नई दिल्ली। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू आज गुजरात में हैं। वह बुधवार की सुबह अपनी पत्नी सारा नेतन्याहू के साथ अहमदाबाद पहुंचे, जहां उनका स्वागत पीएम नरेंद्र मोदी के ने किया। नेतन्याहू का स्वागत करने के लिए मोदी उनसे पहले ही गुजरात पहुंच गए थे। दोनों का काफिला भारी सुरक्षाबलों के साथ अहमदाबाद में रोड शो करता हुआ साबरमती आश्रम पहुंचा।
आठ किलोमीटर लंबे इस रास्ते में हजारों लोगों ने मोदी और नेतन्याहू का स्वागत किया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम में नेतन्याहू ने अपनी पत्नी और पीएम मोदी के साथ मिलकर पतंग उड़ाई। उन्होंने पूरा आश्रम घूमा। गांधी जी के चरखे के साथ-साथ उनकी तस्वीरों से लेकर वहां मौजूद हर सामग्री को ध्यान से देखा। नेतन्याहू दंपत्ति ने साबरमती आश्रम के दौरे को काफी प्रेरणादायी भी बताया। उन्होंने संदेश दिया, ‘इंसानियत के महान पैगम्बरों में से एक महात्मा गांधी के घर का दौरा काफी प्रेरणादायी रहा।’ सोमवार को नेतन्याहू ने अपनी पत्नी के साथ राजघाट पहुंचकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी थी।
इजरायली पीएम आजकल छह दिनों के भारत दौरे पर हैं। भारत और इजरायल के बीच मंगलवार को 9 अहम समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। दोनों देशों के बीच साइबर सुरक्षा, पेट्रोलियम, विमान सेवा, फिल्म कॉपरेशन होम्योपैथी, और सौर ऊर्जा से लेकर ‘इन्वेस्ट इंडिया, इन्वेस्ट इजरायल’ के संबंध में करार हुआ। नेतन्याहू ने पीएम मोदी को क्रांतिकारी नेता कहा। उन्होंने कहा कि मोदी एक क्रांतिकारी नेता हैं और उनके नेतृत्व में भारत अच्छे भविष्य की तरफ जा रहा है।
16 जनवरी को वे अपनी पत्नी के साथ ताजमहल के दीदार को पहुंचे। भक्तों को कष्ट तो हुआ होगा। उनके हिसाब से तो नेतन्याहू गलत जगह गये। उन्हें गोरखनाथ मंदिर में माथा टेकना चाहिए था, गंगा आरती देखते या मथुरा-वृंदावन में घूमते। कुछ महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इजराइल गये थे। तब और आजकल भक्त और भक्त मीडिया स्वयं को बहुत धन्यभागी अनुभव कर रहे हैं जैसे दुनिया के इतिहास में कोई महान घटना घटी हो। नरेंद्र मोदी को मेहमानदारी करने, मेहमाननवाजी करने में बहुत मजा आता है। उनके भक्त उनके इस शौक से बड़े अभिभूत होते हैं। इस अहोभाव को देखते हुए संस्कृति की एक उक्ति याद आती है-
उष्ट्रानां विवाहेषु गीतं गायंति गदर्भा:
परस्परं प्रशंसंति, अहो रूपम, अहो ध्वनि।
बेंजाामिन नेतन्याहू की अपने ही देश में अच्छी छवि नहीं है। दुनिया के एक बड़े हिस्से में उन्हें नापसंद किया जाता है क्योंकि उनका मानवाधिकारों में कोई यकीन नहीं है। इजरायल ने फिलिस्तीनियों पर बहुत जुल्म ढाए हैं। इजरायल की राजनीति में तानाशाही और मुस्लिम विरोध प्रमुख हैं। उसी की समानता वाली राजनीति का आज भारत में व्यवस्था पर कब्जा है। इसलिए दोनों की खूब पट रही है। बीबीसी के अनुसार नेतन्याहू का भारत दौरा उस वक्त हुआ है जब उन्हें अपने बेटे के कारण शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा है. पिछले सोमवार को नेतन्याहू के 26 वर्षीय बेटे याइर नेतन्याहू का एक ऑडियो टेप सार्वजनिक हुआ था. ऑडियो में 26 वर्षीय याइर नेतन्याहू गैस टायकून कोबी मैमोन के बेटे ओरी से एक वेश्या पर खर्च करने के लिए पैसे उधार मांग रहे हैं. 2015 के बताए जा रहे इस टेप में याइर कह रहे हैं, ब्रो, मेरे पिता ने तुम्हारे लिए 20 अरब डॉलर का सौदा करवाया है और तुम मुझे 400 शेकेल उधार नहीं दे सकते? इस ऑडियो टेप के सार्वजनिक होने के बाद इसराइल के विपक्षी नेता प्रधानमंत्री नेतन्याहू से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. पूरे वाकये पर नेतन्याहू को सफाई देने के लिए सामने आना पड़ा.
प्रधानमंत्री के कार्यालय की ओर से कहा गया है कि उनका कोबी मैमोन से कोई संबंध नहीं है और उन्हें अपने बेटों के संबंधों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है, याइर को गैस सौदे के बारे में कोई जानकारी नहीं है, और अगर उन्होंने इस बारे में कोई टिप्पणी की भी है तो ऐसा मजाक में ही किया है. न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने एक लेख में लिखा है कि जिस शाम नेतन्याहू के बेटे की बेवकूफी सार्वजनिक हुई उसी रात इसराइली एयरफोर्स ने सीरियाई आर्मी ठिकानों पर हमला किया.
न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि इस तरह के हमले में प्रधानमंत्री की संलिप्तता सीधी होती है. न्यूयॉर्क टाइम्स का कहना है कि यह हमला नेतन्याहू के बेटे के टेप सार्वजनिक होने से उपजे विवाद से ध्यान हटाने के लिए था. प्रधानमंत्री नेतन्याहू पर पहले से ही भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं. न्यूयॉर्क टाइम्स ने इसराइल के दो स्कॉलरों का हवाला देते हुए लिखा है इसराइल के प्रधानमंत्री दुनिया के सबसे व्यस्त प्रधानमंत्रियों में से एक होते हैं. इतनी व्यसस्ता के बावजूद इसराली पीएम भारत के छह दिवसीय दौरे पर हैं. इसराइल में नेतन्याहू के इस्तीफे की मांग तेजी से बढ़ रही है. नेतन्याहू ने इसे अतार्किक करार दिया है. उन्होंने कहा कि इस्तीफे की मांग किसी अनियमितता के कारण नहीं है बल्कि लोगों को उनकी नीतियों से समस्या है.
इसराइली मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक अवैध रूप से गिफ्ट लेने के मामले में भी नेतन्याहू पर आरोप लगाए गए हैं. इसके साथ ही वो एक अखबार से सकारात्मक कवरेज को लेकर सौदा करने के मामले में भी संदिग्ध हैं. जर्मनी से युद्धपोत खरीद में भ्रष्टाचार के मामले में नेतन्याहू के करीबी सहयोगी भी संदिग्ध हैं. नेतन्याहू के विरोधियों का कहना है कि उन्हें दो कारणों से पीएम पद से अयोग्य ठहराया जा सकता है. इसराइली मीडिया का कहना है कि जो व्यक्ति किसी अपराध में संदिग्ध है उसके हाथों इसराइल की कमान नहीं होनी चाहिए. इसराइली मीडिया के मुताबिक देश को पूर्णकालिक प्रधानमंत्री चाहिए, ऐसा पीएम नहीं चाहिए जो अपना आधा वक्त जांचकर्ताओं से पूछताछ में या बचाव पक्ष के वकीलों के साथ रणनीति पर काम करने में नष्ट करे.
इसराइल में जब तक कोर्ट दोषी नहीं ठहरा देता तब तक किसी व्यक्ति को गुनाहगार नहीं माना जा सकता. कानून के अनुसार आरोप लगने भर से कोई अपने पद से इस्तीफा दे दे, ऐसा जरूरी नहीं. ऐसा नहीं है कि बेंजामिन नेतन्याहू पहले प्रधानमंत्री हैं जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं. इससे पहले के प्रधानमंत्रियों के खिलाफ भी भ्रष्टाचार के मामले में जांच हुई है. पूर्व प्रधानमंत्री एहुद ओलमर्ट को भ्रष्टाचार के मामले में इस्तीफा देना पड़ा और उन्हें जेल हुई. इसराइल के पूर्व पीएम एरियल शेरॉन की मौत जांच के दौरान ही हो गई थी. अब देखना है कि क्या नेतन्याहू को भी इस्तीफा देना पड़ेगा? जाहिर है नेतन्याहू अपने पूर्ववर्तियों पर हुई कार्रवाई से अवगत होंगे.
1997 में पुलिस ने वोटों की खरीद की जांच में नेतन्याहू का नाम शामिल करने की सिफारिश की थी. हालांकि नेतन्याहू के खिलाफ कभी जांच नहीं हुई. मध्य-पूर्व में भारतीय राजदूत रहे तलमीज अहमद कहते हैं, जाहिर है कि नेतन्याहू अपने ही देश में घिरे हुए हैं, लेकिन इससे उनके भारत दौरे पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है. लेकिन अगर भ्रष्टाचार की जांच में नेतन्याहू का नाम भी शामिल किया जाता है तो मामला कोर्ट में जाएगा. 1993 में इसराइली सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री के लिए यह अनिवार्य कर दिया था कि अगर उनकी कैबिनेट में किसी मंत्री के खिलाफ जांच होती है तो उसे मंत्रिमंडल से बाहर करना पड़ेगा. कुछ लोगों का कहना है कि प्रधानमंत्री के साथ भी ऐसा ही होना चाहिए.
राजनीतिक रूप से बेंजामिन नेतन्याहू खुद को दक्षिणपंथी बताते हैं. 1992 के आम चुनाव में लिकुड पार्टी की जब हार हुई तो उन्हें पार्टी का चेयरमैन बनाया गया. नेतन्याहू के बेटे तो विवादों में अभी घिरे हैं लेकिन उनकी पत्नी सारा नेतन्याहू पहले से ही विवादों में हैं. सारा नेतन्याहू पर सरकारी खजाने से 3,59,000 शेकेल के दुरुपयोग के आरोप हैं. इसराइल के न्याय मंत्रालय ने सारा नेतन्याहू को लेकर यह बात कही थी. यह मामला पिछले साल सितंबर महीने का ही है. हालांकि इसे भी बिन्यामिन नेतन्याहू ने बकवास करार दिया था.
नंवबर 2016 में जर्मनी से खरीदे गए नए युद्धपोतों में गड़बड़ी को लेकर जांच शुरू हुई. इस सौदे में नेतन्याहू के वकील के शामिल होने के दावों के बाद जांच शुरू हुई थी. जून 2016 में एक फ्रांसीसी दलाल ने दावा किया कि उन्होंने 2009 के चुनावी कैंपेन में नेतन्याहू को लाखों यूरो दिए थे ताकि नेतन्याहू चुनाव जीत सकें. नेतन्याहू ने इस आरोप को खारिज कर दिया था. इसराइल के अटॉर्नी जनरल ने इसकी जांच का आदेश दिया था.
जुलाई 2015 में नेतन्याहू और उनकी पत्नी सारा पर एक सरकारी कॉन्ट्रैक्टर से निजी काम कराने का आरोप लगा. हालांकि बाद में इस आरोप को वापस ले लिया गया. मई 2013 एक सिंगल फ्लाइट में निजी बेडरूम के लिए एक लाख 27 हजार डॉलर की सार्वजनिक रकम निजी शौक के खातिर बर्बाद करने का आरोप. नेतन्याहू के पहले कार्यकाल में उन पर अवैध रूप से गिफ्ट लेने का आरोप लगा.
–अयोध्या प्रसाद ‘भारती’
लेखक-पत्रकार
रुद्रपुर (उत्तराखंड)
ई-मेल [email protected]
website : http://peoplesfriend.in