साल भर आप एक अदद विश्वविद्यालय में पीएचडी पाठ्यक्रम में नामांकन फॉर्म का इंतज़ार करते हैं…महीनों एकाग्र होकर आप अपना सबकुछ छोड़कर किताबों का अध्ययन करते हैं… परीक्षा हॉल में जाने से पूर्व आवश्यक निर्देशों के पालन और सम्मान के लिए मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामानों को आप बाहर छोड़ के जाते हैं… लेकिन अचानक आपकी आँखें फ़टी रह जाती हैं जब आप कुछ परिचित नामों के लड़कों को एग्जाम हॉल में उचित सीट पर ना देखकर उनके लिए अलग से की गयी व्यवस्था को देखते हैं…और वो भी परीक्षा नियंत्रक द्वारा…
जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ आज वर्धा के महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय जो कि एक केंद्रीय विवि है, के बिहार आर्थिक अध्ययन संस्थान पटना केंद्र में हुई धांधली की… कक्ष नियंत्रक थे वर्धा से आये रिसर्च ऑफिसर प्रियदर्शी जी और संस्थान के कुछ स्थानीय पदाधिकारी जो अपने परिचित छात्र-छात्राओं को अलग से बंद कमरें में परीक्षा लिखने की अनुमति दिए…कुछ देर तो हमें लगा कि यह सब सामान्य है लेकिन बाद में जब कुछ परिचित अनुपस्थित नामों (नियत स्थान पर नहीं बैठे कुछ परिचित क्रमांक संख्या) का हस्ताक्षर देखा तो मैंने खुद को ठगा-सा महसूस किया कि कैसे अपनी ऊँची पहुँच के धौंस के नाम पर लोग परीक्षा केंद्र और अधिकारियों का ईमान खरीद के आम निरीह छात्रों पर कहर बरपा देते हैं…
जब कुछ निरीह छात्र इस बाबत शिकायत किये तो उन्हें धक्के मारकर समय खत्म होने का हवाला दिया गया । परीक्षा का नियत वक़्त खत्म होने के बावजूद कक्ष नियंत्रक के मनचाहे वे 3 छात्र-छात्राएं परीक्षा केंद्र के अंदर ही रह गए और मोबाइल और लाइब्रेरी की मदद से जमकर लिखें… मैंने जब इसकी घटना की शिकायत वर्धा स्थित विवि के पदाधिकारी त्रिपाठी सर जिनका नम्बर 09890150726 है को कि तो उन्होंने कुलसचिव को लिफाफाबन्द कंप्लेन करने की सलाह मुझे दी…
जब इस विवि में ओएमआर शीट पर परीक्षा का नियम बनाया गया था तो हमें लगा कि कम से कम अब इसके विभिन्न परीक्षा केंद्रों पर सख्त और बगैर पक्षपात वाली परीक्षा होगी…लेकिन यह समझ आ गया हमें कि इस विवि के अधिकारी ‘हम नहीं सुधरेंगे के तर्ज पर’ आज भी डटे हुए हैं… समय खत्म होने के बाद भी कुछ चुनिंदा छात्र-छात्राओं को परीक्षा हॉल के भीतर बंद करके ओएमआर शीट भरने देना और आम परीक्षार्थियों द्वारा शिकायत करने पर उन्हें धक्के मार कर बाहर निकाल के दरवाजा बंद कर लेना और यह कहना कि हल्ला करने से भी कुछ नहीं होगा…यह साबित करती है कि उन्हें किसी भी प्रकार का वैधानिक भय भी नहीं है…
एग्जाम हॉल में ना ही कैमरे लगे थे और ना ही बैठने की क्रमवार व्यवस्था की गयी थी… विवि प्रशासन चाहे तो मेरे इस पोस्ट को एक शिकायत के तर्ज पर ले सकती है और पटना केंद्र पर पुनः परीक्षा केंद्र का आयोजन करवा सकती है… मैं माननीय कुलपति महोदय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को इस मामले को संज्ञान में लेने का आग्रह करता हूँ…
पीएचडी/एम. फिल प्रवेश परीक्षा,
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा
परीक्षा केंद्र -बिहार आर्थिक अध्ययन संस्थान, आईएएस कॉलोनी, किदवईपुरी, पटना-1
परीक्षा केंद्र में संस्थान के अधिकारियों एवं वर्धा से आये रिसर्च ऑफिसर प्रियदर्शी की मिलीभगत से हुई जमकर धांधली। 3 छात्र-छात्राओं को अलग कमरे में बैठा के दिलाया गया परीक्षा, जिसमें मोबाइल और किताबों का जमकर किया गया इस्तेमाल… 2 घंटे की परीक्षा की जगह उन्हें ज्यादा समय दिया गया और जब अन्य छात्रों ने शिकायत की तो उन्हें अधिकारियों ने धक्के मारकर दरवाजा किया बंद कर दिया….
शिकायतकर्ता :
स्नेहाशीष वर्धन
क्रमांक 06809,
विकास सिंह,
अनीश कुमार,
अनुपम सिन्हा,
रामप्यारी कुमारी
सहित अन्य