मेरठ के प्रतिष्ठित आनंद हॉस्पिटल के मालिक हरिओम आनंद नहीं रहे। आज दोपहर बाद उनका अचानक निधन हो गया। उनके निधन से हॉस्पिटल मालिकों और डॉक्टरी पेशा जगत में शोक की लहर दौड़ गई।
कुछ लोगों का कहना है कि उन्होंने जहर खाकर जान दी है। हालांकि इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है। आनंद अस्पताल के मैनेजर मनीष पंडित ने हरिओम आनंद की मौत की पुष्टि की है। उन्होंने आत्महत्या से इनकार किया है। साथ ही ये भी कहा है कि उनका पोस्टमार्टम नहीं कराया जाएगा।
बताया गया कि हरिओम आनंद आज दिन में डेढ़ बजे से आनंद हॉस्पिटल में भर्ती थे। हरिओम आनंद की मृत्यु सल्फास खाने से बताई जा रही है।
हरिओम आनंद एक दफे मेरठ के शास्त्रीनगर स्थित अपनी कोठी की छत से कूदकर खुदकुशी का प्रयास कर चुके थे। उस दौरान उन्हें रीढ़ की हड्डी में चोट और हाथ में फ्रैक्चर हुआ था। आनंद अस्पताल पर कई तरह की देनदारियां थी। हरिओम काफी तनाव में चल रहे थे। पूर्व में भी कई बार विवाद हो चुका है। उनकी बेटी को भी देनदारों ने पिस्टल दिखाकर धमकाया था।
उनकी बेटी मानसी आनंद का कहना है कि उनके पिता हरिओम आनंद तनाव में थे। पत्नी मीना आनंद ने बताया कि घर में परिजन एक जगह बैठे हुए थे। उस दौरान भी वो काफी तनाव में थे। आज उन्होंने अपने ही घर में रखा सल्फास खा लिया। इसके बाद उन्हें आनंद अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां पर उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई।
इस बीच हरिओम आनंद के साथ साये की तरह रहने वाला उनका सबसे खास व्यक्ति ऋषिपाल गायब है। इस पूरे मामले के पीछे कर्ज में डूबना बताया जा रहा है। बताया जा रहा है कि हरिओम आनंद पर करीब 400 करोड़ रुपए का कर्ज था।
ज्ञात हो कि पिछले बरस मई महीने में हरिओम आनंद ने छत से कूदकर जान देने की कोशिश की थी। उन्हें किसी तरह बचा लिया गया। वे काफी समय तक अस्पताल में भर्ती रहे।
हरिओम आनंद कभी सुभारती ग्रुप के कर्ताधर्ताओं में से एक थे। पर सुभारती के एक मालिक अतुल कृष्ण से उनकी जब अदावत शुरू हुई तो इसने खूनी रूप ले लिया। बाद में उच्चस्तरीय हस्तक्षेप के बाद दोनों में समझौता हुआ। हरिओम आनंद अपना हिस्सा लेकर अलग हो गए और आनंद हास्पिटल की स्थापना की।
कुछ लोगों का कहना है कि हरिओम आनंद ने मार्केट से बहुत ज्यादा पैसा ब्याज पर ले रखा था। नोटबंदी, जीएसटी, लाकडाउन इन सबने मिलकर उनके हास्पिटल बिजनेस की कमर तोड़ दी। पैसे का फ्लो कम हो गया। पैसे देने वाले उनसे वसूलने के लिए गर्दन पर सवार रहने लगे। हरिओम आनंद खुद उदार स्वभाव के थे और सबकी मदद करने में विश्वास रखते थे। इसलिए वह पैसे कम ही बचा पाते थे। बढ़ती देनदारी और उनके उपर लौटाने के बढ़ते दबाव के डिप्रेशन में उन्होंने पहले छत से कूदकर जान देने की कोशिश की थी। अब उनके जहर खाकर मर जाने की खबर आई है।