अराजक रोडवेजकर्मियों ने लखनऊ के पत्रकार को मिल कर पीटा, मीडिया संगठन चुप्पी साधे हैं

लखनऊ से खबर है कि मान्यता प्राप्त पत्रकार शशि नाथ दुबे के ऊपर आलमबाग रोडवेज के कर्मचारियों ने हमला कर उन्हें बुरी तरह घायल कर दिया. शशि नाथ दुबे बिजनेस टाइम्स से राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त पत्रकार हैं. वे टिकट बुक कराने के लिए आलमबाग बस स्टेशन पहुंचे और जयपुर जाने के लिए अपना रिजर्वेशन …

लखनऊ में सरकारी आवास का सुख भोग रहे किस पत्रकार पर कितने रुपये है बकाया, देखें लिस्ट

लखनऊ के पत्रकारों को अलाट 236 सरकारी आवास में काबिज ज्यादातर पत्रकार भूल बैठे हैं कि उन्हें किराया भी देना है. सूचना के अधिकार के तहत राज्य संपत्ति निदेशालय ने एक सूचना जारी की है जिसमें सरकारी आवासों में रहने वाले पत्रकारों पर बकाये की राशि का जिक्र है.

भ्रष्टाचार की पोल खोलने वाले मीडिया ग्रुप को धमकी दिला रहे है नगर निगम अधिकारी

लखनऊ । भ्रष्टाचार की पोल खोल अभियान से घबराये नगर निगम अधिकारी और कर्मचारी अब बचाव छोड़ आक्रामक मुद्रा में आ गये है। इस पहल से परेशान नगर निगम के अधिकारी अब फर्स्ट आई न्यूज के कर्मचारियों और अधिकारियों को जान से मारने की धमकी भरे फोन तो करवा ही रहे है साथ ही कार्यालय पर गुण्डें भेजकर फर्स्ट आई के डायरेक्टर्स का पीछा भी करवा रहे है। लेकिन नगर निगम के अधिकारियों के इस तरह के दुस्साहस से डरे बगैर इस मीडिया हाउस ने तय किया है कि नगर निगम में जड़ तक अपनी पैठ बना चुके करप्शन को आम जनता और शासन सत्ता के सामने लाकर ही दम लेंगे और इस अभियान को आगे भी जारी रखेंगे। इसके लिए मीडिया हाउस ने सभी अधिकारियों और उनके चापलूसों के खिलाफ पर्याप्त सबूत जुटा लिये है। इस भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेकने के लिए फर्स्ट आई की पूरी टीम कार्य कर रही है।

यूपी के मुख्यमंत्री निवास पर संवाददाता सम्मेलन की यह तस्वीर हो रही वायरल

Dilip Mandal : यह बीजेपी कार्यकर्ताओं का सम्मेलन नहीं है. यूपी के मुख्यमंत्री निवास पर हुए संवाददाता सम्मेलन की ताजा तस्वीर है. ये सब निष्पक्ष पत्रकार हैं. इनका बताया हुआ जानकर हम अपने विचार बनाते हैं. आपके प्रिय चैनल का रिपोर्टर भी यहीं है. भारतीय मीडिया एक पोंगापंथी सवर्ण पुरुष है. यूपी के मुख्यमंत्री निवास पर संवाददाता सम्मेलन की वायरल हो रही तस्वीर. पहचानिए अपने प्रिय चैनल और अखबार के पत्रकार को. वह यहीं कहीं है. गौर से देखिए. यूपी के सीएम निवास पर संवाददाता सम्मेलन की तस्वीर.

लखनऊ में थोक के भाव पत्रकार किए गए सम्मानित, देखें लिस्ट

लखनऊ में नेशनल मीडिया क्लब द्वारा आयोजित स्वच्छता अवार्ड व पत्रकार सम्मान समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्य अथिति के रूप में शिरकत की. इस मौके पर मुख्यमंत्री ने स्वच्छता के लिए उत्तर प्रदेश का पहला टोल फ्री नंबर जारी किया. आयोजन में नेशनल मीडिया क्लब ने पत्रकारिता दिवस के अवसर पर 60 वर्ष पूरे कर चुके वरिष्ठ पत्रकारों को सम्मानित किया।

जाम लड़ाने के बदले अभियुक्त बाप-बेटों की साजिशों में भागीदार रहता है अंग्रेजी दैनिक का रिपोर्टर

अब नहीं जलता ‘शरद’ ऋतु का ‘दीप’…

लखनऊ। देश को लगातार गौरवान्वित करने वाले, ओलंपिक और अन्य अंतराष्ट्रीय स्पर्धाओं में मेडल दिलाने वाले और लगातार ऊंचाइयां छू रहे बैडमिंटन खेल को कुछ स्वार्थी तत्व और बिकाऊ कलमें प्रायोजित स्टोरियों के सहारे बदनाम करने की साजिश रच रही हैं। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि स्वार्थी-साजिशकर्ताओं का शिकार देश का एक प्रतिष्ठित अंग्रेजी समाचार पत्र भी हो रहा है।

लखनऊ की दलाल, शरणागत और चरणपादुका संस्कृति की पत्रकारिता का एक ताजा अनुभव

विष्णु गुप्त

क्या लखनऊ की पत्रकारिता अखिलेश सरकार की रखैल है? लखनऊ की पत्रकारिता पर अखिलेश सरकार का डर क्यों बना हुआ रहता है? अखिलेश सरकार के खिलाफ लखानउ की पत्रकारिता कुछ विशेष लिखने से क्यों डरती है, सहमती है? अखिलेश सरकार की कडी आलोचना वाली प्रेस विज्ञप्ति तक छापने से लखनऊ के अखबार इनकार  क्यों कर देते हैं? अब यहां प्रष्न उठता है कि लखनऊ के अखबार अखिलेश सरकार के खिलाफ लिखने से डरते क्यों हैं? क्या सिर्फ रिश्वतखोरी का ही प्रश्न है, या फिर खिलाफ लिखने पर अखिलेश सरकार द्वारा प्रताडित होने का भी डर है?

नहीं रहे वरिष्ठ पत्रकार आनन्द राज सिंह

Ramendra Jenwar : हमारे बहुत पुराने मित्र, हास्टल’मेट और पूर्व पत्रकार आनन्दराज सिंह के निधन की खबर अभी अभी एक और पत्रकार मित्र रवि दत्ता जी से प्राप्त हुई.. गहरा आघात लगा… लखनऊ के मित्रोँ को फ़ोन करके जानकारी दी है…. आनन्दराज सिंह ने पत्रकारिता में अपना करियर नेशनल हेराल्ड मेँ कापी होल्डर की पोस्ट से शुरू किया था..फिर प्रूफ रीडर हुए.. फिर हेराल्ड मेँ ही उप संपादक हुए और उसके बाद उन्होंने पीछे मुडकर नहीं देखा… टाइम्स आफ इंडिया से लोकमत टाइम्स होते हुए ओमान डेली आब्जर्वर फिर दुबई मेँ खलीज टाइम्स आदि जाने कितने अंग्रेजी अखबारोँ मेँ काम किया…

हेमन्त तिवारी जैसों को नहीं पहचाना तो फिर अगला नम्बर आपका होगा

न खुद दलाली कीजिए और न दलालों को अपने आसपास फटकने दीजिए

लखनऊ : चाहे वह सीवान का काण्‍ड हो या फिर चतरा का, पत्रकारों की मौत के असल कारणों का खुलासा तो बाद में ही हो पायेगा, लेकिन अब तक इतिहास बताता है कि ऐसे मामलों में उन लोगों की खास भूमिका रहती है, जो खुद को पत्रकार कहलाते हैं और असल पत्रकार जाने-अनजाने उनके पाले में पहुंच कर अपनी बरबादी का सामान जुटा लेता है। कम से कम, चालीस साल का जिन्दा इतिहास तो मुझे खूब याद है, जिसमें किसी पत्रकार की मौत के कारणों में से एक रहे हैं जो ऐसे पत्रकारों के करीबी बन कर असल वारदात को अंजाम दिला देते हैं।

लखनऊ के दो पत्रकारों सिद्दीकी और परितोष के मारे जाने का असली कारण जानिए और पत्रकारिता में धंधेबाजी से बचिए

लखनऊ : स्‍वतंत्र भारत का मुख्‍य उप सम्‍पादक हुआ करते थे सिद्दीकी। एक बार वे अपने आफिस में रात की पाली में काम कर रहे थे। रात आधी से ज्‍यादा हो गयी थी। पेज छूटना ही था। 15 मिनट का समय था, इसलिए सिद्दीकी बाहर चाय की दुकान की ओर बढ़े। रास्‍ते में नाली के किनारे बैठ कर उन्‍होंने पेशाब करना शुरू किया। अचानक कुछ लोगों ने पीछे से चाकुओं से हमला कर दिया। वार इतना सटीक था कि सिद्दीकी ज्‍यादा चिल्‍ला भी नहीं सके और मौके पर ही ढेर हो गये।

हे लखनऊ वालों, आप खामोश दर्शक बनकर पत्रकारिता की इज्जत लुटते हुए देखिये

मैं मुखालिफत करुँ तो कहिए- भुखरादी कर रहा है.. एक ही मसले पर एक ही संगठन के दो पत्रकार गुटो ने लखनऊ मे नितीश कुमार को ज्ञापन देकर पत्रकारों की खिल्ली उड़वायी…

बिना सेलरी और बिना नौकरी वाले ये लखनऊ के पत्रकार कहां से गाड़ियां, कोठियां, स्कॉच हासिल कर लेते हैं!

Zafar Irshad : मुख्यमंत्री जी को घेरे है चाटुकार पत्रकारों की टीम..प्रदेश में कुछ कर गुजरने की ख्वाहिश रखने वाले युवा मुख्य्मंत्री अखिलेश जी भी चाटुकार पत्रकारों के चक्कर में पड़ गए लगते है..उनके इर्द गिर्द वही पत्रकार चक्कर लगा रहे है,जो इससे पहले वाली सरकारों के दरबार में दण्डवत हाज़िरी लगाते थे..यकीन न हो इनका रिकॉर्ड देख लें की यह महानुभाव बड़का पत्रकार 4 साल पहले और उससे पहले कहाँ हाज़िरी लगाते थे..

हे विक्रम राव, फ्रांस की बातें बाद में कर लेना, पहले आत्महत्या करने वाले बुजुर्ग पत्रकार त्रिपाठी जी की सुध तो ले लो

पता चला है कि मई दिवस पर IFWJ की रैली में जुटेंगे 1200 श्रमजीवी पत्रकार और के. विक्रम राव होंगे मुख्य वक्ता…. इनसे मेरा कहना है कि पहले मलिहाबाद तो जाओ, फिर कर लेना फ्रांस की बातें… लखनऊ में नाका थाना क्षेत्र में आर्थिक तंगी के चलते वरिष्ठ पत्रकार चंद्र शेखर त्रिपाठी (74) ने ट्रेन के आगे कूदकर जान दे दी. श्री त्रिपाठी नव जीवन अख़बार में काम करते थे उसके बंद होने के बाद से इनका परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था. लेकिन इन पत्रकार नेताओं को कभी फुर्सत नहीं मिली कि वे ऐसे पीड़ित और गरीब पत्रकारों की सुध लेते.

दलाल पीआर और फ्रॉड बिल्डर के फेर में फंसे लखनऊ के पत्रकार

लखनऊ की पत्रकारिता रो रही है….इस शहर में बड़े-बड़े संपादक हुए देश दुनिया में नाम कमाया….बीबीसी से लेकर रायटर्स और कई चैनलों में बड़े ओहदों पर पहुंचे पत्रकार इसी शहर की देन हैं….इतना ही नहीं वालस्ट्रीट जर्नल और गल्फ टुडे जैसे बड़े समूहों में अच्छे पदों पर पहुंचे कई नामचीन पत्रकार लखनऊ के पत्रकारिता से ही ककहरा सीखकर आगे बढ़े हैं..लेकिन अब जो यहां देखने को मिल रहा है उससे लग रहा है ज़हर खाकर जान दे दूं या पत्रकारिता को अलविदा कह दूं…..

हिंदी न्यूज वेबसाइटों पर अब ऐसी खबरें भी छपने लगीं : ”शिवपाल के बेटे की शादी में दि पंजाब बैंड बजाएगा गाना”

Yashwant Singh : एक वेबसाइट है. ‘तहलका न्यूज’ नाम से. इस पर एक खबर की हेडिंग है : ”शिवपाल के बेटे की शादी में दि पंजाब बैंड बजाएगा गाना”. इस साइट पर यूपी के अखिलेश सरकार का एक विज्ञापन भी लगा है. सुना है इसे लखनऊ के एक ‘महान’ पत्रकार चलाते/चलवाते हैं. ये भी संभव है कि इस साइट के संपादक जी यानि संचालक जी इस वक्त इटावा की तरफ हों और इसी बैंड के किसी गाने में ‘शामिल बाजा’ माफिक डोल डाल कर रहे हों. 🙂

upsacc की तरह ifwj के भी दो टुकड़े हो गये!

पत्रकारों के बटवारे का दर्द

-नवेद शिकोह-

पत्रकारों के बंटवारे के ‘जिन्नाओ’, कितने टुकड़े करोगे हमारे! फिल्म ‘जिस्म’ ने अच्छा बिजनेस दिया तो ‘जिस्म-टू’ बन गयी। इसी तरह नागिन-वन के बाद नागिन-टू, आशिकी के बाद आशिकी टू बनी। व्यवसायिक फिल्मों की व्यवसायिक सोच ने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में ये ट्रेन्ड शुरु किया था। भारत की आजादी के फौरन बाद भी कुछ ऐसा ही हुआ। नफा-नुकसान की व्यवसायिक सोच के साथ भारत की आजादी की लड़ाई मे मोहम्मद अली जिन्ना का शामिल होना कितना महंगा पड़ा था। जिन्ना की व्यवसायिक सोच की गन्दी सियासत ने भारत का बटवारा करके हमारे देश के टुकड़े कर दिये।

लखनऊ में पत्रकारों की राजनीति पर सवाल उठाओ तो पूछा जाता है- ‘किस गुट की तरफ से बोल रहे हो?’

हुई मुद्दत कि ‘ग़ालिब’ मर गया पर याद आता है
वो हर एक बात पर कहना के यूँ होता तो क्या होता.

इन दो व्यक्तियों की तस्वीरों को देखिये और पहचानने की कोशिश कीजिये… जितने अति वरिष्ठ हैं और जितने भी बड़े पत्रकारों के नेता हैं, उनमें से शायद बहुत कम ही इनको पहचानते होंगे… जो नहीं पहचानते, उन्हें मैं बता देता हूं- इसमें बायीं तरफ हैं Neeraj Mishra और दाहिनी तरह है Mukesh Verma. दोनों टीवी के बहुत कनिष्ठ पत्रकार हैं लेकिन दिल के बहुत बड़े हैं और साथियों के लिए जीना-मरना जानते हैं… इनका पत्रकार दोस्त था… नाम था Santosh Kumar Gwala…

प्रांशु मिश्रा जी, आपके धमकियाने का अंदाज़ भी निराला है!

”…Holi tak Sehat aur Iradon ka dhyan rakhiye… …Is season main bimar hoten hain to lumba jhelena padta hai…”

उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति पार्ट 2 के अध्यक्ष प्रांशु मिश्रा के नाम खुला पत्र….

दुनिया भर में मनाया गया प्यार का दिन कहे जाने वाला दिन वैलेंटाइन डे. ऐसे में आपकी धमकियाना का जवाब तो प्यार ही होगा…आप चाहे जान ले लो या लंबा झिला दो लेकिन बदलता मौसम भी ये कह रहा है चलो नफरतो को हम भुला दे…

उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के अध्यक्ष प्रांशु मिश्र के नाम नवेद शिकोह का खुला पत्र

…. आँखों से आँखें मिलाकर कैसे शरमाओगे तुम

भाई प्रांशु मिश्र

आपको पत्र लिखते वक्त मुझे अपनी एक गजल की कुछ पंक्तियाँ याद आ गयी :-

चाँद-तारों को जमी पर कैसे ला पाओगे तुम,
जुगनुओ को रौशनी में कैसे चमकाओगे तुम।
या हया अपनाओ या फिय बेहया हो जाओ तुम,
आँखों से आँखें मिलाकर कैसे शरमाओगे तुम?

प्रेस क्लब सारे पत्रकारों के लिए खोलने के प्रस्ताव का दीपक गिडवानी ने स्वागत किया

That’s a good initiative, something i have been fighting for, for a long time. After a sustained effort and a major struggle, we had managed to get temporary membership for 18 journalists. But even these members have not been made permanent members. The fear of those wielding power at UP Press Club (for indefinite terms) is that news members might tip the balance against the ‘thekedaars’ in the next Club election (whenever that happens!)

OPEN PRESS CLUB FOR ALL JOURNALISTS

Lucknow, 11 February 2016 : The UP State Accredited correspondent committee has passed a resolution demanding Opening of doors of the UP Press Club, for all accredited and other working journalists. In the meeting of the Correspondent committee held at Press room of Vidhan Bhawan and presided by its President Pranshu Mishra, a resolution to this regard was moved by Senior journalist and member of the executive committee Mr Kazim Raza.

मैं यादव सिंह से ना तो कभी मिला और ना ही देखा : नवनीत सहगल

भड़ास4मीडिया के पास लखनऊ से प्रकाशित होने वाली पत्रिका दृष्टांत के संपादक अनूप गुप्ता का एक मेल आया है जिसमें दावा किया गया है कि सीबीआई के समक्ष यादव सिंह की गवाही से यूपी के सीनियर ब्यूरोक्रेट नवनीत सहगल के भ्रष्टाचार पर से पूरी तरह से पर्दा उठ जाएगा. श्री गुप्ता का कहना है कि इस काम में राष्ट्रीय हिन्दी समाचार पत्रिका दृष्‍टांत की तरफ से शीघ्र ही समस्त दस्तावेजों के साथ नवनीत सहगल के खिलाफ एक चौंकाने वाला खुलासा किया जाएगा.

Upwju में अंधेरगर्दी : मुतावल्ली बन कर फ्री की बिरयानी खाने वाले नमाज ही नहीं पढते

मुतावल्ली बन कर फ्री की बिरयानी खाने वाले नमाज ही नहीं पढते. इसका आशय ये है कि पुजारी दक्षिणा तो खूब ले और पूजा ही नहीं करे. श्रमजीवी पत्रकार यूनियन आखिर है क्या? इसको समझो-जानो। इसके बाद इसकी लोकल इकाइ से जुड़ो। upwju (उत्तर प्रदेश वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन) के प्रदेश अध्यक्ष हसीब सिद्दीकी ने किसी से ये नसीहत की और बस सिद्दीकी साहब की इस सलाह पर वो शख्स upwju को जानने समझने मे जुट गया। उस शख्स को इससे पहले तो बस ये पता था कि रोज दस्तरखान की मुफ्त में बिरयानी खाने का मतलब है upwju। इतनी सी जानकारी को मैंने आगे बढ़ाते हुए बताया- upwju का मतलब ऐसी elected body जिसमें चुनाव के अजब-गजब करिश्मे हैं। मसलन जो जीत गया वो फिर कभी हार नहीं सकता। अपनी कुर्सी के साथ वो अजेय हो जाता है और उसका ओहदा अमर।

‘नया लक्ष्य’ अखिलेश के हाथों लांच कराने वाले संजय ने लखनऊ के पत्रकारों को दिखाया उद्यमिता और सफलता का चरम लक्ष्य

शानदार, शानदार और शानदार… ‘नया लक्ष्य’ और संजय शर्मा के लिए सिर्फ यही कहा जा सकता है. लखनऊ की पत्रकारिता में संजय ने वो मुकाम हासिल कर लिया है जहां तक पहुँचना असंभव नहीं तो मुश्किल बहुत है. संजय की पत्रकारिता उन लोगों के लिए प्रेरणा जरूर बन सकती है जो अपने दम पर कुछ करना चाहते हैं. दस साल पहले जब संजय ने वीकएंड टाइम्स शुरू किया था तब लोगों ने इसे हलके में लिया था मगर इस साप्तहिक ने देश भर में अपनी अच्छी रिपोर्टिंग से एक ख़ास मुकाम बना लिया. मई में संजय ने अपना अखबार 4PM लॉन्च किया और छह महीने में ही इस अखबार ने लोकप्रियता के वो रिकॉर्ड बना लिए जिसके लिए लोग तरसते हैं.

‘दृष्टांत’ मैग्जीन के संपादक अनूप गुप्ता के खिलाफ लखनऊ में नया मुकदमा

लखनऊ से प्रकाशित क्रांतिकारी मैग्जीन ‘दृष्टांत’ के संपादक अनूप गुप्ता के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज करा दिया गया है. यह एफआईआर मैग्जीन के पंजीकरण हेतु फर्जी दस्तावेजों के लगाने से संबंधित है. वहीं अनूप गुप्ता का कहनाा है कि भ्रष्ट नौकरशाहों से लेकर भ्रष्ट नेताओं और भ्रष्ट मंत्रियों की पोल लगातार खोलने के कारण …

यूपी मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति में छह पत्रकार नामित, देखें नाम

उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति द्वारा समिति में 6 सदस्यों को मनोनीत किया गया है। इनके नाम इस प्रकार हैं…

यादवगेट में फंस रहे कुछ बड़े टीवी चैनल और पत्रकार, पीएमओ को रिपोर्ट भेजी गई

दलाली करते थे नोयडा-लखनऊ के कई मीडियाकर्मी

नई दिल्ली:  नोयडा के निलंबित चीफ इंजीनियर यादव सिंह ने ठेकेदारी में कमीशनखोरी और कालेधन को सफेद करने के लिए कागज़ी कंपनियों का संजाल बिछाकर उसमें मीडिया को भी शामिल कर लिया था। इस राज का पर्दाफाश कर रही है, यादव सिंह से बरामद डायरी। यादव सिंह से तीन चैनलों के नाम सीधे जुड़ रहे हैं। एक में तो उनकी पत्नी निदेशक भी है। डायरी में मिले सफेदपोशों, नौकरशाहों और पत्रकारों के नामों को लेकर सीबीआई काफी संजीदा है और उसकी रिपोर्ट सीधे पीएमओ को भेजी जा रही है। इस सिलसिले में यादव सिंह और उसके परिवार से कई परिवार से कई बार पूछताछ हो चुकी है। समाज को सच का आईना दिखाने का दम भरने वाले ये पत्रकार अपने लिए मकान-दुकान लेने के अलावा ठेका दिलाने को भी काम करते थे और उसके लिए मोटी करम वसूलते थे।

यूपी के पत्रकारों ने अपने खानपान समारोह के लिए इकट्ठा पैसा बीमार पत्रकार को दे दिया

सभी मान्यता प्राप्त साथियों,

एक परंपरा इस बार टूट गई है। चुनाव में आपके 100 रुपए के आर्थिक अंशदान से एकत्र हुए फंड से इस बार नव निर्वाचित समिति आपके सम्मान में लंच का आयोजन नहीं कर सकेगी। साथ मिल बैठकर खाना फिर कभी किसी और मौके पर निश्चित ही होगा। लेकिन इस बार समिति के समक्ष दो विकल्प थे। एक तरफ चुनावी फंड से बचे तकरीबन 30 हजार रुपए से लंच के आयोजन तो दूसरी तरफ हम सब के साथी, पूर्व में मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के सदस्य रहे सुरेंद्र सिंह व उनके परिवार की मदद का विकल्प।

UPSACC : रात भर चली मतगणना, आज सुबह आया रिजल्ट, प्राशु मिश्रा अध्यक्ष निर्वाचित (देखें लिस्ट)

उत्तर प्रदेश राज्य मान्यता संवाददाता समिति का चुनाव हो गया. कल वोट पड़े और रात भर चली मतों की गिनती के बाद आज सुबह परिणाम घोषित कर दिया गया. राज्य मुख्यालय के 438 पत्रकारों ने अपने मतों का प्रयोग किया था. कल शाम से शुरू होकर आज सुबह 4 बजे तक चली मतगणना के बाद परिणाम आज सुबह घोषित हुआ. अध्यक्ष पद पर प्रांशु मिश्रा निर्वाचित घोषित किए गए हैं. नरेंद्र श्रीवास्तव और संजय शर्मा उपाध्यक्ष उपाध्यक्ष बने हैं.

उत्तर प्रदेश के पत्रकारों के चुनावी महाभारत में जीत गया अहंकार, खंडित हो गयी पत्रकार एकता

लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य मुख्यालय पर मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के चुनावी महाभारत के संग्राम में कोई अगर जीता तो वह है अहंकार। महाभारत की तरह उत्तर प्रदेश के पत्रकारों के चुनावों में पत्रकारों की सेना दो खेमों में विभाजित हो गई। ऐसा सम्भवतःपहली बार हो रहा है जब एक ही समिति के लिए दो- दो जगह चुनाव आयोग का गठन होकर दो जगहों पर चुनाव सम्पन्न हुए। इन चुनावों में कोई गांधी जैसा भी सामने नही आया जिसने विभाजन को रोकने के लिए कोई व्रत, सत्याग्रह किया हो। इन घटनाओं से तटस्थ पत्रकार को झटका लगा है उनको लगता है पत्रकार एकता को गहरी चोट लगी है।

लो जी, हेमंत-कलहंस ने फर्जी चुनाव करा के खुद को विजयी घोषित कर दिया

(आज हुए मतदान का एक दृश्य)


Yashwant Singh : लखनऊ में पत्रकारों ने अपना नेता चुनने के लिए कल भी वोट दिया और आज भी दे रहे हैं. जानते हैं क्यों? क्योंकि मान्यताप्राप्त पत्रकारों के दो गुट हो गए हैं और एक गुट जो बेहद बदनाम, लालची, सत्तापरस्त रहा है, किसी भी कीमत पर अध्यक्ष व सचिव पद नहीं जाने देना चाहता, वे चाहते हैं ताउम्र इस पद पर बने रहें. इसी से साबित हो जाता है कि ये कितने बड़े अलोकतांत्रिक और कितने बड़े लायजनर हैं. क्या इससे अलग भी कोई प्रमाण चाहिए. ये दो सज्जन हैं हेमंत तिवारी और सिद्धार्थ कलहंस.

29 के चुनाव में हेमंत का अध्यक्ष और कलहंस का सचिव बनना फिक्स है!

लखनऊ के पत्रकार हिसाम सिद्दीकी ने एक पत्र के जरिए सभी को सूचित कर दिया है कि 29 अगस्त का चुनाव फिक्स है. इस चुनाव में हेमंत तिवारी का अध्यक्ष और सिद्धार्थ कलहंस का सचिव चुना जाना तय है. बाकी सब मतदान चुनाव वगैरह औपचारिकता है.

यूपी में मान्यता में खेल : अधूरी जानकारी मत दीजिए, ये है पूर्ण लिस्ट

उत्तर प्रदेश में मान्यता में खेल को लेकर जो खुलासा किया गया है, वह पूर्ण सच नहीं है. अधूरी जानकारी है. सूची में किसी को आपत्ति नहीं हो सकती, लेकिन अधूरी जानकारी घातक होती है. मैं भी लखनऊ का एक पत्रकार हूँ. मुझे भी इस बात की टीस है कि आखिर सही और ईमानदार पत्रकारों की पूछ क्यों नहीं हो रही है. आखिर क्या वजह है लखनऊ में दलाली और भोकाल के सहारे ही क्यों पत्रकारिता की जा रही है. इसी सदर्भ में मैं लिख रहा हूँ कि आखिर अधूरी सूची क्यों जारी की गयी है. यहाँ मैं साफ़ कर दूँ की सच कड़वा होता है. बहुतों को बुरा लगेगा, लेकिन ये ज़रूरी है. यह इसलिए भी ज़रूरी कि कहीं चंद नामों को जारी करने के पीछे कोई साजिश तो नहीं है.

हिसाम सिद्दीकी का खुला पत्र : समिति पर हर हाल में कब्जा जमाए रखने की चाहत क्यों है?

उत्तर प्रदेश में मान्यता प्राप्त पत्रकारों के संगठन के चुनाव को लेकर सिरफुटव्वल जारी है. हेमंत तिवारी और सिद्धार्थ कलहंस जैसे ब्रोकर्स से आम पत्रकारों में जबरदस्त नाराजगी है. लेकिन हेमंत व कलहंस हर हाल में इस संगठन पर फिर काबिज होना चाहते हैं क्योंकि इस संगठन के नेता के बतौर उन्हें सत्ता से गलबहियां-हथबहियां करने के मौके ढेर सारे मिलते रहते हैं. हेमंत और कलहंस की लाख कोशिशों के बावजूद चुनाव की गाड़ी डिरेल नहीं हुई है.

खुला पत्र लिखकर वीर विक्रम बहादुर मिश्र ने खुद को यूपीएसएसीसी के मुख्य चुनाव अधिकारी पद से अलग किया

मेरे साथियों, राजनीति के क्षेत्र में न केवल हमारा प्रदेश उत्तर प्रदेश अगुआ है बल्कि पत्रकारिता जगत में भी यह अग्रणी रहा है। उत्तर प्रदेश ने देश को न केवल बड़़े-बड़े नेता दिए हैं बल्कि मूर्धन्य पत्रकार भी दिए हैं। पत्रकारिता की इस विरासत को सहेजने की जिम्मेदारी  हम साथी पत्रकारों के ऊपर है। अब लगता है कि हम अपनी इन जिम्मेदारियों से कुछ भटक गए हैं। जब उत्तर प्रदेश राज्य मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति की ओर से मुझे मुख्य चुनाव अधिकारी नामित किया गया था तो मुझे विश्वास था कि मैं सभी पक्षों से बातचीत कर सर्वसम्मत  और एक साथ चुनाव करवा लूंगा। परंतु मेरी कई कोशिशों के बाद भी जो परिस्थितियां बनी हैं उससे मैं स्वयं को विफल होता देख रहा हूं।

पत्रकारों का गुस्‍सा हेमंत तिवारी और सिद्धार्थ कलहंस जैसे नेताओं पर है

मान्‍यताप्राप्‍त पत्रकारों, जाओ मूली उखाड़ो, पेट साफ हो जाएगा… हेमन्‍त-कलहंस को धरचुक्‍क दिया तो नया पांसा पड़ा… तू डाल-डाल, मैं पात-पात कहावत सच… हेमन्‍त-कलहंस धड़ाम… 

Kumar Sauvir : आयुर्वेद में मूली का अप्रतिम व्‍याख्‍यान है। मूली के जितने गुण आयुर्वेद, यूनानी और ऐलोपैथी सभी पैथियों ने पहचाने हैं, वह अनिर्वचनीय है। लेकिन दिक्‍कत यह है कि लखनऊ और आसपास के जिलों में खेतों की जगह अब मकान उग चुके हैं। अगर ऐसा न होता दोस्‍तों, तो मैं आज मैं अपने सभी मान्‍यताप्राप्‍त पत्रकार भाइयों को ऐलानिया सुझाव देता कि:- दोस्‍तों। जाओ, जहां भी दिखे, मूली उखाड़ लो। पत्रकार नेताओं ने अपनी काली-करतूतों के चलते जो बदहजमी का माहौल किया है, उसे सिर्फ मूली ही निदान है।

हेमंत तिवारी की इतनी बुरी हालत होगी, यह खुद हेमंत ने नहीं सोचा था

लखनऊ : हेमंत तिवारी की इतनी बुरी हालत होगी, यह खुद हेमंत ने नहीं सोचा था. लखनऊ के राज्य मान्यता समिति के चुनाव न करने के लिए परसों हेमंत ने जो साजिश की थी, कल उसकी धज्जियाँ उड़ गई. कल साठ लोगों ने अपना नामांकन कराया जो अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड है. 490 लोगों ने अपना नामांकन शुल्क 100 रुपया जमा कर दिया है. कल की घटना से हेमंत और उसके गुर्गों की बोलती बंद हो गई है. चुनाव 6 सितम्बर को होना है. पत्रकारों में हेमंत के लुच्चेपन को लेकर भारी गुस्सा है.

लखनऊ में दलाल पत्रकारों की भीड़ के बीच अनूप गुप्ता होने का मतलब

Yashwant Singh : लखनऊ के जांबाज़ पत्रकार Anoop Gupta दिल्ली आये तो मुझे भी कुछ पल उनके साथ गुजारने का मौका मिला। अपनी मैगजीन ‘दृष्टांत’ के जरिये दलाल पत्रकारों, करप्ट मीडिया मालिकों और भ्रष्ट नौकरशाहों में खौफ का पर्याय बन चुका ये शख्स वर्तमान दौर में साहसी पत्रकारिता का प्रतीक है। करीब आधा दर्जन बार इन्हें मारने की कोशिशें हो चुकी हैं। दर्जनों मुकदमे झेल चुके हैं और यह क्रम जारी है।

मीडिया ने देश का मुंह काला कर दिया, माफी मांगे : आजम खां

लखनऊ के पत्रकार तो जैसे ढोलक हो गए हों. जब चाहे जो चाहे, बजा दे रहा है. कभी अखिलेश तो कभी आजम. ये जुगलबंदी जमकर मीडिया को फुटबाल की तरह यहां से वहां पीट दौड़ा रही है. आजम खान ने फिर मीडिया पर विष वमन किया है. यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री आजम खां ने लखनऊ में मीडिया को जमकर लताड़ते हुए आरोप लगाया कि मीडिया ने अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए देश की अस्मिता के साथ खिलवाड़ कर देश का मुंह काला कर दिया है, इसके लिए मीडिया देश से माफी मांगे.