16 मार्च 2013 को मुझे मेरे मोबाइल में एक मैसेज मिला जिसके अंत में ‘’दिल्ली पुलिस’’ और NDTV लिखा था ..जिसमें ज़िक्र था कि फ्रूटी के किसी ख़ास बैच में किसी HIV पीड़ित कर्मचारी का खून गलती से चला गया है..इसीलिए 25 दिनों तक फ्रूटी न पिए और कृपया इस सन्देश को ज्यादा अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं। नागरिक कर्तव्य को निभाते हुए इस सन्देश को गूगल पे सर्च किया तो तमाम मैसेज मिले…और मुझे कुछ हद तक बात सच्ची लगी।…तो मैंने इसे अपनी फेसबुक की वॉल पर मोबाइल मैसेज को शेयर किया।
आज मैं महसूस कर रहा हूं कि अनजाने में मैं कॉर्पोरेट वॉर का मोहरा बन गया। पारले एग्रो की तरफ से मुझ पर और मेरे कार्यरत ऑफिस पर कई धाराएँ लगा कर मुकदमा ठोक दिया गया है..। पारले जी को मैं दो दो माफीनामे लिखित और फेसबुक पे भी माफीनामा पोस्ट कर चुका हूं..। बावजूद सम्मन और कई नोटिस आ चुके है । अगली डेट सितंबर में दी है..अप्रैल में नहीं जा पाया,..सेहत बहुत खराब हो चुकी है।
अब खुद को इतना बड़ा अपराधी मानने लगा हूँ..की गोलियाँ खाकर ही नींद आती है..डिप्रेशन की दवाइयां खा रहा हूँ..वकीलों को अपनी माली औकात से ज्यादा रुपया बाँट चुका हूँ। करियर में आगे बढ़ने के रास्ते बंद हो चुके हैं । मेरा अपराध यही है कि मैंने ज़िम्मेदार नागरिक बनने की कोशिश की थी।
मेरी मित्र मंडली में है कोई ऐसा इंसान जो इस युवा की जिंदगी को कानून के शिकंजे से मुक्त करा सके….कृपया मददगार हाथ सामने आएं..फ्रूटी ने मुंबई हाईकोर्ट में क्रिमनल डिफेमेशन का केस किया है और युवा दिल्ली में नौकरी करता है..वकीलों की मोटी फीस देने की हैसियत नहीं है इस युवा के पास… https://www.facebook.com/praveenkumarparv?fref=ufi
सुमंत भट्टाचार्य के एफबी वॉल से