
भारतीय जनता पार्टी और पार्टी की सरकार में वन मैंने शो चल रहा है। भाजपा को जन्म देने से लेकर उसे ऊंचाइयों पर पहुचाने वाले वरिष्ठ नेता हाशिये पर ला कर खड़े कर दिये गये हैं। ऐसी चर्चाएं अक्सर सामने आती हैं। भाजपा के कथित उपेक्षित वरिष्ठों के जिक्र में वयोवृद्ध नेता लाल कृष्ण आडवाणी का समय समय पर जिक्र होता है। इस वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के साथ उनकी पार्टी में अच्छा या बुरा क्या सुलूक हुआ ये अलग बात है, लेकिन समय समय पर आडवाणी जी जैसे बुजुर्ग नेता का मजाक बनाना अच्छा नहीं लगता। भारत रत्न की घोषणा के बाद फिर सोशल मीडिया में इनका मजाक उड़ाया जाने लगा।
तस्वीरों के साथ ऐसी फर्जी स्क्रिप्टस वायरल होने लगी जिसमें पूर्व गृहमंत्री आडवाणी कह रहे हैं कि मिट्टी के कुल्हड़ पर ही भारत रत्न लिखकर दे दो। कोई लिख रहा है कि उन्होंने कहा कि भारत रत्न के प्रमाणपत्र की फोटो कॉपी ही दे दे। किसी ने झूठा दावा किया कि आडवाणी कह रहे हैं कि प्रणव मुखर्जी कांग्रेस के चाणक्य कहलाते थे तो उन्हें भारत रत्न मिला। मैं भाजपा के चाणक्य का सताया हुआ हूं इसलिए मुझे भी ये सम्मान मिलना चाहिए है। एक पोस्ट ये भी चल रही है जिसमें वो कह रहे हैं कि प्रणव दा एक दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में गये और उन्हें भारत रत्न से नवाज दिया गया। मैं जीवन भर संघी रहा। हाफ पैंट से फुल पैंट के हर दौर में संघ की सेवाएं की किन्तु मुझे पत्थर दिल वालों ने रत्न नहीं पत्थर समझा। सड़क पर पड़ा पत्थर समझ कर मुझे रास्ते से हटा दिया गया।
कोई आडवाणी जी की काल्पनिक भावना को कुछ इस तरह व्यक्त करता है- एक बार पाकिस्तान जाकर जिन्ना की मजार पर क्या चला गया भाजपा ने हमारे योगदान को भुला कर मेरे एहसानात को दफ्न करके मेरे राजनीति कैरियर की मजार ही बना दी। चलिये मानता हूं कि भारत का विभाजन करने वाले जिन्ना की तारीफ करना मेरी गलती थी। तो क्या तब भी मुझको भारत रत्न ना देकर पाकिस्तान रत्न से ही नवाज दिया जाता।
भारत के एक सीनियर और प्रतिष्ठित वरिष्ठ राजनेता का इस तरह मजाक उड़ाना ठीक नहीं है। इस तरह के हास्य – व्यंग्य पर आपत्ति करते हुए कुछ लोगों ने मजाक उड़ाने वालों का विरोध भी किया है। लिखा गया कि इस तरह की बातें करने वाले ये नहीं जानते कि लाल कृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न इसलिए नहीं दिया जा सकता था क्योंकि वो अयोध्या में विवादित ढांचा गिराये जाने वाले मामले में न्यायालय में आरोपी हैं।
कुछ लोगों के इस तरह के तर्क भी सोशल मीडिया में ओहदे मुंह गिर गये। वयोवृद्ध नेता आडवाणी को भारत रत्न नहीं दिये जाने का विरोध करने वाले लिखते हैं- ठीक है आपका तर्क मान लेते हैं, लेकिन आप जरा ये भी बताइये कि क्या सिर्फ आडवाणी ही आरोपी हैं। कल्याण सिंह अयोध्या ढांचे को गिराये जाने कैसे आरोपी नहीं हैं। राज्यपाल बहुत ही बड़ा संवैधानिक पद होता है। कल्याण सिंह को भाजपा सरकार ने राज्यपाल कैसे बना दिया!
इसके जवाब में एक सज्जन का तर्क था कि हर सरकार अपने लोगों को ही लाभ देती है। जिस अपने को लाभ ना देकर नजर अंदाज करना होता है उसे पद या सम्मान ना देने का कोई तकनीकी बहाना बना लिया जाता है। दरअसल हर सरकार के पास बड़ा सा ताक़ होता है। जहां किसी अपने को लाभ देते समय नियम-कानून सामने आता है तो उसे सरकार ताक में रखकर अपनों को लाभ, पद या सम्मान पंहुचा देती है। सरकार जिसे सम्मान नहीं देना चाहती उसके सामने नियम-कानून की रुकावट का बहाना बना देती है।
-नवेद शिकोह
वरिष्ठ पत्रकार
लखनऊ
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