लक्ष्मी प्रताप सिंह-
कोयला संकट में कोल इंडिया की बजाय मोदी की गलती क्यों है?
1.) जब मोदी जी की सरकार बनी तब 2015 में कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) के पास 40,000 करोड़ का रिजर्व था जो फ़िलहाल करीब 10,000 करोड़ मात्र के करीब रह गया है।
2.) 2016 में कोल इंडिया 400 पे ट्रेड हो रहा था जो फ़िलहाल 200 से भी नीचे हैं।
3.) मोदी सरकार ने 1 साल तक कोल इंडिया का चीफ मेनेजिंग डाइरेक्टर CMD नियुक्त नहीं किया जिसके चलते महत्वपूर्ण फैसले लिए ही नहीं गए। जान बूझ कर कोल इंडिया के हर बड़े फैसले को लटका के रखा गया।
4.) मोदी सरकार ने कोल इंडिया का पैसा जबरजस्ती फर्टिलाइजर प्लांट्स में लगवाया ताकि वो आर्थिक रूप से कमजोर हो जाये।
5.) मोदी सरकार ने कोल इंडिया के मैनेजर्स की ड्यूटी स्कुल के टॉयलेट्स का निरीक्षण करने में भी लगा रखी थी क्या यही उनका काम था।
पहली लाइन में लिखा जो 40 हज़ार करोड़ का रिजर्व 10 रह गया है वो कहाँ गया ? क्या कोल इंडिया ने इससे नए कोल फील्ड, नयी खदाने बना के क्षमता बढ़ाई ?
जवाब सुनिए ….
ये सारा पैसा मोदी सरकार ने डिविडेंड के रूप में ले लिया अपने बजट की कमी पूरी करने के लिए … अपने लिए 8 हज़ार करोड़ का उड़न खटोला खरीदने, अपने लिए नयी संसद बनाने और उसमे प्राइवेट मेट्रो रेल बनवाने के लिए जो बजट बनाया उसमें जो कमी पड़ी उसमें कोल इंडिया और इस जैसे अन्य PSU का रिजर्व झोंक दिया ..
और कोल इंडिया का चीफ आवाज न उठाये इस लिए साल भर तक CMD नियुक्त ही नहीं किया …
अब बताइये इस सब में गलती कोल इंडिया की है या मोदी सरकार की ?
मोदी जी के शौक का पैसा PSU और RBI के रिजर्व को खर्च करके पूरा किया जा रहा है और लोग कहते हैं उन्होंने अपने लिए किया ही क्या है…. फ़क़ीर के शौक के साइड इफेक्ट अब शुरू हुए हैं …
ध्यान रहे …
रिजर्व बैंक की हालत भी कुछ ठीक नहीं है … उसके रिजर्व से भी जबरिया पैसा ले चुके हैं .. आने वाले समय में इस तरह के संकट आएंगे और तब मोदी जी उन PSUs को बेच के पीछा छुड़ा लेंगे .. अच्छे का पता नहीं लेकिन #कालचक्र में अभी बुरे दिन आने शुरू हुए हैं ..
गिरीश मालवीय-
मोदी जी कह रहे है कि राज्य सरप्लस बिजली ऊँचे दामो में न बेचे !……. एक बात बताइये महाराज !…… बिजली के क्षेत्र में पूर्ण निजीकरण के भस्मासुर को तो आपने ही जन्म दिया है न !
कल दिल्ली के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा, ‘दिल्ली वालों को 5 रुपये की चीज ₹25 में खरीदने पड़ रही है. दिल्ली वाले ₹25 यूनिट बिजली कितने दिन तक खरीद पाएंगे?
एक बात बताइये यह बिजली खरीद कहा से रहे हैं ? क्या विदेशी पॉवर प्लांट से बिजली खरीद रहे हैं ?
नही !….ये उस मार्केट से बिजली खरीद रहे हैं जिसे आपने यानी मोदी सरकार ने ही बनाया है !
आप भूल गए हैं जून 2020 मे आपकी सरकार ने ही इंडियन एनर्जी एक्सचेंज बनाया था जिसके अंतर्गत बिजली कंपनियां अपनी जरूरत के अनुसार केवल एक घंटे पहले बिजली की खरीद-बिक्री कर सकती है यहां मांग-आपूर्ति के हिसाब से बिजली का दाम तय होता है, यानी इसके दामों में बढ़ोतरी और गिरावट होती रहती है.
इंडियन एनर्जी एक्सचेंज में आधे-आधे घंटे पर नीलामी के जरिये बिजली का कारोबार किये जाने की व्यवस्था की गई है बोली सत्र समाप्त होने एक घंटे के भीतर बिजली की डिलिवरी देने की बात की गई है,
यह रियल टाइम मार्केट आपके कर कमलों से ही तो शुरू हुआ था……आपकी तो सांसे एक साल में ही फूल गयी !…..
इतिहास से पता चलता है कि जिस भी क्षेत्र में इस तरह का मार्केट ओपन किया जाता है वहाँ बाजार की ताकते अपनी मनमानी कर कीमतो को ऊपर ले जाती है ….ओर आज यही हो रहा है संकट है नही बल्कि पैदा किया जा रहा है ताकि घरेलू बिजली के दाम ऊपर ले जाए जा सके
कुछ ही महीने पहले अगस्त 2021 में ऐसी भी मीडिया रिपोर्ट्स आयी थी जिसके अनुसार सरकार की ओर से टाटा पावर और अडानी पावर को एक्सचेंज पर राज्यों को और बिजली बेचने का निर्देश दिया है
भारत की कुल उत्पादन क्षमता करीब 3.9 लाख मेगावाट है. लेकिन बिजली की अधिकतम मांग अब तक 2 लाख मेगावाट से ज्यादा नहीं रही है.
पिछले साल अप्रैल से सितंबर के बीच छह महीनों में कोयले का उत्पादन 28.2 करोड़ टन था. इस साल यह 31.5 करोड़ टन रहा है. यानी इसमें 12 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
ऐसे में बिजली संकट क्यो पैदा किया जा रहा है ?
साफ है कि निजि क्षेत्र के खिलाड़ियों जिसमे सबसे प्रमुख खिलाड़ी अडानी उसे ही फायदा देने के लिए यह सब कुचक्र रचे जा रहे हैं