पिछले दिनों एक फर्जी यूनियन और उसके फर्जी पदाधिकारियों के बारे में जानकारी दी गई थी और यह बताया गया था कि यूनियन का गठन दैनिक जागरण प्रबंधन की शह पर कराया गया। अब कन्फ्यूजिया गए होंगे कि दैनिक जागरण प्रबंधन कर्मचारियों के साथ फिरकी क्यों ले रहा है। आखिर जिस प्रबंधन ने कंपनी में आज तक कोई यूनियन नहीं बनने दी और जो यूनियन बनी भी, उसे शहीद करा दिया तो अब वही क्यों यूनियन का गठन होने दे रहा है। मजे की बात तो यह है कि यूनियन पदाधिकारियों के नाम सार्वजनिक होने के बावजूद उनसे यह पूछा तक नहीं गया कि भाई ऐसी क्या तकलीफ है, जो यूनियन बना रहे हो।
अब सूत्र यह बता रहे हैं कि दैनिक जागरण प्रबंधन यूनियन के पदाधिकारियों को न तो कोई मलाई ऑफर कर रहा है और न ही उनसे कोई पूछताछ कर रहा है। इससे पदाधिकारी थोड़ा कुंठित महसूस कर रहे हैं। भाई यूनियन तो बन गई। अब उसका कोई लाभ न तो प्रबंधन को मिल रहा है और न ही कर्मचारियों को। ऐसी यूनियन आखिर किस काम की, जिसमें कई क्रांतिकारियों तक को शामिल नहीं किया गया हो।
उधर, बिना किसी यूनियन के कुछ क्रांतिकारी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मिल आए। वे भी खाली हाथ नहीं लौटे, उनसे जोरदार आश्वासन लेकर ही लौटे। अब इस स्थिति से दैनिक जागरण प्रबंधन बिलबिला गया है और यूनियन पदाधिकारियों पर दबाव बना रहा है कि कुछ करो। अब यूनियन पदाधिकारी क्या करें। वे कुछ करने लायक होंगे, तभी न करेंगे कुछ। खिसियानी बिल्ली खंभा नोचने वाली स्थिति पैदा हो गई है। फर्जी यूनियन के कुछ असली पदाधिकारी कर्मचारियों को इसलिए धमका रहे हैं कि प्रबंधन कुछ खुश हो जाए और उनकी झोली में थोड़ी मलाई डाल दे लेकिन प्रबंधन है कि प्रसन्न होने का नाम ही नहीं ले रहा है। कोई बात नहीं, लगे रहो इंडिया।
from Fourth Pillar FB Wall
Comments on “जागरण की जेबी यूनियन न इस घाट लगी, न उस घाट, फंस गए बात-बहादुर अधरझूल में”
abe kab tak jhut chapte rahoge. unse bhi pucho jo jagran main kam kar rahe hain ki bikne wale se hi puchoge aur chap doge
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