खबर है कि अमर उजाला में संपादकीय और विज्ञापन विभाग की टीम को छोड़कर बाकी सभी विभागों में छंटनी का दौर शुरू हो चुका है. बताया जाता है कि इसकी कमान प्रसार विभाग के वाईस प्रेसीडेंट वीरेंद्र सिंह पठानिया को दी गई है.
सूत्रों के मुताबिक अमर उजाला की यूनिटों में जिन पुराने कर्मचारियों की तनख्वाह 30 हजार से लेकर 40 हजार रुपये तक है, वे प्रबंधन के निशाने पर हैं. ऐसे पुराने कर्मचारी प्रबंधन को हमेशा बोझ ही लगतें हैं। 15 से 20 वर्षों तक कार्यरत अधिकतर कर्मचारियों की तनख्वाह तीस से चालीस हजार रुपये के बीच हो चुकी होती है.
उल्लेखनीय है कि अमर उजाला प्रबंधन अपने ज्यादातर स्टाफ को थर्ड पार्टी के रोल पर करने के लिये आदेश दे चुका है. बाकी बचे पुराने कर्मचारियों की छंटनी की जा रही है. इस तरह से अमर उजाला के कर्मचारियों पर ये दोहरी मार जैसी स्थिति है.
अमर उजाला के संपादकीय विभाग में पहले से ही कर्मियों की भारी कमी है. नई भर्तियां मुश्किल से हो रही हैं. होती भी हैं तो नाममात्र के लिये. हां, विज्ञापन विभाग छंटनी से बचा है क्योंकि यह विभाग रेवेन्यू ले आता है. अमर उजाला में छंटनी के नए अंदेशे से कर्मचारियों में दहशत का माहौल है.
मंदी के इन दिनों में ज्यादातर मीडिया हाउस खर्चे में कटौती के लिए स्टाफ की छंटनी कर चुके हैं या कर रहे हैं. अमर उजाला भी इसी कड़ी में अपने यहां के सेलरी के खर्च को कम से कम रखने के लिए कई किस्म के उपक्रम कर रहा है.