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सुख-दुख

नहीं रहे वरिष्ठ पत्रकार आनन्द राज सिंह

Ramendra Jenwar : हमारे बहुत पुराने मित्र, हास्टल’मेट और पूर्व पत्रकार आनन्दराज सिंह के निधन की खबर अभी अभी एक और पत्रकार मित्र रवि दत्ता जी से प्राप्त हुई.. गहरा आघात लगा… लखनऊ के मित्रोँ को फ़ोन करके जानकारी दी है…. आनन्दराज सिंह ने पत्रकारिता में अपना करियर नेशनल हेराल्ड मेँ कापी होल्डर की पोस्ट से शुरू किया था..फिर प्रूफ रीडर हुए.. फिर हेराल्ड मेँ ही उप संपादक हुए और उसके बाद उन्होंने पीछे मुडकर नहीं देखा… टाइम्स आफ इंडिया से लोकमत टाइम्स होते हुए ओमान डेली आब्जर्वर फिर दुबई मेँ खलीज टाइम्स आदि जाने कितने अंग्रेजी अखबारोँ मेँ काम किया…

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Ramendra Jenwar : हमारे बहुत पुराने मित्र, हास्टल’मेट और पूर्व पत्रकार आनन्दराज सिंह के निधन की खबर अभी अभी एक और पत्रकार मित्र रवि दत्ता जी से प्राप्त हुई.. गहरा आघात लगा… लखनऊ के मित्रोँ को फ़ोन करके जानकारी दी है…. आनन्दराज सिंह ने पत्रकारिता में अपना करियर नेशनल हेराल्ड मेँ कापी होल्डर की पोस्ट से शुरू किया था..फिर प्रूफ रीडर हुए.. फिर हेराल्ड मेँ ही उप संपादक हुए और उसके बाद उन्होंने पीछे मुडकर नहीं देखा… टाइम्स आफ इंडिया से लोकमत टाइम्स होते हुए ओमान डेली आब्जर्वर फिर दुबई मेँ खलीज टाइम्स आदि जाने कितने अंग्रेजी अखबारोँ मेँ काम किया…

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मधुमेह के मरीज थे लेकिन शराब और सिगरेट से परहेज नहीँ कर पाए… निरामिष भोजन के भी शौकीन रहे…. शादी बेंगलुरू से हुई थी… हम सब लोग बाराती बनकर गए थे…. मूल रूप से गोँडा जिले के रहने वाले थे…. अंग्रेजी के प्रकांड ज्ञाता थे… विद्वता का आलम यह था कि एमए प्रथम वर्ष की परीक्षा मेँ उन्हेँ एक प्रश्न इतना भाया कि एक ही प्रश्न का उत्तर लिखने मेँ उन्होने तीन कापियाँ भर दीँ लेकिन प्रश्न तो पाँच करने होते थे…. फिर भी परीक्षक ने उनकी योग्यता से प्रभावित होकर उन्हेँ पास मार्क्स दे दिए थे… बाद मेँ विभाग्ध्यक्ष डा विमला राव ने उन्हें बहुत समझाया तब सेकेंड इयर मेँ पाचोँ सवालोँ के जवाब लिखे…..

दुबई में थे तब रोज रात को मुझे फ़ोन करते थे और चाहे अनचाहे पूरी रात उनसे बात करनी पड़ती थी… बीच बीच मेँ पैग बनाने का टाइम भी माँगते थे…. उनको किसी ने खाली हाथ कभी नहीँ देखा… हमेशा हाथ मेँ अँग्रेजी का कोई मोटा उपन्यास या कोई और किताब और उसमेँ एक पेँसिल…. यूपी प्रेस क्लब हमारा बहुत दिनोँ तक स्थाई अड्डा रहा…. और क्या लिखूँ समझ नहीँ पा रहा….अलविदा मित्र…….

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किसी के जाने का मुझको गिला नहीँ है मगर,
बहुत करीब से उठकर चला गया कोई।

वरिष्ठ पत्रकार रामेंद्र जनवार के इस एफबी स्टेटस पर आए कुछ प्रमुख कमेंट्स इस प्रकार हैं….

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Surendra Pratap Singh हमेशा एक मित्र का जाना दुखद होता है और जब दिल के अत्यंत करीब हो तो घोर पीड़ादायक। हम आप के इस दुख में आप के साथ हैं। विनम्र श्रद्धांजलि।

Jagat Narain Singh किसी अपने की शरीरी विदाई पीड़ा देती है…

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Sanjeev Pathak मुझे भी रवि द्वारा ये दुखद सूचना मिली… बहुत पुरानी बातें याद आ रही हैं उनसे जुड़ी हुई.. अभी जाऊंगा घर… देखा नहीं है… कहीं देवा रोड पर बनवाया था.. रवि के फोन का इंतज़ार है क्योंकि उसे घर पता है…

Pradeep Kumar Mishra आपकी मित्रता, संवेदना, मित्र को असमय खोने कष्ट, अत्यन्त क्लेशकारी है, परमशक्ति आपको संयम तथा स्व. आनन्दराज सिहं जी के परिवार को शान्ति पृदान करे…

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Vir Vinod Chhabra बहुत दुखद खबर। मेरी भी इनसे तीन बार की मुलाक़ात हुई है। दिलचस्प शख्सियत थे। एक हाथ में अख़बार और दूसरे हाथ में सिगरेट हमेशा रही। विनम्र श्रद्धांजलि।

Siddharth Kalhans बेहद दुखद। आनंदराज सिंह हमारे जिले के रहने वाले थे और हमेशा मुझे अपने अनुज की तरह माना। एक बार जब हमने बहुत ठानी दुबई जाने की तो वहां की हकीकत से उन्होंने रुबरु करा कर मुझे जाने से रोक दिया।

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Shubhendu Dass Very sad and shocking.He worked with me too about 32 years back. Rest in peace in his heavenly abode

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