किसी भी पति के द्वारा अपनी धर्मपत्नी को पीटना एक जघन्य अपराध है. ये अपराध यदि कोई चोर-उचक्का, गुंडा-मवाली या फिर डाकू-हत्यारा करता है, तो एक बार माफ किया जा सकता है, लेकिन यदि अपने आप को “कवि”, “साहित्यकार” या फिर बार बार ख़ुद को “सर्जक” कहने वाला करता है तो ये अपराध कहीं ज़्यादा संगीन और वीभत्स बन जाता है.
कोई भी धर्मपत्नी अपने पति की ज़्यादतियों, दुर्व्यवहारों, अशोभनीय कृत्यों को पराकाष्ठा तक छुपाने का हमेशा प्रयास करती है, और खून के घूँट पीकर भी घर के मसले, अपनी देहरी के बाहर नहीं ले जाती. क्योंकि ये ना केवल उस स्त्री के अपने परिवार और व्यक्तिगत सम्मान से जुड़ा मामला होता है, बल्कि पूरे ससुराल, समाज और परिवेश की मर्यादाएं भी संभालने का दायित्व वो अकेली अपने नाज़ुक काँधों लेकिन बेहद मजबूत हृदय के साथ निर्वहन कर रही होती है.
अपने इन्हीं सद्गुणों के कारण और इन्हीं वज़ूहात के चलते वो विवाह नाम के बंधन में बँधती है, वरना लिव-इन उसके लिए भी खुला विकल्प था. लेकिन किसी विवाहिता का मान मर्यादा, व्यवहार-विचारों की शुद्धता, परिवेश-समाज की गरिमा बनाये रखने वाली सशक्त शख्सियत का पर्याय है. तिस पर भी वो स्त्री अपने भीषण शराबी पति, तथाकथित साहित्यकार, जो वय में उस स्त्री के पितामह समान हो, पहले तो घर के सारे क़ीमती सामान, ज़ेवर-नकदी-एटीएम कार्ड्स सहित बैंक के सारे काग़ज़, रसोई-गैस तक के पेपर, कम्प्यूटर-लैपटॉप वगैरह किसी गोपनीय जगह पर ले जाकर छुपा दे, फिर पन्द्रह दिन लापता होने के बाद एक दिन घर की कार जबरन हथियाने के लिए वापस घर में घुसे, और उसी चुपचाप बर्दाश्त कर रही स्त्री को अमानवीय तरीके से पीटे, और उसके बाद पूरी दुनिया में घूम घूमकर हज़ार बेबुनियाद और पूरी तरह से झूठी तोहमतें भी लगायें तो बताईए, मेरे आत्मीय और वरिष्ठ शुभचिंतक मित्रों उस पति को आप क्या कहेंगे….
भूमिका द्विवेदी के एफबी वॉल से
vv
February 25, 2016 at 8:40 pm
पत्नी पीटू प्राणी