आजकल माफी मांगने में जुटे हैं नीलाभ अश्क, पढ़िए कुछ प्रायश्चित पोस्ट्स

Neelabh Ashk : एक बिना-शर्त माफ़ीनामा…. अपने जीवन में मुझसे अपने आवेगशील स्वभाव के कारण अनेक ऐसी घटनाएं और प्रसंग हो बैठे हैं, जिन पर मुझे बेहद खेद और शर्मिन्दगी महसूस हुई है. मैंने अपने अविवेक में बहुत-से लोगों को चोट पहुंचायी है. मेरी कोशिश रही है कि जहां तक सम्भव हो, इन ग़लतियों का परिमार्जन हो सके. अपनी भूल को स्वीकार करके माफ़ी मांग लेने में मेरा अहम कभी आड़े नहीं आया, क्योंकि जो भी किया, वह मैंने किया था, सो माफ़ी मांगना मेरा ही कर्तव्य बनता था.

तो क्या नीलाभ डूब जाएंगे भूमिका के इस भंवर में ?

कभी राजेंद्र यादव-ज्योति कुमारी, कभी नीलाभ अश्क-भूमिका द्विवेदी….यह हिंदी वाले अंगरेजी वालों से रचना के स्तर पर प्रेरणा बहुत लेते हैं , जीवन के स्तर पर भी क्यों नहीं लेते? यह वी एस नायपाल, यह सलमान रुश्दी वगैरह तो यह सब करते हुए भी अभी जीवित हैं। और बिना किसी थुक्का-फज़ीहत के । यह नारायण दत्त तिवारी बनने की फज़ीहत ज़रुरी है ? और फिर नीलाभ अश्क तो लंदन वगैरह भी रह चुके हैं और एक शानदार लेखक भी हैं। एक बड़े लेखक उपेन्द्र नाथ अश्क के पुत्र हैं। पिता की चार पत्नियां देख जान चुके हैं । उन पर लिख चुके हैं । अश्क जी पर लिखे संस्मरण के बहाने । बहुत ही दिलचस्प संस्मरण । हालां कि लखनऊ से लगायत इलाहाबाद , बनारस और दिल्ली आदि तक हिंदी में भी कई चैंपियन हैं जो यह सब कुछ बड़ी शालीनता से कई-कई जगह निभा रहे हैं। क्रीज़ पर डटे हुए हैं बाक़ायदा बैटिंग करते हुए , बाऊंसर झेलते हुए। असल में यह शौक पालने से पहले महिलाओं के बाऊंसर झेलने की क्षमता जो नहीं रखेगा , ऐसे ही शर्मसार होता रहेगा । 

भूमिका ने फेसबुक मित्रों से पूछा, ऐसे पति को आप क्या कहेंगे..?

किसी भी पति के द्वारा अपनी धर्मपत्नी को पीटना एक जघन्य अपराध है. ये अपराध यदि कोई चोर-उचक्का, गुंडा-मवाली या फिर डाकू-हत्यारा करता है, तो एक बार माफ किया जा सकता है, लेकिन यदि अपने आप को “कवि”, “साहित्यकार” या फिर बार बार ख़ुद को “सर्जक” कहने वाला करता है तो ये अपराध कहीं ज़्यादा संगीन और वीभत्स बन जाता है.

नीलाभ अश्क ने दुखी मन से चुप्पी तोड़ी, भूमिका की चौंकाने वाली अनकही दास्तान से पर्दा उठाया

प्रसिद्ध साहित्यकार उपेंद्रनाथ अश्क के पुत्र एवं जाने माने लेखक-रंगकर्मी नीलाभ अश्क ने कई दिन बाद आज अपने घरेलू घटनाक्र में चुप्पी तोड़ी। भड़ास4मीडिया से अपना दुख-दर्द साझा करते हुए उन्होंने कहा कि जो कुछ हो रहा है, ठीक नहीं है। मेरे लिए असहनीय है। मैं मर्यादाओं की सीमा तोड़कर ऐसी नीजी बातें सार्वजनिक रूप से साझा नहीं करना चाहता था लेकिन मुझे विवश किया गया है। बाकी जिन्हें करीब से सारी सच्चाई मालूम है, वे भी मेरी अप्रसन्नता के साथ भूमिका द्विवेदी उनकी मां की ताजा घिनौनी हरकतों पर क्षुब्ध और अचंभित हैं। मेरा पूरा अतीत देश के ज्यादातर हिंदी साहित्यकारों, पत्रकारों, रंगकर्मियों, सामाजिक सरोकार रखने वाले लोगों के बीच सुपरिचित है। मुझे अपने रचनाकर्म, अपनी आदमीयत और अपने शानदार पारिवारिक अतीत के बारे में कुछ नहीं बताना है। मुझ पर थोपे जा रहे घटिया लांछन विचलित करते हैं, इसलिए अब कुछ कहना आवश्यक हो गया है। 

अभी कुछ भी नहीं बिगड़ा, जल्द घऱ लौट आओ नीलाभ, सब ठीक हो जाएगा : भूमिका द्विवेदी

हिंदी के विख्यात साहित्यकार उपेंद्रनाथ अश्क के पुत्र एवं जानेमाने रंगकर्मी, लेखक नीलाभ अश्क की पत्नी भूमिका द्विवेदी का इन दिनो रो-रोकर बुरा हाल है। नीलाभ उन्हें एक सप्ताह पूर्व बिना कुछ बताए छोड़कर चले गए हैं। उनका कहीं कुछ अता-पता नहीं है। वह इस समय काफी डरी-सहमी हुई हैं। पिछले दो दिन अस्पताल में रही हैं। कई दिनों से खाना नहीं खाया है। किसी तरह भड़ास4मीडिया से बात करने पर सहमत होने के बाद वह पूरी वार्ता के दौरान एक ही बात की रट लगाती रहीं कि प्लीज, चाहे जैसे भी, नीलाभ से मुलाकात करा दीजिए। अभी कुछ नहीं बिगड़ा है। वह लौट आएं। सब ठीक हो जाएगा।