महाराष्ट्र के प्रमुख मराठी दैनिक लोकमत से एक बड़ी खबर आ रही है। यहां एक चपरासी पद पर कार्यरत कर्मचारी को नौकरी से निकालना प्रबंधन को भारी पड़ गया। इस चपरासी ने लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी और लोकमत प्रबंधन को धूल चटा दिया। मुंबई हाईकोर्ट ने एक आदेश जारी कर लोकमत प्रबंधन को निर्देश दिया है कि वह इस कर्मचारी को बारह लाख रुपये का भुगतान करे।
मराठी दैनिक लोकमत में प्यून पद पर कार्यरत उत्तम पूत्र लक्ष्मणराव लोधी को लोकमत प्रबंधन ने वर्ष १९९२ में सिर्फ इसलिये नौकरी से निकाल दिया था कि यह कर्मचारी कंपनी के गेट पर घर जाते समय चेकिंग कराना भूल गया या झटके से निकल गया। इस कर्मचारी को नौकरी से निकाले जाने के बाद उसने भी ठान लिया कि कंपनी प्रबंधन को धूल चटाने के लिए लड़ना है। उसने जाने माने एडवोकेट एस. डी. ठाकुर से मदद मांगी और उनके जरिये लोकमत प्रबंधन के खिलाफ मुकदमा कर दिया। मुकदमा लेबरकोर्ट, इंडस्ट्रीयल कोर्ट तक चला। इस दौरान ६ जून २००८ को उत्तम रिटायर हो गया। वह नौकरी छूटने के बाद गांव गया। भेड़ चराया लेकिन स्वाभिमान से समझौता नहीं किया।
मामला मुंबई उच्च न्यायालय तक पहुंचा। न्यायालय ने दोनो पक्षों में एस डी ठाकुर की मौजूदगी और सहमति से समझौता वार्ता कराया और लोकमत प्रबंधन को निर्देश दिया कि वह इस कर्मचारी को २४ अगस्त १९९२ से ६ जून २००८ तक का वेतन और अन्य राशि मिलाकर लमसम कुल १२ लाख रुपये का भुगतान करे। यह भुगतान लोकमत प्रबंधन को ३० जनवरी २०१८ से पहले करना होगा। अगर लोकमत प्रबंधन ने ऐसा नहीं किया और पैसा देने में फेल हुआ तो उसे इस कर्मचारी को १ मार्च २००९ से जब तक उसका बकाया नहीं देता है, तब तक का ९ प्रतिशत प्रतिवर्ष के हिसाब से ब्याज का भुगतान भी करना होगा।
यह आदेश मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने रिट पिटिशन नंबर ९७९/२०१६ की सुनवाई करते हुये दिया है। यह रिट पिटिशन लोकमत मीडिया प्राईवेट लिमिटेड की ओर से दायर की गयी थी जिसमें उत्तम पुत्र लक्ष्मण राव लोही निवासी काटोल, पेठ बुधवार, धंगरपुर, नागपुर के अलावा इंडस्ट्रीयल कोर्ट नागपुर और लेबरकोर्ट नागपुर को भी लोकमत ने पार्टी बनाया था। उत्तम के खाते में यह पैसा सीधे लोकमत प्रबंधन को जमा करना होगा या फिर डिमांड ड्राफ्ट के जरिये यह पैसा उसको देना होगा।
इसके साथ ही मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने यह भी आर्डर दिया है कि कर्मचारी के एडवोकेट एस डी ठाकुर पालेकर अवार्ड, बछावत अवार्ड, और मणिसाना अवार्ड के लिये अलग से क्लेम लगायें। इस कर्मचारी के एडवोकेट एम डी ठाकुर ने मुंबई उच्च न्यायालय के इस निर्णय का स्वागत किया है। उन्होंने कहा है कि यह आर्डर उचित है। अब हम पालेकर अवार्ड, बछावत अवार्ड और मणिसाना अवार्ड की लड़ाई में भी इस कर्मचारी के साथ हैं। आपको बतादें कि एस डी ठाकुर ने ही लोकमत के कर्मचारी महेश साकुरे का मुकदमा लड़ा था और उन्हे जीत दिलायी थी।
शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्सपर्ट
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