बेहद घटिया नीति और नीयत का परिचय देता हुआ आकाशवाणी इलाहाबाद। ‘विविधभारती-सेवा’ के अन्तर्गत जितने भी कार्यक्रम इलाहाबाद से प्रसारित किये जाते हैं, उन सभी में कार्यक्रमों को जारी रखते हुए विज्ञापनों का प्रसारण किया जाता है | इससे यहाँ के ‘मरे हुए लोग’ (आवाज़ नहीं उठा सकते |) न तो कोई पूरा गीत सुन पाते हैं और न आवश्यक जानकारी प्राप्त कर पाते हैं |
आकाशवाणी को धंधा ही करना है तो और भी एक-से-बढ़कर-एक रास्ते हैं | जैसे ही उद्घोषक कहता है– लीजिए, अब आप अपनी पसन्द का ‘गाना’ सुनिए वैसे ही विज्ञापन शुरू हो जाते हैं | जब विज्ञापन समाप्त होते हैं तब उद्घोषक दूसरे गीत का विवरण देने लगता है | फिर इलाहाबाद की महिला उद्घोषक उचक-उचक कर विज्ञापन सुनाने लगती हैं | कार्यक्रम के माध्यम से चिकित्सक किसी रोग के विषय में महत्त्वपूर्ण जानकारी देने लगता है, उसी बीच जानकारी को जारी रखते हुए (जो सुनायी नहीं पड़ती), विज्ञापन शुरू हो जाते हैं |
‘प्रधानमंत्री के मन की बात’ का विज्ञापन, बेटा-बेटी का विज्ञापन, स्थानीय कोचिंग संस्थानों का विज्ञापन आदिक कार्यक्रमों को सुनने से वंचित रखते हैं | यही नहीं, समाचार प्रसारित हो रहा है; विज्ञापन भी कन्धे-से-कंधा मिलाकर चल रहा है। आकाशवाणी, इलाहाबाद के पदाधिकारियो! तुम्हें अपने श्रोतागण के हितों का ध्यान नहीं ? डूब मरो!!!
डॉ.पृथ्वीनाथ पांडेय के एफबी वाल से