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सियासत

कितना कमजोर है ईमान कि पैगम्बर मुहम्मद के कार्टून से हिल जाता है!

-फिरोज खान-

कितना कमजोर है तुम लोगों का ईमान मुसलमानों कि पैगम्बर मुहम्मद के कार्टून से हिल जाता है। तुम तो दुनिया को मुहम्मद की उम्मत कहते हो। जब यह कहते हो तो कार्टून बनाने वाला भी उन्हीं की उम्मत हुआ।

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तुम कहते हो कि एक बुढ़िया मुहम्मद पर रोज कचरा फेंकती थी और मुहम्मद फिर भी उससे हमदर्दी रखते थे और प्रेम करते थे। अगर ऐसा है तो कार्टून बनाने वाले के प्रति तुमको मुहब्बत क्यों नहीं रखनी चाहिए।

तुम चिल्ला-चिल्लाकर कहते हो कि इस्लाम तलवार से नहीं, मुहब्बत से फैला है। अगर ऐसा है तो फिर आज मुहब्बत से उसे बचा क्यों नहीं लेते।

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सुनो, मजहब सियासी मसला है। कोई भी मजहब। वह तब तक तलवार से चलता है, जब तक सब उसके झंडे के नीचे नहीं आ जाते। और जब ऐसा हो जाता है तब कहा जाता है कि यह मुहब्बत का पैगाम है। सबसे बेहतर समाज बगैर धर्मों वाला समाज ही हो सकता है।

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