नोएडा में डेढ़ साल पहले भाजपा नेता शिवकुमार यादव समेत तीन की हत्या में वांछित आरोपी अमन यादव को मंगलवार (25 जून) को यूपी पुलिस ने लखनऊ के एक होटल से गिरफ्तार किया। प्रेस में गिरफ्तारी का ढिढोंरा पीटा। लेकिन पुलिस की खेल की वजह से उसे सलाखों के पीछे नहीं पहुंचाया जा सका। गाजियाबाद से विवेचक गैर-जमानती वारंट लेकर पहुंचे। लेकिन अफसरों की फटकार पर विवेचक इस हत्याकांड में रिमांड की अर्जी दाखिल करने की हिम्मत नहीं जुटा सके। पुलिस ने बुधवार को शस्त्र अधिनियम के तहत आरोपी को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया और वह जमानती अपराध में रिहा हो गया। दरअसल उसकी गिरफ्तारी की भनक लगते ही पैरवी शुरू हो गई और उच्चाधिकारियों के फोन घनघनाने लगे।
नोएडा में डेढ़ साल पहले भाजपा नेता व स्कूल संचालक शिवकुमार यादव, उनके निजी सुरक्षाकर्मी रहीस पाल और वाहन चालक बलीनाथ की गोली मारकर हत्या के मामले में फरार अमन यादव की मंगलवार को कैसरबाग के होटल से शस्त्र अधिनियम में गिरफ्तारी की गई थी।
गैर जमानती वारंट लेकर गाजियाबाद से आए क्राइम ब्रांच के निरीक्षक अशोक पाल सिंह द्वारा कोर्ट में रिमांड की अर्जी न दिए जाने से रिहाई पर शिवकुमार के भाई योगेश व योगेंद्र यादव ने मुख्यमंत्री को प्रार्थनापत्र भेजने के साथ ट्वीटर पर भी शिकायत की है। गिरफ्तारी के दौरान अमन यादव द्वारा पुलिस महानिदेशक मुख्यालय के एक अधिकारी से पुलिसकर्मियों की बात कराने व रिहाई का दबाव बनाए जाने संबंधी वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल है। शिवकुमार के भाई योगेश का कहना है कि फरार अमन यादव उनका पीछा कर रहा था। दसियों बार वह उसी होटल में तब रुका, जब वह मुकदमे में कार्रवाई के सिलसिले में पुलिस उच्चाधिकारियों और राजनेताओं से मुलाकात करने आए थे। उनका कहना है कि अमन के पास से लाइसेंसी पिस्टल व 29 कारतूस बरामद हुए। न्यायालय से गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद भी पुलिस ने उसका लाइसेंस निरस्त कराने या शस्त्र कब्जे में लेने की कार्रवाई नहीं की। लोकसभा चुनाव में लाइसेंसी हथियार जमा कराने का अभियान तिहरे हत्याकांड के फरार आरोपी पर बेअसर रहा।
शिवकुमार यादव की हत्या के मामले में पुलिस ने साजिश रचने में अरुण यादव, वारदात अंजाम देने में सुंदर भाटी, उसके भतीजे अनिल भाटी, भाई सहदेव भाटी, शूटर नरेश तेवतिया, अनिरुद्ध उपाध्याय, अमर सिंह उर्फ फौजी समेत दस लोगों को गिरफ्तार किया था। मुकदमे की विवेचना नोएडा से गाजियाबाद स्थानांतरित होने पर तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक वैभव कृष्ण ने एसआईटी गठित की और सर्विलांस से छानबीन कराई। इसमें साजिश रचने वाले अरुण यादव के भाई गोंडा में तैनात उपनिरीक्षक अमित यादव, चाचा जेपीनगर में तैनात मुख्य आरक्षी रवींद्र यादव, अमित के साले प्रवीण यादव व अरुण के साले अमन यादव के नाम उजागर हुए। चारों के खिलाफ गैर जमानती वारंट लेकर तलाश शुरू की गई थी, लेकिन दबाव के चलते गिरफ्तार नहीं किया गया है।
गाजियाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने छह मई को गोंडा व जेपीनगर के पुलिस अधीक्षक को पत्र भेजकर उपनिरीक्षक अमित यादव और मुख्य आरक्षी रवींद्र यादव के हत्या के मामले में गैर जमानती वारंट की जानकारी देते हुए दोनों को 16 मई को न्यायालय में उपस्थित कराने को कहा। इसकी भनक लगने पर अमित यादव चार मई को छुट्टी लेकर रवाना हुआ। इसके बाद से गैरहाजिर है। वहीं, जेपीनगर के पुलिस अधीक्षक ने फरार मुख्य आरक्षी रवींद्र यादव को महीना भर पहले निलंबित कर दिया था।
ज्ञात हो कि 16 नवंबर 2017 को भाजपा नेता शिवकुमार यादव और उनके चालक की ताबड़तोड़ 20-25 गोलियां चलाकर हत्या कर दी गई थी। उनके साथ में उनके गनर की भी हत्या कर दी गई थी। दो बाइक पर सवार चार बदमाशों ने शिवकुमार के हैबतपुर स्थित स्कूल से फॉर्च्यूनर में सवार होकर घर लौटने के दौरान भीड़भाड़ वाले रास्ते पर वारदात अंजाम देकर आसानी से फरार हो गए थे। बताया जाता है कि अरुण ने बदला लेने के लिए अनिल भाटी को शिवकुमार की हत्या की 10 लाख रुपए सुपारी दी थी। इनमें से अनिल भाटी को 6 लाख रुपयों की एडवांस किश्त दी गई थी। इसके बाद सबने मिलकर पूरी योजना बनाई और 16 नवंबर को धर्मदत्त शर्मा की रेकी पर शार्प शूटर नरेश तेवतिया और उसके दो साथियों ने इस तिहरे हत्याकांड को अंजाम दिया।
अमन यादव का एक भाई उत्तर प्रदेश पुलिस में एसआई है, जो अभी अलीगढ में तैनात है। उसकी भूमिका को लेकर भी पुलिस जांच कर रही है। फिलहाल पुलिस और एसटीएफ की टीम इस हत्या में शामिल तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। लेकिन इसमें अभी भी अनिल भाटी सहित और दो अन्य शार्प शूटर फरार हैं, जिन पर 25-25 हजार रुपए का इनाम घोषित कर दिया गया है।
कानूनी मामलों के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट.