नईदुनिया रायपुर में यूनियन वालों ने मार्केटिंग हेड और प्रसार हेड के खिलाफ दर्ज करा दी एफआईआर

नईदुनिया रायपुर के एड-अकाऊंट विभाग मे कार्यरत ए. चन्द्रशेखर रेड्डी ने समाचार पत्र कर्मचारी संघ (नईदुनिया प्रकोष्ट) को सूचना दी कि उन्हें प्रबंधन परेशान और प्रताड़ना कर रहा है. लिखित शिकायत मिलने के बाद यूनियन की तरफ से अध्यक्ष नसीम मोहम्मद, महासचिव पी.सी. रथ, कोषाध्यक्ष मुकेश वर्मा, प्रफुल मसीह, चंद्रशेखर रेड्डी एवं अन्य सदस्य सहायक श्रमायुक्त से मिले और वहां लिखित कंप्लेन दी. इन लोगों ने मार्केटिंग हेड जय दुबे व प्रसार हेड आलोक शर्मा के खिलाफ उचित कार्रवाही करने की मांग की. सहायक श्रमायुक्त ने कार्रवाई करने का आश्वासन दिया और प्रताड़ना के विरूद्ध एफआईआर करने की सलाह दी.

मुंबई में नवभारत अखबार के 40 मीडियाकर्मियों ने बनायी यूनियन

केसर सिंह विष्ट अध्यक्ष और अरुण कुमार गुप्ता सचिव बनाये गये, वेज बोर्ड के लिये भी बनायी गयी कमेटी

मुंबई से एक बड़ी खबर आ रही है। यहां प्रमुख हिन्दी दैनिक नवभारत के कर्मचारियों ने वेज बोर्ड समेत कई मांगों को लेकर कल 12 मई को एक यूनियन का गठन कर लिया है। इस यूनियन का लिखित पत्र बकायदे प्रबंधन को भी दे दिया गया है। इस यूनियन में 40 सदस्य होने का दावा यूनियन के एक पदाधिकारी ने किया है।

दैनिक जागरण कर्मचारी आर-पार लड़ाई को तैयार

प्रबंधकों की दमनकारी नीतियों के खिलाफ दैनिक जागरण की कर्मचारी यूनियनें एकजुट हो चुकी हैं। इस बार कर्मचारी आर-पार की लड़ाई के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। प्रबंधन भी कर्मचारियों के आंदोलन को दबाने के लिए कई दमनकारी कदम उठा रहा है। मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन की मांग करने पर दैनिक जागरण प्रबंधन ने कभी जागरण परिवार कहे जाने वाले कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाना शुरू कर दिया है।

एक्सप्रेस यूनियन से नायडू-नंदू गुट का सूफड़ा साफ, पीयूष-बीएन पैनल भारी जीत

नई दिल्ली । इंडियन एक्सप्रेस न्यूपेपर्स वर्क्स यूनियन के चुनाव में नायडू-नंदू गुट का सूफड़ा साफ। नायडू-नंदू गुट की यह लगातार दूसरी हार है। यूनियन के कल हुए चुनाव में कार्याकारिणी के तीन स्थानों को छोड़कर बाकी सभी पदों पर पीयूष-बीएन पैनल के उम्मीदवारों ने नायडू-नंदू गुट के उम्मीपदवारों को भारी अंतर से पराजित किया। अध्यक्ष पद पर बीएन पांडेय ने नंदू पाठक को तीस मतों से अधिक से हरा दिया। नायडू गुट के पाठक को 88 जबकि बीएन पांडेय को 118 मत मिले।

पत्रकारों पर हो रहे हमले के विरोध में प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ कानपुर में पत्रकारों का हल्ला बोल

विगत एक वर्ष से लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पर बढ़ रहे अत्याचारों और उत्पीड़न ने तोड़ा पत्रकारों के सब्र का बांध। कानपुर में आज कई पत्रकार संगठनों ने मंच साझा कर सांकेतिक धरना प्रदर्शन करते हुए प्रदेश की सपा सरकार और बीजेपी के प्रदेश नेतृत्व को जमकर कोसा। कानपुर में विभिन्‍न पत्रकार संगठनों द्वारा आज फूलबाग स्थित गांधी प्रतिमा पर धरना प्रर्दशन कर पत्रकारों का उत्पीड़न न रुकने पर बड़े आंदोलन का बिगुल फूंक दिया।

मजीठिया वेज बोर्ड और इंडिया एक्सप्रेस मुंबई : यूनियन के पदाधिकारी कंपनी के हाथों बिक गए!

मुंबई से मीडिया के एक साथी ने इंडियन एक्सप्रेस मुंबई की अंतरकथा लिख भेजी है. इस कहानी को पढ़ने से पता चलता है कि किस तरह आम मीडियाकर्मियों के भले के लिए बनी यूनियनें आजकल मालिकों के हित साधन का काम कर रही हैं. यही कारण है कि मीडिया के एक बड़े मसले मजीठिया वेज बोर्ड को लागू कराने को लेकर यूनियनों का रवैया बेहद नपुंसक है.

दैनिक जागरण नोएडा में यूनियन ने सीजीएम को बता दी औकात, महिला कर्मियों को करना पड़ा बहाल

इसे कहते हैं यूनियन की ताकत. दैनिक जागरण नोएडा के चीफ जनरल मैनेजर नीतेंद्र श्रीवास्तव ने मार्केटिंग से दो महिला कर्मियों को निकाल बाहर किया तो ये महिला कर्मी दैनिक जागरण की नई बनी यूनियन तक पहुंच गईं और अपनी आपबीती सुनाई. यूनियन ने सीधे सीजीएम नीतेंद्र श्रीवास्तव की केबिन पर धावा बोला और नीतेंद्र को घेर कर दोनों कर्मियों को बहाल करने का आदेश जारी करने के लिए मजबूर कर दिया. नीतेंद्र को लोगों ने जमकर खरी खोटी सुनाने के बाद भांति भांति के विशेषणों से नवाजा. बस केवल मारा नहीं. उधर, नीतेंद्र भी कहां बाज आने वाला था. बहाली के अगले रोज दोनों कर्मी जब काम पर आईं तो इन्हें साइन यानि कार्ड पंचिंग करने से रोक दिया गया और इन्हें कैंपस में इंटर नहीं करने दिया गया. इसके बाद यूनियन की पहल पर दोनों कर्मियों ने नोएडा पुलिस स्टेशन और लेबर आफिस में शिकायत डाल दी है या शिकायत करने की तैयारी कर ली है.

सहारा के कर्मचारियों ने मुंबई में गठित की यूनियन, नाम- ‘सहारा इंडिया कामगार संगठना’

हम सहारा इंडिया परिवार के पीड़ित कर्मचारी हैं जो मुंबई के गोरेगांव कार्यालय में कार्यरत हैं. सहारा के पीड़ित हम इसलिये हैं कि पिछले लंबे समय से हम आधी अधूरी तनख्वाह में निर्वहन कर रहे हैं और उसमें ६ महिनों का तनख्वाह बकाया है. सहारा इंडिया में पहली कर्मचारी यूनियन का गठन मुंबई में हो चुका है जिसका नाम सहारा इंडिया कामगार संगठना है. प्रबंधन के लाख दावों और झूठे आश्वासनों के बाद भूखे परिवार के दर्द ने हमें मजबूर कर दिया कि हम संगठन के तहत झूठ के पुलिंदों की खिलाफत करें. हमारे दर्द को दबाने के लिए मुंबई में प्रबंधन ने तथाकथित अधिकारियों की टीम खड़ी रखी है जो झूठे आश्वासन, धमकी देना और स्थानांतरण करने की बातें कहते हैं. लेकिन इस तानाशाही से पीड़ित करीब दो सौ लोगों का सब्र आखिरकार टूट गया और लोग गोरेंगाव पुलिस थाने में पहुंचे, चुंकि बातें तनख्वाह की थी इसलिए पुलिस ने हमारी शिकायत को श्रम आयुक्त के पास भेज दिया.

फेडरेशन के बैनर तले एकजुट हों यूनियनें, जय श्रमिक, जय बांस !!

कहा था न कि आप बांस नहीं करोगे तो आपको बांस कर दिया जाएगा। एक कहावत है-फटने लगी तो हर कोई बोला, हाजमोला हाजमोला। हम बात कर रहे हैं यूनियनों के जरिये अखबार प्रबंधन पर दबाव बनाने की। यह एक शुभ संकेत है कि कर्मचारियों की एकता रंग लाई और हाल ही में तीन-तीन यूनियनें चल पड़ी हैं। एक यूपी न्‍यूजपेपर कर्मचारी यूनियन, दूसरी जागरण प्रकाशन लिमिटेड कर्मचारी यूनियन 2015 और तीसरी सहारा कर्मचारियों की यूनियन। लेकिन आपने देखा कि किस प्रकार शांत माहौल होने पर भी सहारा के मुख्‍य द्वार पर भारी पुलिस बल जमा हो गया। कहीं यह कर्मचारियों को भयभीत करने का कुचक्र तो नहीं था।

सलाम जागरणकर्मियों, किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था दैनिक जागरण में यूनियन बनेगी

: यूनियन के रूप में अवतरित दसावतार, जागरण कर्मियों की एकता मिसाल बनेगी : आपके हौसले, आपकी एकजुटता, आपका जुनून रंग ला रहा है। इस जुनून के आगे पहाड़ जैसा जागरण प्रबंधन की कोई चालबाजी कामयाब नहीं हो रही। यही पहली जीत है। दैनिक जागरण में कार्यरत सभी भाइयों से आग्रह है- आपकी एकता, धैर्य और संगठित रहना अन्य संस्थान के कर्मियों के लिए मिसाल बनती जा रही है। कभी जागरण में यूनियन बनेगी- ऐसा किसी ने सपने में भी नहीं सोचा।

मध्य प्रदेश में गुपचुप तैयार हो गई पत्रकारों की यूनियन, सभी बड़े अखबारों से सदस्यता

इंदौर : मजीठिया की लड़ाई में अब तक सबसे ठन्डे माने जा रहे मध्यप्रदेश में इसे लेकर गुपचुप तरीके से बड़ी लड़ाई की तैयारी चल रही है। यहाँ के कुछ पत्रकारों ने इस लड़ाई में पंजीकृत ट्रेड यूनियन का महत्व समझते हुए चुपचाप इसका गठन कर लिया है। 

प्रदेश के पत्रकारों की ठेकेदारी कर रही यूनियन के पास कितने पत्रकार ?

जहां शासन कमजोर होता है, वहां पर कोई भी उसकी छाती पर चढ़ बैठता है… पत्रकारों के स्वयंभू नेताओं के मामले में भी कुछ ऐसी ही स्थति है… श्रमजीवी पत्रकार संघ में राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर प्रदेश अध्यक्ष तक का कार्यकाल आजीवन है…. इस कारण लगभग सभी पत्रकार इस यूनियन का साथ छोड़ चुके हैं…. कांग्रेस के ज़माने में इस यूनियन को लखनऊ के चाइना मार्किट में दफ्तर उपहार में मिल गया था, जिसकी कीमत अब करोड़ों में है…

जागरण कर्मचारियों की यूनियन से इलाहाबाद हाईकोर्ट ने किया पांच सप्‍ताह में जवाब तलब

इलाहाबाद : हाईकोर्ट इलाहाबाद ने दैनिक जागरण प्रबंधन की अपील पर जागरण कर्मियों की यूनियन से जवाब तलब कर लिया है। अपना पक्ष रखने के लिए यूनियन को पांच सप्‍ताह का समय दिया गया है। ये जवाब यूनियन अध्‍यक्ष इष्‍टदेव सांस्‍कृत्‍यायन और महामंत्री रत्‍न भूषण से मांगा गया है।

वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के कार्यालय में तोडफ़ोड़

भोपाल : वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के कार्यालय एफ-88/19, तुलसी नगर, सेकेण्ड स्टॉप में कुछ अज्ञात बदमाशों ने रात्रि साढ़े 10 बजे घुसकर तोड़फ़ोड़ की। 

जेबी यूनियन का पर्दाफाश होने से जागरण प्रबंधन गुंडागर्दी पर उतरा

दैनिक जागरण प्रबंधन गुंडागर्दी पर उतर आया है। अखबार की कानपुर यूनिट में डाइरेक्‍टर पद पर तैनात सतीश मिश्रा जेबी यूनियन का पर्दाफाश होने से इतना बिलबिला गए हैं कि जगदीश मुखी से मारपीट करने पर उतर आए। जगदीश मुखी को कार्यालय में प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है। जगदीश मुखी नोएडा कार्यालय में इलुस्‍ट्रेटर के रूप में काम कर रहे थे। कुछ माह पूर्व उनका तबादला कानपुर कर दिया गया था। उस समय उनकी पारिवारिक परिस्थितियों को दरकिनार कर उन्‍हें जबरन कानपुर भेज दिया गया। इससे पूर्व भी एक मशीनमैन से कानपुर में मारपीट की गई थी। उसके बाद रतन भूषण का तबादला कानपुर किया गया, जिससे रुष्‍ट कर्मचारियों ने विगत सात जुलाई को नोएडा में काम बंद कर दिया था। कर्मचारियों की इस एकजुटता से प्रबंधन को झुकना पड़ा था और उस समय किए गए तबादले वापस ले लिए गए थे। 

जागरण की जेबी यूनियन न इस घाट लगी, न उस घाट, फंस गए बात-बहादुर अधरझूल में

पिछले दिनों एक फर्जी यूनियन और उसके फर्जी पदाधिकारियों के बारे में जानकारी दी गई थी और यह बताया गया था कि यूनियन का गठन दैनिक जागरण प्रबंधन की शह पर कराया गया। अब कन्‍फ्यूजिया गए होंगे कि दैनिक जागरण प्रबंधन कर्मचारियों के साथ फिरकी क्‍यों ले रहा है। आखिर जिस प्रबंधन ने कंपनी में आज तक कोई यूनियन नहीं बनने दी और जो यूनियन बनी भी, उसे शहीद करा दिया तो अब वही क्‍यों यूनियन का गठन होने दे रहा है। मजे की बात तो यह है कि यूनियन पदाधिकारियों के नाम सार्वजनिक होने के बावजूद उनसे यह पूछा तक नहीं गया कि भाई ऐसी क्‍या तकलीफ है, जो यूनियन बना रहे हो।

मजीठिया वेतनमान से बचने के लिए दैनिक जागरण प्रबंधन ने किया इतना बड़ा फ्रॉड

लो जी, दैनिक जागरण प्रबंधन प्रायोजित फर्जी यूनियन की पूरी जानकारी और वह भी पूरे प्रमाण और दस्‍तावेज के साथ। यूनियन का नाम है-”जागरण प्रकाशन लिमिटेड इम्‍प्‍लाइज यूनियन 2015”। 

बहुत दिनों बाद ‘सर्वहारा’ के ‘अधिनयाकवाद’ की कोई खबर सुनाई दी है… सुनिए केरल के दो घटनाक्रम…

Sangam Pandey : खबर केरल के कोच्चि जनपद की है। अमेरिका के एक कलाकार यहाँ के एक कला-उत्सव में भाग लेने आए थे। आयोजन की समाप्ति के बाद जब वे अपना सामान समेटकर ट्रक में लदवाने लगे तो सिर्फ दस फुट की दूरी तक छह बक्से पहुँचाने के उनसे दस हजार रुपए माँगे गए। खीझकर उन्होंने कहा कि मैं अपनी कृतियाँ नष्ट कर दूँगा, पर इतना पैसा नहीं दूँगा। उन्होंने केरल की लेबर यूनियनों को माफिया की संज्ञा दी और अपने विरोध को व्यक्त करने के लिए खुद द्वारा अपनी कृतियों को नष्ट किए जाने का एक वीडियो यूट्यूब पर डाल दिया। वासवो नाम के इन अमेरिकी कलाकार के साथ हुए इस बर्ताव जैसा ही बर्ताव उत्सव में भाग लेने गए भारतीय कलाकार सुबोध केरकर के साथ भी हुआ। उन्हें दो ट्रकों पर अपना सामान लोड कराने के साठ हजार रुपए देने पड़े।

मजीठिया की सिफारिशें लागू कराने के लिए यूनियन ने लिखा उपश्रमायुक्‍त को पत्र

नोएडा : यूपी न्‍यूज पेपर इंप्‍लाइज यूनियन के जिला महामंत्री एवं उपाध्‍यक्ष आरपी सिंह चौहान ने जिले के अखबारों में मजीठिया वेतनमान लागू कराने के संदर्भ में उपश्रमायुक्‍त को एक पत्र लिखा है। पत्र में उन्‍होंने श्रम कानूनों के प्रतिपालन का निरीक्षण कराने, अखबार उद्योगों का वर्गीकरण कराने, मजीठिया वेज बोर्ड की संस्‍तुतियों को लागू कराने एवं कर्मचारियों के एरियर भुगतान का आग्रह किया है।  

श्रमायुक्त को प्रेषित पत्र की छायाप्रति

पीटीआई यूनियन और प्रबंधन की साठगांठ!

: कानाफूसी : पीटीआई के साथियों को यह खबर जानकर नए साल पर हैरानी हो सकती है लेकिन खबर सत्‍य है। पीटीआई यूनियन और मजीठिया वेज बोर्ड के कथित हीरो ने सन 2002 में प्रबंधन के साथ एक समझौता किया था। इसके अनुसार यूनियन ने प्रबंधन को तीन साल तक कॉन्‍ट्रैक्‍ट पर कर्मचारियों को रखने की अनुमति दी थी। अब यही यूनियन के सर्वेसर्वा कह रहे हैं कि कॉन्‍ट्रैक्‍ट वाले साथियों का वेतन 35 हजार से ऊपर नहीं होना चाहिए। इन नेताओं से पूछना चाहिए कि प्रबंधन के साथ किन हालातों में यह समझौता किया गया और अगर तीन साल तक ही समझौता था तो फिर इतने साल तक कॉन्‍ट्रैक्‍ट पर लोगों को कैसे रखा जा रहा है। वैसे सभी साथियों को मुबारक कि यूनियन कॉन्‍ट्रैक्‍ट के साथियों के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी करने वाली है।

मजीठिया की लड़ाई : श्रम विभाग अवैध कमाई का सबसे बड़ा जरिया, सीधे कोर्ट जाएं

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी मजीठिया न देना दैनिक भास्कर, जागरण के मालिकों के लिए गले का फंस बन सकता है। इन दोनों अखबारों के मालिक अपने अपने अखबारों के कारण ही खुद को देश का मसीहा समझते हैं। देश का कानून ये तोड़ मरोड़ देते हैं। प्रदेश व देश की सरकारें इनके आगे जी हजूरी करती हैं। लेकिन अब देखना होगा कि अखबार का दम इनका कब तक रक्षा कवच बना रहता है क्योंकि जनवरी में मानहानि के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। कारपोरेट को मानहानि के मामले में सिर्फ जेल होती है। अब देखना होगा कि सहाराश्री के समान क्या अग्रवाल व गुप्ता श्री का भी हाल होता है या फिर मोदी सरकार अखबार वालों को कानून से खेलने की छूट देकर चुप्पी साध लेती है। मोदी सरकार पत्रकारों को मजीठिया दिलवाने के मामले में बेहद कमजोर सरकार साबित हुई है। मालिकों को सिर्फ नोटिस दिलवाने से आगे कुछ नहीं कर पाई।

भड़ास के जरिए मैंने जिंदगी में पहली बार न्यू मीडिया / सोशल मीडिया की शक्ति का अनुभव किया

जानिब ए मंजिल की ओर अकेला चला था मगर
लोग मिलते गए, कारवां बनता गया!!!

यशवंतजी की ओर से देशभर के पत्रकारों के नाम भड़ास पर पोस्ट हुआ संदेश न्याय की लड़ाई में उबाल ला चुका है। भड़ास के जरिए मैंने जिंदगी में पहली बार न्यू मीडिया / सोशल मीडिया की शक्ति का अनुभव किया। भड़ास की पूरी टीम को मेरा धन्यवाद! धन्यवाद देने का एक बड़ा कारण यह भी है कि मजीठिया के मामले में देश के पत्रकारों को एकजुट होने का मंच भी मिला है। भड़ास के यशवंतजी का मेरे को लेकर लेख आने के बाद मेरे पास पिछले दो दिनों से देशभर से बड़ी संख्या में पत्रकारों के फोन आ रहे हैं। अधिकांश पत्रकार मजीठिया की लड़ाई में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाना चाहते हैं।

कानपुर में एक और प्रेस क्लब का गठन, कृष्ण कुमार सिंह अध्यक्ष बने

गणेश शंकर विद्यार्थी की कर्मस्थली कानपुर में पत्रकारों ने मिलकर कानपुर प्रेस क्लब का गठन किया. प्रेस वार्ता के दौरान अध्यक्ष कृष्ण कुमार सिंह गौर और उपाध्यक्ष मयंक शुक्ला ने बताया हमारा उद्येश सभी पत्रकारों के सम्मान, सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा के लिए संग़ठन से आगे एक परिवार की तरह काम करना है. कानपुर प्रेस क्लब अन्य सभी पत्रकार संगठनों के साथ मिलकर पत्रकारपुरम के लिए मुख्यमंत्री को जल्द ही ग्यारह सूत्री ज्ञापन सौंपेगा. अगली बैठक में जल्द ही सभी पत्रकारों के साथ मिलकर कानपुर प्रेस क्लब का विस्तार किया जाना सुनिश्चित किया गया है.

मजीठिया के लिए चंडीगढ़ एक्सप्रेस इंप्लाई यूनियन पहुंची सुप्रीम कोर्ट

मजीठिया वेज बोर्ड की संस्तुतियों पर अमल से बचने के लिए प्रिंट मीडिया के मालिकान जितने और जिस तरह-किस्म की कुटिल चालें, साजिशें, षड्यंत्र, तिकड़में, करतूतें, धमकियां, पैंतरे, पहुंच-पैरवी, जोड़-तोड़ आदि का इस्तेमाल कर रहे हैं, सहारा ले रहे हैं, उसे देख-समझ-जान कर यह अनुमान लगाना कठिन हो गया है कि क्या ये वही लोग हैं जो लोकतंत्र के चौथे खंभे के ध्वजवाहक होने का दावा करते हैं? जो राग अलापते हैं, वादा करते हैं व्यक्ति-समाज, राजनीति, अर्थनीति, देश-दुनिया की सभी-सच्ची-सही समस्याओं-परेशानियों-मुसीबतों-दिक्कतों को उजागर करने का, प्रकाशित करने का, दिखाने का, बताने का, रू-ब-रू कराने का और संबंधित आरोपियों-दोषियों-गुनहगारों को कठघरे में खड़ा कराने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ने का?