महक सिंह तरार-
ये रिश्ता क्या कहलाता है… ठगों ने 25 हज़ार करोड़ खाये, पर जिनके खाये उन्होंने ठगों से पैसे माँगे तो पेट में दर्द सरकार के क्यों? हरियाणा पंजाब के लगते हुए इलाक़े में इस बार दो बार बड़ी बाढ़ आयी। तीन नेशनल हाईवे तक बंद करने पड़े। किसानों की रोज़ी रोटी डूब गई। सरकार उनके खाते से फसल बीमा का पैसा काटती है व प्राइवेट बीमा कंपनियों को अपनी तरफ़ से कुछ प्रीमियम मिलाकर देती है।
ये बड़े लेवल का घोटाला है क्यूँकि जिनका बीमा है, उन्हें पैसा नहीं मिलता, पर बीमा कंपनी मोटे पैसे काट रही है. कैसे…
सरकार ने बीमे का काम एरिया अनुसार कंपनियों को दे कर मोनोपॉली बनवायी। जहां सरकारी कंपनी है वहाँ किसानों को क्लेम कुछ हद तक मिल जाता है। इलाक़े का MP MLA भी सरकारी कंपनी से क्लेम दिलाने के लिए आगे आकर मदद करते है। पर जहां जहां प्राइवेट वाले हैं, उनकी गोद में सरकार ख़ुद बैठती है तो प्राइवेट वाले बीमा क्लेम क्यों देंगे। क्लेम के सैकड़ों करोड़ देने से अच्छा है सरकारी मंत्री संतरी को दो चार करोड़ खिलाओ, वो उस तरफ़ मुँह भी नही करेगा।
इसका सबूत है कि प्राइवेट वाले ने पिछले पाँच साल में पच्चीस हज़ार करोड़ कूट लिये। जबकि सरकारी वालों को 3344 करोड़ का घाटा हुआ।
अब किसानों ने माँगा बीमा से मुवावजा, जिसे देना तो था मेनली प्राइवेट ठगों को पर दर्द हुआ सरकार बहादुर के। कल किसानों ने चंडीगढ़ घेराव का प्रोग्राम बनाया। हरियाणा और पंजाब में नागपुरियों की बी टीम अपने नाजायज़ शक्ति प्रदर्शन पर उतर आई। एक किसान ट्राली के नीचे आकर जान से हाथ धो बैठा, वहीं अंबाला के अन्य युवा किसान की टांग ऐसे शक्ति प्रदर्शन की भेंट चढ़ गई। बाक़ी भारी लाठी भांजी गई।
जो किसानों की आवाज़ बने. जैसे Mandeep Punia या Ramandeep Singh Mann उनके ट्विटर हैंडल / फ़ेसबुक बाक़ायदा बड़ी सरकार ने धोंस देकर बंद करवा दिये, ठीक वैसे जैसे पढ़े लिखे को वोट देने की सलाह देने वाले सांगवान साहब को नौकरी से निकाल कर चलता करवा दिया गया।