अत्याचारों के खिलाफ सफल संघर्ष गाथा है ‘भरतपुर का सूरजमल’
औरंगजेब व आक्रांता अब्दाली के अत्याचारों के खिलाफ सफल संघर्ष गाथा है किताब में
दिबियापुर। शोध आधारित ऐतिहासिक घटनाओं पर पुस्तक लिखने वाले साहित्यकार, लेखक, पत्रकार मुनीष त्रिपाठी की दूसरी पुस्तक ‘भरतपुर का सूरजमल’ प्रकाशित हो गई है। पुस्तक में औरंगजेब,आक्रांता अब्दाली और आतताई मुगलों के अत्याचारों के खिलाफ जाट सरदारों और किसानों की सफल संघर्ष गाथा है।
पुस्तक में मथुरा पर अब्दाली के आक्रमण के समय जाट राजकुमार जवाहर सिंह का अतुलनीय पराक्रम से मथुरा बचाने का प्रयास, महाराजा सूरजमल के समय जाटों का उत्कृष्ट काल, सूरजमल द्वारा आगरा किले पर कब्जा सहित दिल्ली और आगरा के बीच समस्त भूभाग को मुगलों से जीतना और जाटों का दिल्ली पर आक्रमण के समय दिल्ली की जनता का जाट राजकुमार के समक्ष समर्पण सहित बहुत सी साहसी घटनाओं का वर्णन बहुत ही रोचक शैली में बताया गया है।
किस जाट सरदार को औरंगजेब के अधिकारी अपने इलाकों में आक्रमण न करने के एवज में टैक्स देते थे?
किस जाट सरदार ने औरंगजेब के मथुरा जिले के दो सबसे बड़े अफसरों को एक के बाद दूसरे को दिन दहाड़े क्यों मार डाला था?
किस जाट सरदार ने आगरा सिकंदरा में स्थित अकबर के मकबरे को दिन दहाड़े आक्रमण कर लूट लिया था?
किस संत ने जाटों को धर्म औऱ संस्कृति की रक्षा के लिए बलिदान देने के लिए खड़ा कर दिया?
इन सब तथ्यों का खुलासा इस किताब में किया गया है।
पुस्तक का प्रकाशन प्रसिद्ध गरूढ़ प्रकाशक ने किया है। यह पुस्तक अमेजॉन, फ्लिपकार्ट सहित कई बुक सेलर सेंटरों पर उपलब्ध है।
बता दें कि दिबियापुर निवासी लेखक मुनीष त्रिपाठी की पहली पुस्तक ‘विभाजन की त्रासदी’ के लिए उन्हें उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा केएम मुंशी पुरस्कार तथा उत्कृष्ट पत्रकारिता और साहित्य के लिए औरैया जिला प्रशासन ने ‘औरैया रत्न’ से सम्मानित किया है।
मुनीष त्रिपाठी ईटीवी , न्यूज़ 18 के लिये यूपी के कई जिलों में रिपोर्टिंग कर चुके है। उनके स्तंभ भी दैनिक स्वदेश, स्वतंत्र वार्ता सहित कई अखबारों में प्रकाशित होते है।