Arun Pandey-
दोस्तों, लगातार लाखों किसानों के बीच जाकर करीब 110 दिनों तक दिल्ली के किसान आंदोलन को करीब से समझता रहा। लिखता रहा और बोलता रहा लेकिन कोरोना के चपेट में आने से बच गया। 20 मार्च से लेकर 2 अप्रैल तक पश्चिम बंगाल के अलग अलग दर्जनों जिलों में भी गया। घूम घूमकर सैकड़ों मतदाताओं से उनके मन की बात जानने में लगा रहा। इन 12-13 दिनों में भी कोरोना का शिकार नहीं हुआ।
3 अप्रैल को थोड़ा बुखार हुआ, पारासिटामाल टैबलेट खाया और 4 अप्रैल को बुखार उतर गया। सोचा ठीक हो गया और 5अप्रैल को दोपहर कोलकाता से चलकर दिल्ली घर वापस आ गया। घर पहुंचने के बाद हाई फीवर और खांसी फिर शुरू। दवा लिया लेकिन सुबह तक बुखार और खांसी का कहर झेलता रहा।
6 अप्रैल को कोविड आरटीपीसीआर टेस्ट कराया। 7 अप्रैल को देर रात रिपोर्ट आई और इस बार नहीं बच पाया। कोरोना पॉजिटिव आया। फिर कई तरह के ब्लड टेस्ट और चेस्ट का सीटी स्कैन कराया। ब्लड टेस्ट नॉर्मल लेकिन चेस्ट सीटी स्कैन गड़बड़। कल यानी 9 अप्रैल को डॉक्टरों की सलाह पर अस्पताल में एडमिट होना पड़ा।
अब थोड़ी राहत है। पहले से ज्यादा अच्छा महसूस कर रहा हूं। अस्पताल डॉक्टर रवि मलिक साहब का है। कम से कम 20 सालों से डॉक्टर साहब से मित्रवत संबंध है। उम्र में वह थोड़े बड़े है। हम लोगों के संकटमोचक हैं। किसी तरह बेड का इंतजाम किया और अब मैं उसी बेड पर हूं।
सुनते हैं कि इस बार के कोरोना वायरस में संक्रमण फैलाने की रफ्तार और उसकी मारक क्षमता ज्यादा है। इसलिए आप सभी दोस्तों से निवेदन है कि अतिरिक्त सावधानी बरतें। यह समझकर कि आपके और उस ज़ालिम कोरोना के बीच की दूरी महज दो गज ही है जो कभी भी खत्म हो सकती है।