दैनिक जागरण प्रबन्धन सत्तापक्ष के हाथों की कठपुतली बन कर रह गया है। निष्पक्ष और निडर पत्रकारिता की बात करने वाले जागरण प्रबंधन ने अपने सारे वसूल विज्ञापन के लिए खूटी पर टांग दिए हैं। जागरण के मालिकान विज्ञापन और पैसा कमाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। कुछ महीने पहले दिल्ली में केजरीवाल के ट्वीट पर कमेंट करने पर नेशनल ब्यूरो के राजकिशोर की इसलिए छुट्टी कर दी, क्योंकि कमेंट के बाद केजरीवाल ने विज्ञापन बंद करने की धमकी दे दी। दूसरे मामले में लुधियाना दैनिक जागरण के इंचार्ज अरविन्द श्रीवास्तव की बलि ले ली गई।
अरविन्द ने पंजाब के उप मुख्यमंत्री सुखबीर के खासमखास पार्षद जगवीर सोखी और मदन लाल बग्गा के खिलाफ अलग-अलग मामले में काफी लिखा। उसी मामले को केजरीवाल ने मुद्दा बना कर सुखबीर को कई मंचों पर घेरा तो सुखबीर ने भी अपना प्रभाव दिखाया। दैनिक जागरण को अरविन्द और उससे जुड़े हर बन्दे की छुट्टी करनी पड़ी। कंपनी ने बिना देर किए अरविंद श्रीवास्तव, चीफ फ़ोटो जर्नलिस्ट संजीव टोनी, रिपोर्टर सुनील जैन, तपिन मल्होत्रा, हरजीत सिंह खालसा की बलि ले ली। जागरण के इस तानाशाही निर्णय की लुधियाना के पत्रकारों ने निंदा भी की और यहां तक अब कहा जा रहा है कि जागरण के बड़े अधिकारियों ने खुद को गिरवी रख दिया।
जागरण के मालिकानों का विज्ञापन के लिए खुद की गरिमा को गिराने का एक नया मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि दैनिक जागरण ने लुधियाना में सुखबीर बादल के अंग्रेजी अखबार डेली पोस्ट के इंचार्ज अमित शर्मा को रेजिडेंट एडीटर बना दिया है। चर्चा है कि प्रबंधन के साथ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष विज्ञापन के लिए भारी भरकम कमिटमेंट किया है। इस ज्वाइनिंग में सबसे बड़ा रोल पिछले साल कंपनी में अहम पद संभालने वाले एक बड़े प्रबंधक का रहा है। बताया जा रहा है कि जागरण के इस बड़े प्रबंधक ने एक तीर से दो शिकार करने की कोशिश की है।
एक तो कई सालों से उसके लिए कांटा बन कर संपादकीय विभाग की अहम की कुर्सी पर बैठी हस्ती को ‘खुड्डे लाइन’ लगाना और अमित शर्मा के द्वारा विधानसभा चुनाव का “विज्ञापन लक्ष्य” (प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष) पूरा कर प्रबंधन के सामने अपना नंबर बनाना। जागरण सूत्र बता रहे हैं कि रेजिंडेंट एडीटर बन कर आए अमित शर्मा को पंजाब के सुखबीर सिंह बादल का खास होने का लाभ मिला है। अमित शर्मा पहले हिंदुस्तान टाइम्स में रिपोर्टर थे। अमित ने अपने साथी मनीश शर्मा के साथ मिल कर पंजाब विधानसभा 2007 के चुनाव से पूर्व लुधियाना में सिटी सेंटर के निर्माण में घोटाला उजागर किया था। इसी खबर के बाद अमित शर्मा, अकाली नेता सुखबीर सिंह बादल के चहेते बन गए थे। इसके बदले में सुखबीर सिंह बादल ने सरकार बनने के बाद अमित शर्मा को ईनाम भी दिया। डेली पोस्ट नामक अंग्रेजी दैनिक में एसिस्टेंट एडीटर का पद दिया और लुधियाना में ए क्लास का सरकारी बंगला भी दिया।
रेजिडेंट एडीटर के जाते ही भिड़ गए पत्रकार, जूतम पैजार
दैनिक जागरण बठिंडा कार्यालय में कुछ दिन पूर्व दैनिक जागरण में नवनियुक्त रेजिडेंट एडीटर अमित शर्मा दौरा करने पहुंचे थे। उनके साथ विज्ञापन प्रबंधक भी थे। बठिंडा जिले के सभी रिपोर्टस के अलावा आसपास के जिलों के संवाददाता भी बुलाए गए थे। मीटिंग में रेजिडेंट एडीटर ने अखबार में धार लाने के लिए ज्ञान की वर्षा की और एड टार्गेट को भी हर हाल में पूर करने के निर्देश दिए। मीटिंग में रिपोर्टस ने शिकायतों का अंबार भी लगाया। पता चला है कि बठिंडा के चीफ रिपोर्टर गुरप्रेम सिंह लहरी ने अपने ही फोटोग्राफर रणधीर सिंह बौबी की रेजिडेंट एडीटर अमित शर्मा से शिकायत कर दी थी। लहरी ने कहा कि रणधीर सिंह बॉबी मनमर्जी से काम करते हैं और हमेशा धमकाते रहते हैं। जिस समय शिकायत की गई उस वक्त तो बौबी ने कुछ नहीं कहा लेकिन रेजिडेंट एडीटर के जाते ही बौबी लहरी पर बरस पड़े। इतने में गुरप्रेम सिंह लहरी के खास माने जाने वाले साथी पंजाबी जागरण के गुरतेज सिंह सिद्धू को गुस्सा आ गया। गुरप्रेम लहरी का पक्ष लेते हुए गुरतेज बौबी से भिड़ गए। इस भिड़ंत की बठिंडा ही नहीं पूरे मीडिया जगत में काफी चर्चा है।
एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.