अमर उजाला के संपादक के खिलाफ बुलंदशहर में एफआईआर दर्ज

बुलंदशहर नगर कोतवाली में अमर उजाला के संपादक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। सिंचाई विभाग के अवर अभियंता की तहरीर पर जिला प्रशासन की तरफ से यह एफआईआर दर्ज कराई गई। संपादक के खिलाफ आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने पर यह एफआईआर दर्ज कराई गई है।

मजीठिया वेज बोर्ड से डरे अमर उजाला प्रबंधन ने भी डंडा चलाना शुरू किया

मजीठिया वेज बोर्ड का खौफ अखबार मालिकों पर इस कदर है कि वह सारे नियम कानून इमान धर्म भूल चुके हैं और पैसा बचाने की खातिर अपने ही कर्मचारियों को खून के आंसू रुलाने के लिए तत्पर हो चुके हैं. इस काम में भरपूर मदद कर रहे हैं इनके चमचे मैनेजर और संपादक लोग. खबर है कि अमर उजाला प्रबंधन ने मजीठिया वेज बोर्ड से बचने की खातिर कर्मचारियों का तबादला करना शुरू कर दिया है. साथ ही इंप्लाइज की पोस्ट खत्म की जा रही है.

अमर उजाला में हो रहा शोषण, 5 दिन की सेलरी देकर 6 दिन काम ले रहे नए संपादक

प्रिय भड़ास,

यह सिर्फ शिकायती पत्र नहीं है। न ही किसी एक व्यक्ति की ओर से है। यह अमर उजाला के पीड़ित और शोषित कर्मचारियों की ओर से है। इस पत्र के जरिए नव नियुक्त संपादक महोदय की तानाशाही को उजागर किया जा रहा है। AUW यानि अमर उजाला वेबसाइट में इन दिनों कर्मचारियों का जमकर शोषण हो रहा है। इस पत्र के जरिए श्रम विभाग से गुहार है कि वह कर्मचारियों के साथ हो रहे अन्याय की पड़ताल करे।

हरियाणा में अमर उजाला ने मारा सर्वेयरों का वेतन!

नमस्कार सर

मैं अपना नाम पहचान छिपा कर यह पत्र लिख रहा हूं. मैं रोहतक हरियाणा का रहने वाला हूं. मैंने कई महीनों से अमर उजाला रोहतक का सर्वे ज्वाइन कर रखा था लेकिन पिछले तीन महीनों से सर्वे बंद है. वजह है कि अमर उजाला ने आखिरी दो महीनों का हमारा आधा आधा वेतन नहीं दिया. दरअसल अमर उजाला में सर्वेयर की सैलरी 7500 है, बिना किसी छुट्टी के. लेकिन अचानक से सितंबर महीने में हमारी सैलरी ये कहकर पूरी नहीं दी गई कि बाद में देंगे.

अमर उजाला मुरादाबाद में भारी चूक, एक खबर को दो बार अलग-अलग हेडिंग से लगाया गया

ऐसा लग रहा है कि अमर उजाला मुरादाबाद संस्करण को खबर की कमी हो रही है. तभी तो एक ही खबर को अलग अलग हेडिंग से और अलग फोटो के साथ प्रकशित किया गया है. 15 दिसम्बर के पेज नंबर दो पर अमर उजाला ने एक ही खबर को कॉपी कर के अलग अलग हेडिंग “पुलिस ने पकडे जुआरी, 3 को छुड़ा ले गए नेता जी” और “30-50 रूपये में आपका कूड़ा कूड़ा उठायगी हरी भरी” से लगा दिया है.

अमर उजाला कानपुर में श्रम विभाग का छापा

मजीठिया वेज बोर्ड मामले को लेकर माननीय सुप्रीमकोर्ट के आदेश का असर उत्तर प्रदेश में दिखने लगा है। कानपुर में अमर उजाला के कार्यालय पर श्रम अधिकारियों की टीम ने औचक छापा मारा और जरूरी दस्तावेज अपने कब्जे में ले लिया। बताया तो यहाँ तक जारहा है कि श्रम अधिकारियों ने अमर उजाला के कार्मिक विभाग का हार्डडिस्क भी अपने कब्जे में ले लिया। हालांकि हार्ड डिस्क वाली बात की पुष्टि नहीं हो पाई है।

अमर उजाला में कई बड़ी यूनिटों के संपादक इधर-उधर, राजेश श्रीनेत की फिर हुई इंट्री

खबर है कि राजेश श्रीनेत फिर से अमर उजाला के हिस्से बन गए हैं और उन्हें अच्छी खासी जिम्मेदारी देते हुए गोरखपुर यूनिट का स्थानीय संपादक बना दिया गया है. राजेश श्रीनेत अमर उजाला के मालिक राजुल माहेश्वरी के करीबी माने जाते हैं. अभी तक राजेश श्रीनेत्र सतना से प्रकाशित मध्य प्रदेश जनसंदेश नामक अखबार के संपादक हुआ करते थे. राजेश श्रीनेत की अमर उजाला में वापसी को आश्चर्य की नजर से देखा जा रहा है. माना जा रहा है कि राजुल माहेश्वरी अपने पुराने भरोसेमंद लोगों पर दांव लगाना ज्यादा पसंद कर रहे हैं.

अमर उजाला वाले पत्रकार को न्यूज एजेंसी बना खूब कर रहे शोषण, सुनिए एक पीड़ित कर्मी की दास्तान

मीडिया संस्थान अमर उजाला में फुल टाइम कर्मचारियों को जबरन न्यूज़ एजेंसी का कर्मी बना कर उन्हें न्यूनतम वेतन लेने के दबाव बनाया जाता है. इसके लिए एक कॉन्ट्रैक्ट के तहत समय-सीमा निर्धारित करके दबावपूर्वक लिखवाया जाता है कि वे (कर्मचारी) संस्थान के स्थाई कर्मचारी न होकर एक न्यूज़ एजेंसी कर्मी के तौर पर कार्य करेंगे. लेकिन असलियत ये है कि न्यूज़ एजेंसी संचालक से एक स्थाई कर्मचारी वाला काम लिया जा रहा है. उसे न्यूनतम वेतन पर सुबह 10 बजे से लेकर रात के 10 बजे तक यानि 12 घंटे संस्थान के लिए कार्य करने को बाध्य किया जाता है.

मजीठिया वेज बोर्ड : अमर उजाला के साथी इसे जरूर पढ़े (आखिरी पार्ट)

गतांक से आगे…

इससे पहले हम एक्‍स और वाई श्रेणी के शहरों में कार्यरत अमर उजाला के साथियों को अपने वेतन के तुलनात्‍मक अध्‍ययन के लिए जानकारी दे चुके हैं। अब हम उमर उजाला के जेड सिटी यानि धर्मशाला, जम्‍मू आदि में कार्यरत सभी साथियों को तुलनात्‍मक अध्‍ययन के लिए वेतनमान उपलब्‍ध करवा रहे हैं। यह वेतनमान (ग्रेड बी का) जुलाई 2015 से दिसंबर 2015 तक के बीच भर्ती नए साथियों पर लागू होते हैं। जिससे आसानी से जाना जा सकता है आप को बी ग्रेड के अनुसार वेतनमान मिल रहा हैं या नहीं है। (अपना शहर देखने के लिए देखें मजीठिया वेजबोर्ड की रिपोर्ट में पेज नंबर 37-38 या 55-56)

मजीठिया वेज बोर्ड : अमर उजाला के साथी इसे जरूर पढ़े (पार्ट दो)

गतांक से आगे…

इससे पहले हम एक्‍स श्रेणी के शहरों में कार्यरत अमर उजाला के साथियों को अपने वेतन के तुलनात्‍मक अध्‍ययन के लिए जानकारी दे चुके हैं। अब हम उमर उजाला के वाई सिटी यानि मेरठ, चंडीगढ़, कानपुर आदि में यूनिटों में कार्यरत सभी साथियों को तुलनात्‍मक अध्‍ययन के लिए वेतनमान उपलब्‍ध करवा रहे हैं। यह वेतनमान (ग्रेड बी का) जुलाई 2015 से दिसंबर 2015 तक के बीच भर्ती नए साथियों पर लागू होते हैं। इससे आसानी से जाना जा सकता है कि आप को बी ग्रेड के अनुसार वेतनमान मिल रहा हैं या नहीं है। (देखें मजीठिया वेजबोर्ड की रिपोर्ट में पेज नंबर 37-38 या 55-56)

अमर उजाला पर विज्ञापन न मिलने से डीजीपी के खिलाफ खबर छापने का आरोप

अमर उजाला को विज्ञापन न देने पर डीजीपी के खिलाफ 31 जनवरी और 1 फरवरी को प्रकाशित खबरों के मामले ने तूल पकड लिया है। पुलिस अधिकारियों ने अमर उजाला न पढ़ने की चेतावनी जारी कर दी है। साथ ही अमर उजाला के विज्ञापन कर्मी के खिलाफ नगर कोतवाली देहरादून में मुकदमा दर्ज कर लिया है। सूत्रों की मानें तो अब अमर उजाला के पदाधिकारी मुख्यमंत्री हरीश रावत से मिलकर मामले में समझौता कराने के प्रयास में लगे हैं।

स्व. अतुल जी के साथ चले गए अमर उजाला के सिद्धांत

पिछले दिनों अमर उजाला के नवोन्मेषक स्व. अतुल माहेश्वरी जी की पुण्यतिथि थी। अमर उजाला ने उनको याद करने की औपचारिकता भी निभाई, मगर सवाल यह है कि क्या अमर उजाला की नई मैनेजमेंट के दिमाग में उनकी नीतियां व दूरगामी सोच अभी अमर उजाला में जिंदा या है या फिर उनके साथ ही उनके मूल्यों का भी देहावसान हो चुका है। वैसे मौजूदा परिस्थितियों का आकलन करें, तो ऐसा लग नहीं रहा कि उनके जाने के बाद उनके द्वारा स्थापित सिद्धांतों तथा मूल्यों को पोषित किया जा रहा है। अब हालात बदल चुके हैं। शायद ऐसा होना भी चाहिए, क्योंकि हर व्यक्ति एक जैसा नहीं होता, मगर एक पद की परंपरा व मूल्य एक जैसे हो सकते हैं। ऐसा होने से ही तो आदर्श स्थापित होते हैं। अब असल बात यह है कि स्व. अतुल जी के निधन के बाद अमर उजाला में स्थापित मूल्यों का पतन होता जा रहा है या यह कहें कि उनकी हत्या कर दी गई है या नहीं।

उफ्फ… अमर उजाला के अधिकारी ने अपने ग्रामीण पत्रकारों के साथ किया कितना घटिया आचरण, पढ़ें शिकायती पत्र

ये शिकायती पत्र कई ग्रामीण पत्रकारों ने अपने नाम पहचान और मोबाइल नंबर के साथ संपादक और मालिक को भेजा है. अमर उजाला लखनऊ संस्करण के अधीन आता है फैजाबाद ब्यूरो. यहां ग्रामीण पत्रकारों के साथ बैठक में अमर उजाला के एक अधिकारी ने ग्रामीण पत्रकारों को विज्ञापन लाने के लिए किस तरह दबाव में लिया और कैसे कैसे अपशब्दों का प्रयोग किया गया, यह सब कुछ इस शिकायती पत्र में है.

अमर उजाला की डिजिटल टीम के पास मुद्दों का टोटा, देखिए क्या क्या छाप रहे हैं

Ayush Shukla : लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ. धन्य हो तुम्हारा हिंदी अखबार. धन्य हो इस अखबार की डिजिटल टीम के रिपोर्टर. धन्य हो डिजिटल के संपादक जी और धन्य हो इस ग्रुप के ओवरआल मालिक जी. आप लोग भी इसे देखिए और सोचिए कि अमर उजाला की टीम के पास क्या मुद्दों का टोटा पड़ गया है जो पैंट में पेशाब कर देने जैसी चीजों को खबर बनाने पर तुले हुए हैं.

मोबाइल टावर्स लगाने का लालच और विज्ञापन के भूखे लालची अखबार… पढ़िए एक युवा ने क्यों कर लिया सुसाइड

Vinod Sirohi : जरूर शेयर करें —मोबाइल टावर्स लगाने का लालच और विज्ञापन के भूखे लालची अखबार — आप पर कोई बंदिश नहीं है आप इस मैसेज को बिना पढ़े डिलीट कर सकते हैं। अगर आप पढ़ना चाहें तो पूरा पढ़ें और पढ़ने के बाद 5 लोगों को जरूर भेजें।

मेरा नाम राहुल है। मैं हरियाणा के सोनीपत जिले के गोहाना का रहने वाला हूँ। आप भी मेरी तरह इंसान हैं लेकिन आप में और मुझमें फर्क ये है कि आप जिन्दा हैं और मैंने 19 अगस्त, 2015 को रेल के नीचे कटकर आत्महत्या कर ली।

अमर उजाला के आगरा आफिस पर नारायण साईं समर्थकों का हमला, पत्रकार का गला दबाया

आगरा। दुष्कर्म मामले में जेल में बंद आसाराम के बेटे नारायण साईं के करीब दो दर्जन समर्थकों ने मंगलवार शाम अमर उजाला कार्यालय पर हमला किया। तोड़फोड़ और मारपीट कर रहे इन लोगों के खिलाफ जब कर्मचारी एकजुट हुए तो अन्य भाग निकले लेकिन दो पकड़े गए। इन्हें सिकंदरा थाने की पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। नारायण साईं समर्थक अमर उजाला में गत 20 सितंबर को छपी खबर पर प्रतिक्रिया जताने आए थे। बड़ी संख्या में लोगों को देख जब गार्ड ने रोका तो उनसे हाथापाई करते हुए सभी स्वागत कक्ष तक आ गए। मुख्य उप संपादक चंद्र मोहन शर्मा ने फिर भी पूरे संयम से उनकी बात सुनी।

अमर उजाला नोएडा से एक साल में एक दर्जन विकेट गिर चुके हैं

अमर उजाला नोएडा हेड ऑफिस के एक साल में एक दर्जन विकेट गिर चुके हैं। अपने मोहरे फिट करने के जुगाड़ में लगे संपादक अभी भी कई पर टेढी़ नजर रखे हैं। सबसे लेटेस्ट गिरने वाले दो विकेट सब एडिटर मनीष सिंह और सीनियर सब एडिटर अमित कुमार बाजपेयी हैं। अमर उजाला से जुड़े अधिकारियों की मानें तो ग्रेटर नोएडा के स्टार रिपोर्टर और बीते दो साल से नोएडा हेड ऑफिस में सबसे तेज एडिटिंग-पेजीनेशन करने वाले अमित कुमार ने संस्थान को गुडबाय बोल दिया है।

शिमला में तैनात धर्मशाला के कर्मी सात साल बाद पंचकूला स्थानांतरित, वेतन में इजाफा

: रविंद्र अग्रवाल की मुहिम का असर, साथियों को मिला न्याय : अमर उजाला प्रबंधन की मनमानियों के खिलाफ आवाज उठाने वाले हिमाचल प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र अग्रवाल की एक और मुहिम रंग लाई है। रविंद्र अग्रवाल ने अमर उजाला प्रबंधन की धर्मशाला व पंचकूला यूनिटों में पीस रह कर्मचारियों को उनका हक दिलवाया है। मामला यह था कि अमर उजाला ने अपनी धर्मशाला यूनिट से एडिटोरियल व अन्य प्रमुख विभागों को पैकअप करके शिमला पहुंचा दिया था। जबकि कुछ पद पंचकूला के अधिन कर दिए थे।

धन्य है अमर उजाला का ज्ञान : हाथापाई का अंग्रेजी अनुवाद ‘ब्लो जॉब’!

अमर उजाला ने इंग्लिश में लिखा- हिमाचल विधानसभा में ‘मुख मैथुन’. सोशल मीडिया पर उस वक्त हिंदी अखबार ‘अमर उजाला’ की जमकर फजीहत हुई, जब उसकी एक रिपोर्ट का इंग्लिश टाइटल अनर्थ करता दिखा। अंग्रेजी में टाइटल था- ‘Blow job in Himachal Vidhansabha’. लोग इस बात को लेकर मजे लेते नजर आए। गौरतलब है कि blow job का अर्थ ‘मुख मैथुन’ होता है। तो इस हिसाब से इस टाइटल का मतलब बना- हिमाचल विधानसभा में मुख मैथुन. shabdkosh.com पर blow job का अर्थ कोई भी देख सकता है।

राष्ट्रव्यापी शोक के वक्त निर्लज्ज दैनिक जागरण और अमर उजाला ने डॉ.कलाम को बेच खाया

पैसे की भूख से तड़प रहे देश के नामी मीडिया घराने बेखौफ, कैसी-कैसी शर्मनाक हरकतें करने पर आमादा हैं। इन बेशर्मों ने तो पूर्व राष्ट्रपति डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम की लोकप्रिय निष्ठा को भी ऐसे मौके पर बेच दिया, जिस वक्त उनके निधन पर पूरा राष्ट्र गहरे शोक में डूबा हुआ था। ऐसी अक्षम्य निर्लज्जता का प्रदर्शन किया कानपुर में दैनिक जागरण और अमर उजाला ने। 

दुबई की यात्रा पर गए हुए हैं अमर उजाला के 10 संपादक

अमर उजाला ने अपने दस संपादकों को दुबई की यात्रा पर भेजा है. ये संपादक हैं- इंदु शेखर पंचोली (लखनऊ), प्रभात सिंह (गोरखपुर), अजित वडरनेकर (वाराणसी), विजय त्रिपाठी (कानपुर), राजीव सिंह (मेरठ), भूपेंद्र (दिल्ली), संजय अभिज्ञान (चंडीगढ़), वीरेंद्र आर्य (रोहतक) और नीरजकांत राही (मुरादाबाद). अमर उजाला ने संपादकों को विदेश टूर पर भेजने का काम पहली बार किया है.

जागरण, अमर उजाला, हिंदुस्तान ने महेंद्र मोहन और संजय गुप्ता के खिलाफ समन नहीं छापा

मुरादाबाद  : दूसरों के बारे में बड़ी बड़ी हांकने वाले प्रमुख मीडिया घराने अपनी करतूतें छापने से कैसे कतराने लगते हैं, इसकी ताजा मिसाल है मुरादाबाद के इंस्पेक्टर विजेंद्र सिंह राना का मामला। कोर्ट में दैनिक जागरण के मालिक महेंद्र मोहन गुप्ता और प्रधान संपादक संजय गुप्ता के खिलाफ एक गलत खबर प्रकाशित करने का मामला चल रहा है। गत दिनो जब राना के वकील उस केस का समन प्रकाशित कराने जागरण, अमर उजाला, हिंदुस्तान और आज अखबारों के दफ्तर पहुंचे तो चारो ने उसे प्रकाशित करने से साफ मना कर दिया। अंत में सिर्फ दैनिक केसरी ने समन को प्रकाशित किया।   

अमर उजाला फाउंडेशन ने एक-एक लाख रुपये की दो फेलोशिप के लिए मांगा आवेदन, करें अप्लाई

नई दिल्ली। अमर उजाला ने अमर उजाला फाउंडेशन राष्ट्रीय पत्रकारिता फैलोशिप-2015 की घोषणा कर दी है। इस बार फाउंडेशन ने दो पत्रकारों को एक-एक लाख रुपये की फैलोशिप देने का निर्णय लिया है। यह फैलोशिप छह माह की होगी। विषय चयन: इच्छुक अभ्यर्थी देश के किसी खास क्षेत्र या समूचे देश को अपना कार्य क्षेत्र बना सकते हैं। कोई भी ऐसा मुद्दा ले सकते हैं, जिस पर शोध से सामाजिक पत्रकारिता में योगदान के अवसर खुल सकें। आयु सीमा: अभ्यर्थी की उम्र 35 साल और पत्रकारिता में पांच साल का अनुभव अनिवार्य है। आवेदन के समय संस्थान का अनापत्ति पत्र देना जरूरी होगा।

अमर उजाला के पचास करोड़ रुपये के आईपीओ को सेबी ने दी मंजूरी

पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनियम बोर्ड (सेबी) ने पिछले हफ्ते तीन कंपनियों के प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) को अपनी मंजूरी दे दी है। यह तीनों कंपनियां अपने कारोबार विस्‍तार और कार्यशील पूंजी की जरूरतों के लिए संयुक्‍त रूप से 1,000 करोड़ रुपए की राशि बाजार से जुटाएंगी। इसके साथ ही इस साल सेबी द्वारा आईपीओ की मंजूरी हासिल करने वाली कंपनियों की संख्‍या बढ़कर 17 हो गई है।

अमर उजाला के पत्रकार को छह लाख रुपये के विवाद में मारी गई गोली

उत्तर प्रदेश के शामली जिले के कांधला में पत्रकार विनय बालियान पर जानलेवा हमला छह लाख रुपये के लेनदेन को लेकर किया गया था। पुलिस ने एक हमलावर को पकड़ कर यह खुलासा किया है। इस प्रकरण में अभी दो हमलावरों सहित शातिर पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। एसपी शामली विजय भूषण ने अपने कार्यालय में पत्रकारों से वार्ता कर घटना का खुलासा किया। एसपी के अनुसार, 25 मई की रात दुकान से घर जाते समय पत्रकार विनय बालियान को बाइक सवार तीन शातिरों ने गोली मारकर घायल कर दिया था।

नहीं सम्‍पादक जी, नहीं, ऐसा मत कीजिए

वैसे भी आपकी विश्‍वसनीयता पिछले कई बरसों से बुरी तरह खतरे में हैं, इसके बावजूद अगर आपने अपना रवैया नहीं सुधारा तो अनर्थ ही हो जाएगा। अब देख लीजिए ना, कि आपके संस्‍थान में क्‍या-क्‍या चल रहा है। राजधानी से प्रकाशित अखबारों पर एक नजर डालते ही हर पाठक को साफ पता चल जाता है कि मामला क्‍या है और खेल किस पायदान पर है। 

Newspapers readership IRS 2014 Download

Download Topline Newspapers Readership numbers… देश के बड़े अखबारों, मैग्जीनों आदि की लैटेस्ट या बीते वर्षों की प्रसार संख्या जानने के लिए नीचे दिए गए शीर्षकों या लिंक्स पर क्लिक करें…

मजीठिया वेज बोर्ड : सुप्रीम कोर्ट में आज की सुनवाई, भविष्य की रणनीति और लड़ने का आखिरी मौका… (देखें वीडियो)

Yashwant Singh : सुप्रीम कोर्ट से अभी लौटा हूं. जीवन में पहली दफे सुप्रीम कोर्ट के अंदर जाने का मौका मिला. गेट पर वकील के मुहर लगा फार्म भरना पड़ा जिसमें अपना परिचय, केस नंबर आदि लिखने के बाद अपने फोटो आईडी की फोटोकापी को नत्थीकर रिसेप्शन पर दिया.

अमर उजाला के पीटीएस विभाग पर वज्रपात, दूर तबादला करके मशीन विभाग में काम करने को मजबूर किया

अमर उजाला के पीटीएस विभाग के कर्मचारियों की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं लेती। अगर एक खत्म हो तो दूसरी मुश्किल सामने ही खड़ी होती है। कुछ महीने पहले ही अमर उजाला में पीटीएस विभाग खत्म करने का निर्देश जारी किया गया था। उसके बाद से ही अमर उजाला के हर यूनिट से पीटीएस में कांट्रैक्ट पर रखे सभी कर्मियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। कुछ पीटीएस कर्मचारियों को बिना कारण नोएडा ऑफिस बुलाकर इस्तीफा मांग लिया गया। जब किसी कर्मी ने इस्तीफा नहीं दिया तो उन सभी कर्मचारियों का ट्रांसफर कर दिया गया। बात यहीं खत्म नहीं होती। कुछ पीटीएस कर्मचारियों का ट्रांसफर बरेली से रोहतक यूनिट के मशीन में कर दिया गया।

अमर उजाला को चाहिए ब्राह्मण पत्रकार

उत्तर प्रदेश : सुलतानपुर में अमर उजाला लांच होने पर रमाकांत तिवारी को ब्यूरो चीफ बनाया गया था। इनके कार्यकाल के दौरान से रिपोर्टर व कैमरामैन पदों पर ब्राह्मण बिरादरी के लोग तलाशे जा रहे हैं। इधर बीच कानाफूसी कर ब्यूरो चीफ ने होनहार कैमरामैन पंकज गुप्ता की छुट्टी करवा दी। इसके बाद चर्चाओं का बाजार गर्म है। अमर उजाला लांच के समय यानि सात साल पहले पंकज गुप्ता को सुलतानपुर में कैमरामैन पद पर नियुक्त किया गया था। अपने अच्छे काम के चलते पंकज ने चंद दिनों में ही अमर उजाला को एक नया मुकाम दिला दिया, लेकिन यहां के ब्यूरो चीफ शायद ब्राह्मण को ही ज्यादा पसंद करते हैं।

मजीठिया वेज बोर्ड संघर्ष : अमर उजाला को जवाब दायर करने का अब आखिरी मौका, भारत सरकार भी पार्टी

अमर उजाला हिमाचल से खबर है कि यहां से मजीठिया वेज बोर्ड के लिए लड़ाई लड़ रहे प्रदेश के एकमात्र पत्रकार को सब्र का फल मिलता दिख रहा है। अमर उजाला के पत्रकार रविंद्र अग्रवाल की अगस्त 2014 की याचिका पर सात माह से जवाब के लिए समय मांग रहे अमर उजाला प्रबंधन को इस बार 25 फरवरी को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आखिरी बार दस दिन में जवाब देने का समय दिया है। अबकी बार कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कर दिया है कि अगर इस बार जवाब न मिला तो अमर उजाला प्रबंधन जवाब दायर करने का हक खो देगा और कोर्ट एकतरफा कार्रवाई करेगा।

अमर उजाला ने बनाई नई कंपनी, डिजिटल वाले होंगे शिफ्ट, प्रिंट का भी नंबर

मजीठिया में अपने कर्मचारियों को लॉलीपाप देने के बाद अमर उजाला एक बार फिर धूर्तता पर उतर आया है। खबर है कि अमर उजाला ने ऑनलाइन के लिए अलग कंपनी बना ली है। अमर उजाला डॉट कॉम के सभी कर्मचारियों को अब इस कंपनी में शिफ्ट करने की तैयारी चल रही है। गौरतलब है कि अभी तक अमर उजाला अखबार और बेबसाइट दोनों एक ही कंपनी के अंतर्गत चलाए जा रहे थे लेकिन अब आनलाइन के लिए अलग कंपनी बन गई है। नई कंपनी की पूरी जिम्मेदारी तन्मय माहेश्वरी संभालेंगे। खबर यह भी है कि अमर उजाला डॉट कॉम को अलग बिल्डिंग में शिफ्ट कर दिया जाएगा।

अमर उजाला के एक वरिष्ठ पत्रकार ने राजुल माहेश्वरी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में किया मानहानि का मुकदमा

अमर उजाला से एक बड़ी खबर आ रही है. यहां कार्यरत एक वरिष्ठ पत्रकार ने अमर उजाला के मालिक राजुल माहेश्वरी पर मानहानि का मुकदमा सुप्रीम कोर्ट में किया है. उन्होंने राजुल माहेश्वरी पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी मजीठिया वेज बोर्ड न देने और मीडियाकर्मियों का पैसा हड़पने के लिए धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया है. इन पत्रकार महोदय के वकील ने राजुल माहेश्वरी को भेजे लीगल नोटिस में कहा है कि अमर उजाला प्रबंधन ने मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से पैसा न देना पड़े, इसके लिए कंपनी की प्रोफाइल बदल दी.

अपने मीडियाकर्मियों को ठेकेदार का आदमी बताकर बाहर निकाल रहा है अमर उजाला प्रबंधन!

अमर उजाला ने मजीठिया के डर से कर्मचारियों को ठेकेदार का कर्मचारी बताकर बाहर का रास्ता दिखाना शुरू कर दिया है। अभी तक यह खेल पीटीएस डिपार्टमेंट में शुरू किया गया है, लेकिन विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि यह नियम जल्द ही संपादकीय विभाग में भी लागू कर दिया जाएगा। पिछले साल मई महीने में मजीठिया वेज बोर्ड का लेटर बांटने के बाद अखबार प्रबंधन कुछ ऐसी नीतियां अपना रहा है ताकि उसे मजीठिया वेज बोर्ड के नाम पर धेला भी न देना पड़े। कुछ महीने पहले माहेश्वरी परिवार के खासमखास बताए जाने वाले और मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब किताब करने वाले एचआर प्रमुख को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।

अमर उजाला ने बदायूं के ब्‍यूरोचीफ संजीव को भेजा रोहतक, बलराम बने नए प्रभारी

अमर उजाला प्रबंधन ने बदायूं के ब्यूरो चीफ संजीव पाठक को रोहतक भेज दिया है। बदायूं में बलराम शर्मा को प्रभारी बनाया गया है। बदायूं के प्रभरी रहे संजीव पाठक ने राजेश मिश्रा को संपादक से सिफारिश कर अपने यहां ज्‍वाइन करवा लिया था। जबकि राजेश मिश्रा को सात आठ साल पहले अमर उजाला से निकाला गया था। बताया जा रहा है कि प्रबंधन को धोखे में रखने के कारण संजीव पर यह कार्रवाई की गई है। 

450 करोड़ रुपये जुटाने के लिए फिर आईपीओ लाएगा अमर उजाला

Amar Ujala plans another IPO to raise about Rs 450 crore

MUMBAI: Amar Ujala Publications, which publishes Hindi daily Amar Ujala in six northern states, is making a second attempt to raise funds through the primary markets. People close to the development said the company is aiming to raise about Rs 450 crore through an initial public offer (IPO).Amar Ujala’s earlier attempt to bring an IPO in 2010 had failed, which led private equity major DE Shaw drag the company to the Company Law Board (CLB).

चलो पिण्ड छूटा, धन्यवाद विजय त्रिपाठी!

3 जनवरी को फेसबुक पोस्ट और 6 जनवरी को भड़ास में लिखी अमर उजाला के नवोन्मेषक भाई साहब स्व. अतुल माहेश्वरी को दी गयी श्रद्धांजलि व व्यक्त की गयी भावनायें लगता है हमारे स्थानीय संपादक विजय त्रिपाठी को नहीं भायी है. 13 जनवरी से हमारा गैरसैंण हैड बन्द कर हमारे द्वारा पेषित समाचारों को कर्णप्रयाग हैड से लगाया जा रहा है. ये कहना उचित होगा कि उनकी ओर से हमें अमर उजाला से हटा दिया गया है. अर्थात भाई सहब के प्रति व्यक्त उद्गार को तो वे विषय नही बना पायेंगे, वे कोई मनगडंत कारण ढूंढें.

तीन साल पुरानी फोटो को कांट-छांट के बाद नया बताकर छाप रहा है अमर उजाला

अमर उजाला के गढ़वाल संस्करण में तीन साल पुरानी फोटो को काट कर पिछले दो सालों से लगातार नया फोटो बता कर छापा जा रहा है जबकि यह फोटो पूर्व में अमर उजाला में कार्यरत संवाददाता की भेजी हुई है जो कि अब संस्थान में नहीं है. इस बारे में उक्त संवाददाता द्वारा अपने फेसबुक पेज पर अपडेट भी किया गया है. इस संबंध में सूरज का फेसबुक स्टेटस इस प्रकार है…

अतुल माहेश्वरी की चौथी पुण्य तिथि और अमर उजाला से चार दशक से जुड़े एक पत्रकार का दुख

प्रातः स्मरणीय भाई साहब अतुल माहेश्वरी की आज चौथी पुण्य तिथि है। हां हम ‘उन्हें भाई’ साहब नाम से ही पुकारते रहे हैं। अमर उजाला उन्हें ‘नवोन्मेषक’ कहता है। यह उसका विषय है। चौथी पुण्य तिथि पर एक ऐसे व्यक्ति जो इंसानियत की मिसाल हो, जो मनसा, वाचा, कर्मणा पत्रकारिता और अमर उजाला को समर्पित हो, जो अपने कर्मचारियों, छोटे से छोटे हम जैसे कार्यकर्ताओं का भी पूरा-पूरा ध्यान रखते हों, जिन्हें हर स्टेशन का स्टींगर मुंह जुबानी याद हो, जो हर फोन काल को स्वयं रीसिव करते और रीसिव न हो पाने की स्थिति में काल बैक करते, हर पत्र का उत्तर देना मानों उनका अपना दायित्व होता, कोई आमंत्रण हो तो उपस्थित न हो सकने की स्थिति में उसके लिए शुभ कामना का पत्र और किसी कर्मी, कार्यकर्ता के दुख-सुख में ढाल बन समाधान करते ऐसे संपादक को खोने का दुख हम-सा तुच्छ कार्यकर्ता भी महसूस कर सकता है। भाई साहब! आपको अश्रुपूरित श्रद्धांजलि, ईश्वर आपकी आत्मा को शान्ति दे।

लेबर आफिसर ने अमर उजाला को नोटिस जारी किया

रविंद्र अग्रवाल मामले में लेबर आफिसर धर्मशाला ने अमर उजाला को नोटिस जारी किया है। मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर की गई शिकायत के बाद प्रबंधन ने रविंद्र का ट्रांसफर जम्मू कर दिया था। इसे प्रताड़ित किये जाने की कार्रवाई मानते हुए रविंद्र ने जम्मू ज्वाइन नहीं किया था। इसके बाद प्रबंधन ने उन्हें निपटाने की तैयारी कर ली थी, लेकिन बेज बोर्ड का मामला हाई कोर्ट में लगने के बाद प्रबंधन पीछे हट गया था।

’18 प्‍लस’ के लिए अमर उजाला ने मिलाया नीदरलैंड्स के लवमैटर्स से हाथ

रेडियो नीदरलैंड्स वर्ल्डवाइड की वेबसाइट लव मैटर्स (lovematters.in) ने amarujala.com के साथ कंटेंट पार्टनरशिप की है। अमर उजाला के रिलेशनशिप और सेक्सुअल हेल्थ पर आधारित सेक्शन ‘18 प्लस’ पर अब लव मैटर्स के विशेषज्ञों की टीम के लेख भी पढ़ने को मिलेंगे।

अमर उजाला, वाराणसी से पंकज का इस्‍तीफा, पवन बने मिर्जापुर जिले के प्रभारी

अमर उजाला, वाराणसी से खबर है कि पंकज सिंह ने इस्‍तीफा दे दिया है. उन्‍होंने अपना इस्‍तीफा नोएडा में प्रबंधन को सौंपा. पंकज बनारस में सिटी चीफ के पद पर कार्यरत थे. दो महीने पहले ही उनका बरेली से वाराणसी तबादला हुआ था. बताया जा रहा है कि किसी बात को लेकर संपादक से उनका विवाद हो गया था, जिसके बाद उन्‍होंने नोएडा या दिल्‍ली में तबादला किए जाने का पत्र मैनेजमेंट को लिखा था. मांग अस्‍वीकार होने के बाद उन्‍होंने इस्‍तीफा दे दिया. पंकज से संपर्क नहीं हो पाने के चलते उनका पक्ष नहीं जाना जा सका.

मजीठिया की लड़ाई लड़ रहे रविंद्र अग्रवाल मामले में अमर उजाला प्रबंधन ओछी हरकतों पर उतरा

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मजीठिया की लड़ाई लड़ रहे हिमाचल के एकमात्र रिपोर्टर रविंद्र अग्रवाल के मामले में अमर उजाला प्रबंधन ओछी हरकतों पर उतर आया है। प्रबंधन ने पहले तो उत्पीड़न करने के लिए रविंद्र को जम्मू भेजा और अब जब वे जम्मू ज्वाइन करने से पहले छुट्टी पर चल रहे थे तो उनको इससे रोकने के लिए उनकी माई एयू वाली आईडी ही ब्लाक कर दी है। इतना ही नहीं, उनकी अमर उजाला की मेल आईडी भी बंद कर दी गई है। पता चला है कि पांच अगस्त को उनकी माता की तबियत बिगड़ने के कारण उन्हें अस्पताल में दाखिल करवाना पड़ा था। इस कारण वे छुट्टी पर थे।

इतनी बड़ी खबर को क्यों पी गया दैनिक जागरण? इतनी बड़ी खबर को क्यों अंडरप्ले किया अमर उजाला और हिंदुस्तान ने?

: क्या बिका हुआ है भारतीय लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ? : चंदौली (यूपी) :11 अक्टूबर, 2001 को ऋचा सिंह नाम की एक वर्षीय बच्ची को बुख़ार की वजह से अलीनगर, मुग़लसराय के जे.जे. नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया. यहाँ इलाज़ शुरू हुआ. बच्ची के पैर में ड्रिप लगाकर दवा चढ़ाई गई. कुछ ही देर में पैर में सूजन हो गया. तब डॉक्टर ने अपनी गलती को भांप बच्ची को बी.एच.यू. भेज दिया. बी.एच.यू. के डॉक्टरों ने परिवार वालों को बताया कि गलत दवा ड्रिप के माध्यम से चढ़ा दी गयी है. बच्ची की ज़िन्दगी बचाने के लिए पैर काटना ही एक मात्र विकल्प है. इसके बाद पिता बच्ची को ले कर इस उम्मीद के साथ मुंबई चले गए की शायद बच्ची का पैर बचाया जा सके.