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अपनी नई पारी के बारे में वरिष्ठ पत्रकार अरविंद कुमार सिंह ने क्या कहा, पढ़िए

अरविंद कुमार सिंह-

आदरणीय मित्रों, भारतीय संसद में राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष श्री मल्लिकार्जुन खड़गे के मीडिया सलाहकार की भूमिका में मैने अपना कामकाज संभाल लिया है। कुछ मित्रों को यह खबर अपने स्रोतों से पता चल गयी थी और उन्होंने फेसबुक पर इसे डाल दिया था। लेकिन मेरा मानना था कि जब तक नियुक्ति की आधिकारिक प्रति मुझे राज्य सभा सचिवालय की ओर से नहीं आ जाती, मैं अपनी तरफ से कोई टिप्पणी नहीं करूं।

वैसे तो पत्रकारिता में अब मुझे लंबा समय हो गया है औऱ कई भूमिकाओं में काम किया औऱ लगातार चलता ही रहा हूं, लेकिन यह एक नयी और चुनौती भरी भूमिका है, जिसमें भी सभी मित्रों को मुझे पहले की तरह ही सहयोग और अग्रजों का आशीष चाहिए। काम ही मिलने जुलने का है। तमाम दिग्गज राजनेताओं से संवाद रहा है। खड़गे जी एक जमीनी नेता हैं और आज के दौर के वरिष्ठतम नेताओं में हैं। इस नाते मैने इस इरादे से उनकी टीम का हिस्सा बना कि उनके विराट अनुभव से अपना ज्ञान भंडार भी बढेगा और बहुत कुछ सीखने समझने को मिलेगा।

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बेशक यह कोई सहज भूमिका नहीं है। लेकिन हमारे जीवन में रेल मंत्रालय के कुछ सालों को छोड़ दें तो ऐसे ही चुनौती भरे मौके आते रहे हैं।

वैसे तो भारतीय संसद के साथ मेरा जुड़ाव एक पत्रकार के तौर पर 1989 के दौरान हुआ जब विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार बनी। तबसे कई अखबारों का प्रतिनिधित्व करते हुए वहां आनाजाना बना रहा। लोक सभा टीवी निकला तो भी गेस्ट के तौर पर जाता रहा। लेकिन जब श्री गुरदीप सिंह सप्पल Gurdeep Singh Sappal के नेतृत्व में एक राज्य सभा टीवी Rajya Sabha Television का जन्म हुआ तो उसके आरंभिक काल में मै जुड़ कर संसद का अंग बना।

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जब ज्वाइन किया तो कई नेताओं का नाम जुड़ा कि इन्होने सिफारिश की होगी। लेकिन सच बात तो यह थी इसमें मेरे पत्रकार मित्र फिरोज नकवी का ही बड़ा योगदान था जो अपने साथ मेरा भी फार्म भर आए थे। बुलावा आया , संसद की समझ थी, चुन लिया गया लेकिन रेलवे छोड़ने को तैयार नहीं था। लंबा किस्सा फिर कभी। उसी के बाद गुरदीपजी से पहली मुलाकात हुई तो मैने अपनी दुविधा उनको बता दी कि मैने टीवी मेंं कभी काम किया नहीं है। उनका कहना था कि आपका चयन केवल संसदीय ज्ञान के आधार पर हुआ है, वही हमें चाहिए। और आपके पास तो कुछ और विषयों का भी ज्ञान है।

बहुत सी बातें हैं, राज्य सभा टीवी इतिहास का विषय बन चुका है। मुझ जैसे इतिहास के विद्यार्थी के जिम्मे यह काम भी है कि मैं राज्य सभा टीवी के इतिहास को लिखूं और लिखूंगा भी क्योंकि काफी काम कर चुका हूं और मानता हूं जो सप्पलजी ने जो टीम बनायी थी, शायद ही पत्रकारिता के इतिहास में फिर वैसी टीम जुट सके और उनके जैसा नेतृत्व मिल सके जिसका सबसे अधिक समय सबको जोड़ कर रखने में बीतता रहा हो।

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राज्य सभा टीवी में हमारे वरिष्ठ श्री राजेश बादल Rajesh Badal जी ने हमें टीवी पत्रकारिता के बारे में बहुत कुछ सिखाया और समझाया और मेरी बहुत सी चर्चित स्पेशल रिपोर्ट में उनका बड़ा योगदान है। शायद लोगों को हैरत लगे लेकिन आखिरी कुछ रिपोर्टों को छोड़ दें तो मेरी कोई भी रिपोर्टं कभी किसी वरिष्ठ सहयोगी ने प्रिव्यू नहीं की। जो कुछ देखा वह स्क्रीन पर ही देखा कभी मैने तो कभी हमारी साथी Mamtha Mamtha यह काम करती रहीं। हमारे सभी कैमरामैन साथी और वीटी एडीटर मेरे प्रति बेहद उदार रहे।

यह कहूं कि मेरी तकनीकी अज्ञानता की वे ढाल बने रहे। साथी इरफान Syed Mohd Irfan की आवाज मेरे अधिकतर कार्यक्रमों की जान रही। श्री विनीत दीक्षित, कुरबान अली, Neelu Vyas Thomas जैसे प्रतिभाशाली सहयोगी मिले जिनके विराट अनुभव और ज्ञान भंडार से मैने खुद को संपन्न किया। यही नही मेरे तमाम आयोजनों में नौकरशाही की अड़चनों को दूर करने में Chetan Dutta जी का बहुत सहयोग मिला। मैने उनके जैसा प्रशासनिक क्षमता वाला व्यक्ति नहीं देखा जो घड़ी देखे बिना हमेशा काम करते रहे और विभिन्न विषयों की व्यापक समझ और ज्ञान के नाते चैनल को उन्नत बनाते में हमेशा सहयोग करते रहे।

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गुरदीपजी और इनका प्रयास था कि लुटियन जोन में राज्य सभा टीवी का इतना शानदार आफिस मिला कि बहुत से लोगों की आंख की किरकिरी बन गया।

बातें बहुत हैं और दस्तावेजों के साथ बात कहने की अपनी आदत है। आगे विस्तार से लिखूंगा। लेकिन इस बात को लिखते समय एक शानदार संस्था के इतिहास बनने की तकलीफ भी हो रही है।

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नयी भूमिका और नयी चुनौतियां मुझे एक नयी ताकत देती हैं। वह ताकत मेरे मित्रों की हैं जो हर अच्छे और बुरे मौैकों पर मेरी ढाल बन कर खड़े मिलते हैं। आज फिर मुझे इसकी जरूरत है। उम्मीद है कि मेरे मित्र उसी भाव से मेरे साथ खड़े होंगे।

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