पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे आये हुए अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं या यूं कह लीजिये एक साल से भी कम वक्त हुआ है, लेकिन इस एक साल से कम समय में मैंने जो अनुभव लिया है उससे मैं यही कहना चाहूंगा की अगर आप पत्रकार बनने की सोच रहे हैं तो आप अपना भविष्य खतरे में डाल रहे हैं।
रात के करीब 2 बज रहे हैं नई नौकरी ज्वाइन किए हुए नौ दिन हो चुके हैं। पहली बार कोई संस्था सप्ताह में दो दिन छुट्टी दे रही है। वरना इन मीडिया हॉउस के संपादक की चले तो सप्ताह के सातो दिन चौबीस घंटे फ्री में काम करवाएं।
अगर मैं अपनी बात करूं तो बिना छुट्टी के लगातार 30 दिनों तक 9 से 10 घंटे तक काम किया है। कभी कभी तो ऐसा हो जाता था कि सारा दिन सुबह भीगे हुए चने खाकर दिन गुजारना पड़ता था। अगर इन 10 – 11 महीने के करियर के अनुभव की बात करें तो मैं यही कहूंगा कि हमारे ज्यादातर पत्रकार मोदीमय हो चुके हैं।
यहां तक की एक संस्था के हेड ने मुझसे ये तक कह दिया की मैं व्यापार कर रहा हूँ, कोई ऐसी खबर मत लिखना की मुझे मजबूरन तुम्हें निकालना पड़े। खैर उनके कहने से पहले ही मैनें उनका संस्थान छोड़ दिया। ज्यादा समय तक किसी चैनल ने टिक नहीं पाया जिस कारण एक साल के भीतर यह मेरी चौथी नौकरी है।
मई का महीना समाप्त होने की कगार पर है, पत्रकारिता की परीक्षा देकर नौकरी की तलाश में देशभर के लाखों छात्र दिल्ली की ओर अपना रुख कर रहे हैं। यहां बहुत सी ऐसी संस्थाए हैं जो पत्रकारिता और इंटर्नशिप के नाम पर उनका शोषण करने करने को तैयार बैठी हुई हुई हैं। मेरा ज्यादा तो शोषण नहीं हुआ लेकिन मै इसकी चपेट से बच नहीं पाया।
वर्तमान समय में मीडिया हॉउस का यह हाल है कि वह आप के क्रिएटिविटी को समाप्त कर देंगे। अगर आप यह सोच रहे हैं कि आप स्वत्रंत और निष्पक्ष होकर पत्रकारिता करेंगे तो इससे अच्छा है अपनी जीविका चलाने के लिए कोई और रास्ता चुन लीजिए। वरना आप का हाल वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपेई और अभिसार शर्मा की तरह हो जायेगा। उन लोगों ने इस क्षेत्र में अपने जीवन का काफी भाग दिया है जिस वजह से टिके हुए हैं वरना कबके लापता हो गए होते। इनके अतिरिक्त भी बहुत से पत्रकार हैं तो पत्रकारिता तो बहुत अच्छी करते थे लेकिन उन्हें अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा।
इतने दिनों बाद सप्ताह में दो दिन की छुट्टी मिलने से शायद, इस ख़ुशी की वजह से मुझे नींद न आ रही हो या सिर में जोरदार पीड़ा की वजह से। वरिष्ठ पत्रकार रविश कुमार ने अपने इंस्टाग्राम स्टोरी पर कुछ लाइन लिखी जो मुझे बहुत पसंद आई हैं। उन्हें आप के साथ साझा करना चाह रहा हूँ।
वह लिखते हैं,” चैनलों के भविष्य में पत्रकारिता नहीं है, कुछ और कर लीजिए। ज्यादा कुछ बचा नहीं करने को वापस हो जाइये या खुद को इसी प्रकार के टीवी जैसा बना लीजिए। वरना कैमरे के आगे पीछे भागने वाला एंकर बन जाइए। कुछ नहीं, फोकस मिलेगा।”
वरिष्ठ पत्रकार रविश कुमार के ये शब्द रिपब्लिक टीवी के बड़े पत्रकार अरनब गोस्वामी की तरफ इशारा कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव के बाद मीडिया स्टूडियो में भागते हुए एंकरिंग करतेअरनब के वीडियो को लगभग लगभग सभी ने देखा है। ये ज़नाब यहीं नहीं रुकते हैं 23 मई को आ रहे चुनावी नतीजों में बीजेपी की जीत को लेकर इतना खुश हो गए की सनी देओल को सनी लियोनी बोल गए। इस दौरान इनके साथ प्रदीप भंडारी की भी कॉमेडी देखने लायक थी।
सोशल मीडिया से मेरा काफी लगाव होने की वजह से मै ट्विटर समेत अन्य जगहों पर काफी सक्रिय रहता हूं। वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा के ट्वीट पर रिप्लाई करते हुए रिपब्लिक टीवी के एंकर/रिपोर्टर प्रदीप भंडारी उन्हें बेरोजगार तक बता देते हैं जो बहुत ही शर्मनाक है। मैं प्रदीप भंडारी से कहना चाहता हूं कि वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा भले ही बेरोजगार हैं लेकिन वह अन्य पत्रकारों की तरह चाटुकारिता नहीं करते हैं।
लेखक अभय प्रताप सिंह दिल्ली में एक मीडिया हाउस में कार्यरत हैं.
Adesh Srivastava
May 29, 2019 at 9:16 pm
Wah…! Abhay
Raghavendra yadav
May 30, 2019 at 6:10 am
You really correct brother
Priyanka Amar
May 31, 2019 at 5:58 pm
Ahh…this shows nothing but your inefficiency…In your write up its very much clear that you don’t trust yourself…You are actually hitting on Arnab Goswami without knowing anything about him…Arnab has that much experience jitni tumhari age bhi ni hogi bro…and with just 1 year of experience you are giving that so called gyan toh listen he doesn’t need your unsolicited gyan….you should have done some Research before saying that Nonsense…and if you have that much problem with the media ….why are you still working in media house…just go and find something meaningful for you…Stop blaming others
pramod
June 2, 2019 at 11:39 am
But what about all the charges that abhisar is facing?