यशवंत सिंह-

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ने जाने का मेरे लिए मतलब ये रहा कि मैं एक प्रयोगशाला में कूद गया.
ढेरों प्रयोग किए गए. योग से लेकर ओशो और मार्क्स तक, क्रांति से लेकर भ्रांति तक… अध्यात्म से लेकर भौतिकतावाद तक… सारे ओर छोर पकड़ सूंघ जी डाले…. शीर्षासन भी वहीं सीखा…
अरुणेश सर सीनियर मोस्ट थे… उन दिनों अल्लापुर के लेबर चौराहा के आसपास अड्डा हुआ करता था… दोपहर दो बजे से पहले जब भी अरुणेश सर से मिलने गया तो वे शीर्षासन के मोड में दिखे….
आज जब मैं शीर्षासन करने के लिए तत्पर हुआ तो अचानक अरुणेश सर की याद आ गई… फिर सोचा कि चलो आज का शीर्षासन शूट करते हैं और अरुणेश सर को याद करते हैं… पीसीएस अफसर हैं… सेल्स टैक्स में कमिश्नर कैटगरी के किसी पद पर हैं…
उनको आज शिद्दत से याद कर रहा हूं… उन तक बात पहुंच जाए तो मजा आ जाए… बाकी बातें इस वीडियो में है-