नई दिल्ली: ताज संरक्षित क्षेत्र (टीटीज़ेड) में पेड़ लगाने के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को जबरदस्त फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जरूरत पड़ी तो दोषी अफसरों को जेल भेज दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिए हैं कि इस मामले में दोषी अफसरों के खिलाफ जांच की जाए और यूपी सरकार एक रोडमैप लेकर फिर से सुप्रीम कोर्ट आए। मामले की अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आदेश के बावजूद सरकारी अफसरों ने पेड़ नहीं लगाए और लगता है कि इस क्षेत्र में भ्रष्टाचार की फसल लहलहा रही है। कोर्ट ने यूपी सरकार से दोषी अफसरों पर कार्रवाई करने और इस मामले में रोडमैप के साथ आने के आदेश दिए हैं। उल्लेखनीय है कि ताज क्षेत्र में यूपी सरकार ने सड़क चौड़ी करने के लिए पेड़ों की कटाई की थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि एक पेड़ के बदले दस गुणा पेड इलाके में लगाए जाएं। इस मामले में यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल पहले हलफनामे में बताया कि इलाके में 45 हजार पेड़ लगाए गए हैं। दूसरे हलफनामे में इनकी संख्या 15 हजार बताई गई।
सुप्रीम कोर्ट ने वकील एडीएन राव की कमेटी को मौके पर जाकर निरीक्षण करने के आदेश दिए थे। आठ फरवरी को कमेटी ने पूरे इलाके की जांच की और अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी। रिपोर्ट में बताया गया कि इलाके में करीब पांच हजार पेड़ ही लगाए गए हैं। लेकिन साथ ही ये भी कहा गया कि सरकार ने इनकी देखभाल करने के लिए भी इंतजाम नहीं किए गए हैं।
सोमवार को हुई सुनवाई में जस्टिस टीएस ठाकुर ने कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि इससे लगता है कि कोई भी अफसर काम नहीं करना चाहता और कोर्ट के आदेशों की भी अफसरों को परवाह नहीं है। कोर्ट ने कहा कि वह ऐसे अधिकारियों को जेल में डाल सकते हैं और मामले की जांच सीबीआई से करा सकते हैं।
कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि जैसे पेड़ लगाने की जगह पर भ्रष्टाचार की फसल लहलहा रही है और इसके लिए मिलने वाले फंड को अफसर डकार गए हैं। हालांकि इस दौरान यूपी सरकार के वकील ने कोर्ट से माफी मांगते हुए कहा कि पहले और दूसरे हलफनामे में जो पेड़ों की संख्या बताई गई वो गलती से हुई है और इसलिए एक और हलफनामा दाखिल किया गया है।