
Sanjaya Kumar Singh : उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने एक ऐसे अधिकारी (अशोक विष्णु शुक्ला) को भ्रष्टाचार के आरोप में नौकरी से बर्खास्त कर दिया है जिनकी ईमानदारी के किस्सों की किताब लिखी जा सकती है। मैं उन्हें जानता हूं और अपने काम से संबंधित कई किस्से बताए हैं। ईमानदार वो इतने हैं कि निजी बातचीत में भी उन्होंने संबंधित लोगों की पहचान नहीं बताई। उसका कोई श्रेय नहीं लिया और उससे लाभ पाने की कोशिश तो नहीं ही की।
अपनी फेसबुक पोस्ट से भी वो ईमानदार लगे। उनकी एक पोस्ट जो मुख्यमंत्री को नाराज कर गई वह इस प्रकार थी, ‘कल मीटिंग के नाम पर अपराह्न 2.00 बजे से पूर्वाह्न 12.40 तक बैठा रहा। आपके अधिकतर अधिकारी बीमार होते जा रहे हैं योगी जी।’
कहने की जरूरत नहीं है कि अगर इसपर कार्रवाई करनी भी थी तो वह पर्याप्त जांच और पूछताछ के बाद ही होनी चाहिए थी पर खबर से ऐसा नहीं लगता है। जो भी हो, मामला अदालत में जा ही सकता है (खबर में ऐसा कुछ नहीं है और सरकारी नौकरी के नियमों की मुझे कोई खास जानकारी नहीं है) और अदालत मे ऐसे मामले टिकते नहीं हैं। जो भी हो, फेसबुक पोस्ट से नाराज होकर नौकरी से निकालना डबल इंजन सरकार की अच्छी मजबूती का सबूत है।
अशोक शुक्ला के रहन-सहन पहनावे से उनका “भ्रष्टाचार” मुझे तो नहीं दिखता है। मैं उन्हें ईमानदारी का सर्टिफिकेट नहीं दे रहा पर कह सकता हूं कि अगर अशोक कुमार शुक्ल इतने भ्रष्ट हैं कि उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाए तो ईमानदार ढूंढ़ने पड़ेंगे।

लखनऊ जागरण में यह खबर लीड है। इसमें अशोक कुमार शुक्ला का पक्ष भी है। हालांकि, मुझे पोस्ट में बुराई नहीं दिखती है। अगर वह तकलीफ देती है तो उस पर कार्रवाई होनी चाहिए थी ताकि किसी और अधिकारी को फिर वैसी तकलीफ नहीं होती और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि मीटिंग के नाम पर किसी अधिकारी को काम छोड़कर न बैठना पड़े। पर हुआ उल्टा। कायदे से ऐसे अधिकारी का प्रोत्साहित किया जाना चाहिए कि उन्होंने (या उनकी बेटी ने) वह लिखा / बताया जो आम तौर पर अधिकारी चुप-चाप झेलते हैं।
मुझे वे एक अच्छे और सक्षम अधिकारी लगते हैं क्योंकि उनकी पोस्टिंग बरेली हुई तो मैंने उनसे कहा कि लोकप्रिय फिल्मी गीत, “झुमका गिरा रे बरेली में ….” का कोई संदर्भ बरेली में मिलता है कि नहीं। इस पर जानकारी दें। उन्होंने पोस्टिंगनाम हैशटैग से कई दिनों तक इस बारे में विस्तार से दिलचस्प जानकारी दी। जाहिर है, यह उनका काम नहीं था पर वे अपनी नौकरी में रहते हुए एक अतिरिक्त काम कर रहे थे।

वरिष्ठ पत्रकार और अनुवादक संजय कुमार सिंह की एफबी वॉल से.
उपरोक्त पोस्ट पर कुछ प्रमुख टिप्पणियां-
Ravindra Bhatnagar ऐसे लोग रास्ते का रोड़ा होते हैं
Sanjaya Kumar Singh ऐसे ही लोग कुछ काम करते हैं कि सरकारें ईमानदार होने का दावा कर सकती हैं वरना आधी रात में सीबीआई और सुबह-सुबह राजदरबार … से जो छवि बनती है उसके क्या कहने।
Ravindra Bhatnagar आपकी बात सही है, पर अब के परिप्रेक्ष्य में राजनेताओं को रोक टोक करने वाले अथवा नियम से चलने वाले अधिकारी या कर्मचारी नहीं चाहियें
Rakesh Pandey अशोक विष्णु शुक्ला, एक बेहद जहीन प्रशासनिक अधिकारी के रूप में पहचान रखते हैं। फेसबुक पर संदर्भित पोस्ट आने के बाद उन्हें प्रोन्नत कर अतिरिक्त जिलाधिकारी हाथरस बनाया गया। उनपर बर्खास्तगी जैसी कार्यवाही विवेकपूर्ण निर्णय नहीं कही जा सकती। कथित भ्रष्टाचार का कोई विश्वसनीय साक्ष्य भी सामने नही आता दिखा। अख़बार भी ख़बर के तथ्यों पर कोई ख़ास ध्यान नहीं देते। सरकारी प्रेस विज्ञप्ति से हेडलाइन बना देते हैं। सरकार के ऐसे फैसले उसकी तानाशाही प्रवत्ति को दर्शाते हैं।
Sandeep Verma सरकार ने जनता के बीच अपनी निंदा का हथियार दे दिया है . सरकार इस बर्खास्तगी को निरस्त करके ही अपनी जिम्मेदारी का सबूत दे सकती है
Sanjay Omar मुझे नही पता कि,सरकारी नौकरी के क्या कानून कायदे होते हैं,शुक्ला जी की पोस्ट,क्यो बिवादित हुई,पर आपकी इस बात से सहमत हूं,की शुक्ला जैसे अफसर अगर भरस्टाचार के आरोप में निलंबित किये जायेंगे,तो फिर ईमानदारी का सर्टिफिकेट किसे देंगे,,
Devendra Yadav मानवीय संवेदनाओं से भरपूर अशोक विष्णु शुक्ला अपने सार्वजनिक जीवन में सुचिता और ईमानदारी की मिसाल हैं.लोकसेवा से जुड़े ऐसे जहीन इंसान की आज सूबे को बेहद जरूरत है.उनके विरुद्ध कार्रवाई से समूची ईमानदार प्रशासनिक सेवा स्तब्ध है.मेरी भावनायें आदरणीय अशोकजी के साथ हैं.पूरे भरोसे के साथ कह सकता हूँ कि शासन अपने निर्णय पर पुनर्विचार जरूर करेगा.
Nisha Shukla सर, आपकी पोस्ट राहत देती है, इकतरफा इतनी कड़ी कार्यवाही. मैं केंद्र सरकार में एक वरिष्ठ अधिकारी रही हूँ, और विभाग भी पासपोर्ट. मगर स्टेट गवर्मेन्ट में जो फैसले लिए जाते हैं, उससे तो लगता है नेचुरल जस्टिस का पालन भी नहीं किया! मैं आपकी शुक्रगुजार हूँ इस मुद्दे पर पोस्ट लिखने के लिए ! हम अधिकारी जनता से भी पिट रहे हैं और सरकार तो है ही अब खुदा.!
Ashutosh Singh मैं पिछले 20 वर्षों से श्री शुक्ला जी को जानता हूँ।उनके दामन पर कोई दाग़ नहीं है।
One comment on “योगी सरकार ने एक ईमानदार अधिकारी को बर्खास्त कर दिया!”
aabhaar sir