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सुख-दुख

अस्‍पताल की मर्चुरी में 5581 का टैग लगा आपका शरीर

अपने हाथों अपने ही जीवन को समाप्‍त करने का ऐसा कोई दूसरा उदाहरण मैंने नहीं देखा, बावजूद इसके कि, आप खुद चाहते तो ऐसा नहीं होता, पर यह राह आपने ही चुनी थी… आपका अक्‍खड़पन टेढमिजाजी सब कुछ उतनी बुरी नहीं थी, बल्‍कि थी ही नही, और ना ही इससे जीवन समाप्‍त होता है… आपको शराब और नशे की गोलियां खा गई… और यह दोनों चीजें आपके लिए कतई जरूरी ना थी… आप वे शख्‍स, जिसकी दहाड़ से बड़े बड़े तुर्रम कांपते थे… आप इस मौत के काबिल नहीं थे जैसी मौत आपने चुनी… आप ठहर सकते थे, आप मान सकते थे, पर आप माने नहीं… घर कहीं पीछे छूट गया, कोई इर्द गिर्द ना रहा…

अपने हाथों अपने ही जीवन को समाप्‍त करने का ऐसा कोई दूसरा उदाहरण मैंने नहीं देखा, बावजूद इसके कि, आप खुद चाहते तो ऐसा नहीं होता, पर यह राह आपने ही चुनी थी… आपका अक्‍खड़पन टेढमिजाजी सब कुछ उतनी बुरी नहीं थी, बल्‍कि थी ही नही, और ना ही इससे जीवन समाप्‍त होता है… आपको शराब और नशे की गोलियां खा गई… और यह दोनों चीजें आपके लिए कतई जरूरी ना थी… आप वे शख्‍स, जिसकी दहाड़ से बड़े बड़े तुर्रम कांपते थे… आप इस मौत के काबिल नहीं थे जैसी मौत आपने चुनी… आप ठहर सकते थे, आप मान सकते थे, पर आप माने नहीं… घर कहीं पीछे छूट गया, कोई इर्द गिर्द ना रहा…

अस्‍पताल की मर्चुरी में 5581 का टैग लगा आपका शरीर अकेले ढंका पड़ा था… मैं आपको आपके सुनहरे अक्षरों की लिखावट और बेबाक लेखनी के लिए याद करना चाहता हूं…. एक शख्‍स ऐसा जिसकी जिद पर सब सहमते थे… एक शख्‍स ऐसा जिसने सत्‍ता के सवारों को तलवों पर ला गिराया… भीड़ कुछ कहे पर करना कहना अपने मन की… पर जानता हूं कि मैं आपको याद करूंगा कि, अपने हाथों बगैर वजह और बुरी तरह अपनी लाइफ नष्ट करने वाला आपके अलावा कोई दूसरा ना देखा मैंने…,और प्रार्थना है कि, देखूं भी ना… कई मुलाकातें है जेहन में… हर मुलाकातों में आपके अंदाज वाले किस्‍सों की भी कमी नहीं… पर यह जो आज के पैतालिस मिनट थे न … जब अस्‍पताल के रिसेप्‍शन से लेकर मर्चुरी तक मैं भटकता रहा, यह मुलाकात मुझे हमेशा याद रहेगी…

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टैग नंबर 5581 के रूप में मौजूद आपसे यह मुलाकात आखिर भूलना भी चाहूं तो भुलूंगा कैसे… दीदादिलेर, बला का हठी और शब्‍दों का कुशल चितेरा यह आपके भीतर का वह पत्रकार था जिसे आपने शराब और गोलियों के पीछे ढांप दिया… दबा दिया… वह पत्रकार जिसकी हमेशा से हम सबको जरूरत थी, आपने हमसे हमारा नायाब पत्रकार छीन लिया… आप ऐसा क्‍यूं करते थे जैसा कि आप करते थे, वह सवाल तब भी आपके लिए कोई मायने नहीं रखता था जबकि आपसे संवाद होता था, पर हां अब जबकि संवाद संभव नहीं है तो स्‍वप्‍न में ही सही अगर आ कर आप मुझे यह बता सकें कि, आपने ऐसी मौत क्‍यूं चुनी, तो कम से कम यह बताइएगा जरूर…

पत्रकार याज्ञवल्क्य वशिष्ठ के फेसबुक वॉल से.

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0 Comments

  1. Victim

    September 23, 2014 at 10:58 pm

    MONSTER like him should have die with painful death. He has expelled many lives. Including marrying several women, raping them, making video of that. He was one beast who was born to torture others. I pray to God that he should be tortured in the hell. Not to mention his family should go to hell as well.

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