ये शिकायती पत्र कई ग्रामीण पत्रकारों ने अपने नाम पहचान और मोबाइल नंबर के साथ संपादक और मालिक को भेजा है. अमर उजाला लखनऊ संस्करण के अधीन आता है फैजाबाद ब्यूरो. यहां ग्रामीण पत्रकारों के साथ बैठक में अमर उजाला के एक अधिकारी ने ग्रामीण पत्रकारों को विज्ञापन लाने के लिए किस तरह दबाव में लिया और कैसे कैसे अपशब्दों का प्रयोग किया गया, यह सब कुछ इस शिकायती पत्र में है.
अमर उजाला को हिंदी मीडिया में सबसे गंभीर, सरोकारी और कंटेंट फ्रेंडली अखबार माना जाता है. लेकिन यह प्रकरण जिस तरह घटित हुआ, वह यह बताने के लिए काफी है कि इस अखबार का प्रबंधन अब पैसे के लालच में अपने अखबार की वर्षों पुरानी स्वस्थ परंपरा को नष्ट करने पर तुल गया है. उम्मीद करते हैं कि इस मामले में अखबार के मालिक राजुल माहेश्वरी कोई कड़ा फैसला लेंगे और अखबार की रीढ़ ग्रामीण पत्रकारों के सम्मान को बहाल करेंगे. -यशवंत, एडिटर, भड़ास4मीडिया