अमरेंद्र राय-
अनामिका जी को मैंने पढ़ा नहीं है पर बहुत बार सुना है कि वे बड़ी कवियत्री हैं। सबसे पहले मैंने उन्हें शायद टोटल टीवी पर देखा था। संवाददाता बड़ी कवित्री होने के नाते उनसे उनकी दिनचर्या को लेकर बात कर रहा था और जानना चाह रहा था कि क्या आप भी किचन में काम करती हैं। सूटिंग भी किचन में ही हो रही थी।
दूसरी बार तब चर्चा सुना जब किसी को पुरस्कार मिला था और निर्णायक मंडल में अनामिका जी भी थीं। कवि कृष्ण कल्पित ने उसे लेकर कोई टिप्पणी कर दी थी जिस पर इतना हंगामा हुआ कि बार बार बचाव करने के बावजूद उन्हें अपनी टिप्पणी हटानी पड़ी थी।
मेरे ख्याल से किसी कार्यक्रम में या पुस्तक मेले में उनको नजदीक से देखने का अवसर मिला। वे जल्दी ही अपने प्रशंसकों से घिर गई। अभी उनको साहित्य अकादमी का पुरस्कार मिला है। बधाइयां दी जा रही है। महिलाएं तो इतना उत्साहित हैं कि उसे अलग दिशा में ही लिए जा रही हैं। जैसे कवित्री अनामिका जी को नहीं स्त्री अनामिका जी को पुरस्कार मिला है।
फेसबुक पर मिल रही बधाइयों में एक और एंगल भी है। मुजफरपुर का। बधाइयों में एक टिप्पणी और दिखी। लिखा है जिनका गद्य भी पद्य की तरह सरस और प्रवाहमय है, उन अनामिका जी को बधाई। मुझे ये टिप्पणी सबसे अच्छी लगी। पता चला कि कविता के साथ ही वे गद्य भी बहुत अच्छा लिखती हैं। इस तरह की जानकारी पूर्ण बधाइयों के साथ मंगल गान का आह्वान किया जाता तो ज्यादा अच्छा लगता।
अनामिका जी मुजफ्फरपुर की हैं, स्त्री भी हैं पर इन सबसे ऊपर वे एक बड़ी कवियत्री हैं। मेरी तरफ से भी इन कवियत्री को साहित्य अकादमी का पुरस्कार मिलने की हार्दिक बधाई।