चण्डीगढ़। चैनल वन न्यूज आज कल पूरी तरह धंधागिरी पर उतरा हुआ है। पंजाब के चुनावों में उम्मीदवारों से पेड खबरों के बदले धन लेने के लिए जीभ लपलपाने वाले इस चैनल की असलियत कुछ यूं भी है। गुजरs 10 नवंबर, 2016 को इस चैनल ने पंजाब के लिए एक ही समय दो-दो ब्यूरो सुनील सहारण और जगरूप शेहरावत नियुक्त किये और बदले में दोनों से एक-एक लाख रूपये बतौर सिक्युरिटी लिये। चैनल ने मौखिक रूप से चण्डीगढ़ या उसके आस-पास कार्यालय लेने, कार्यालय में स्टॉफ की नियुक्ति करने, पंजाब में चैनल के प्रचार के लिए होर्डिंग लगाने और पंजाब में पांच वाहन चलाने का हुक्म भी दिया।
साथ में ही यह तय हुआ कि चैनल पंजाब चुनावों के लिए प्रतिदिन आधे-आधे घण्टे के तीन पंजाब के बुलेटिन देगा और बदले में उसके ब्यूरो चीफ उसे विज्ञापनों के माध्यम से बिजनेस देंगे। परन्तु पंजाब में चुनाव तेजी पकड़ते ही चैनल ने अपने ब्यूरो पर दबाव बनाना शुरू कर दिया कि पंजाब में प्रत्येक उम्मीदवार से पेड खबरों के रूप में दो-दो लाख लिये जायें। इसके साथ ही चैनल ने धन बटोरने का एक लिखित प्रस्ताव बना कर भी भेजने को कहा, जो कि ब्यूरो ने अपने साथी से बनवा कर भेज दिया। साथ ही दोनो ब्यूरो ने अगले ही दिन चैनल के नोएडा कार्यलय में जाकर साफ कह दिया कि वे खबरों के नाम पर उम्मीदवारों के साथ धंधागिरी नहीं कर सकते।
इसी के साथ ही चैनल ने ऐसे ब्यूरो की तलाश शुरू कर दी जो उनके लिए उम्मीदवारों से माल बटोर सके। ब्यूरो को बाई पास करके उनके द्वारा नियुक्त किये रिपोर्टरों से सीधे ही फंड एकत्र करने के लिए बातचीत करनी शुरू कर दी। चैनल के मालिक अक्सर कहा करते थे कि उत्तर प्रदेश चुनावों में तो उनका चैनल मोटा माल बना रहा है, परन्तु पंजाब में अभी तक क्यों नहीं बन रहा। पंजाब में कभी रिपोर्टरों को अकाली-भाजपा की हिमायत करने तो सियासी हालात बदलने पर कांग्रेस की हिमायत करने जैसे हुक्म पल-पल में जारी होते रहे। देश में पहले ही ब्लैकमेलिंग के मामलों में बदनाम इस चैनल ने पंजाब में भी कोई कसर न छोड़ने का फैसला किया हुआ था। मौका मिलते ही चैनल ने पंजाब से अपने ब्यूरो हटाने का फरमान चैनल में पट्टी चलाते हुए कर दिया। ब्यूरो अब अपनी तरफ से दी गई दो लाख रूपये की सिक्युरिटी मनी वापस मांग रहे हैं, परन्तु चैनल मालक दो लाख देने में आनाकानी कर रहे हैं। उल्टा ब्यूरो को धमकाया जा रहा है। एक विशेष धर्म के रंग में रंगे इस चैनल की भाषा तो हिन्दी है, परन्तु उसे राष्ट्रभाषा में बात समझ नहीं आ रही।
जगरूप सिंह
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