Yashwant Singh : एक जमाने में आजतक न्यूज चैनल आधे घंटे का प्रोग्राम मात्र हुआ करता था दूरदर्शन पर. अरुण पुरी जैसों ने सैटेलाइट और टीवी को समझा. आधे घंटे से चौबीस घंटे वाले न्यूज चैनल बन गए. आज अरुण पुरी, सुभाष चंद्रा, रजत शर्मा भारत के मीडिया टाइकून माने जाते हैं. तकनालजी, समय, समाज और सदी ने करवट ली. इंटरनेट का दौर धीरे-धीरे नशे की तरह छाने लगा है. आज फिर वही चौराहा सामने है. चाराहे पर इंटरनेट टीवी, यूट्यूब चैनल, वेब, ब्लाग, स्मार्ट फोन ऐसे हथियार हैं जो दिखते तो अलग-अलग हैं लेकिन हैं सब एक ही वृक्ष के पत्ते टहनी.
इन्हें आनलाइन दुनिया कहते हैं. इनको जिसने बारीकी से समझ लिया, वह अगले कुछ वर्षों में न सिर्फ आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो जाएगा बल्कि अपना एक अलग कद शख्सियत पहचान का निर्माण कर सकेगा. मैं कभी कभी सोचता हूं कि अब मुझे रोजाना सुबह सुबह उठकर एक काम फौरन कर देना चाहिए. एक कोई गाना गाते हुए खुद को रिकार्ड करने के बाद इसे यूट्यूब पर अपलोड कर देना चाहिए. लोग मुझे देखेंगे सुनेंगे, इससे मेरी एक ब्रांड इमेज तो बनेगी ही. यूट्यूब पर वीडियो मानेटाइज होने से पैसे भी मिलेंगे. कुछ ऐसी ही ढेर सारे तकनीकी लेकिन बेहद सरल बातें एक वर्कशाप में बताई जाएंगी. आपके अंदर की प्रतिभा को सामने लाया जाएगा. अपने हाथ से अकेले दम पर खुद को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जाएगा. इस वर्कशाप में जितने लोग शिरकत करेंगे, उन्हें भड़ास लगातार मदद, प्रशिक्षण देता रहेगा.
अब कुछ ही घंटे बचे हैं रजिस्ट्रेशन कराने में. पढ़ें जानें और शिरकत करें: http://goo.gl/LwDtbA
भड़ास अब मुझे इतना देता है कि सर्वर का व्यय समेत अपने परिवार का निजी खर्चा भी इसी से पूरा कर लेता हूं. गूगल ने हिंदी आनलाइन माध्यमों के कंटेंट को मानेटाइज करना फिर से शुरू कर दिया है. इसी कारण भड़ास को भी गूगल का मानेटाइजेशन प्लान मिल सका. इसी से भड़ास अपने दम पर, अपने आनलाइन कंटेंट के दम पर डालर कमाना सीख लिया है. ये क्या है तकनीक. कैसे ये सब होता है. इन्हीं चीजों को पूरा का पूरा मैं आप तक पहुंचाउंगा…
रजिस्ट्रेशन कराने के लिए मेल भेजें.. कैसे और कहां, जानने के लिए इस पर क्लिक करें: http://goo.gl/LwDtbA
भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह के फेसबुक वॉल से.