आजतक न्यूज चैनल को खुद को नंबर वन चैनल बताने का रोग लग चुका है. कंटेंट के स्तर पर दिनों दिन गर्त में जा रहा यह न्यूज चैनल टीआरपी में तीसरे नंबर पर पहुंच चुका है लेकिन खुद को नंबर वन बताने का जुमला छोड़ने का नाम नहीं ले रहा. अब वह फेसबुक लाइक्स के मामले में एक करोड़ का दावा करके खुद को नंबर वन बताने लगा है. इस बाबत आजतक न्यूज चैनल ने खुद की वेबसाइट पर लंबा चौड़ा स्व-प्रचार प्रकाशित किया है.
इसमें कहा गया है- ”आज तक देश का पहला न्यूज चैनल बन गया है, जिसके फेसबुक पेज पर 1 करोड़ से ज्यादा लाइक्स हो गए हैं. यह सब आज तक के दर्शकों और aajtak.in के पाठकों की बदौलत संभव हो सका. यह सोशल मीडिया में आज तक की बढ़ती लोकप्रियता का प्रमाण है. आज तक अपने दर्शकों और पाठकों को ब्रेकिंग न्यूज के जरिए सबसे पहले अपडेट रखता है.”
जानकारों का कहना है कि आजतक पर अब ऐसा कोई प्रोग्राम या खबर नहीं है जो दूसरे चैनलों के पास न हो. आजतक भारत के दूर-दराज के इलाकों के घटनाओं को प्रमुखता से दिखाया करता था लेकिन इसने अपने सारे स्ट्रिंगर्स को हटाकर खुद को एएनआई वीडियो न्यूज एजेंसी के भरोसे करके अपनी यूएसपी खत्म कर ली. रही सही कसर दीपक शर्मा के चैनल के जाने से पूरी हो गई जो कायदे के स्टिंग कर के बीच बीच में चैनल को देखने लायक बना दिया करते थे. चैनल के तेवर और सरोकार में भी बहुत कमी आई है. चैनल की हिम्मत अब मोदी, मुलायम जैसे नेताओं को एक्सपोज करने की नहीं रही क्योंकि इन नेताओं से अरुण पुरी के निजी संबंध हैं इसलिए निजी संबंधों को देखते हुए तेवरदार खबरों को इनकी भेंट चढ़ा दिया जाता है. अपने पत्रकार अक्षय सिंह की हत्या को लेकर भी आजतक कायदे का स्टैंड नहीं ले सका. इसने वो फुटेज भी नहीं दिखाए जिसे अक्षय शूट कराते हुए आखिरी सांसें ली. यह सब कुछ आजतक को रहस्यमय बनाता है और बताता है कि पुराने दिन यहां खत्म हो चुके हैं. नया दौर धंधा पानी और पीआर का शेष है.
ऐसे में आजतक के पास बस चीखने चिल्लाने वाले कुछ एंकर बचे हैं और बची हैं वही खबरें जिसे बाकी सारे चैनल दुहराते चलाते हैं. पुण्य प्रसून बाजपेयी जैसे पत्रकार को आजतक जमीनी रिपोर्टिंग के लिए देश भर में भेजकर कुछ नया कर सकता था लेकिन इन्हें एंकर के बतौर बनाए रखकर इनकी उर्जा-प्रतिभा को नष्ट कर रहा है. आजतक से कहीं ज्यादा बेहतर एबीपी न्यूज हो गया है जो नित नए तरीके से नए संवेदनशील खबरों मुद्दों को उठाता उछालता रहता है. साथ ही एक तेवर बनाकर चलने की कोशिश करता है. आजतक से बहुत बेहतर एनडीटीवी है जो अपने एंकर्स के दम पर दिल को छू लेने वाले जमीनी व पत्रकारीय सरोकार वाले खबरें बनाता दिखाता है. ऐसे में अब आजतक के पास खुद को फर्जी तरीके से नंबर वन बताने और हमेशा पिटते रहने के अलावा कुछ बचा नहीं है.
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