अमित चतुर्वेदी-
फ़ाइज़र कम्पनी ने कल अपनी कोरोनावाइरस की वैक्सीन पर 80 हज़ार पन्नों का रीसर्च डेटा पब्लिश किया है। जिसमें उन्होंने अपनी वैक्सीन को प्रेगनेंट महिलाओं, प्रेगनेंट महिलाओं के फ़ेटस, लैक्टेटिंग विमन और दूध पीने वाले बच्चों के लिए ख़तरनाक बताया है।
उन्होंने ये भी बताया है कि कुल 42000 हज़ार ऐड्वर्स इफ़ेक्ट्स और 1200 मौतें भी रिपोर्ट हुईं, जो वैक्सीन के अज्ञात साइड इफ़ेक्ट्स जनित थीं।
इसके अलावा इस वैक्सीन की एफ़िकेसी जो पहले 95% बताई जा रही थी उसे बच्चों पर केवल 12% पाया गया।
अब इन बातों से तीन निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं, पहला तो ये कि भारत में बनी ऑक्स्फ़र्ड की वैक्सीन जो Europe में AstraZeneca के नाम से लगाई गयी और उसी का एक वर्ज़न भारत में Covishield के नाम से लगाया गया उसने भारत के लोगों को अभी तक तो बहुत बचाया है। जितनी हमारी जनसंख्या है और जो हमारे देश के लोगों की लापरवाही वाली प्रवत्ति है उसे देखते हुए भारत में कोरोना ने वैसा नुक़सान नहीं किया जो इन वैक्सीन के अभाव में कर सकता था।
दूसरा निष्कर्ष ये है कि भारत सरकार ने और पूरी सरकारी मशीनरी ने जिसमें देश के तमाम सरकारी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कार्यकर्ता थे उन्होंने इस फ़ील्ड में अभूतपूर्व काम किया है। भले उसका क्रेडिट कोई एक आदी अकेला लूट ले लेकिन चूँकि काम हुआ है इसीलिए इसे स्वीकार किया जा सकता है कि 140 करोड़ देशवासियों को डबल वैक्सिनेट करना एक बड़ी उपलब्धि है।
तीसरा निष्कर्ष….हम भारतीय भले लाख देशी आयुर्वेदिक दवाइयों और नुस्ख़ों की वकालत करें, लेकिन मौक़े पर एलोपैथिक दवाएँ और वैक्सीन ही काम आती हैं…
चौथा और सबसे महत्वपूर्ण निष्कर्ष…अब जिस डेटा को लेकर तमाम लोग अंग्रेज़ी दवाई कम्पनियों के ऊपर चढ़ जाएँगे और उनकी साज़िशों की तमाम Conspiracy Theories सामने लाएँगे, वही अंग्रेज़ी दवा कम्पनीयाँ ये साहस करती हैं कि अपनी दवाओं के साइड इफ़ेक्ट्स समेत उनसे सम्बंधित सारा डेटा ईमानदारी से पब्लिक डोमेन में सामने रखते हैं, वरना तो एक अपना बाबा भी है जो लॉंच के दिन ही अपनी दवा को 100% इफ़ेक्टिव बता देता है और पूरे सिस्टम को चैलेंज करता है कि मुझे गिरफ़्तार करने की हिम्मत इस देश में कोई नहीं कर सकता…