उपेंद्र राय की सहारा समूह में वापसी, पढ़ें सर्कुलर

उपेंद्र राय की सहारा समूह के मीडिया वेंचर में वापसी हो गई है. उपेंद्र राय का पद सीनियर एडवाइजर का बताया गया है लेकिन उनकी प्रोफाइल सीईओ और एडिटर इन चीफ वाली ही है. उन्हें प्रिंट और इलेक्ट्रानिक दोनों मीडिया के संपादकीय, वित्तीय, एचआर आदि समस्त विभागों का अधिकार दिया गया है.

चंद्रकांता के तिलिस्म से कम नहीं है सहारा का मायाजाल!

सहारा का तिलिस्म चंद्रकांता उपन्यास से कहीं कम नहीं है। ज्यों ज्यों इसकी परतें खुल रही हैं त्यों-त्यों रहस्य गहराता जा रहा है। देश में कानून को लेकर बड़ी बड़ी मिसाल दी जाती है पर बिहार में नटवरलाल के नाम से प्रसिद्ध सुब्रत राय ने देश के कानून को भी ठेंगा दिखा रखा है। न …

क्या सहारा के निवेशकों का पैसा छल से दूसरे लोग निकाल रहे हैं?

सहारा समूह लगता है विस्फोट के मुहाने पर खड़ा है. निवेशकों और एजेंटों का पैसा रिलीज न किए जाने से देश भर में लाखों लोग बेहद परेशान हैं और इनके बीच तरह तरह की चर्चाएं चलने लगी हैं. पिछले दिनों सहारा के इंप्लाइज, निवेशकों और एजेंटों ने एक यूनियन बनाकर विरोध प्रदर्शन लखनऊ में किया …

सहारा समूह के खिलाफ निवेशकों और एजेंटों का ‘भिक्षाटन’ आंदोलन जारी, देखें तस्वीरें

सहारा समूह अपने निवेशकों और एजेंटों का पैसे दबाए है. भुगतान न मिलने से नाराज निवेशक और एजेंट सड़क पर उतर चुके हैं. पटना में आज 20 जुलाई को सहारा के कार्यकर्ताओं एवं जमाकर्ताओं ने बोरिंग रोड स्थित जोनल आफिस ‘सहारा विहार’ के नीचे इकट्ठा होकर नायाब तरीके से विरोध जताया. इन लोगों ने भिक्षाटन …

सहारा समूह के खिलाफ हजारों निवेशकों-एजेंटों ने किया प्रदर्शन, मीडिया से खबर ग़ायब (देखें वीडियो)

आप कल्पना कर सकते हैं कि किसी बड़ी कंपनी में पैसे लगाने और लगवाने वाले हजारों लोग लखनऊ जैसे शहर में इकट्ठे हो जाएं, विरोध प्रदर्शन करें, नारेबाजी करें, कंपनी के प्रतिनिधियों से वार्ता करें और इसकी खबर मीडिया वाले दबा जाएं. आज की पेड मीडिया की यही हकीकत है. न्यूज चैनल हों या अखबार, …

‘सहारा’ का खेल हुआ जानलेवा, फ्रेंचाइजी प्रमुख के सुसाइड की खबर भास्कर में छपी

दैनिक भास्कर ने सहारा के फ्रेंचाइजी प्रमुख की सुसाइड की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया है. सहारा समूह द्वारा पैसे न दिए जाने और निवेशकों द्वारा लगातार पैसे मांगने से परेशान फ्रेंचाइजी प्रमुख ने अपने ही आफिस में फांसी लगाकर जान दे दी थी.

सहारा कर्मी बकाया वेतन के लिए सुब्रत राय को न्यायालय परिसर में घेरेंगे!

सहारा समूह प्रमुख सुब्रत राय 28 फरवरी को अदालत में पेश होने से पहले रास्ते में ही बकायदारों की अदालत में घिर सकते हैं। खबर है कि अपने बकाया वेतन के लिए संघर्ष कर रहे सहारा के कर्मचारियों ने अदालत में दाखिल होने से पहले ही सहारा श्री को घेर कर तकाजा करने की योजना …

सहारा समूह में आर्थिक संकट, मैनेजर ने की आत्महत्या

सहारा समूह अंदर ही अंदर खदबदा रहा है. पैसे जमा करने वाले निवेशकों अपने धन के लिए रो रहे हैं. वहीं अब मैनेजर और एजेंट भी परेशान हाल घूम रहे हैं. मध्य प्रदेश में एक मैनेजर कम एजेंट के सुसाइड करने की खबर है.

सहारा के एजेंट-निवेशक पैसा न लौटाए जाने से हुए आक्रामक, देखें वीडियो

सहारा समूह दिन ब दिन मुश्किल हालात की ओर बढ़ रहा है. एजेंटों और निवेशकों का दबाव बढ़ता जा रहा है. ये अपना पैसा मांग रहे हैं. सहारा वाले उन्हें उनके पैसे को री-इनवेस्ट किए जाने का लालीपाप देकर भगा दे रहे हैं.

सहारा-सेबी सांठगांठ : इनकी नौटंकी से लाखों निवेशकों को आज तक नहीं मिली फूटी कौड़ी

प्रॉपर्टी के खरीददार नहीं मिलने का करते हैं दिखावा मुंबई। सहारा ग्रुप के मालिक घोटालेबाज सुब्रत रॉय और सेबी की सांठगांठ की वजह से उसकी अरबों की प्रॉपर्टी जब्त नहीं हो पाई है। इसकी वजह से लाखों निवेशकों को आज तक फूटी कौड़ी नहीं मिली, लेकिन सेबी के माध्यम से सरकार की भी निवेशकों के …

सहारा इंडिया अपने एजेंटों, फील्ड वर्करों और मोटीवेटरों को अपना कर्मचारी नहीं मानता!

सहारा इंडिया के चेयरमैन सुब्रत रॉय एक बड़ी खबर सहारा इंडिया कंपनी से आ रही है. कंपने कोर्ट में यह लिखकर दे दिया है कि उसका अपने कमीशन एजेंटों, फील्ड वर्करों और मोटीवेटरों से कोई संबंध नहीं है.

सहारा मीडिया में फिर सेलरी संकट, अरुप घोष से कर्मियों का भरोसा उठा

सहारा मीडिया से खबर है कि वहां सेलरी संकट फिर गहरा गया है. सीईओ बनकर जबसे अरुप घोष आए हैं, चीजें दिन ब दिन बिगड़ती ही जा रही हैं. सहारा से जुड़े कई लोगों ने भड़ास को मेल और ह्वाट्सअप के जरिए बताया है कि तीन-तीन महीने के बाद आधी-अधूरी सेलरी आ रही है. लोग …

मनोज मनु नहीं दे रहे मेरा बकाया पैसा… सहारा समय के टीवी जर्नलिस्ट ने लिखा गौतम सरकार को पत्र

गौतम सरकार सर नमस्कार मेरा नाम तहसीन ज़ैदी है.. मैंने सहारा समय में साल 2003 से साल 2015 तक रहकर भोपाल, रायपुर, चंडीगढ़ और जयपुर में कोर्डिनेटर से लेकर ब्यूरो चीफ तक के पद पर पूरे 14 साल सेवा की है… मैं कंपनी को आधी सैलरी मिलने के बावजूद छोड़ना नहीं चाह रहा था लेकिन …

मांगा था मजीठिया का हक, इसलिए नहीं छापा निधन का समाचार

जिनके साथ 25 साल गुजारा उनका भी मर गया जमीर, नहीं शामिल हुए अंतिम यात्रा में, यह है सहारा परिवार का सच…  वाराणसी : सहारा समूह के हुक्मरान सुब्रत राय सहारा एक तरफ जहां सहारा को एक कंपनी नहीं बल्कि परिवार मानने का दंभ भरते हैं, वहीं इसी सहारा समूह के पत्रकार रह चुके जयप्रकाश श्रीवास्तव के निधन की एक लाईन की खबर इसलिये राष्ट्रीय सहारा अखबार में नहीं लगायी गयी क्योंकि जयप्रकाश ने अखबार प्रबंधन से जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार अपना बकाया मांग लिया था।

राष्ट्रीय सहारा अखबार के वरिष्ठ पत्रकार कुणाल ने कर दी ये भयंकर गलती, मचा हाहाकार

राष्ट्रीय सहारा अखबार के नेशनल ब्यूरो हेड और राजनीतिक संपादक कुणाल ने एक बड़ी गलती कर दी है. इसे लेकर पूरे समूह में हाहाकार मचा हुआ है. ह्वाट्सअप पर सहारा मीडिया के न्यूज चैनलों और अखबारों के मीडियाकर्मियों का एक आफिसियल ग्रुप ‘समय रिपोर्टर्स’ के नाम से संचालित किया जाता है. इस ग्रुप में सहारा में काम करने वाली महिला मीडियाकर्मी भी शामिल हैं. कल रात इसी ग्रुप पर कुणाल की तरफ से दस सेकेंड का एक पोर्न वीडियो डाल दिया गया. इसके बाद तो हड़कंप मच गया.

सहारा में प्रबुद्ध राज को राजस्थान और एनसीआर की भी जिम्मेदारी, विमलेंदु राजस्थान चैनल के इनपुट हेड बने

सहारा मीडिया से खबर है कि सहारा समय चैनल में प्रबुद्ध राज की कद बढ़ा दिया गया है. वे अब सहारा समय बिहार-झारखंड रीजनल न्यूज चैनल के अलावा राजस्थान और एनसीआर चैनल के भी हेड बना दिए गए हैं. वहीं सहारा के पत्रकार विमलेन्दु को राजस्थान चैनल का इनपुट हेड बनाया गया है. विमलेन्दु इससे …

सहारा प्रकरण : देश के उद्यमियों के साथ आतंकवादियों जैसा व्यवहार मत करिए

सहारा-सेबी केस विश्व के आधुनिक न्यायिक इतिहास में अपनी तरह का अकेला मामला है जिसमें न सिर्फ निर्धारित कानूनी प्रावधानों का उलंघन किया गया बल्कि नियामक संस्थाओं का पक्षपातपूर्ण रवैया भी स्पस्ट रूप से सामने आया। जैसा कि 2 मार्च 2014 को पंजाब केसरी ने अपने सम्पादकीय में उल्लेख किया था कि 2004 में यूपीए सरकार बनने के बाद एक केबिनेट मंत्री को देश के दो प्रतिष्ठित लोगों (मा. मोदी जी और मा. सहाराश्री) को नेस्तनाबूद करने का टास्क दिया गया था।

सुब्रत राय पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, एंबी वैली बेचने और कोर्ट में हाजिर होने के आदेश

सुप्रीम कोर्ट से सुब्रत रॉय को तनिक भी राहत नहीं मिली. कोर्ट ने 34,000 करोड़ रुपये वाली एंबी वेली को बेचने का आदेश कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट एंबी वैली की नीलामी की देखरेख के लिए ने बॉम्बे हाईकोर्ट को कहा है. कोर्ट ने सहारा को आदेश दिया है कि अगले 48 घंटों में एंबी वैली से जुड़ी सभी जानकारी सौंपे. कोर्ट आदेश में कहा गया है कि सेबी और बॉम्बे हाईकोर्ट कोर्ट सभी कागजात मिलते ही नीलामी प्रक्रिया शुरू कर दें. सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रत रॉय सहारा को आदेश दिया है कि वह 28 अप्रैल को कोर्ट में पेश हों.

सहारा प्रबन्धन के खिलाफ जुलूस : सहारा टॉवर, सहारा शहर और ओपी श्रीवास्तव के घर के सामने हुआ प्रदर्शन

लखनऊ। सहारा प्रबन्धन के खिलाफ आज उत्पीड़ित और शोषित सैकड़ों कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर विरोध रैली निकालकर सहारा टावर कपूरथला, सहारा शहर और वायरलेस चैराहा स्थित ओ0पी0 श्रीवास्तव के आवास के समक्ष जोरदार प्रदर्शन किया। सहारियन कामगार संगठन उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष ऋषि कुमार त्रिवेदी के नेतृत्व में सहारा स्टेट जानकीपुरम से सैकड़ों की संख्या में कर्मियों की शुरू हुयी विरोध रैली जैसे ही कपूरथला स्थित सहारा कार्पोरेट कार्यालय पहंची, जोरदार प्रदर्शन शुरू कर दिया गया। इस विरोध प्रदर्शन के दौरान सहारा कार्यालय में मौजूद अन्य सभी कर्मी भी बाहर निकल आये और प्रदर्शनकारियों के साथ प्रबन्धन के खिलाफ जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी।

सुप्रीम कोर्ट हुआ सख्त- पैसे न दिए तो एंबी वैली नीलाम कर देंगे

सुप्रीम कोर्ट ने सहारा मामले में अपने फरवरी के आदेश को संशोधित कर दिया है… सहारा को अब सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री के मुकाबले सेबी-सहारा खाते में रकम जमा करानी होगी.. सुप्रीम कोर्ट ने सहारा को चेताते हुए कहा अगर उसने पैसे नहीं जमा कराए तो एंबी वैली को नीलाम कर देंगे… सहारा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फरवरी के आदेश को संशोधित करते हुए समूह के न्यूयॉर्क स्थित होटल की नीलामी से मिलने वाली रकम को सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में जमा कराए जाने के बदले सेबी-सहारा के संयुक्त खाते में जमा कराने का आदेश दिया है…

छेड़छाड़ में मनोज मनु, गौतम सरकार और रमेश अवस्थी के खिलाफ FIR के आदेश

सेक्सुअल हरासमेंट मामले में सहारा मीडिया को बड़ा झटका… मनोज मनु, गौतम सरकार और रमेश अवस्थी हैं बड़े पदों पर आसीन…

दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने सेक्सुअल हरासमेंट के केस में शुक्रवार 10.1.2017 को ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है… सेक्सुअल हरासमेंट के एक मामले में सहारा मीडिया के मनोज मनु, गौतम सरकार और रमेश अवस्थी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं… इन पर आरोप है कि ये लोग अपनी घिनौनी करतूत छिपाने के लिए पीड़ित महिला को लगातार धमकाते रहे… साथ ही पुलिस को भी मैनेज करते रहे…

जेल न भेजा जाना सुब्रत रॉय की जीत है

सर्वोच्च अदालत ने भले ही ऐम्बी वैली टाउनशिप जब्त करने का आदेश दे दिया हो और मीडिया वाले इसे सहारा के लिए झटका बता रहे हैं पर सच्चाई ये है कि अगर सुब्रत राय को जेल नहीं भेजा गया है तो फिर यह कोर्ट की हार और सुब्रत राय की जीत है. हालांकि सुब्रतो रॉय को 27 फरवरी तक ही राहत मिली है. उस दिन फिर सुनवाई होगी. यानि फिर भी सहारा पर लटकी है तलवार. पर आज की सुनवाई को लेकर देश भर के लोगों की निगाह इस बात पर थी कि क्या सुप्रीम कोर्ट फिर से सुब्रत राय को जेल भेजेगा. जेल न भेजे जाने और ऐम्बी वैली टाउनशिप जब्त किए जाने की खबर सामने आने पर मिली जुली प्रतिक्रिया रही. कुछ लोगों ने इसे सुब्रत राय की जीत बताया क्योंकि वे जेल नहीं गए तो कुछ लोगों ने सबसे कीमती टाउनशिप को जब्त किए जाने को सहारा के लिए बड़ा झटका करार दिया.

मीडिया में छंटनी : एक-एक कर सबका नंबर आने वाला है, हक के लिए हुंकार भरें मीडियाकर्मी!

सुना है कि एबीपी ग्रुप ने 700 मीडियाकर्मियों से इस्तीफा लिखवा लिया है। दैनिक भास्कर में भी पुराने कर्मचारियों से इस्तीफा लिखवाया जा रहा है। दमन का यह खेल पूरे मीडिया जगत में चल रहा है। मजीठिया वेज बोर्ड की वजह से प्रिंट मीडिया में कुछ ज्यादा ही कहर बरपाया जा रहा है। चाहे राष्ट्रीय सहारा हो, दैनिक जागरण हो, हिन्दुस्तान हो या फिर अमर उजाला लगभग सभी समाचार पत्रों में कर्मचारियों में आतंक का माहौल बना दिया गया है।

सहारा को झटका : सुप्रीम कोर्ट ने एंबी वैली अटैच करने का आदेश दिया

सहारा के मामले पर सुप्रीम ने बड़ा फैसला सुनाया है. सुब्रत राय को तगड़ा झटका देते हुए एंबी वैली अटैच करने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने 27 फरवरी को इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख दी है. सुब्रत रॉय और सहारा ग्रुप को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है.

सहारा का हाल : अय्याशी के लिए पैसा है पर कर्मचारियों के लिए नहीं!

चरण सिंह राजपूत

सुना है कि पैरोल पर जेल से छूटे सहारा के चेयरमैन सुब्रत राय ने 18 जनवरी की शाम को दिल्ली के मौर्य होटल में भव्य कार्यक्रम आयोजित कर अपनी शादी की वर्षगांठ मनाई। इस कार्यक्रम में करोड़ों का खर्च किया गया। जनता के खून-पसीने की कमाई पर मौज-मस्ती करना इस व्यक्ति के लिए कोई नयी बात नहीं है। गत दिनों लखनऊ में अपनी पुस्तक ‘थिंक विद मी’ के विमोचन पर भी करोड़ों रुपए बहा दिए। अखबारों में विज्ञापन छपवाया कि देश को आदर्श बनाओ, भारत को महान बनाओ। दुर्भाग्य देखिए, यह सुब्रत राय अपनी संस्था और अपने आप को तो आदर्श व महान बना नहीं पाए लेकिन देश को आदर्श और महान बनाने चल पड़े हैं। गरीब जनता को ठगेंगे। कर्मचारियों का शोषण और उत्पीड़न करेंगे पर देशभक्ति का ढकोसला करेंगे। यह व्यक्ति कितना बड़ा नौटंकीबाज है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यदि आप सहारा के कार्यालयों में जाएंगे तो आपको वहां पर भारत माता की तस्वीर दिखाई देगी।

हाड़ कंपाती ठंड में सहारा के मेन गेट पर बैठे ये बर्खास्त 25 कर्मी किसी को नहीं दिख रहे!

किसी को नहीं दिखाया दे रहा सहारा का यह अन्याय… नोएडा में बड़ी संख्या में राजनीतिक व सामाजिक संगठन हैं। ट्रेड यूनियनें भी हैं। देश व समाज की लड़ाई लड़ने का दंभ भरने वाले पत्रकार भी हैं। पर किसी को इस हाड़ कंपाती ठंड में गेट पर बैठे बर्खास्त 25 कर्मचारी नहीं दिखाई दे रहे हैं। 17 महीने का बकाया वेतन दिए बिना सहारा प्रबंधन ने इन असहाय कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया पर इनकी पीड़ा समझने को कोई तैयार नहीं।

सहारा मीडिया में सेलरी संकट से त्रस्त कर्मियों ने शुरू किया मेन गेट पर धरना-प्रदर्शन (देखें वीडियोज)

सहारा मीडिया के नोएडा स्थित मुख्य आफिस के गेट पर सहारा कर्मियों ने सेलरी के लिए धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है. कई महीने की सेलरी दबाए बैठे सहारा प्रबंधन ने अपने कर्मियों को भूखे मरने के लिए छोड़ दिया है. इससे परेशान कई कर्मचारी अब गेट पर धरना प्रदर्शन शुरू कर चुके हैं. दूसरे मीडिया हाउसेज इस आंदोलन को इसलिए कवर नहीं कर रहे क्योंकि चोर चोर मौसेरे भाई के तहत वे एक दूसरे के घर में चलने वाले उठापटक को इग्नोर करते हैं. धरना प्रदर्शन सात जनवरी से चल रहा है. धरने में करीब 25 कर्मचारी खुल कर हिस्सा ले रहे हैं.

स्वामी अग्निवेश ने खोला सहारा के खिलाफ मोर्चा!

राष्ट्रीय सहारा में टर्मिनेट किए गए कर्मचारियों को फोन पर किया संबोधित, डीएम को लिखा पत्र

सहारा मीडिया में हो रहे शोषण और उत्पीड़न के खिलाफ समाज सुधारक और बंधुआ मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी अग्निवेश ने मोर्चा खोल दिया है। जहां उन्होंने नोएडा के सेक्टर 11 स्थित राष्ट्रीय सहारा के मेन गेट पर चल रहे बर्खास्त 25 कर्मचारियों के धरने को मोबाइल फोन से संबोधित किया, वहीं इस मामले को लेकर गौतमबुद्धनगर के जिलाधिकारी को पत्र भी लिखा है। अपने संबोधन में उन्होंने कर्मचारियों को आश्वस्त किया कि उनके हक की लड़ाई सड़क से लेकर संसद तक लड़ी जाएगी। 17 माह का बकाया वेतन रहते हुए कर्मचारियों की बर्खास्तगी को उन्होंने अपराध करार दिया।

सहारा मीडिया प्रबंधन ने 25 कर्मियों की नौकरी ले ली

चरण सिंह राजपूत की रिपोर्ट…

सहारा अपनी ऐबदारी से बाज नहीं आ रहा है। जहां कर्मचारियों को 12-17 महीने का बकाया वेतन देने को तैयार नहीं वहीं सुप्रीम कोर्ट आदेश के बावजूद प्रिंट मीडिया को मजीठिया वेजबोर्ड के हिसाब से सेलरी। साथ ही कर्मचारियों का दूर-दूराज स्थानांतरण कर नौकरी छोड़ने को मजबूर कर रहा है। वह भी बिना बकाया वेतन भुगतान किए। राष्ट्रीय सहारा में हक की आवाज उठाने वाले 22 कर्मचारियों को पहले की बर्खास्त कर दिया गया था कि बिना कारण बताए कॉमर्शियल प्रिंटिंग में काम कर रहे 25 कर्मचारियों की सेवा आज समाप्त कर दी गई। इन कर्मचारियों का दोष बस इतना था कि इन लोगों ने अपना 17 महीने का बकाया वेतन मांगा था।

सहारा की डायरी : नेताओं को अरबों रुपए रिश्वत देने वाले गलत तरीके से खुद कितने रुपए कमाते होंगे!

तोड़ना ही होगा सहारा व नेताओं का गठजोड़

कारपोरेट घरानों और नेताओं के गठजोड़ ने देश की राजनीति की ऐसी की तैसी कर दी है। कारपोरेट घरानों और नेताओं ने मिलकर व्यवस्था को ऐसे कब्जा रखा है कि आम आदमी सिर पटक-पटक कर रह जा रहा है। जनता के चंदे से चुनाव लड़ने वाले दल अब पूंजीपतियों के पैसों से चुनाव लड़ते हैं तथा चुनाव जीतकर उनके लिए ही काम करते हैं। जनता की भावनाओं से खिलवाड़ करने का खेल तो बहुत लंबे समय से चल रहा है पर सहारा की डायरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुजरात के मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए पैसा लेने की लिस्ट में नाम आने से मामला गरमाया है।

सहारा प्रमाण, यहां आगे बढ़ने का एकमात्र फार्मूला चरणवंदना और वरिष्ठों को अय्याशी कराना है!

सहारा के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच बैठाएं प्रधानमंत्री : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और स्वराज इंडिया पार्टी के नेता तथा सुप्रीम कोर्ट के प्रख्यात वकील प्रशांत भूषण के बाद अब कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर गुजरात के मुख्यमंत्री रहते सहारा समूह से रिश्वत लेने के आरोप लगाए हैं। सत्ता पक्ष और विपक्ष भले ही इसे राजनीतिक स्तर पर देख रहा हो पर मेरा मानना है कि हम लोग इस मामले को इस तरह से देखें कि एक संस्था की वजह से हमारे देश के प्रधानमंत्री का नाम बदनाम हो रहा है।

मोदी भी क्या सुब्रत राय के चंगुल में फंसे थे?

सहारा के चंगुल से कौन बड़ा राजनेता बचा है? कैश ही सहारा की सबसे बड़ी ताकत… मोदी भी क्या सुब्रत राय सहारा के चंगुल में फंसे थे? ये सवाल इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि देश भर के जब सारे चिटफंडियों जैसे रोजवैली की संपत्ति कुर्क की जा रही है, चिटफंड कंपनी के निदेशकों को जेल की सलाखों के पीछे डाला जा रहा है, निचली अदालतों से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक किसी भी चिटफंडियों को जमानत तक नहीं दे रहा है तो सहाराश्री आखिर किस तरह रियायत पाते जा रहे हैं.

सहारा पर मोदी की चुप्पी देशद्रोह! भड़ास के सवालों पर भी मौन है मोदी सरकार

राहुल गांधी ने सहारा पर मोदी से अपने सवालों का सीधा जवाब मांगा. भड़ास ने तो सबसे पहले यह सवाल उठाया था कि आखिर क्यों जब सारे चिटफंडिये जेल की सलाखों के पीछे पहुंच चुके हैं तो सहारा और एक-दो चिटफंडियों पर रियायत क्यों? गरीबों के मसीहा बने मोदी सरकार क्यों इस मामले में दरियादिली दिखा रहे हैं. जबकि सहारा मीडिया कर्मचारी भी अपनी सैलरी के लिए सहाराश्री की पोल खोलते हुए सत्ता के तमाम दरवाजों को खटखटा चुके हैं.

सहारा समूह ने छह महीने में नौ बार दिए नरेंद्र मोदी को करोड़ों रुपये : राहुल गांधी

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आखिरकार बम फोड़ ही दिया. उन्होंने आज मेहसाणा (गुजरात) में आयोजित एक रैली में कहा कि सहारा समूह पर पड़े छापे के बाद छह महीने में सहारा समूह के लोगों ने नरेंद्र मोदी को नौ बार करोड़ों रुपए दिए. मोदी को सहारा के बाद बिड़ला ग्रुप के लोगों ने भी पैसे दिए. इसकी पूरी जानकारी तारीख-दर-तारीख और विस्तार से मौजूद है.

सुब्रत राय ये पैसा अपने पास से दे रहे हैं या गरीबों से वसूली गयी रकम से?

चिटफंडिये, मीडिया और मोदी सरकार, जवाबदेही किसकी…. : देश के गरीबों का पैसा मारने वाले चिटफंडियों के मसीहा बन चुके सुब्रत राय सहाराश्री जेल के बाहर हैं. रिहाई के बदले सहाराश्री से सुप्रीम कोर्ट सैकड़ों करोड़ जमा कराते जा रही है. बड़ा सवाल है कि ये पैसा क्या सुब्रत राय सहाराश्री अपने पास से दे रहे हैं या फिर गरीबों से ही नये तरीके से वसूली जा रही रकम में से ही एक हिस्सा जमा कराई जा रही है. बेल पर बाहर सहाराश्री फिर से अपना जाल बिछाने में लग गये हैं. जिसके लिए कई राज्यों की राजधानी में ग्लैमर शो आयोजित किये जा रहे हैं. नेताओं और अधिकारियों को इसमें मेहमान बनाया जा रहा है. खुलेआम ये खेल उस मोदी सरकार के नाक के नीचे चल रहा है, जो दावा करती है कि ना खायेंगे ना खाने देंगे. मोदी सरकार अदालतों को दोषी ठहरा कर पल्ला नहीं झाड़ सकती क्योंकि निचली से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक की अदालतें चिटफंडियों को अब जमानत पर रिहा नहीं होने देती हैं.

ये सहारा वाले कब से देशभक्त हो गए!

सहाराकर्मी इस ढकोसले का विरोध करें : सहारा का नाम सामने आते ही संस्था के चेयरमैन सुब्रत राय का चेहरा सामने आने लगता है। यह वह शख्स है जिसने जनता, बॉलीवुड, विधायिका, कार्यपालिका, मीडिया सबको छकाया और अब न्यायपालिका का बेवकूफ बनाने चला था कि आ गया गिरफ्त में। लंबे समय तक जेल में रहने के बाद अपनी मां के निधन पर पैरोल पर बाहर आया हुआ है। जनता से ठगे पैसे वसूलने के लिए सुप्रीम कोर्ट थोड़ी बहुत राहत भी दे रहा है। अगले माह फिर से 600 करोड़ रुपए देने हैं नहीं तो फिर से जेल जाना पड़ेगा। इतना सब कुछ होने पर यह शख्स अपनी ऐबदारी से बाज नहीं आया। जिन कर्मचारियों ने इसकी तानाशाही का विरोध कर अपना हक मांगा, उन्हें या तो नौकरी से निकाल दिया या फिर हतोत्साहित करने के लिए कहीं-दूर स्थानांतरण करवा दिया।

सहारा मीडिया से रणविजय सिंह को टर्मिनेट किए जाने की खबर!

सहारा मीडिया से एक बड़ी सूचना है कि दशकों से वरिष्ठ पदों पर कार्यरत रहे रणविजय सिंह को प्रबंधन ने टर्मिनेट कर दिया है. उन्हें काफी समय से अधिकार विहीन कर साइडलाइन कर दिया गया था. सूत्रों का कहना है कि रणविजय सिंह पर कई किस्म के आरोप थे जिसमें पद का दुरुपयोग करते हुए महिलाओं का शोषण करना भी शामिल है. उन पर अवैध संपत्ति बनाने और आर्थिक भ्रष्टाचार करने के भी आरोप हैं. उनको लेकर सहारा में आंतरिक जांच कराई गई जिसमें वह सहारा मीडिया के लिए अयोग्य पाये गये. उन पर स्टाफ में असंतोष को बढ़ावा देने का भी आरोप लगाया गया. बताया जा रहा है कि सुब्रत राय के खासमखास ओपी श्रीवास्तव उनसे इन दिनों सख्त नाखुश थे. चर्चा है कि तीन चार बड़े विकेट और गिरेंगे बहुत ज़ल्द. उधर, रणविजय खुद यह दावा कर रहे हैं कि उन्हें टर्मिनेट नहीं किया गया, बल्कि वह खुद हटे हैं. 

सहारा मीडिया में उपेन्द्र राय द्वारा कांट्रैक्ट पर रखे गए सभी 89 लोग टर्मिनेट

सहारा मीडिया ग्रुप (राष्ट्रीय सहारा और सहारा समय न्यूज चैनल) से एक बड़ी खबर आ रही है. उपेन्द्र राय ने अपने छोटे से कार्यकाल में संपादक से लेकर यूनिट हेड, डिप्टी न्यूज एडिटर, विशेष संवाददाता, प्रमुख संवाददाता आदि पदों करीब 89 लोग भर्ती किए थे जिन्हें टर्मिनेट कर दिया गया है. इन दिनों सहारा प्रबंधन उपेंद्र राय से सख्त नाराज चल रहा है क्योंकि उन्होंने जो वादे किए थे, वो पूरे नहीं किए, उलटे अपनी ब्रांडिंग खूब कर ली और अपने खास लोगों को जमकर ओबलाइज कर दिया.

सहारा ने अपने 21 मीडियाकर्मियों को किया बर्खास्त, देखें पूरी लिस्ट

सुब्रत राय के तिहाड़ जेल से बाहर आने के बाद सहारा मीडिया के कर्मियों का कोई खास भला तो हुआ नहीं, हां, थोक के भाव नौकरियां जरूर जाने लगी हैं. ताजी जारी लिस्ट में 21 मीडियाकर्मियों के नाम पद का जिक्र करते हुए इन्हें बर्खास्त किए जाने की सूचना दी गई है. भड़ास के पास आई इस सूची में कई संपादकीय के लोग हैं तो कई अन्य डिपार्टमेंट के. सात लोग सहारा के ‘समय’ न्यूज चैनल से हैं तो 14 लोग सहारा प्रिंट मीडिया से.

सहारा में एक महीने की सेलरी मिली, हड़ताली दो-फाड़, अंदरखाने उठापटक तेज

सहारा मीडिया में सेलरी के लिए हड़ताल किए जाने का फल सामने आया है. सभी को एक महीने की सेलरी मिल गई है लेकिन यह एक महीने की सेलरी उंट के मुंह में जीरे के समान है. करीब साल भर से सबकी सेलरी बकाया है. एक महीने की सेलरी देने के बाद सहारा प्रबंधन ने इशारा कर दिया है कि जिसे काम करना है काम करे या फिर जिसे जाना हो वो चले जाए, आगे सेलरी मिलने की कोई संभावना नहीं दिख रही है. उधर, एक माह की सेलरी मिलने के बाद हड़ताली भी दो फाड़ हो गए हैं. प्रिंट वाले कह रहे हैं कि एक महीने की सेलरी से कुछ नहीं होता, कम से कम दो-तीन महीने की सेलरी मिलने पर ही हड़ताल खत्म करने पर विचार किया जाएगा. जबकि टीवी वाले एक माह की सेलरी पर ही खुश होकर हड़ताल खत्म करते हुए काम पर निकल पड़े हैं.

सहाराकर्मियों ने 2 जून तक मांगा वेतन और बकाये के लिये पीडीसी चेक, अन्यथा 3 जून से हड़ताल

सहारा मीडिया (राष्ट्रीय सहारा हिन्दी, उर्दू और सहारा टीवी) के कर्मचारियों ने उच्च प्रबंध तंत्र और समूह संपादक विजय राय के अलावा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, उप श्रमायुक्त नोयडा, जिलाधिकारी और एसएसपी नोयडा को पत्रक भेजकर 2 जून तक मई माह का नकद वेतन और बकाया वेतन के लिये पीडीसी चेक की मांग की है जिससे समय आने पर वह अपने बकाया धनराशि का भुगतान ले सकें अन्यथा 3 जून को वह हड़ताल पर जाने को बाध्य होंगे.

उपेंद्र राय और सहारा मीडिया ने खूब चूतिया बनाया इन कर्मियों को!

एक कहावत है कि मछली मर जाती है लेकिन उसकी गंध मरने के बाद भी पीछा नहीं छोड़ती। कुछ ऐसा ही हाल उपेंद्र राय का है। उनके जाने के बाद भी उनकी दुर्गंध से सहारा मीडिया के लोग बेहाल हैं। उपेंद्र राय ने अपने समय में राष्ट्रीय सहारा से आंदोलनकारी लोगों को सेफ एग्जिट प्लान के तहत संस्थान से बाहर निकल जाने को कहा। इस प्लान के तहत संस्था को अलविदा कहने वाले कर्मचारियों को कोई न्याय नहीं मिल रहा है। इस कारण इन कर्मचारियों के अंदर भारी बेचैनी है।

उपेंद्र राय ने सीईओ और एडिटर इन चीफ पद से इस्तीफा दिया

जब मालिक पैसे नहीं देगा तो सीईओ और एडिटर इन चीफ क्या कर लेगा. लंबे समय के जद्दोजहद के बाद उपेंद्र राय ने इस्तीफा दे दिया. बात वही थी. सुब्रत राय फंड रिलीज नहीं कर रहे थे और कर्मचारियों की सेलरी की डिमांड बढ़ती जा रही थी. ऐसे में रोज रोज के किच किच से तंग आकर उपेंद्र राय ने ग्रुप एडिटर इन चीफ और ग्रुप सीईओ के दोनों पदों से इस्तीफा दे दिया है. सहारा के उच्च पदों पर आसीन लोगों ने इस खबर को कनफर्म किया है. यह भी बताया जा रहा है कि अभिजीत सरकार को अब सहारा मीडियाा की भी पूरी जिम्मेदारी दे दी गई है.

राष्ट्रीय सहारा में हड़ताल के कारण मास्टर एडिशन छपा

राष्ट्रीय सहारा में कल हड़ताल होने के कारण प्रबंधन किसी तरह मास्टर एडिशन छापने में कामयाब रहा. बताया जा रहा है कि नोएडा में मास्टर पेज तैयार कर उसे लखनऊ व अन्य सेंटरों को भेज दिया गया. लखनऊ से सूचना है कि वहां हड़ताल के कारण राष्ट्रीय सहारा की फाइल कापी यानि मास्टर एडिशन ही प्रकाशित करना पड़ा. इस फाइल कापी में लखनऊ की एक भी खबर नही हैं. ऐसा ही अन्य सेंटर्स पर भी हुआ.

सेलरी न मिलने पर राष्ट्रीय सहारा अखबार की कई यूनिटों में हड़ताल

सहारा मीडिया से बड़ी खबर आ रही है कि साल भर से सेलरी न मिलने से नाराज राष्ट्रीय सहारा अखबार के कर्मियों ने हड़ताल कर दिया है. हड़ताल से नोएडा, लखनऊ, बनारस, कानपुर यूनिटें प्रभावित हैं. बताया जा रहा है कि गोरखपुर और पटना की यूनिटों में हड़ताल नहीं हुआ है. कार्य बहिष्कार के कारण सहारा मीडिया के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने भागदौड़ तेज कर दी है. किसी तरह हड़ताल खत्म कराने की कोशिशें हो रही हैं.

तो क्या दो सप्ताह पहले ही अप्रैल फूल बना गये उप्पी बाबू!

सहारा मीडिया में कब क्या जो हो जाये, इसके बारे में कोई कुछ नहीं कहा जा सकता। सब चीजें समय से ही होंगी, इसकी भी कोई गांरटी नहीं है। कुछ चीजें देर से तो कुछ चीजें पहले भी हो सकती हैं। जैसे वेतन। एक तो वेतन मिल ही नहीं रहा है और मिल भी रहा है तो देर से मिल रहा है। लेकिन सहारा के बिग बास उपेन्द्र राय ने इस बार अपने कर्तव्ययोगियों को समय से पहले ही ‘अप्रैल फूल’ का गिफ्ट देकर प्रसन्न कर दिया। मौका था, राष्ट्रीय सहारा की देहरादून यूनिट से जुड़े लोगों को प्रेरणा देने के लिये बुलाये गये ‘प्रेरणा सम्मेलन’ का।

वेतन मांगने पर बाहर कर दिए गए सहाराकर्मी का एक खुला पत्र उपेंद्र राय के नाम

प्रतिष्ठार्थ
श्री उपेंद्र राय,
एडिटर इन चीफ
सहारा मीडिया
नोएडा

विषय- आपकी कथनी और करनी में अंतर के संर्दभ में

महोदय

मैं सहारा राष्ट्रीय सहारा देहरादून से विगत आठ साल से जुड़ा एक कर्मचारी हूं। इस दौर में मैंने देखा जो मौज सहारा के अफसर और उनके चमचे लेते रहे हैं, वह किसी की नहीं है। हम कुछ लोग खच्चर की तरह सहारा के लिए काम करते रहे और बाकी मौज लेते रहे। महोदय, यह सही है कि पहले सहारा में नौकरी को सरकारी माना जाता था और एक तारीख को वेतन एकाउंट में आ जाता था। विगत डेढ़ साल से सहारा में वेतन भुगतान संबंधी समस्या है। तर्क दिया जा रहा है कि कंपनी संकट में है तो कृपया आप हमें बता दें कि जब कंपनी संकट में नहीं थी तो प्रबंधन ने कितनी बार हमारी सेलरी बढ़ाई?

अब कर्मचारियों को बेवकूफ बना रहा सहारा

निवेशकों के बाद अब कर्मचारियों / भूतपूर्व कर्मचारियों को बेवकूफ बना रहा है सहारा प्रबंधन। अपने मुखिया सुब्रतो राय के धरे जाने के बाद कथित रूप से आर्थिक तंगी झेल रहे समूह ने बचे खुचे कर्मचारियों से “पिंड” छुडाने के लिए सेल्फ या सेफ ऐक्जिट प्लान लाने की घोषणा की, और उसे दो चरणों में ले आए। हो सकता है कि उसका तीसरा चरण भी शीघ्र आये। याद रहे कि प्लान हमेशा सामान्य से बेहतर होता है।

सहारा से सेफ एग्जिट लेने वालों का पैसा फंसा, कर्मियों ने लेबर आफिस में की लिखित शिकायत (पढ़ें पत्र)

सेफ एग्जिट लेने के बाद भी सहारा मीडिया के कर्मचारियों का पूरा भुगतान नहीं किया गया है. पहली बारी में सेफ एग्जिट लेने वालों का पीएफ और ग्रेच्युटी कंपनी नहीं दे रही है, दूसरी बारी में सेफ एग्जिट लेने वालों का पूरा का पूरा वेतन भी फंसा हुआ है और कंपनी द्वारा तय की गई समय-सीमा भी खत्म हो गई है. वहीं कॉमर्शियल प्रिंटिंग के कर्मचारियों को तो एक पैसा भी नहीं दिया गया है. दफ्तर में काम कर रहे तमाम कर्मचारी हालात के आगे मजबूर हैं.

सहारा में विजय राय ग्रुप एडिटर और गौतम सरकार सीओओ बनाए गए

एक बड़ी खबर सहारा मीडिया से है. गौतम सरकार को सहारा टीवी नेटवर्क आपरेशंस का चीफ आपरेटिंग आफिसर यानि सीओओ बनाया गया है. विजय राय को पूरे सहारा न्यूज नेटवर्क का ग्रुप एडिटर बनाया गया है. ये दोनों ही लोग उपेंद्र राय को रिपोर्ट करेंगे. इसके अलावा एक कोर कमेटी का भी गठन किया गया है जो सहारा न्यूज नेटवर्क के सभी मामलों पर फैसला करेगी. इस कमेटी में गौतम सरकार, विजय राय, सीबी सिंह और मनोज मनु को शामिल किया गया है.

सहारा को बेच कर पैसे वसूलने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सहारा मीडिया में मातम का माहौल

सुप्रीम कोर्ट ने सेबी से सहारा समूह की संपत्तियों को बेचने को कहा है. इससे जुटाए धन से सुब्रत रॉय की जमानत होगी. सुब्रत दो साल से जेल में बंद हैं. अदालत ने उन 87 संपत्तियों को बेचने की प्रक्रिया शुरू करने को कहा है जिन पर कोई देनदारी नहीं है और जिनके मालिकाना हक के दस्तावेज सेबी के पास उपलब्ध हैं. मुख्य न्यायधीश टी.एस. ठाकुर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने सेबी से यह भी कहा है कि वह समूह की उन संपत्तियों की बिक्री नहीं करे जिनके लिये क्षेत्र की दर के 90 प्रतिशत से कम पर बोली मिले.

सुब्रत की बेनामी सम्पत्तियां, राजनेताओं के नापाक गठबंधन और 40 हज़ार करोड़ की वसूली!

Vishwanath Chaturvedi : सुब्रत की बेनामी सम्पत्तियों और राजनेताओं के नापाक गठबंधन के लिए कोर्ट मानिटरिंग में सीबीआई जाँच के बगैर 40 हज़ार करोड़ की वसूली नामुमकिन! सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर दो सालों से जेल में बंद सुब्रत राय के वकीलों की दलील ठुकराते हुए सेबी को सम्पत्तियों की नीलामी का निर्देश दे दिया। सेबी अधिकारियों द्वारा किये गए आंकलन के मुताबिक़ मौजूदा सम्पत्ति 15 हज़ार करोड़ से कम की है। आप लोगों को लखनऊ के सहारा शहर के बारे में जानकारी नहीं होगी। उक्त सम्पत्ति एक रुपये पच्चासी पैसे एकड़ की दर से मुलायम सिंह के मुख्यमंत्री काल 1994 में ग्रीन बेल्ट के विस्तार के लिए मात्र 30 सालों के लीज़ पर दी गई थी। उक्त सम्पत्ति को नगर निगम लखनऊ को वापिस करने के लिए 2005 में मैंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाख़िल की थी।

सहारा के दो रीजनल न्यूज चैनलों में नए चैनल हेड की तैनाती

सहारा मीडिया से सूचना है कि सहारा समय बिहार झारखंड और सहारा समय यूपी उत्तराखंड के चैनल हेड बदल दिए गए हैं. यूपी उत्तराखंड का जिम्मा अखिलेश कुमार मिश्र को दिया गया है. बिहार झारखंड के चैनल हेड राजीव कुमार मालवीय बनाए गए हैं. इस बदलाव के बाबत ग्रुप सीईओ और एडिटर इन चीफ उपेंद्र राय ने एक आंतरिक मेल जारी कर दिया है.

सहारा का सिस्टम : चमचागिरी करने वाले को पुरस्कार, पत्रकारिता करने वाले को तिरस्कार

सहारा टीवी के लिए पटना स्थित तारामंडल आडिटोरियम में आठ मार्च को प्रेरणा मीटिंग की गयी. सीईओ उपेन्द्र राय ने बतौर मुख्य अतिथि कार्यक्रम में शिरकत की. इस मीटिंग की प्रेरणा यही रही की दलाली  करने वाले को पुरस्कार, पत्रकारिता करने वाले को तिरस्कार. सुमित नाम के फील्ड रिपोर्टर को स्टाफर इसलिए बनाया गया क्योंकि एयरपोर्ट पर उसने सीईओ और अन्य आगंतुकों की अगवानी के लिए  भव्य व्यवस्था कर रखी थी. इसलिए उसे फ़ौरन से पेश्तर स्टाफर बना दिया गया.

राष्ट्रीय सहारा नोएडा और लखनऊ में सेलरी के लिए कर्मियों ने कई घंटे काम ठप रखा

एक बड़ी खबर सहारा मीडिया से आ रही है. राष्ट्रीय सहारा अखबार में आज शाम से कर्मियों ने कई घंटे तक काम ठप रखा. जनवरी से सेलरी न मिलने के कारण सहाराकर्मी बेहद परेशान हैं. होली में बस कुछ दिन ही शेष हैं. छुट्टियों के कारण बैंक वगैरह कई दिन तक बंद रहने वाले हैं. ऐसे में अगर सेलरी आजकल में नहीं आई तो फिर ये मार्च महीना बिना सेलरी के बीत जाएगा और सबकी होली बेरंग हो जाएगी. इसी को देखते हुए कर्मी आज शाम कई घंटे तक कलमबंद हड़ताल पर रहे.

‘समय’ चैनल पर क्यों नहीं चल पाया ‘आपरेशन महावत’?

: कानाफूसी : सहारा समूह के न्यूज चैनल ‘समय’ से एक सूचना है कि चैनल पर करीब पंद्रह बीस दिन से ‘आपरेशन महावत’ नामक एक स्टिंग आपरेशन दिखाए जाने को लेकर प्रोमो चलाया जा रहा था लेकिन फाइनली यह कार्यक्रम दिखाया नहीं गया. यह स्टिंग आपरेशन बसपा नेता सतीश चंद्र मिश्रा पर आधारित बताया जाता है. प्रोमो में बार बार हाथी का जिक्र किया जाता रहा. हाथी को हांकने वाले, चलाने वाले महावत का जिक्र कर सतीश चंद्र मिश्रा की तरफ इशारा किया जाता रहा.

सहारा मुंबई के आंदोलनकारी सुब्रत राय के पत्र के झांसे में फंसे, आंदोलन स्थगित

सहारा मुंबई के ढेरों कर्मी इसी सात मार्च को सहारा के मुंबई स्थित बड़े होटल सहारा स्टार के सामने अधनंगे होकर प्रदर्शन करने वाले थे. ये सेलरी के लिए सड़क पर आने की तैयारी कर चुके थे. इसके लिए सहारा इंडिया कामगार संघठन नामक यूनियन के बैनर तले सभी कर्मचारी एकजुट थे. काफी प्रचार प्रसार भी कर दिया गया. लेकिन अंत में सारे कर्मी फिर सहाराश्री सुब्रत राय के झांसे में आ गए.

कटोरा लेकर Hotel Sahara Star पर करेंगे प्रदर्शन

विगत 18 महीनों से प्रबंधन के साथ कई दौर की बातचीत विफल होने के बाद अब सहारा इंडिया कामगार संगठन ने प्रबंधन के खिलाफ आर-पार की जंग का एेलान कर दिया है। संगठन ने इसकी सूचना सहारा प्रबंधन सहित मुंबई पुलिस आयुक्त वा मु्ख्यमंत्री वा श्रममंत्री को भी दे दी है।  

टैक्‍स न देने के चलते सहारा पर गिरी गाज, एक लाख करोड़ रुपये का एंबी वैली रिसॉर्ट सील

महाराष्‍ट्र सरकार ने 4.82 करोड़ रुपये के बकाए का भुगतान न करने पर मंगलवार को सहारा ग्रुप के एंबी वैली रिसॉर्ट को सील कर दिया। मुलशी तालुका के तहसीलदार ने गैर कृषि टैक्‍स न देने पर लोनावाला स्थित इस संपत्ति एंबी वैली रिसॉर्ट को सील कर दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस लग्‍जरी रिजॉर्ट के लिए सहारा ग्रुप छोटे निवेशकों के पैसे का उपयोग कर रहा है। कंपनी रेगुलेटर के समक्ष पेश किए गए दस्‍तावेजों के अनुसार सहारा ने अपने दो क्रेडिट कॉपरेटिव्‍ज से एम्‍बी वैली रिसॉर्ट प्रोजेक्‍ट में निवेश किया है। कुछ निवेशकों ने शिकायत की है कि सहारा उनका वापस नहीं लौटा रहा है।

गुंडई के बल पर प्रबंधन ने सहारा समय राजस्थान चैनल के छह ब्यूरो जबरन खाली कराए

सहारा मीडिया से खबर है कि राजस्थान के 6 ब्यूरो को जबरन खाली करा दिया गया है। खाली कराने से पूर्व न तो संस्था ने कोई नोटिस जारी किया और न ही फोन से सूचना दी। संस्था की दो टीमें हरी मिश्रा व राजीव शर्मा के नेतृत्व में राजस्थान पहुंची और आफिस जाकर सामान लेने की बात कही। ब्यूरो पैकअप से पूर्व जब ब्यूरो प्रभारियों ने लोकल कनवेंस व अन्य खर्चों का बकाया भुगतान मांगा, जो कि करीब तीन से चार लाख रूपये था, तो संस्था के अधिकारियों ने कहा कि मार्च के प्रथम सप्ताह में आपका भुगतान कर दिया जायेगा। इसके अलावा यदि आपने सामान उठाने से मना किया तो हम आपके खिलाफ सामान जबरन जप्त व चोरी का मुकदमा दर्ज करवा देंगे और संस्था से बेइज्जत करके निकाल ​देंगे। अधिकारियों ने यह भी कहा कि चुपचाप सामान पैकअप कराने में कोआपरेट करे।

सहारा के कर्मचारी अपने मालिकों के सब कुछ समेटने, बांधने और भागने की योजनाओं के क़िस्से सुनते-सुनाते दिन काट रहे हैं!

(अनिल यादव, वरिष्ठ पत्रकार)

अपने चढ़ते दिनों में नई योजनाएं शुरू करते वक़्त सहारा इंडिया के संस्थापक चेयरमैन सुब्रत रॉय सहारा की टाइमिंग अचूक हुआ करती थी. लेकिन कामयाबी के नुस्ख़े बताने वाली अपनी ताज़ा किताब “लाइफ़ मंत्रा” के मामले में वक़्त का ख़्याल नहीं रखा गया है. हताशा में इस तथ्य की भी परवाह नहीं की गई है कि उस किताब से कौन प्रेरित होना चाहेगा, जिसका लेखक ग़रीब निवेशकों से धोखाधड़ी के आरोपों में दो साल से जेल में है?. ज़मानत की बड़ी रक़म का इंतज़ाम करने में हलकान कंपनी में कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़े हुए हैं. हमेशा विश्वस्त समझे जाने वाले व्यापारिक साझेदार और राजनेता पल्ला झाड़ चुके हैं. ऐसे में किताब की जानकारी रखने वाले साधारण पाठकों के मुंह से “ख़ुद मियां फ़ज़ीहत, औरों को नसीहत” कहावत सुनाई दे रही है.

एकजुट होने लगे सहारा कर्मी, सेलरी के लिए किया प्रबंधन का घेराव

सहारा कर्मी अपनी सेलरी के लिए एकजुट होने लगे हैं. सहारा मीडिया में सेलरी संकट और कर्मचारियों की अंदरखाने एकजुटता की खबर भड़ास पर प्रकाशित होने के कुछ घंटे के बाद ही सहारा के नोएडा आफिस में कई महीने से सेलरी न मिलने से नाराज सहारा कर्मियों ने प्रबंधन का घेराव कर लिया. आंदोलनकारी कर्मियों ने भड़ास को एक मेल के जरिए जानकारी दी कि कर्मचारियों की एकजुटता और घेराव देखकर वहां मौजूद सभी एचओडी अपनी अपनी केबिन में भाग निकले.

सुब्रत राय जेल में प्रसन्न, सहारा मीडिया कर्मी जेल के बाहर भीषण सेलरी संकट से खिन्न

क्या कांट्रास्ट है. जो जेल में है वो प्रसन्न है. जो आजाद है वह खिन्न है. यह तीसरा महीना चल रहा है सहारा मीडिया में बिना सेलरी काम कराए जाने का. सुब्रत राय तिहाड़ जेल में दबा कर किताबें लिख रहे हैं, बाहर अखबारों में करोड़ों अरबों का विज्ञापन अपनी किताब से संबंधित छपवा रहे हैं और कह रहे हैं कि उनके पास अपने कर्मियों को देने के लिए पैसे नहीं हैं. सुब्रत राय खुद को रिहा कराने के लिए होटल जमीन सब बेचने का प्रस्ताव कोर्ट के सामने कर रहे हैं लेकिन अपने कर्मियों को सेलरी देने के नाम पर चुप्पी साधे हैं.

सुब्रत राय की रिहाई के लिए अपनी संपत्तियों को बेचेगा सहारा

2 साल से जेल में बंद सहारा प्रमुख की रिहाई के लिए धन का बंदोबस्त करने हेतु सहारा समूह ने अपनी संपत्तियों को बेचने के बारे में सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को नया प्रस्ताव पेश किया. इस प्रस्ताव के आधार पर प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर, न्यायमूर्ति ए आर दवे और न्यायमूर्ति ए के सीकरी की पीठ ने सेबी से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है.

बकाया वेतन मांगा तो नौकरी से बर्खास्त कर दिया

२४ साल की नौकरी का मिला सिला.. माँगा वेतन तो टर्मिनेट कर दिया… ये हाल है पारिवारिक भावना का दावा करने वाले सहारा इंडिया का… मैं सहारा इंडिया के नियंत्रण में निकलने वाले राष्ट्रीय सहारा में १८-०१-९१९२ से कार्यरत हूँ. १८५० रुपए वेतन से सब एडिटर ट्रेनी के रूप में शुरुआत की. इन २३-२४ सालों में मुझे मात्र एक प्रमोशन मिला है …आज वेतन २५००० के ऊपर है …इतना वेतन तो एक चपरासी का भी नहीं होगा… मेरा गुनाह यह है कि मैंने इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई..अपना वेतन और बकाया मांगा … नतीजा ये हुआ कि आज ३०-०१-२०१६ को घर आकर एच आर ने टर्मिनेशन थमा दिया …

सहारा मीडिया में ‘सेल्फ एक्जिट’ योजना के नाम पर बड़े पैमाने पर छंटनी शुरू!

एक बुरी खबर सहारा मीडिया से आ रही है. यहां प्रबंधन ने ‘सेल्फ एक्जिट’ नाम से एक स्कीम लागू की है. इसके तहत खुद कंपनी छोड़ने के लिए आप्शन दिया गया है. लेकिन बताया जा रहा है कि इस स्कीम के नाम पर बड़े पैमाने पर छंटनी की शुरुआत कर दी गई है. करीब तीन सौ लोगों को स्वत: या जबरन बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है या दिखाने की तैयारी है. सूत्रों से मिली खबरों के मुताबिक 80 लोगों ने दो दिन में किया सहारा की सेफ एग्जिट पालिसी से रिजाइन.

सहारा मीडिया में साठ साल से ज्यादा उम्र वाले करीब अस्सी लोगों को हटाया गया, दो संपादक भी इसी दायरे में आकर नपे

संकट से जूझ रहे सहारा समूह के मीडिया सेक्टर की कमान संभालने के बाद उपेन्द्र राय ने एक के बाद एक ताबड़तोड़ फैसले लेते हुए सहारा मीडिया को सुगठित करने और आत्मनिर्भर बनाने की कवायद तेज कर दी है. सहारा मीडिया को सरकारी कंपनी की बजाय युवा प्रोफेशनल्स की टीम के रूप में पुनर्गठित करने हेतु साठ साल से ज्यादा उम्र के करीब 80 लोगों को हटाने का आदेश जारी किया है.

उपेंद्र राय, विजय राय, देवकीनंदन मिश्रा, योगेश मिश्रा, रमेश अवस्थी, पीयूष बंका, मनोज तोमर, मुनीश सक्सेना के बारे में सूचनाएं

सहारा मीडिया बहुत बड़े बदलाव की प्रक्रिया से गुजर रहा है. सहारा प्रबंधन ने उपेंद्र राय पर पूरी तरह भरोसा करके उनके हवाले सहारा मीडिया कर दिया है. इसके बाद उपेंद्र राय हर मोर्चे पर बदलाव की कवायद में जुटे हैं. राष्ट्रीय सहारा अखबार का समूह संपादक विजय राय को बनाया गया है. प्रिंट लाइन में इनका नाम भी जाने लगा है. पहले समूह संपादक के पद पर रणविजय सिंह हुआ करते थे. प्रिंट लाइन में उपेंद्र राय का पद ग्रुप सीईओ और एडिटर इन चीफ के बतौर जा रहा है. उपेंद्र राय ग्रुप सीईओ होने के साथ साथ टीवी और अखबार दोनों के एडिटर इन चीफ हैं. विजय राय को सिर्फ अखबार का ग्रुप एडिटर बनाया गया है.

सहारा और जागरण के हजारों मीडिया कर्मियों के इतने बड़े-लंबे आंदोलनों को कवरेज नहीं दे रहे बड़े मीडिया हाउसों को अब बेशर्मी छोड़ने की जरूरत

आउटलुक मैग्जीन को धन्यवाद जो उसने सहारा मीडिया के हजारों कर्मियों की बड़ी पीड़ा को आवाज दी. साल भर से बिना सेलरी काम कर रहे और लगभग भुखमरी के शिकार हजारों मीडियाकर्मियों के सड़क पर उतरने और प्रधानमंत्री व सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखने के बावजूद देश के बड़े मीडिया हाउसों की कुंभकर्णी नींद नहीं खुली है. लगता है सहारा चिटफंड से अरबों खरबों का पैसा विज्ञापन के नाम पर डकारने के कारण ये मीडिया हाउस नमक का कर्ज अदा कर रहे हैं.

सहारा कर्मियों की तकलीफ को ‘आउटलुक’ मैग्जीन ने भी दी आवाज, पढ़िए भाषा सिंह की रिपोर्ट

आमतौर पर मीडिया वालों की पीड़ा को दूसरे मीडिया हाउस तवज्जो नहीं देते. सहारा मीडिया के कर्मियों की तकलीफ को मुख्य धारा के मीडिया हाउस नहीं उठा रहे क्योंकि हर किसी के यहां कर्मियों का किसी न किसी रूप में शोषण-उत्पीड़न है. यही वजह है कि दैनिक जागरण के सैकड़ों कर्मियों की बर्खास्तगी और उन कर्मियों का आंदोलन किसी मीडिया हाउस के लिए खबर नहीं है.

संकट के दौर में सहारा को फिर याद आए उपेंद्र राय, सहारा मीडिया की सौंपी कमान

उपेंद्र राय को सहारा समूह ने संकट में फिर याद किया है. उन्हें अबकी पूरे पावर के साथ सहारा मीडिया की जिम्मेदारी सौंपी गई है. उपेंद्र राय को सहारा मीडिया और सहारा नेटवर्क का एडिटर इन चीफ के साथ-साथ सीईओ भी बनाया गया है. अब तक सहारा मीडिया के हेड रहे राजेश सिंह के बारे में चर्चा है कि उन्हें बाहर निकाल दिया गया है. वहीं कुछ लोग कह रहे हैं कि राजेश सिंह अपने पुराने काम की ओर लौट गए हैं यानि जयब्रत राय के पीए हुआ करते थे और फिर से वही पीए वाला काम करने लगे हैं.

सहारा के लखनऊ स्थित मुख्यालय पर प्रवर्तन निदेशालय का छापा

लखनऊ से खबर आ रही है कि सहारा के मुख्यालय पर प्रवर्तन निदेशालय यानि ईडी का छापा पड़ा है. सहारा का चिटफंड का मुख्यालय लखनऊ में ही है. प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने दस्तावेजों को जब्त करने के साथ साथ कंप्यूटरों को खंगालना शुरू कर दिया है. माना जा रहा है कि यह कार्रवाई सहारा के काले धन के कारोबार और हवाला रैकेट को पकड़ने के उद्देश्य से किया गया है. छापे के डिटेल मिल नहीं पाए हैं.

सहारा मीडिया के कर्मचारियों ने आफिस के अंदर सामूहिक धरना दिया लेकिन प्रबंधन मस्त

सहारा मीडिया के कर्मचारियों के बुरे दिन जारी हैं. जब हड़ताल के कारण प्रबंधन इनके दबाव में था तब ये लोग प्रबंधन के लुभावने प्रस्ताव के आगे झुक गए. अब दुबारा जब धरना दिया है तो प्रबंधन इनकी तरफ कान नहीं दे रहा है. सहारा मीडिया के नोएडा आफिस से खबर है कि सैकड़ों मीडियाकर्मियों ने सेलरी के लिए सामूहिक धरना आफिस के अंदर दिया. पर इस धरने का नतीजा कुछ नहीं निकला. सेलरी संकट जारी है. प्रबंधन मस्त है. कर्मचारी बुरी तरह त्रस्त हैं.

सहारा मीडिया में सांकेतिक हड़ताल आज से, सहाराश्री ने कर्मियों को भेजी चिट्ठी

सहारा मीडिया में नई बनी यूनियन ने कई राउंड वार्ता बेनतीजा रहने और प्रबंधन के उदासीन रवैये से मजबूर होकर सेलरी व बकाया के लिए फिर से आंदोलन की राह पर चलने का फैसला किया है. इसके तहत 21 अक्टूबर यानि आज से अखबार का एक एडिशन छापने और चैनलों पर एक लाइव बुलेटिन चलाने का फैसला किया गया है. सहारा कर्मी अब सांकेतिक रूप से ही काम करेंगे. सहारा मीडिया में पिछले आठ महीनों से सेलरी संकट है.

सेलरी की मांग को लेकर सहारा मीडिया के कर्मचारी 6 अक्टूबर से हड़ताल पर जाएंगे

सहारा मीडिया के कर्मचारी पूरा वेतन न मिलने सहित कई मांगों को लेकर 6 अक्टूबर 2015 से हड़ताल करने जा रहे हैं। यह हड़ताल फिलहाल सहारा कामगार संगठना के नेतृत्व में होने जा रही है। इस हड़ताल का समर्थन करते हुए उत्तर प्रदेश की यनिट हेड गीता रावत ने सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश, प्रधानमंत्री, यूपी के सीएम सहित तमाम लोगों का ध्यान इस ओर आकृष्ट करते हुए पत्र भेजा है।

सहारा के जिस डिवीजन के लोग हड़ताल करेंगे, सहाराश्री उस डिवीजन को ही बंद कर देंगे… देखें नोटिस

सहारा अपने कर्मचारियों को लगभग डेढ़ साल से नियमित वेतन नहीं दे रहा है। एक साल से ज्यादा का समय हो गया है, सिर्फ आधा वेतन दिया जा रहा है। वेतन न मिलने से लाखों कर्मचारी प्रभावित हैं। वेतन न मिलने की वजह से कई तो खुदा को प्यारे हो गए। पंद्रह सितंबर 2015 को सहारा के सभी कार्यालयों में सहारा सुप्रीमो का यह पत्र नोटिस बोर्ड पर चस्पा कर दिया गया है। पत्र में वेतन न देने की बात करते हुए हड़ताल न करने की हिदायत दी गई है साथ ही चेतावनी या धमकी जो कह लीजिए, दी गई है कि उस विभाग को ही बंद कर दिया जाएगा जहां के कर्मचारी वेतन की मांग करेंगे। मसलन पैराबैंकिंग में हड़ताल होती है तो वह ही बंद कर दिया जाएगा।

सहारा इंडिया के आफिस में जिंदाबाद-मुर्दाबाद के नारे लगे, सेलरी के लिए 48 घंटे का अल्टीमेटम

: मांगें नहीं मानी तो मुंबई सहारा के सभी प्रतिष्ठानों के बाहर आंदोलन होगा : जो सहारा इण्डिया अपने आपको विश्व का विशालतम परिवार का दावा करता है और जिसके अनुशासन में सहारा प्रणाम जैसी प्रामाणिकता हैं उस संस्थान के गोरेगांव कार्यालय में ज़िदाबाद मुर्दाबाद के नारे बुधवार को दिन भर खूब गूंजे. सहारा कर्मचारी यूनियन के करीब तीन सौ कार्यकर्ताओं ने ऑल इण्डिया एचआरहेड अली अहमर ज़ैदी समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों का घेराव कर लिया था और करीब सात घंटों के प्रबंधन के जद्दोजहद के बाद आंदोलन इस बात पर खत्म हुआ कि अड़तालिस घंटों में पिछले महीने की तनख्वाह और ६ महीनों की बकाया तनख्वाह का भुगतान करें.

कर्मचारियों की लिस्ट में अपना नाम न पाकर राष्ट्रीय सहारा देहरादून के संवादसूत्र भड़के

इस बीच, ताजी सूचना ये है कि राष्ट्रीय सहारा देहरादून के कर्मचारियों की लिस्ट जो श्रम आयुक्त को प्रबंधन द्वारा सौंपी गई है, उस सूची में अपना नाम न पाकर संवादसूत्र भड़क उठे हैं। आठ-आठ साल से नियमित कर्मचारी की तरह काम कर रहे संवादसूत्रों का कहीं नाम ही नहीं है।

सहारा प्रबंधन से आए लोग सुनवाई से पहले ही श्रमायुक्त कार्यालय देहरादून को कागजात रिसीव कराकर रफूचक्कर हुए (देखें दस्तावेज)

देहरादून में राष्ट्रीय सहारा अखबार के कर्मियों ने प्रबंधन के खिलाफ मुकदमा कर रखा है। यह मुकदमा श्रमायुक्त आफिस में किया गया है। सुनवाई के दिन सहारा प्रबंधन की तरफ से कोई नहीं आ रहा है। हां, आश्वासन के कागजात जरूर सौंप जाते हैं। सहारा प्रबंधन के लोग इस बार भी सुनवाई के दौरान सहायक श्रम आयुक्त देहरादून के कार्यालय में नहीं पहुंचे। इसके पहले भी 18 अगस्त 2015 को जब वेतन संबंधी मामले की पहली सुनवाई थी तब भी प्रबंधन पक्ष के लोग तय समय तक नहीं पहुंचे थे।

सहारा छोड़ने के बाद एलएन शीतल ने नव भारत (मध्य प्रदेश) ज्वाइन किया

LN Shital : प्रिय मित्रों, मैं अब सहारा इण्डिया परिवार में नहीं हूँ . मैंने आज 7 सितम्बर से नव भारत (मध्य प्रदेश) पत्र-समूह में सीनिअर ग्रुप एडिटर एवं इस समाचार पत्र समूह की प्रकाशक कम्पनी- ‘Engage Media Pvt. Ltd.’ के Director के रूप में ज्वाइन कर लिया है. मेरी अपने सर्वस्व तथा परम ईष्ट देव हनुमान जी से दण्डवत प्रार्थना है कि वे अपनी कृपा बनाये रखें. आप सबसे अपना स्नेह और शुभ कामनाएं बनाये रखने की गुज़ारिश है. (LN Shital के फेसबुक वॉल से.)

सहारा के पीड़ित कर्मियों को मिला आंदोलन के पितामह अण्णा हजारे का आशीर्वाद (देखें तस्वीरें)

सहारा प्रबंधन द्वारा तनख्वाह न दिये जाने जाने से भूखे पेट काम करने वाले कर्मचारी यूनियन के सदस्यों ने रालेगण सिद्धी गांव में अण्णा हजारे से आशिर्वाद लिया. इसके साथ ही कर्मचारियों ने एक स्वर में यह निर्णय लिया की अब भूखे पेट की लड़ाई को मात्र विनंती पत्रों के दायरे से निकालकर आंदोलन का रूप दिया जाएगा. इस महीने की शुरूआत का पहला हफ्ता बीत गया है और महाराष्ट्र के कुलदेवता कहे जाने वाले भगवान गणपति के आगमन की तैयारी शुरू हो गई है लेकिन सहारा इण्डिया के कर्मचारियों का घर सूना है. इन पीड़ित कर्मचारियों को उम्मीद थी कि, भूखे पेट और परेशान परिवारों के आंसू को अनेदखा कर रहे प्रबंधन को शायद विघ्न विनाशक गणपति की सुध होगी जिसके बाद यह  तनख्वाह दे देंगे, लेकिन उसका रूख अड़ियल है.

सेलरी संकट से परेशान सहारा मीडिया के कर्मियों ने प्रिंटिंग मशीन से लेकर न्यूज प्रिंट गोदाम तक में लगा दी आग!

पटना से एक बड़ी खबर आ रही है. कुछ रोज पहले वहां राष्ट्रीय सहारा की प्रिंटिंग मशीन से लेकर न्यूज प्रिंट गोदाम तक धू धू करके जल उठा. इस बारे में सहारा अखबार में खबर भी छपी है. लेकिन अंदर कई किस्म की कहानियां चल रही हैं. कुछ का कहना है कि सेलरी न मिलने से नाराज कुछ सहाराकर्मियों ने सहारा समूह के असंवेदनशील रवैये के प्रति विरोध प्रकट करने के लिए सहारा के न्यूज प्रिंट गोदाम में आग लगा दी और आग ने देखते ही देखते प्रिंटिंग मशीन से लेकर स्टोर, जनरेटर रूम को अपने घेरे में ले लिया.

राष्ट्रीय सहारा देहरादून के यूनिट हेड एलएन शीतल का इस्तीफा, पटना एडिशन के प्रभारी मैनेजर प्रदीप सिन्हा भी गए

राष्ट्रीय सहारा देहरादून से खबर है कि नए आए यूनिट हेड एलएन शीतल ने भी इस्तीफा दे दिया है. इस संस्थान से हर महीने कोई न कोई विकेट गिर रहा है. यूनिट हेड के पद से लगभग एक पखवाड़े में दो-दो लोग गए. हालिया यूनिट हेड एलएन शीतल दो वर्ष पहले तक इसी यूनिट में स्थानीय संपादक की जिम्मेदारी सम्भालते रहे. लोग सवाल उठा रहे हैं कि वो जिस यूनिट में संपादक रह चुके हैं, उसी यूनिट में मैनेजर बनकर क्यों गए. असल में सहारा जिस गंभीर संकट से जूझ रहा है, उससे निजात दिला पाना अब किसी के वश की बात नहीं. ऐसे में लोग टेंशन खुद लेने की जगह इस्तीफा दे देना उचित समझ रहे.

सहारा के कर्मचारियों ने मुंबई में गठित की यूनियन, नाम- ‘सहारा इंडिया कामगार संगठना’

हम सहारा इंडिया परिवार के पीड़ित कर्मचारी हैं जो मुंबई के गोरेगांव कार्यालय में कार्यरत हैं. सहारा के पीड़ित हम इसलिये हैं कि पिछले लंबे समय से हम आधी अधूरी तनख्वाह में निर्वहन कर रहे हैं और उसमें ६ महिनों का तनख्वाह बकाया है. सहारा इंडिया में पहली कर्मचारी यूनियन का गठन मुंबई में हो चुका है जिसका नाम सहारा इंडिया कामगार संगठना है. प्रबंधन के लाख दावों और झूठे आश्वासनों के बाद भूखे परिवार के दर्द ने हमें मजबूर कर दिया कि हम संगठन के तहत झूठ के पुलिंदों की खिलाफत करें. हमारे दर्द को दबाने के लिए मुंबई में प्रबंधन ने तथाकथित अधिकारियों की टीम खड़ी रखी है जो झूठे आश्वासन, धमकी देना और स्थानांतरण करने की बातें कहते हैं. लेकिन इस तानाशाही से पीड़ित करीब दो सौ लोगों का सब्र आखिरकार टूट गया और लोग गोरेंगाव पुलिस थाने में पहुंचे, चुंकि बातें तनख्वाह की थी इसलिए पुलिस ने हमारी शिकायत को श्रम आयुक्त के पास भेज दिया.

पत्रकारिता के दौरान यह दिन देखना पड़ेगा, सोचा न था

एक सहाराकर्मी ने लगातार सेलरी न मिलने के कारण पत्र लिखकर बिना वेतन अवकाश की मांग की है ताकि वह बाहर किसी दूसरी जगह कुछ कामधाम करके पैसे कमा सके और अपने परिजनों का पेट पाल सके. सहारा मीडिया में काम करने वाले रवि कुमार (इंप्लाई कोड 054004) लखनऊ में राष्ट्रीय सहारा अखबार में वरिष्ठ उप संपादक के बतौर कार्यरत हैं. पढ़िए उनकी चिट्ठी और जानिए मीडिया के भीतर का एक खौफनाक सच.

‘सहारा समय’ न्यूज चैनल छोड़कर प्रीति पहुंचीं ‘समाचार प्लस’

‘सहारा समय’ उत्तर प्रदेश /उत्तराखंड की न्यूज़ एंकर प्रीति बिष्ट ने चैनल को बॉय बॉय कह दिया  है। खबर है कि सहारा के अंदरूनी हालात से परेशान होकर प्रीति बिष्ट ने यहाँ से काम छोड़ा है। उन्होंने अब ‘समाचार प्लस’ ज्वॉइन कर लिया है।

कई वर्षों से स्ट्रिंगर ही बने रहने से दुखी सतेंद्र डंडरियाल ने राष्ट्रीय सहारा को बॉय बॉय कहा

वर्षों से परमानेंट न होने और मानदेय में बढ़ोत्तरी न होने से आजिज आ चुके सतेंद्र डंडरियाल ने भी आखिर राष्ट्रीय सहारा देहरादून को बॉय बॉय कर दिया। सतेंद्र छह-सात साल से स्ट्रिंगर के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे थे। अब तक जितने भी संपादक आए, सभी ने स्ट्रिंगर को परमानेंट करवाने का वादा …

वाराणसी सहारा के संपादक को गुस्साए कर्मियों ने घंटों उनके केबिन में घेरा, जमकर नोकझोक

वाराणसी राष्ट्रीय सहारा के संपादक स्नेह रंजन के उत्पीड़न से आजिज आये संपादकीय विभाग के कर्मचारियों का गुस्सा आखिरकार फूट ही पड़ा। आक्रोशित कर्मचारियों ने घंटों संपादक को उनके ही केबिन में घेरे रखा। इस दौरान दोनों पक्षों में जमकर नोकझोक हुई। गनीमत यह रही की मारपीट नहीं हुई। कर्मचारियों ने पूरे मामले की जानकारी मीडिया हेड राजेश सिंह को दे दी है । 

लखनऊ सहारा के पत्रकार ने वेतन न मिलने पर पांच माह का अवकाश मांगा

राष्ट्रीय सहारा लखनऊ के वरिष्ठ उप संपादक रवि कुमार ने शीर्ष प्रबंधन को प्रेषित एक पत्र में बताया है कि नियमित वेतन न मिलने से उनके परिवार को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इससे वह भारी मानसिक कष्ट से गुजर रहे हैं। हर महीने किसी तरह से सिर्फ आधा वेतन दिया जा रहा है और काम पूरा लिया जा रहा है। वह चाहते हैं कि 6 अगस्त 2015 से दिसंबर 2015 तक उन्हें अवैतनिक अवकाश दे दिया जाए ताकि वह जीविकोपार्जन का कोई और रास्ता ढूंढ सकें।

सहारा मीडिया दस साल के लीज पर विदेशी कंपनी के हवाले, पहली सितंबर से चार्ज संभालेगी

राष्ट्रीय सहारा ग्रुप प्रबंधन ने अपना पूरा मीडिया तंत्र पहली सितंबर से विदेशी कंपनी की साझेदारी में संचालित करने का निर्णय लिया है। अब सहारा मीडिया में उस कंपनी की 15 प्रतिशत और सहारा की 85 प्रतिशत साझेदारी होगी। मीडिया कर्मियों की सैलरी भी अब उसी कंपनी के माध्यम से जारी होगी। पता चला है कि इस हाई प्रोफाइल डील में सहारा उर्दू दिल्ली के ग्रुप एडिटर फैजल का हाथ रहा है। कंपनी के चेयरमैं सुव्रतो रॉय ने अपने शीर्ष अधिकारियों तक से कहा है कि तकनीकी कराणों से कंपनी का नाम अभी सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। वह कंपनी कौन सी है, इसको लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं। 

देहरादून सहारा के यूनिट हेड मृदुल बाली ने अखबार छोड़ा

देहरादून राष्ट्रीय सहारा के यूनिट हेड मृदुल बाली ने गत दिनो आधिकारिक तौर पर बता दिया कि वह सहारा छोड़ रहे हैं। हालाँकि उनके जाने की चर्चा पहले से जोरों पर थी, जिसे उन्होंने बातचीत के दौरान हड़ताली कर्मचारियों से स्वीकार किया था। हड़ताल समाप्त होने वाले दिन से अवकाश पर चले गए थे । 

सहारा मीडिया का संकट : बकाये के लिए वरिष्ठ संवाददाता राजीव तिवारी ने लिखा प्रबंधन को पत्र (पढ़ें लेटर)

सहारा मीडिया में काम करने वाले इन दिनों दाने दाने को मोहताज है. पिछले दिनों हड़ताल भी की लेकिन सहाराश्री की चिट्ठी के आगे भावनाएं ऐसी उमड़ीं की हड़ताल खत्म कर फिर काम करने में जुट गए. लेकिन कई सहाराकर्मी ऐसे हैं जिन्होंने अपने ड्यूज बकाया मांगने के लिए चिट्ठी पत्री करना शुरू कर दिया …

मीडिया की चादर ओढ़कर देशभर में फल -फूल रहे शारदा, सहारा और पर्ल्स जैसे महा घोटालेबाज

आगरा : कौन कब ठग लिया जाए, कहना मुश्किल है, क्योंकि देश में वित्तीय कारोबार जितनी तेजी से फल -फूल रहा है, वित्तीय हेराफेरी में उतनी ही तेजी आई है. चिटफंड के भुक्तभोगी यही बता रहे हैं। दरअसल, मीडिया की चादर ओढ़कर शारदा, सहारा और पर्ल्स जैसे वित्तीय घोटालों का कारोबार देश भर में फल फूल रहा है। रोजवैली और स्टार जैसी नामचीन कंपनियां भी इसमें पीछे नहीं हैं। पहले तो ये कंपनियां जनता को झूठे सपने दिखाती हैं। यह बताती हैं कि यदि वे कंपनी में पैसा लगाएंगे तो निवेशक को (जनता) दोगुना लाभ होगा। कंपनी के झांसे में आकर जनता अपनी गाढ़ी कमाई लगा देती है। इसके बाद लाभ की बात तो छोड़ें, वह अपना मूलधन भी प्राप्त नहीं कर पाती है।

सहारा समूह को एक और झटका : म्युच्युअल फंड बिजनेस का लाइसेंस रद्द

मुंबई। सहारा समूह के खिलाफ ताजा कार्रवाई के तहत बाजार नियामक सेबी ने सहारा म्युच्युअल फंड का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया। सेबी का कहना है कि कंपनी यह कारोबार करने के लिए सक्षम और उपयुक्त नहीं है और उसने कंपनी को अपना कारोबार किसी और फर्म (फंड हाउस) को हस्तांतरित करने का आदेश दिया है। सेबी ने अपने ताजा आदेश में कहा है कि आज से छह महीने में सहारा म्युच्युअल फंड का रजिस्ट्रेशन खत्म हो जाएगा।

अपनी पुरानी आदत के मुताबिक आखिर में दगा दे ही गए ‘दगाश्री’

नोएडा : विश्व में ऐसी कोई हड़ताल नहीं हुई होगी, जो अनंत काल तक चली हो। हड़ताल शुरू होती है तो खत्म भी होती है और खत्म होने पर सवाल होने या यूं कहें कि क्या खोया, क्या पाया रूपी समीक्षा होती है । सहारा इंडिया के मीडिया ग्रुप में हड़ताल हुई, चार पांच दिनों तक चली और अपने अभिभावक सहाराश्री (जो अब दगाश्री) के नाम से जाने जा रहे हैं, के एक संदेश पर उनके प्यारे प्यारे कर्तव्य योगियों ने कार्य बहिष्कार समाप्त कर दिया । जो लोग हड़ताल तुड़वने में व्यस्त रहे, उन्हें तो सेलरी नहीं भेजी। उनको तो सही दंड मिला। जो निचले स्तर के कर्मचारी थे उन्हे आधा दे भी दिया। 

तहसीन जैदी ने सहारा समय छोड़ा

रायपुर (छत्तीसगढ़) :  पिछले 15 वर्षों से यहां सहारा समय में पत्रकार/ कैमरामैन/मार्केटिंग मैनेजर/डिस्ट्रीब्यूटर का काम देखते रहे तहसीन जैदी ने सहारा समय छोड़कर IBC 24 से अपनी नयी पारी की शुरुआत की है।

वेतन न मिलने पर सहारा की कैंटीन में कार्यरत कर्मचारी ने दम तोड़ा

नोएडा : राष्ट्रीय सहारा के मुख्यालय में यहां संस्थान के सर्विस डिवीजन की कैंटीन में कार्यरत कर्मचारी की हार्ट अटैक से मौत हो गई। संस्थान से पैसे न मिलने के कारण उसका अपने मकान मालिक से किराये को लेकर झगड़ा हो गया था। सूचना मिलने तक पता चला था कि सहारा प्रबंधन उसका पोस्टमार्टम कराए बगैर अंतिम संस्कार के प्रयास में जुटा था। 

हड़ताल बर्दाश्त नहीं, अब होंगे साइड इफेक्ट

हर चीज का असर होता है । बारिश का होता । आमतौर पर इसके बाद मौसम सुहाना हो जाता है तो आंधी का भी असर होता है। हर तरफ धूल ही धूल रहती है । कुछ हड़ताल का असर पहले होता है तो कुछ का बाद में लेकिन होता सबका है । मित्रो कहने का मतलब सहारा में हड़ताल समाप्त हो गई या टूट गई या तोड़वा दी, जो भी हो, यह आपकी एकजुटता के कारण हुआ। अब जरूरत है इसे स्थायी रूप से संगठित रूप देने की । स्थायी स्वरूप तभी हो सकता है, जब आप इसे यूनियन का रूप दें । आप दे सकते हैं। वह इसलिए कि जब आप अखबार का प्रकाशन ठप करा सकते हैं तो यूनियन भी बना सकते हैं । इसे बेहतर तरीके से चला सकते हैं । 

पांच दिनो की हड़ताल का बहाना लेकर सहारा के वकील सिब्बल पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, नोएडा में मंगलवार शाम तक तनाव बरकरार

दिल्ली : एक तरफ कर्मचारियों को छह-छह महीने से तनख्वाह नहीं, दूसरी तरफ अथाह दौलत में खेलते मालिकान और ऊंची सैलरी से ऐशो आराम का जीवन जी रहे कंपनी के आला अधिकारियों का मीडिया तमाशा पांच दिनो की हड़ताल से अब लड़खड़ाने लगा है। कंपनी के सर्वेसर्वा दिल्ली के तिहाड़ जेल से अपना अंपायर चला रहे हैं। ऐसी विडंबनापूर्ण स्थिति शायद ही दुनिया भर में किसी भी मीडिया घराने की होगी। उधर, सहारा के वकील एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में सहारा में तालाबंदी का हवाला देते हुए हलफनामा दे दिया है। कोर्ट को बताया गया है कि मीडिया हाउस पर तालाबंदी पहले से है और इससे कर्मचारी गुस्से में हैं। संभवतः कोर्ट में कानूनी खेल खेलने के उद्देश्य से ऐसा कहा गया है। इससे ये भी अंदेशा लगाया जा रहा है कि प्रेसर बनाकर ये कही सेबी के देय से मुक्त होने और सुब्रत रॉय को मुक्त कराने का षड्यंत्र तो नहीं है। मंगलवार को दिल्ली में सहारा प्रबंधन और कर्मियों से वार्ता हुई है। सहमति पर मतैक्य नहीं हो सका है। 

आंखो देखी : ये मीडिया का आपातकाल नहीं तो और क्या है!

13 जुलाई, रात के लगभग दस बज चुके थे। मेरे मोबाइल फोन की घंटी बजी। हमारे दैनिक जागरण के सहयोगी रमेश मिश्र का फोन था। उन्‍होंने कहा, क्षेत्राधिकारी द्वितीय डॉक्‍टर अनूप सिंह ने बुलाया है। राष्‍ट्रीय सहारा कार्यालय परिसर में। मैंने तुरंत अपनी मारुति वैन निकाली और हम राष्‍ट्रीय सहारा के मुख्‍य द्वार पर पहुंच गए। चारों ओर पुलिस ही पुलिस। कहीं पीसीआर तो कहीं पुलिस की बुलेरो। यही नहीं, पुलिस के वज्र वाहन समेत कई बड़े वाहन खड़े थे। ऐसा लग रहा था, जैसे कोई बड़ा दंगा हो गया हो। बिना किसी बात के उत्‍तर प्रदेश पुलिस को इस तरह से सक्रिय होते पहली बार देखा।

सहारा नोएडा के हड़ताली मीडियाकर्मियों को रात में गिरफ्तार करने की तैयारी!

नोएडा से आ रही खबरों के मुताबिक सहारा मीडिया के आफिस के बाहर पुलिस ने बड़े पैमाने पर गिरफ्तारी के लिए तैयारी की है. ये कार्रवाई देर रात की जा सकती है. उधर, पूरे ग्रुप में राष्ट्रीय सहारा अखबार का मास्टर एडिशन यानि एक ही अखबार हर जगह प्रकाशित करने की तैयारी चल रही है. इस काम में कुछ एक लोग ही सपोर्ट कर रहे हैं. देहरादून से राष्ट्रीय सहारा के कुछ कर्मियों ने फोन पर बताया कि वेतन के लिए कई दिनों से संघर्ष कर रहे देहरादून राष्ट्रीय सहारा के कर्मचारियों को यूनिट हेड मृदुल बाली ने जबरन गेट से बाहर कर दिया.

राष्ट्रीय सहारा देहरादून के हड़ताली मीडियाकर्मी

हालात से निबटने के लिए सहारा प्रबंधन ने तालाबंदी की अफवाह फैलाई

लखनऊ : राष्ट्रीय सहारा की नोएडा मुख्यालय समेत ज्यादातर यूनिटों में सोमवार देर शाम को भी कार्य बहिष्कार से गतिरोध बरकरार रहा। लखनऊ कार्यालय में संपादक और जनरल डेस्क इंचार्ज में कहासुनी होने की खबर है। 

नोएडा में आज सहारा के चेयरमैन से जो आज वीडियो कांफ्रेंसिंग होने वाली थी लेकिन किन्हीं कारणों से नहीं हो सकी। शाम को नोएडा से सहारा प्रबंधन के लोगों ने सभी यूनिटों में एक अफवाह प्रसारित कर दी कि यदि बहिष्कार या हड़ताली जारी रही तो संस्थान तालाबंदी कर देगा। 

सहारा मीडिया के एचआर ने हड़ताली कर्मियों के लिए जारी किया धमकी भरा पत्र, पढ़ें

सहारा मीडिया के एचआर डिपार्टमेंट की तरफ से अपने हड़ताली कर्मियों के लिए एक धमकी भरा पत्र जारी किया गया है. यह पत्र दिन में आज बारह बजे जारी किया गया और दिन में दो बजे तक हड़ताल वापस लेकर काम पर लौटने की चेतावनी दी गई है.

सहारा के हड़ताली मीडियाकर्मियों को पुलिस ने घेरा… किसी चैनल पर चलेगी ये खबर?

खबर है कि सात महीनों से बाकी सेलरी के लिए लड़ाई लड़ रहे सहारा के हड़ताली मीडियाकर्मियों से निपटने के लिए प्रबंधन ने पुलिस बुला ली है. सहारा मीडिया के नोएडा स्थित आफिस में बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती करा दी गई है. पुलिस वालों ने हड़ताली मीडियाकर्मियों को घेर लिया है. प्रबंधन की तरफ से कुछ संपादक लोगों ने मीडियाकर्मियों की धमकी दी है कि वे अगले कुछ घंटों में हड़ताल तोड़ कर काम पर वापस आएं वरना अंजाम बुरा होगा.

सहारा कर्मियों के संघर्ष में हस्तक्षेप करें प्रमुख सचिव श्रम, न्याय दिलाएं : उपजा

लखनऊ : उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (उपजा) की लखनऊ इकाई के अध्यक्ष अरविन्द शुक्ला ने प्रदेश के प्रमुख सचिव श्रम से मांग की है कि वह तत्काल सहारा मामले में हस्तक्षेप करें और श्रमिकों को उनका हक दिलायें। सहारा प्रबंधन द्वारा अखबार कर्मियों को पिछले कई माह से वेतन नहीं दिया जा रहा है। वेतन न मिलने से अखबारकर्मियों ने हड़ताल का रुख कर लिया है। लखनऊ के कर्मचारियों ने कार्यबहिष्कार कर दिया है ।  

सहारा में हड़ताल जारी, वाराणसी के संपादक पिटते-पिटते बचे, लखनऊ में धमकियां

नोएडा राष्ट्रीय सहारा में तीसरे दिन रविवार को भी मीडिया कर्मियों एवं अन्य विभागों के कर्मचारियों की हड़ताल जारी रही। इसके साथ ही लखनऊ, देहरादून, वाराणसी, पटना आदि यूनिटों से भी रविवार रात को कार्यबहिष्कार जारी रहा। वाराणसी से सूचना है कि वहां के संपादक स्नेह रंजन को कर्मचारियों ने दौड़ा लिया। वह पिटते-पिटते बचे। लखनऊ में संपादक मनोज तोमर ने कुटिल चाल चलते हुए कुछ मीडिया कर्मियों को बारी बारी से अपने चेंबर में बुलाकर धमकाया और फुसलाया मगर संपादकीय विभाग के कर्मी काम करने पर सहमत नहीं हुए। तोमर ने धमकाने के अंदाज में उनकी कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर ओपी श्रीवास्तव से फोन पर बात कराई लेकिन बात बनी नहीं।  

सहारा नोएडा की हड़ताल देहरादून पहुंची, लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर, पटना में भी कार्य बहिष्कार, लखनऊ में झड़प

राष्ट्रीय सहारा मीडिया समूह के हेड ऑफिस नोएडा में विक्षुब्ध मीडिया कर्मियों की अंगड़ाई और उससे पहले दैनिक जागरण नोएडा में काली पट्टियां बांधकर हठी प्रबंधन की मनमानियों को खुलेआम चैलेंज देना पूरे मीडिया जगत के लिए साफ संकेत है कि आने वाले दिन अब उनके लिए पहले की तरह आसान नहीं होंगे। लखनऊ सहारा में संपादक और जनरल डेस्क इंचार्ज की आपस में झड़प हो गई। देहरादून के सहारा कर्मी भी शनिवार को हड़ताल पर चले गए। वाराणसी, गोरखपुर, पटना से भी सूचनाएं मिल रही हैं कि मीडिया कर्मी काम काज छोड़कर किनारे बैठ गए हैं। कमोबेश सभी यूनिटों में शनिवार शाम तक संपादकीय प्रबंधन के हाथ-पांव फूल चुके थे। चिंता थी कि कल तो अमर उजाला में पेपर छपवा लिया, आज अखबार कैसे निकलेगा। 

सहारा मीडिया : हड़ताल से अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे, कर्मियों से अपील

पहले तो राष्ट्रीय सहारा नोएडा और वाराणसी सहित उन सभी यूनिटों के बहादुर साथियों को सलाम, जिन्होंने कार्य बहिष्कार कर ऐतिहासिक एकजुटता का परिचय दिया। देहरादून यूनिट के लोग कब जगेंगे, यह कहा नहीं जा सकता। लेकिन बाकी तीन यूनिटों के बहादुर साथियों ने सहारा प्रबंधन की हेकड़ी निकाल दी, जो सीना ठोंक कर कहते थे कि हम विश्व सबसे बड़े और एकमात्र संस्थान हैं जहां यूनियन नहीं है। हमारा संस्थान विश्व का सबसे बडा भावनात्मक परिवार है।

सीबी सिंह, विनोद रतूडी, रणविजय, राजेश सिंह मिलकर भी नहीं तोड़ पाए नोएडा के सहाराकर्मियों की एकता, अखबार बंद

आखिरकार सहाराकर्मियों का धैर्य टूट ही गया। नोएडा कैंपस के कर्मचारियों ने काम बंद कर दिया। कर्मचारियों ने कहा कि जब तक सैलरी नहीं तब तक कोई काम नहीं। कर्मचारियों को समझाने के लिए सीबी सिंह, विनोद रतूडी रणविजय सिंह जैसे दिग्गज लग गए। लेकिन कर्मचारियों ने साफ काम करने से मना कर दिया। फिर मीडिया हेड राजेश सिंह को बुलाया गया। शाम करीब साढ़े सात बजे राजेश सिंह कैंपस पहुंचे। उन्होंने दिलासा दिलाया कि सोमवार को सैलरी जरुर आएगी। आप हमारी बात समझिए, हम मजबूर हैं। कर्मचारियों ने कहा कि हम आपकी ताकत खूब जानते हैं। आप जो चाहे कर सकते हैं। अभी चाहे अभी सैलरी दे सकते हैं। इसके बाद कर्मचारियों ने उनकी बात को अनसुना करते हुए काम बंद दिया। दिलचस्प है कि पूरे आंदोलन में पूरा एडिटोरियल टीम, सर्कुलेशन और मशीन वाले सभी एकजुट है। पहले मैनेजमेंट उन्हें तोड़-फोड़ कर काम करवाता था।

सेलरी न मिलने के खिलाफ सहाराकर्मियों का गुस्सा फूटा, अखबार के कई यूनिटों में हड़ताल

राष्ट्रीय सहारा अखबार के कर्मियों ने कई महीने से सेलरी न मिलने से नाराज होकर हड़ताल शुरू कर दिया है. खबर है कि नोएडा, देहरादून, वाराणसी संस्करणों के मीडियाकर्मियों ने कामकाज ठप कर दिया है. नोएडा एडिशन के संपादकीय विभाग के लोगों ने बाहर निकल कर नारेबाजी की है. ज्ञात हो कि सुब्रत राय के जेल जाने के बाद से सहारा मीडिया में सेलरी का संकट बना हुआ है.

नोएडा में राष्ट्रीय सहारा कर्मियों ने हड़ातल कर नारेबाजी शुरू कर दी.

सहारा देहरादून में भगदड़ जारी, प्रदीप भी गए, एचआर हेड समेत कई और जाने की तैयारी में

राष्ट्रीय सहारा देहरादून संस्करण में चल रही भागदौड़ की अगली कड़ी में लेखा विभाग से प्रदीप श्रीवास्तव के नये ठिकाने की ओर जाने की खबर है। बीते कई माह बिना वेतन के गुजारा कर रहे सहारियन का सब्र धीरे-धीरे जवाब देने लगा है। 

सहारा मीडिया से मोटी सेलरी वालों को हटाने का काम शुरू, कई नाम चर्चा में

सुब्रत राय के लगातार तिहाड़ की रोटी खाने से सहारा समूह के मीडिया वेंचर के आगे दानापानी का संकट आ खड़ा हुआ है. इसे देखते हुए प्रबंधन ने पहले तो सेलरी रोके रखकर लोगों को खुद भाग जाने का मौका दिया. पर जो मोटी सेलरी वाले लंबे समय से कुंडली मारे बैठे हैं उनके न भागने पर प्रबंधन ने उन्हें भगाने का फैसला लिया है.

सहारा में एक और विकेट गिरा, दुग्गल ने ज्वॉइन की डॉबर कंपनी

राष्ट्रीय सहारा देहरादून के बुरे हाल हैं। लगभग एक सप्ताह में तीन लोगों ने संस्थान को अलविदा कह दिया । ताजा मामला एकाउंट हेड रमेश चंद दुग्गल का है । दुग्गल ने डाबर कंपनी को ज्वाइन कर लिया है । ऑफर लेटर प्राप्त हो गया है। अगर सब कुछ ठीकठाक रहा तो जुलाई के पहले …

हिंदुस्तान, सहारा, पत्रिका और दूरदर्शन से आवाजाही की सूचनाएं

गोरखपुर हिंदुस्तान में इन दिनो संपादक दिनेश पाठक के जाने को लेकर चर्चाएं गर्म हैं। बताया जा रहा है कि इलाहाबाद से सुनील द्विवेदी को गोरखपुर स्थानांतरित किया जा रहा है। सुनील इससे पहले आइनेक्स्ट गोरखपुर में काम कर चुके हैं। गोरखपुर आइनेक्स्ट से कुछ रिपोर्टरों के हिंदुस्तान ज्वॉइन करने की संभावनाएं अभी से चर्चा में हैं। 

देहरादून सहारा से अमित सिंह के जाने की खबर

सहारा को बेसहारा करने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है । आये दिन कोई न कोई कर्तव्य योगी (सहारा में कोई कर्मचारी नहीं है सारे के सारे कर्तव्य योगी हैं तब यह हाल है) संस्थान का दामन छोड़ रहा है। 

देवघर के जसीडीह में सहारा इंडिया के ब्रांच से 1.78 लाख की लूट

देवघर : देवघर के जसीडीह में शनिवार दिन में सहारा इंडिया के ब्रांच से  1.78 रुपये नकदी की लूट कर ली गयी और अपराधी चलते बने. अपराधी नौ की संख्या में सहारा इंडिया की शाखा में पहुंचे थे. पुलिस इस मामले की तहकीकात कर रही है और अपराधियों की धड पकड के लिए प्रयास किये …

भड़ास पर खबर आने के बाद सहारा वालों ने मेरी माता को भुगतान कर दिया

 

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृहग्राम हरनौट में दिनकर प्रसाद सिंह की सत्तर वर्षीय मां सरोज सिंह के जमा अवधि पूरी कर चुके अमाउंट के 3,20,000 रुपए सहारा ने बिना उनकी अनुमति के अन्य स्कीम में हड़प कर लिया था। दिनकर प्रसाद सिंह ने बताया कि भड़ास4मीडिया पर यह खबर प्रसारित होने के बाद सहारा प्रबंधन ने पूरे रुपए का भुगतान सरोज सिंह को कर दिया है। 

नोएडा में सहारा के पत्रकार के खाते से साढ़े चार हजार रुपए पार कर किए

नोएडा : राष्ट्रीय सहारा में कार्यरत आलोक कुमार निगम के एटीएम बैंक खाते से चोरों ने साढ़े चार हजार रुपये पार कर दिए। उन्होंने नोएडा के सेक्टर 24 स्थित थाने में घटना की रिपोर्ट दर्ज करा दी है। इस एटीएम से पहले भी इस तरह की वारदात हो चुकी है। 

सुप्रीम कोर्ट का झटका, जेल से बाहर नहीं आ सके सुब्रत रॉय, जमानत पर फैसला सुरक्षित

सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय को गुरुवार को भी कोई राहत नहीं मिल पाई। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। उम्मीद की जा रही थी कि उनको जमानत मिल सकती है, क्योंकि ज़मानत के लिए पांच हज़ार करोड़ रुपये कैश और पांच हज़ार करोड़ रुपये की जो बैंक गारंटी मांगी गई थी, उसके लिए सहारा ग्रुप तैयार है। 

सुब्रतो की ज़मानत पर फ़ैसला आज, पांच माह से वेतन के बिना बे-सहारा स्टॉफ को बेचैनी से इंतजार

सहारा सुप्रीमो सुब्रत रॉय की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट में आज गुरुवार को सुनवाई होने वाली है। सुब्रत रॉय के वकीलों ने दावा किया है कि उनकी जमानत की रकम का इंतजाम हो चुका है। इसके बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि करीब एक साल से तिहाड़ जेल में सजा काट रहे सहारा प्रमुख जमानत पर आज रिहा हो सकते हैं। सुब्रत राय की रिहाई का अगर सबसे ज्यादा बेचैनी से किसी को इंतजार है तो राष्ट्रीय सहारा के मीडिया कर्मियों को। उन्हें पांच-छह महीने से सैलरी ही नहीं दी जा रही है। 

लखनऊ सहारा में तुगलकी फरमान पर मचा बवाल, हालात विस्फोटक

लखनऊ : राष्ट्रीय सहारा की लखनऊ यूनिट में इन दिनो एक तुगलकी फरमान को लेकर माहौल काफी तनावपूर्ण है। स्थिति विस्फोटक होने का अंदेशा जताया गया है। सारा बवाल यूनिट हेड मुनीश सक्सेना के उस नोटिस पर मचा हुआ है, जिसमें उन्होंने समस्त स्टॉफ को आदेश दिया है कि अब एक बार इंटर करने के बाद कोई भी व्यक्ति चाय पीने अथवा अन्य किसी काम से बाहर निकला तो उसे रजिस्टर में उल्लेख करने के साथ ही आदेश की स्लिप लेनी होगी और लौटने के बाद वह स्लिप विभागाध्यक्ष को देकर अवगत कराना पड़ेगा कि वह ड्यूटी पर आ गया है।