2017 में इंडिया टीवी ने अपने कई कर्मियों को तबादले का भय दिखाकर इस्तीफा देने का दबाव दिया था। जिन लोगों का तबादला किया था वो काफी दिनों से इंडिया टीवी में काम कर रहे थे। चाहे वो जयपुर से हों या इंदौर या बॉम्बे से या नोएडा से। मगर सीनियर वीडियो जर्नलिस्ट भानप्रकाश ने इस्तीफा नहीं दिया। प्रबंधन ने उनका गुवाहाटी में तबादला कर दिया। वहां ना रिपोर्टर था ना कोई कार्यालय।
सीनियर वीडियो जर्नलिस्ट भानप्रकाश ने फिर भी तबादला कुबूल कर लिया और जाने के लिए हामी भर दी। साथ ही मैनेजमेंट से पूछा कि गुवाहाटी में कार्यालय कहां है और वहां कौन रिपोर्टर है? इन सवालों का जवाब इंडिया टीवी के किसी अफसर ने नहीं दिया। एक अफसर ने उनसे कहा कि आप वहाँ क्यों जा रहे हैं, इस्तीफा दे दो और यहीं पर कहीं नौकरी तलाश कर लो। भानप्रकाश ने पलट कर पूछ लिया कि उनका तबादला किस बेस पर गुवाहाटी किया गया है जहाँ पर ना कोई कार्यालय है ना रिपोर्टर, ऐसे में वे वहां क्या करेंगे? इस सवाल का भी कंपनी के पास कोई जवाब नहीं था।
इंडिया टीवी प्रबंधन ने भानप्रकाश का टिकट बुक कर और एक पुराना कैमरा दे कर भेज दिया। भानप्रकाश गुवाहाटी चले गए और वहां से बिना रिपोर्टर के अकेले ही काम करते रहे। उनकी कई स्टोरी रजत शर्मा के कार्यक्रम ‘आज की बात’ प्रोग्राम में भी चली। मगर कार्यालय भानप्रकाश को कोई सपोर्ट नहीं कर रहा था।
भानप्रकाश नोएडा से सपोर्ट मांगते तो नहीं मिलती थी। मगर फिर भी ये वहां काम कर रहे थे। मैनेजमेंट के कुछ लोगों को समझ नहीं आ रहा था कि अब इनको कैसे निकाला जाय। इसके बाद साजिश रची गई। भानप्रकाश को एक झूठा केस में फंसवा दिया। उस केस की ना तो कोई इंक्वायरी हुई ना कोई चार्जशीट हुई। उन्होंने जिस दिन केस कराया उस दिन ही इस केस को आधार बनाकर नौकरी से निकाल दिया, जबकि कानून के मुताबिक ऐसा करना गलत है।
जब इस केस में इन्क्वायरी और इन्वेस्टिगेशन आफिसर को कुछ नहीं मिला तो इन्वेस्टिगेशन आफिसर ने केस बंद कर दिया। मेघालय कोर्ट ने शिकायतकर्ता को बुलाकर पूछा कि क्या आप इस इन्वेस्टिगेशन से संतुष्ट हैं? हालांकि वह पहले भी लिखकर दे चुका था कि भानप्रकाश निर्दोष हैं। अंतत: मेघालय कोर्ट ने ये केस बंद कर दिया।
भानप्रकाश ने इंडिया टीवी पर गलत तरीके से नौकरी से निकालने का केस कर रखा है। अब इंडिया टीवी को लेबर कोर्ट में इस जघन्य कृत्य का जवाब देना पड़ेगा। भानप्रकाश ने पहले ही इंडिया टीवी को बताया था कि ये केस झूठा है, मगर इंडिया टीवी ने उनकी नहीं सुनी क्योंकि वो तो पहले से ही किसी न किसी बहाने नौकरी से निकालने के लिए तैयार बैठे थे।
अब जबकि भानप्रकाश निर्दोष साबित हुए हैं तो क्या इंडिया टीवी उन्हें नौकरी, हर्जाना, माफीनामा देगा? शायद नहीं, क्योंकि आजकल के मीडिया हाउस न तो जनता के प्रति सरोकार रखते हैं और न ही अपने कर्मियों के प्रति संवेदनशीलता। ऐसे में मामला कोर्ट में ही आखिरी मुकाम तक पहुंचेगा। भानप्रकाश इंडिया टीवी को कोर्ट में सबक सिखाने के लिए पूरी तरह कमर कसे हुए हैं। केस में जल्द ही निर्णायक क्षण आने वाला है।
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Comments on “इंडिया टीवी ने जिस झूठे मामले में मीडियाकर्मी को नौकरी से हटाया, वह मामला अदालत ने बंद कर दिया”
yaha per sub haram khor h.sabse bada surrender Gumber.
इंडिया टीवी में आज भी ये चल रहा है। अभी कुछ दिन पहले ही एक ब्यूरो के कैमरामैन को दिल्ली तबादला किया गया है जब उसने आने लिए कहा तो फिर उससे इस्तीफा मांगने लगे ये ही हो रहा है फिर कुछ दिन बाद उसे निकालने की योजना बनाएंगे उसे कैसे फसाया जाय। यहां का मालिक कहता है मैं सबसे बड़ा इमानदार हूँ इम्प्लोई के साथ क्या कर रहे हैं ये नहीं दिख रहा अब डीडीसीए में क्या हो रहा ये सबको पता है।