दिया. पुलिस आफिस आई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की.

दैनिक भास्कर जयपुर में भी हड़ताल, मीडियाकर्मी आफिस से बाहर आए

एक बड़ी खबर जयपुर से आ रही है. कल शाम दर्जनों मीडियाकर्मी दैनिक भास्कर आफिस से बाहर आ गए. ये लोग मजीठिया वेज बोर्ड मांगने और सुप्रीम कोर्ट में मानहानि का मुकदमा करने के कारण प्रबंधन की रोज-रोज की प्रताड़ना से परेशान थे. कल जब फिर प्रबंधन के लोगों ने मीडियाकर्मियों को धमकाया और परेशान करना शुरू किया तो सभी ने एक साथ हड़ताल का ऐलान करके आफिस से बाहर निकल गए.

प्रबंधन के खिलाफ हिसार भास्कर यूनिट ने फूंका विद्रोह का बिगुल, मजीठिया के लिए सुप्रीम कोर्ट गए

मजीठिया वेज बोर्ड लागू कराने और अपना बकाया एरियर लेने के लिए दैनिक भास्कर की हरियाणा यूनिट भी एकत्र होनी शुरू हो गई है। इसकी पहल सबसे पहले हिसार यूनिट की ओर से की गई है। इसमें भिवानी ब्यूरो से प्रदीप महता, कुलदीप शर्मा, भूपेंद्र सिंह, राकेश भट्ठी, संजय वर्मा और सुखबीर ने सुप्रीम कोर्ट के वकील अक्षय वर्मा के माध्यम से भास्कर के मालिक रमेश चंद्र अग्रवाल से लेकर भिवानी के ब्यूरो प्रमुख अशोक कौशिक तक लीगल नोटिस भिजवा दिए हैं।

मस्तमौला पत्रकार रजनीश रोहिल्ला का साथ और गीत-संगीत भरी शाम… आप भी आनंद लीजिए

रजनीश रोहिल्ला अजमेर के पत्रकार हैं. दैनिक भास्कर में काम करते हुए एक रोज जब सभी से कहा गया कि इस कागज पर साइन कर दीजिए तो सबने चुपचाप साइन कर दिया लेकिन रजनीश रोहिल्ला ने साइन करने से न सिर्फ मना किया बल्कि जो कागज उन्हें साइन करने के लिए दिया गया था, उसकी फोटोकापी कराकर अपने पास रख लिया. इस कागज पर लिखा हुआ था कि हमें मजीठिया वेज बोर्ड नहीं चाहिए और हम लोग अपनी सेलरी से संतुष्ट हैं. कुछ इसी टाइप की बातें थी जिसके जरिए प्रबंधन मीडियाकर्मियों का हक मारकर अपने को कागजी व कानूनी रूप से सुरक्षित बनाना चाह रहा था.

मजीठिया की आग दैनिक भास्कर रतलाम पहुंची, कर्मचारी हुए एकजुट

: यहां भी हो सकती है होशंगाबाद, कोटा, भीलवाड़ा, हिसार और नोएडा जैसी हड़ताल : मजीठिया की आग मध्य प्रदेश के रतलाम जिले तक भी पहुंच गई है। यहां भी दैनिक भास्कर, नईदुनिया, पत्रिका के सभी विभागों के कर्मचारी (पत्रकार और गैर पत्रकार) ने अलग-अलग माध्यमों से सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में अखबारों के मालिकों के खिलाफ न्यायालय की अवमानना का केस दायर कर दिया है। अखबार प्रबंधनों को इसकी भनक भी लग गई है। उन्होंने समझाने, दबाने और प्रताड़ित करने की तैयारी भी कर ली है।

कोटा के बाद दैनिक भास्कर भीलवाड़ा में भी बगावत, प्रबंधन पीछे हटा

मजीठिया वेज बोर्ड के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने वाले कर्मियों को लगातार परेशान करने के कारण भास्कर ग्रुप में जगह-जगह विद्रोह शुरू हो गया है. अब तक प्रबंधन की मनमानी और शोषण चुपचाप सहने वाले कर्मियों ने आंखे दिखाना और प्रबंधन को औकात पर लाना शुरू कर दिया है. दैनिक भास्कर कोटा में कई कर्मियों को काम से रोके जाने के बाद लगभग चार दर्जन भास्कर कर्मियों ने एकजुटता दिखाते हुए हड़ताल कर दिया और आफिस से बाहर निकल गए.

बाएं से दाएं : आंदोलनकारी मीडियाकर्मियों के साथ बात करते भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह, अजमेर के वरिष्ठ पत्रकार रजनीश रोहिल्ला और जर्नलिस्ट एसोसिएशन आफ राजस्थान (जार) के जिलाध्यक्ष हरि बल्लभ मेघवाल.

दैनिक भास्कर प्रबंधन नीचता पर उतारू, आंदोलन का नेतृत्व कर रहे कर्मियों के खिलाफ थाने में झूठी शिकायत

दैनिक भास्कर कोटा में मजीठिया वेज बोर्ड के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने पर प्रबंधन द्वारा किए जा रहे दमनात्मक कार्यवाहियों का सिलसिला थमा नहीं है. पांच छह कर्मियों को आफिस आने से मना करने के बाद अब इनके खिलाफ प्रिंटिंग मशीन खराब करने की शिकायत स्थानीय थाने में दर्ज कराई है. इससे कर्मचारियों में रोष फैल गया. सभी आंदोलनकारी कर्मचारियों ने प्रबंधन की इस नीचता के खिलाफ एकजुट रहने और आखिरी दम तक लड़ने का संकल्प लिया है. इस बीच भास्कर प्रबंधन ने अपने सभी विभागों के राजस्थान हेड को कोटा भेज दिया है और संकट से निपटारे की कोशिश शुरू कराई है.

भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह के साथ बैठक के बाद ग्रुप फोटो खिंचाते दैनिक भास्कर कोटा के हड़ताली मीडियाकर्मी.

बगावत की आग दैनिक भास्कर तक पहुंची, कोटा में हड़ताल

मजीठिया वेज बोर्ड पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने वाले मीडियाकर्मियों के प्रताड़ना का सिलसिला तेज हो गया है. दैनिक जागरण नोएडा के कर्मियों ने पिछले दिनों इसी तरह के प्रताड़ना के खिलाफ एकजुट होकर हड़ताल कर दिया था और मैनेजमेंट को झुकाने में सफलता हासिल की थी. ताजी खबर दैनिक भास्कर से है. यहां भी मीडियाकर्मियों को सुप्रीम कोर्ट जाने पर परेशान किया जाना जारी है. इसके जवाब में दैनिक भास्कर के कोटा के दर्जनों कर्मियों ने एकजुट होकर हड़ताल शुरू कर दिया है.

दैनिक जागरण नोएडा हड़ताल : देखिए और पढ़िए जीत के इस निशान को, सलाम करिए मीडियाकर्मियों की एकजुटता को

जो मालिक, जो प्रबंधन, जो प्रबंधक, जो संपादक आपको प्रताड़ित करता है, काम पर आने से रोकता है, तनख्वाह नहीं बढ़ाता है, बिना कारण ट्रांसफर करने से लेकर इस्तीफा लिखवा लेता है, वही मालिक प्रबंधन प्रबंधक संपादक जब आप एकजुट हो जाते हैं तो हारे हुए कुक्कुर की तरह पूंछ अपने पीछे घुसा लेता है और पराजित फौज की तरह कान पकड़कर गल्ती मानते हुए थूक कर चाटता है. जी हां. दैनिक जागरण नोएडा में पिछले दिनों हुई हड़ताल इसका प्रमाण है. कर्मचारियों की जबरदस्त एकजुटता, काम का बहिष्कार कर आफिस से बाहर निकल कर नारेबाजी करना और मैनेजरों के लालीपॉप को ठुकरा देना दैनिक जागरण के परम शोषक किस्म के मालिक संजय गुप्ता को मजबूर कर गया कि वह कर्मचारियों की हर मांग को मानें.

मीडियाकर्मियों को अपनी कमर कसकर रहना होगा, मालिकान के खिलाफ निर्णायक लड़ाई का समय करीब आ रहा है…

Abhishek Srivastava : रात साढ़े दस बजे जब मैं शनि बाज़ार में सब्‍ज़ी खरीद रहा था, कि अचानक मोबाइल पर Yashwant Singh का नाम चमका। हलो बोलने के बाद बिना किसी औपचारिकता के उधर से आवाज़ आई, ”जागरण में हड़ताल हो गई है। दो सौ लोग सड़क पर हैं। पहुंचिए।” मैंने Sandeep Rauzi को फोन मिलाया, तो वे दफ्तर में थे। वे बोले कि घर पहुंचकर और बाइक लेकर मेरे यहां कुछ देर में पहुंच रहे हैं। फिर मैंने Pankaj भाई को एसएमएस किया। संयोग देखिए कि आंदोलन के बीचोबीच हम सभी मौके पर घंटे भर बाद मौजूद थे। पंकज भाई के साथ वरिष्‍ठ पत्रकार प्रशांत टंडन भी आंदोलनरत कर्मचारियों को समर्थन देने रात एक बजे पहुंचे। तीन चैनलों के पत्रकारों के वहां कैमरा टीम के साथ पहुंचने से आंदोलन को और बल मिला।

(दैनिक जागरण के महाप्रबंधक का घेराव और कर्मचारियों के साथ सड़क पर समझौते की वार्ता.)

संजय गुप्ता को रात भर नींद नहीं आई, जागरण कर्मियों में खुशी की लहर

बहुत दिनों बाद ऐसा हुआ. इसे पहले ही हो जाना चाहिए था. डिपार्टमेंट का कोई भेद नहीं था. सब एक थे. सब मीडियाकर्मी थे. सब सड़क पर थे. सबकी एक मांग थी. मजीठिया वेज बोर्ड खुलकर मांगने और सुप्रीम कोर्ट जाने वाले जिन-जिन साथियों को दैनिक जागरण प्रबंधन ने परेशान किया, ट्रांसफर किया, धमकाया, इस्तीफा देने के लिए दबाव बनाया, उन-उन साथियों के खिलाफ हुई दंडात्मक कार्रवाई तुरंत वापस लो और आगे ऐसा न करने का लिखित आश्वासन दो.

लिखित आश्‍वासन के बाद काम पर लौटे हड़ताली जागरणकर्मी

(दैनिक जागरण, नोएडा के कर्मियों द्वारा हड़ताल की जानकारी मिलने पर जनपक्षधर पत्रकार अभिषेक श्रीवास्तव कैमरे समेत मौके पर पहुंचे और फोटोग्राफी में जुट गए)


अरसे से अपने पत्रकारों, कर्मचारियों को अपना दास समझने वाले दैनिक जागरण समूह के मालिकों पहली बार सामूहिक शक्ति के सामने झुकना पड़ा है. दैनिक जागरण के मीडिया कर्मचारी इस मीडिया हाउस के समूह संपादक व सीर्इओ संजय गुप्‍ता के लिखित आश्‍वासन के बाद ही हड़ताल समाप्‍त करने को राजी हुए और काम पर वापस लौटे. मैनेजर टाइप लोगों के लालीपाप थमाकर हड़ताल खत्म कराने के तमाम प्रयास फेल होने के बाद संजय गुप्‍ता को मजबूरी में लिखित आश्‍वासन देकर मामला सुलझाना पड़ा. बताया जा रहा है कि दिल्‍ली चुनाव के चलते गुप्‍ता एंड कंपनी ने तात्‍कालिक तौर पर यह रास्‍ता अपनाया है और किसी को परेशान न करने का लिखित वादा किया है.  

दैनिक जागरण, नोएडा के हड़ताल की आंच हिसार तक पहुंची

दैनिक जागरण, नोएडा में कर्मचारी सड़कों पर उतर गए हैं. प्रबंधन की दमनकारी और शोषणकारी नीतियों के खिलाफ कर्मचारियों का सालों से दबा गुस्‍सा अब छलक कर बाहर आ गया है. मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर एक संपादकीय कर्मचारी का तबादला किए जाने के बाद सारे विभागों के कर्मचारी एकजुट होकर हड़ताल पर चले गए हैं. मौके पर प्रबंधन के लोग भी पहुंच गए हैं, लेकिन कर्मचारी कोई बात सुनने को तैयार नहीं हैं. प्रबंधन ने सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस बल को बुला लिया है, लेकिन प्रबंधन के शह पर सही गलत करने वाली नोएडा पुलिस की हिम्‍मत भी कर्मचारियों से उलझने की नहीं हो रही है. 

दैनिक जागरण, नोएडा में हड़ताल, सैकड़ों मीडियाकर्मी काम बंद कर आफिस से बाहर निकले

मीडिया जगत की एक बहुत बड़ी खबर भड़ास के पास आई है. दैनिक जागरण नोएडा के करीब तीन सौ कर्मचारियों ने काम बंद कर हड़ताल शुरू कर दिया है और आफिस से बाहर आ गए हैं. ये लोग मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से वेतन नहीं दिए जाने और सेलरी को लेकर दैनिक जागरण के मालिकों की मनमानी का विरोध कर रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक हड़ताल की शुरुआत मशीन यानि प्रिंटिंग विभाग से जुड़े लोगों ने की और धीरे-धीरे इसमें सारे विभागों के लोग शामिल होते गए. सिर्फ संपादक विष्णु त्रिपाठी और इनके शिष्यों को छोड़कर बाकी सारे लोग हड़ताल के हिस्से बन गए हैं.

अंग्रेजी दैनिक के संपादक ने शुरू की सचिवालय में हंगर स्ट्राइक

: अखबारों में छपे सरकारी विज्ञापनों का भुगतान न जताने पर अपनाया गांधीवादी तरीका : देहरादून । नौकरशाहों की मनमौजी और लापरवाही के कारण आये दिन मंत्री और विधायक ही परेशान नहीं है, मीडिया भी इससे अछूता नहीं है। स्थिति अब यहां तक जा पहुंची है कि बकाया भुगतान के लिए उन्हें भूख हड़ताल करने के मजबूर होना पड़ रहा है।  मंगलवार को राज्य की नौकरशाह से आजिज आकर अंग्रेजी दैनिक गढ़वाल पोस्ट के संपादक सतीश शर्मा ने मुख्य सचिव के कार्यालय पर भूख हड़ताल शुरू कर दी। शर्मा ने बताया कि छोटे अखबारों को सरकार वैसे ही विज्ञापन देती नहीं, है। जो विज्ञापन मिलते हैं, उनका भुगतान नहीं किया जाता।

खुश खबरी : पी7 न्यूज के हड़ताली और आंदोलनकारी कर्मियों का हुआ फुल एंड फाइनल सेटलमेंट

पी7 न्यूज चैनल के मीडियाकर्मियों ने अपने हक के लिए दो-दो बार आफिस पर कब्जा किया और लंबा व संगठित आंदोलन चलाया. इसका रिजल्ट उन्हें अब मिला. हर तरफ से दबावों के कारण झुके प्रबंधन ने अपने वादे के अनुरूप कर्मियों का फुल एंड फाइनल सेटलमेंट कर दिया. इसे कहते हैं जो लड़ेगा वो जीतेगा. जो डरेगा, झुकेगा वो हारेगा. पी7 न्यूज चैनल के करीब दो सौ कर्मचारियों को इस फाइनल सेटलमेंट का लाभ मिला है.

पी7 चैनल के कर्मियों के दूसरे राउंड वाले आंदोलन को समर्थन देने वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय भी पहुंचे थे. साथ में हैं वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्द्धन त्रिपाठी.

पांच माह का वेतन दिए बगैर ‘जानो दुनिया’ चैनल बंद, मीडियाकर्मी आंदोलन के मूड में

गुजरात के अहमदाबाद से संचालित ‘जानो दुनिया’ नामक न्यूज चैनल बंद हो गया है. इस चैनल के प्रबंधन ने अपने कर्मियों को पांच महीने की सेलरी नहीं दी है. पांच महीना बिना सेलरी लिए काम करने वाले सैकड़ों कर्मचारी चैनल के अचानक बंद कर दिए जाने से सदमे में हैं. अब ये एकजुट होकर चैनल मालिक के गुड़गांव स्थित होटल के सामने आमरण अनशन करने की तैयारी कर रहे हैं.

असद पर हमला दरकिनार, रेस्‍टोरेंट वाले की ईंट से ईंट बजाने पहुंचे पत्रकार नेता

लखनऊ। दो दिन पहले राजधानी के कैसरबाग इलाके में सहारा समूह से जुड़े पत्रकार सैयद असद पर कार सवार बदमाशों ने जानलेवा हमला किया. उन्‍हें गंभीर चोट आई. उनका इलाज ट्रामा में कराया गया, फिलहाल वे खतरे से बाहर हैं और घर पर आराम कर रहे हैं. दूसरी घटना गोमतीनगर के विभूतिखंड में एक रेस्‍त्रां में हुई. न्‍यूज नेशन (स्‍टेट नेशन) एवं एक अन्‍य चैनल के पत्रकारों से मधुरिमा रेस्‍टोरेंट के कर्मचारियों ने मारपीट की. आरोप लगा कि पत्रकार मिलावटी खाने के आरोप पर दबाव बनाकर पैसे मांग रहे थे, जबकि पत्रकारों का जवाब था कि वे बाइट लेने गए थे. सच्‍चाई समझना बहुत मुश्किल नहीं है? 

”P7 में आपका दुबारा स्वागत है…” लेकिन ध्यान से, कहीं फंस मत जइहो भइये

पी7 यानि पीएसीएल उर्फ पर्ल्स ग्रुप का न्यूज चैनल.  लगातार फ्रॉड करते रहने वाले इस ग्रुप के चैनल का अंत भी फ्रॉडगिरी करके हुआ, सैकड़ों मीडियाकर्मियों की तनख्वाह मार के. लेकिन मीडियाकर्मी लड़े और जीते. लेकिन पर्ल्स ग्रुप ने पैंतरा मारते हुए फिर नया खेल किया है. सूत्रों के मुताबिक चैनल को कांग्रेस के नेता जगदीश शर्मा ने खरीद लिया है. इसे देखते हुए पर्ल्स ग्रुप का नया पैतरा ये है कि कर्मचारियों के फुल एंड फाईनल सेटेलमेंट से ठीक पहले पी7 मैनेजमेंट ने अपने आफिस के गेट पर लुभावने आफर वाला एक नोटिस चस्पा कर दिया है.

पी7 के 450 में से सिर्फ 153 कर्मियों को ही फुल एंड फाइनल पेमेंट मिलेगा

पिछले दिनों ये खबर आई थी कि आन्दोलनकारी पत्रकारों के जिद और जुनून के आगे पी7 प्रबंधन झुक गया और उन्हें नवम्बर तक की सैलरी दे दी गयी. साथ ही 15 जनवरी तक तीन महीने का कम्पनसेशन भी दे दिया जाएगा. इस खबर को सुनकर पी7 के सभी कर्मचारी/श्रमिक ख़ुशी से झूम उठे, लेकिन इनकी ख़ुशी में तब विराम लग गया जब इन्हें पता चला कि पी7 के सभी कर्मचारियों को नहीं बल्कि केवल 450 में से केवल 153 (लगभग) लोगों को ही ये सुविधा मिलेगी. इसके बाद, दूसरे ही दिन अन्य कर्मचारियों ने तत्काल बैठक बुलाई और सब एकत्रित हो कर दुबारा बड़ी संख्या में लेबर कमिश्नर के पास नयी कंप्लेन दायर कर आये.

श्रीन्यूज : ‘चेहरा पहचानो’ जैसे विज्ञापन से दर्शकों को ठग रहा, सेलरी के लिए एमसीआर वालों ने हड़ताल कर दी

पिछले कई महीनों से अपनी माली हालत खराब होने की दुहाई दे रहा श्री न्यूज चैनल इन दिनों धड़ल्ले से विज्ञापनों को दिखा रहा है. श्री न्यूज अब विज्ञापन चैनल बन गया है.  विज्ञापन भी बहुत घटिया और ठगी करने वाले दिखाए जा रहे हैं. ‘चेहरा पहचानो’ जैसे विज्ञापन के जरिए चैनल के दर्शकों को ठगा जा रहा है. ‘चेहरा पहचानो’ के जरिए ठगी के शिकार होने की आए दिन लोग शिकायत करते रहते हैं.

आंदोलनकारी पत्रकारों के जिद और जुनून की हुई जीत, फिर झुका धोखेबाज पी7 प्रबंधन

पिछले कई दिनों से 24×7 आंदोलन कर रहे पी7 न्यूज चैनल के कर्मियों को बड़ी जीत हासिल हुई है. पी7 चैनल के आफिस पर कब्जा जमाए आंदोलनकारियों के दबावों और चौतरफा प्रयासों को नतीजा यह हुआ कि पुलिस, प्रशासन, लेबर डिपार्टमेंट के दबाव के आगे चैनल प्रबंधन ढेर हो गया और सारा बकाया चुकाने के लिए राजी हो गया, वह भी नियत समय पर. नवंबर महीने की सेलरी तुरंत मिल जाएगी सभी को. 15 जनवरी को फुल एंड फाइनल पेमेंट देने का जो पूर्व का वादा था, वह कायम रहेगा और उसी रोज सारा हिसाब कर सभी के एकाउंट में डिपोजिट करा दिया जाएगा. साथ ही फुल एंड फाइनल पेमेंट होने तक पी7 चैनल प्रबंधन चैनल से जुड़ी कोई भी संपत्ति नहीं बेच सकेगा.

पी7 के आंदोलनकारी पत्रकारों की इस छिपी प्रतिभा को देखिए

Yashwant Singh : आंदोलन अपने आप में एक बड़ा स्कूल होता है. इसमें शरीक होने वाले विभिन्न किस्म की ट्रेनिंग लर्निंग पाते हैं. सामूहिकता का एक महोत्सव-सा लगने लगता है आंदोलन. अलग-अलग घरों के लोग, अलग-अलग परिवेश के लोग कामन कॉज के तहत एकजुट एकसाथ होकर दिन-रात साथ-साथ गुजारते हैं और इस प्रक्रिया में बहुत कुछ नया सीखते सिखाते हैं. पी7 न्यूज चैनल के आफिस पर कब्जा जमाए युवा और प्रतिभावान मीडियाकर्मियों के धड़कते दिलों को देखना हो तो किसी दिन रात को बारह बजे के आसपास वहां पहुंच जाइए. संगीत का अखिल भारतीय कार्यक्रम शुरू मिलेगा.

पी7 चैनल के आफिस में रात गुजारी आंदोलनकारी पत्रकारों ने (देखें तस्वीरें) : पार्ट 4

इस बार पी7 के आंदोलनकारी पत्रकार लंबी लड़ाई के मूड में आए हैं. इसीलिए उनके आंदोलन में कोई अफरातफरी और कोई उतावलापन नहीं है. सब कुछ शांति के साथ और प्लानिंग के साथ हो रहा है. एक आह्वान पर सभी पत्रकारों का आफिस पहुंच जाना और आफिस के मुख्य द्वारा से लेकर अंदर रिसेप्शन तक पर कब्जा कर लेना. फिर वहीं अनशन धरना शुरू कर देना. फिर आफिस के हर कोने पर हाथ से बनाए गए बैनर पोस्टर चस्पा कर देना. फिर श्रम विभाग से लेकर पुलिस, प्रशासन, भड़ास आदि को सूचित कर तस्वीरें सूचनाएं आदि शेयर करने लगना. खाने से लेकर सोने तक की व्यवस्था कर देना.

पी7 चैनल के आफिस में रात गुजारी आंदोलनकारी पत्रकारों ने (देखें तस्वीरें) : पार्ट 3

श्रम विभाग के पास ताकत बहुत है, बस वह ईमानदारी से अड़ जाए, डंट जाए. श्रम विभाग नोएडा में कई तेजतर्रार अधिकारियों के होने के कारण मीडिया से जुड़े मामलों पर इन दिनों काफी सक्रियता और तेजी दिखाई जा रही है. श्री न्यूज से लेकर भास्कर न्यूज और पी7 न्यूज तक में पत्रकारों व मीडियाकर्मियों का प्रबंधन से सेलरी-बकाया आदि को लेकर विवाद है. इन चैनलों के मामले श्रम विभाग पहुंचे तो श्रम विभाग ने कड़ा रुख अपनाया और प्रबंधन पर सख्ती की.

आंदोलनकारी पत्रकारों के बीच बैठे श्रम विभाग, नोएडा के असिस्टेंट लेबर कमिश्नर शमीम अख्तर (मोबाइल से बात करते हुए).

पी7 चैनल के आफिस में रात गुजारी आंदोलनकारी पत्रकारों ने (देखें तस्वीरें) : पार्ट 2

दुनिया भर के अन्याय उत्पीड़न और शोषण के खिलाफ आवाज उठाने वाले पत्रकारों की आवाज कौन उठाएगा? कोई नहीं. क्योंकि मीडिया हाउसेज के मालिक अपने पत्रकारों की आवाज को हमेशा कुचलते रहे हैं और उनकी आवाज को मीडिया माध्यमों से ब्लैकआउट करते रहे हैं. धन्य हो न्यू मीडिया और सोशल मीडिया की. इसके आ जाने से परंपरागत मीडिया माध्यमों की हेकड़ी, अकड़, दबंगई, मोनोपोली खत्म हुई है. आज फेसबुक ट्विटर ह्वाट्सएप ब्लाग वेबसाइट जैसे माध्यमों के जरिए पत्रकारों की आवाज उठने लगी है और मीडिया हाउसों के अंदर की बजबजाहट बाहर आने लगी है. पी7 चैनल के आंदोलनकारी पत्रकारों की बड़ी सीधी सी मांग है.

पी7 चैनल के आफिस में रात गुजारी आंदोलनकारी पत्रकारों ने (देखें वीडियो और तस्वीरें) : पार्ट 1

पत्रकारों का ऐसा एकजुट आंदोलन बहुत दिन बाद देखने को मिला. पिछली बार जब आंदोलन किया तो प्रबंधन झुका और लिखित समझौता कर सब कुछ देने का वादा किया. लेकिन तारीखें बीतने के बाद जब पता चला कि प्रबंधन झूठा निकला तो पत्रकारों ने दुबारा आंदोलन करने में तनिक भी देर न लगाई. ह्वाट्सएप पर इन आंदोलनकारी पत्रकारों का ग्रुप बना हुआ है. इस ग्रुप पर आंदोलन फिर से शुरू करने और आफिस नियत समय पर पहुंचने का आह्वान होते ही सब पत्रकार कल पी7 चैनल के नोएडा स्थित आफिस पहुंच गए. अंदर घुसकर रिसेप्शन समेत पूरे आफिस पर कब्जा जमा लिया और अनशन पर बैठ गए. लेबर डिपार्टमेंट की तरफ से तेजतर्रार और जनसरोकारी अधिकारी शमीम अख्तर मौके पर पहुंचे तो भड़ास की तरफ से यशवंत सिंह ने पी7 के आफिस जाकर आंदोलनकारियों को समर्थन दिया.

अपने हक के लिए चैनल के आफिस में अनशन करते पत्रकारों ने आफिस के भीतर ही रात गुजारी.

पी7 चोर है… पी7 शर्म करो… पी7 प्रबंधन हॉय हॉय… (देखें अनशन स्थल की कुछ तस्वीरें)

पी7 चोर है… पी7 शर्म करो… पी7 प्रबंधन हॉय हॉय… जी हां, ऐसी ही कई तख्तियां लगाकर, आफिस की दीवारों पर चिपका कर अनशन पर बैठे हैं दर्जनों पत्रकार. जबर्दस्त ठंढ में और अपने बीवी-बच्चों को घर पर अकेला छोड़कर दर्जनों पत्रकार साथी खुद के साथ हुई धोखाधड़ी के खिलाफ नोएडा में पी7 आफिस में अनशन पर बैठे हैं. कहा भी जाता है कि अगर पत्रकार अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ नहीं लड़ सकता तो वह दुनिया में चल रहे शोषण उत्पीड़न के खिलाफ कलम किस नैतिकता से उठा सकता है. तो, दर्जनों पत्रकार साथियों ने नोएडा में स्थित पीएसीएल और पर्ल ग्रुप के न्यूज चैनल पी7 के आफिस में डेरा डाल दिया है. 
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मुकर गए चिटफंडिये भंगू के चेले, नाराज पत्रकारों ने सेलरी के लिए पी7 आफिस में फिर अनशन शुरू किया

जनता के अरबों-खरबों रुपये दबाए बैठी चिटफंड कंपनी पीएसीएल की तरफ से एक चैनल शुरू किया गया था, पी7 न्यूज नाम से. अब जबकि पीएसीएल और इसके मालिक भंगू पर सीबीआई, ईडी, आईटी, सेबी समेत कई एजेंसियों ने पूरी तरह शिकंजा कस दिया है, इस कंपनी के प्रबंधन से जुड़े लोगों ने जनता का जमा धन लौटाने की बात तो छोड़िए, अपने कर्मचारियों तक का बकाया देने से इनकार करना शुरू कर दिया है. पी7 प्रबंधन ने एक बार फिर कर्मचारियों के साथ धोखा किया है.  पिछले दिनों हड़ताली कर्मियों और प्रबंधन के बीच हुए समझौते के मुताबिक प्रबंधन को कर्मचारियों को सैलरी 15 दिसंबर को देना था, लेकिन वो अब तक नहीं दिया है… इससे नाराज सौ से ज्यादा कर्मचारी आज से P7 ऑफिस कार्यालय में धरने पर बैठ गए हैं…

बंद होते न्यूज चैनलों और हजारों पत्रकारों की बेरोजगारी के मसले को प्रहलाद सिंह पटेल ने लोकसभा में उठाया

लोकसभा में दमोह से सांसद प्रह्लाद सिंह पटेल ने पिछले दिनों एक महत्वपूर्ण सवाल उठाया. ये सवाल मीडिया जगत से जुड़ा था. प्रह्लाद सिंह पटेल ने उन न्यूज चैनलों का नाम लिया जो बंद हो गए. इनसे हजारों बेरोजगार पत्रकारों के परिवारों के सामने आए संकट का जिक्र किया. साथ ही इस पूरे मसले में कानून की लाचारी के बारे में बताया. प्रह्लाद सिंह पटेल का पूरा सवाल, पूरा संबोधन ये है….

जिया प्रबंधन जीता, बेचारे बन मीडियाकर्मी मन मसोस कर घर लौट गए

: एसएन विनोद का खेल और जिया न्यूज़ का सच : आखिरकार चैनल की दुनिया में फैली बेरोज़गारी और कर्मचारियों की मजबूरी का फायदा उठाकर जिया न्यूज़ के मालिक रोहन जगदाले और इस मालिक को अपना दत्तक पुत्र मानने वाले एसएन विनोद की जीत हो ही गई। कर्मचारियों को मैनेजमेंट की फेंकी रोटी उठानी पड़ी और मन मसोस कर सेलेटमेंट करना पड़ा। हर कर्मचारी को तीन माह के बदले एक महीने का कंपनसेशन देकर टरका दिया गया, जिसमें दो चेक 4 और 20 दिसंबर के थमाए गये।

आप जिया न्यूज के कर्मियों के पक्ष में लिख-लड़ रहे हैं और वो कर्मी आपका विश्वास नहीं करते!

यशवंत भईया प्रणाम, बड़े दु:ख की बात है कि ये जो जिया न्यूज के कर्मचारी आपका विश्वास नहीं करते, आपके सहयोगियों का विश्वास नहीं करते, उनके लिए आप इतना कर रहे हैं. आपको बता दूं भइया, आपने एक न्यूज डाली थी भड़ास पर जिया न्यूज की महिला कर्मचारी का पैर कटने की. उस समाचार को मैंने सभी जिया न्यूज के कर्मचारियों को मेल किया. उस मेल में रोहन जगदाले, एसएन विनोद और कई शीर्ष कर्मियों के नाम शामिल थे.

‘जिया न्यूज’ चैनल में हड़ताल, एसएन विनोद बता रहे मालिक को महान

जिया न्यूज़ में पिछले काफी समय से बड़े संपादकों और मालिक के चाटुकारों ने इस चैनल से जमकर मलाई खाई… और निकल लिये… पर जब चैनल के नोएडा आफिस बंद कर कर्मचारियों की सेटलमेंट की बात आई तो उंट के मुंह में जीरा आया….. ये चैनल न्यूज चैनल कम, मज़ाक ज्यादा था… हर बार आए नए अधिकारियों ने इसे जमकर लूटा और बेचारे कर्मचारी हाथ मलते रह गये…. पहले जाय सेबस्टियन फिर एसएन विनोद फिर जेपी दीवान फिर एसएन विनोद और आखिर में चैनल का बंटाधार… बस यही कहानी है इस चैनल की….

पी7 न्यूज प्रबंधन अपने कर्मियों को 15 जनवरी तक फुल एंड फाइनल पेमेंट दे देगा, बवाल खत्म

पी7 न्यूज चैनल से सूचना आ रही है कि कल देर रात हड़ताली मीडियाकर्मियों और प्रबंधन के बीच समझौता हो गया. ये समझौता असिस्टेंट लेबर कमिश्नर शमीम अख्तर, सीओ द्वितीय अनूप सिन्हा और सिटी मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में हुआ. समझौते पर प्रबंधन की तरफ से केसर सिंह, शरद दत्त, विधु शेखर और उदय सिन्हा ने हस्ताक्षर किए. समझौते के मुताबिक प्रबंधन अपने स्टाफर और कांट्रैक्ट पर कार्य करने वाले कर्मियों को नवंबर खत्म होने से पहले अक्टूबर की सेलरी मिल जाएगी. 15 दिसंबर तक नवंबर की सेलरी मिल जाएगी. 30 दिसंबर तक फुल एंड फाइनल पेमेंट का आधा हिस्सा मिल जाएगा. 15 जनवरी को बाकी सारे ड्यूज क्लीयर कर देंगे.

‘पी7 न्यूज’ के बाद अब ‘भास्कर न्यूज’ चैनल की बारी, सेलरी न मिलने से काम बंद

‘भास्कर न्यूज’ नामक चैनल से खबर आ रही है कि यहां कार्यरत कर्मियों ने कई महीने से सेलरी न मिलने के कारण काम बंद कर दिया है. चैनल के अंदर ‘सेलरी नहीं तो काम नहीं’ काा  पोस्टर, वालपेपर लगा दिया गया है. भास्कर न्यूज में सेलरी न मिलने से हड़ताल कई दिनों से चल रही है. भड़ास4मीडिया की एक खुफिया टीम ने चैनल में घुसकर कई तस्वीरें ली जिसे यहां प्रकाशित किया जा रहा है.

और मीडियाकर्मियों ने अपने हिस्से की स्क्रीन पर कब्जा जमा लिया….

Vineet Kumar : p7 न्यूज चैनल बंद हो गया. ये वही न्यूज चैनल है जिसने लांचिंग में अपने एंकरों से रैम्प पर नुमाईश करवायी, शोपीस एंकरिंग को बढ़ावा दिया. पिछले दिनों इसी ग्रुप की पत्रिका बिंदिया और शुक्रवार के बंद हो जाने पर बेहद जरूर सरोकारी मंच के खत्म होने का स्यापा आपने देखा था. पत्रिका सहित ये चैनल क्यों बंद हो गया, ये बार-बार बताने की जरूरत इसलिए पड़ती है कि एक वेंचर बंद होने के वाबजूद दूसरे के बने रहने के दावे मैनेजमेंट की तरफ से ताल ठोंककर दिए जाते हैं..लेकिन सच आपसे और हमसे छिपा नहीं है.

‘पी7 न्यूज’ के निदेशक केसर सिंह को हड़ताली कर्मियों ने बंधक बनाया, चैनल पर चला दी सेलरी संकट की खबर

कई महीनों से सेलरी के लिए लड़ाई लड़ रहे पीएसीएल / पर्ल समूह के न्यूज चैनल पी7 न्यूज के हड़ताली कर्मचारियों के सब्र का बांध आज टूट गया. इन कर्मियों ने अपने ही चैनल पर सेलरी संकट की खबर चलाlते हुए चैनल का प्रसारण रोक दिया. साथ ही कई महीनों की बकाया सेलरी देने की मांग करते हुए चैनल के निदेशक केसर सिंह को उनके केबिन में ही बंधक बना लिया. कर्मचारियों का आरोप है कि केसर सिंह गुपचुप तरीके से चैनल बंद कर भागने और बकाया सेलरी हड़पने की फिराक में थे.

चैनल बंद कर भाग रहे निदेशकों को पी7 न्यूज कर्मचारियों ने घेरा, आफिस में बवाल

नोएडा से खबर है कि पी7 न्यूज चैनल बंद करके भाग रहे निदेशकों को मीडियाकर्मियों ने घेर लिया है. कई महीने से सेलरी न मिलने से नाराज मीडियाकर्मी चैनल के निदेशकों केसर सिंह आदि को उनके केबिन से बाहर नहीं निकलने दे रहे हैं. मीडियाकर्मियों का आरोप है कि चैनल के निदेशकगण सेलरी न देने और बकाया पैसा हड़पने के इरादे से गुपचुप तरीके से चैनल बंद कर फरार होने की तैयारी कर रहे थे.

पी7 न्यूज में हड़ताल, प्रसारण ठप, कई माह से सेलरी न मिलने के कारण लेबर कोर्ट गए कर्मी

 

पीएसीएल समूह की मीडिया कंपनी पर्ल मीडिया के न्यूज चैनल पी7 न्यूज से बड़ी खबर आ रही है कि यह चैनल मीडियाकर्मियों की हड़ताल के कारण बंद हो गया है. कई महीनों से सेलरी न मिलने के कारण चैनल का प्रसारण कर्मियों ने रोक दिया है. पी7 न्यूज चैनल में कार्यरत एक मीडियाकर्मी ने जानकारी दी कि पीएसीएल के चिटफंड के कारोबार पर सीबीआई, सेबी, इनकम टैक्स समेत कई विभागों के छापे व सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण बुरा असर पड़ा है.

मजीठिया को लेकर नवभारत छत्तीसगढ़ में हड़ताल जारी, प्रबंधन की तरफ से कोई सकारात्मक पहल नहीं

एडिटर, भड़ास4मीडिया, महोदय, आपने नवभारत रायपुर-बिलासपुर (छत्तीसगढ़) संस्करण में हो रहे गोलमाल को अपनी वेबसाइट में स्थान दिया, उसके लिये नवभारत प्रेस का स्टॉफ आपका शुक्रगुजार है. प्रबंधन की ओर से सोमवार 11 अगस्त को भी कोई पहल नहीं की गई जिससे उसकी संवेदनहीनता का पता चलता है. इसके बाद भी कर्मचारियों में आस है.

मजीठिया को लेकर नवभारत (छत्तीसगढ़) के कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर, पढ़िए प्रेस रिलीज

मजीठिया वेतनमान आयोग की सिफारिशों को अखबार के मालिक लागू नहीं कर रहे हैं. कुछ घरानों ने लागू भी किया है तो आधे अधूरे मन से. इस बीच कई नए डेवलपमेंट हो रहे हैं जो आम मीडियाकर्मियों के खिलाफ है. इन्हीं सब हालात के कारण छत्तीसगढ़ के नवभारत अखबार के कर्मचारियों ने शनिवार के दिन बेमियादी हड़ताल कर दिया. इस हड़ताल के दौरान कर्मचारियों ने एक प्रेस रिलीज बनाकर भड़ास4मीडिया के पास भेजा है, जिसे हूबहू प्रकाशित किया जा रहा है. -एडिटर, भड़ास4मीडिया